छत्तीसगढ़ में अनके प्रमुख रियासतें व जमींदारियां विद्यमान थी जिनमें से अधिकांश कलचुरियों व गोंड़ शासकों की अधिसत्ता को स्वीकार करते थे। यद्यपि विभिन्न जमींदार किसी प्रकार का कर या टकोली आदि देने के लिए बाध्य नहीं थे परंतु आवश्यकता पड़ने पर सैनिक व आर्थिक सहायता उपलब्ध कराते थे। Show
मराठा व ब्रिटिश काल में जमींदारी मराठा शासन के समय मराठों ने कुछ नयी जमीदारियां स्थापित की जिनमें राजनांदगांव, छुईखदान आदि शामिल थे। 1818 में ब्रिटिश अधीक्षक शासन प्रणाली के दौरान एग्न्यू ने जमींदारों से एक लिखित समझौता किया 1857 की क्रांति में रियासतों की भूमिका 1857 की क्रांति में विभिन्न रियासतों ने अंग्रेजी शासन को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन दिया तथा अंग्रेजों के विरूद्ध 1857 की क्रांति को असफल करने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया। 1857 में अंग्रेजों की रियासतों के प्रति नीति में कुछ परिवर्तन हुआ व अन्य प्रांतों की तरह मध्य प्रांत में भी ऐसी रियासतें स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया जो संकट काल में अंग्रेजी सरकार के सहयोगी बन सके। छत्तीसगढ़ का सम्पूर्ण सामान्य ज्ञान CG Question Answer : Click Now CG Vyapam Last 10 Years Question Paper Pdf Download Click Here CG रियासत gk1862 में रिचर्ड टेम्पल द्वारा जमींदारी का नये सिरे से सर्वेक्षण किया। 1865 में 14 जमींदारों को सामंती राजा का दर्जा दिया गया तथा इसके को फ्यूडेटरी चीफ या रूलिंग चीफ या राजा कहा गया। 1862 में जिन बड़ी जमींदारियों को रियासत का दर्जा दिया गया उनके अलावा अन्य जमींदारियों को खालसा क्षेत्र के अंतर्गत रखा गया। 1905 के प्रशासनिक पुनर्गठन के बाद 14 रियासतें छत्तीसगढ़ क्षेत्र में | ही शामिल रहीं। इन रियासतों के साथ सरकार ने विभिन्न स्तरों पर समझौता | किया। छत्तीसगढ़ की प्रमुख रियासतें1. सरगुजा रियासतप्राचीन समय में यह रियासत डानडोरा के नाम से विख्यात था, जहां एक राजपूत वंश (रक्सैल) का प्रभाव था। अंग्रेजी शासन के दौरान यह सरगुजा रियासत के नाम से जानी गयी। 2. उदयपुर रियासतउदयपुर रियासत का घनिष्ट राजनैतिक व ऐतिहासिक संपर्क सरगुजा रियासत से रहा व उदयपुर रियासत, सरगुजा रियासत के अंतर्गत एक प्रमुख जमींदारी थीं। 1818 में अंग्रेजों व मराठों के बीच अनुसार अप्पा साहब ने सरगुजा के साथ उदयपुर का क्षेत्र भी अंग्रेजों के अधीन कर दिया। 3. जशपुर रियासतजशपुर रियासत के बारे में आरंभिक जानकारी का अभाव है। संभवत: यह क्षेत्र डोम राजाओं द्वारा शासित था। 4. चांगभखार रियासतचांगभखार रियासत 1905 तक छोटा नागपुर का भाग था जिसकी राजधानी भरतपुर थी। इस रियासत का पारिवारिक संबंध कोरिया राजपरिवार से रहा। यह कोरिया रियासत के अंतर्गत एक जमींदारी थी। 5. कोरिया रिसासतप्रारंभिक समय में कोरिया रियासत में कोल राजाओं का अधिकार था। कालान्तर में एक क्षत्रिय वंश ने कोल शासकों को पराजित कर इस क्षेत्र पर अपना अधिकार स्थापित किया। अंग्रेजी शासन के दौरान यहां इस क्षत्रिय वंश का शासन था। 1818 में सरगुजा, उदयपुर व जशपुर के साथ-साथ यह क्षेत्र भी अप्पा साहब ने अंग्रेजों को दे दी। 6, बस्तर रियासतछत्तीसगढ़ की बड़ी रियासतों में से एक इस क्षेत्र पर मुख्य रूप से नलवंशीय राजाओं का प्रभाव रहा, जिन्होंने लगभग 5 शताब्दियों तक अपना प्रभाव बनाए रखा। उसके बाद इस क्षेत्र पर छिंदक नागवंशियों ने अपना प्रभाव स्थापित किया। बाद में वारंगल के काकतीय वंश ने यहां अपना शासन स्थापित किया जब अन्नमदेव ने यहां विजय प्राप्त की। 7. कांकेर रियासतकांकेर रिसायत का संस्थापक कन्हरदेव को माना जाता है। इसके बाद के शासकों की वंशावली अस्पष्ट है, बाद में रहिपाल नाम शासक के काल में कांकेर क्षेत्र पर मराठों का प्रभाव स्थापित हुआ।. 8. कवर्धा रियासतप्राचीन समय में कवर्धा व निकटवर्ती क्षेत्रों में नागवंशियों का प्रभाव था। फणीनागवंशियों के बाद इन क्षेत्रों में राजगोंड शासकों ने अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया। प्रमुख शासक महाबली सिंह को माना जाता है। अंग्रेजी शासन काल के दौरान यहां गोंड़ शासकों का प्रभाव था। 9. रायगढ़ रियासतरायगढ़ रियासत पर राजगोंड़ वंश का शासन था जिसके संस्थापक मदन सिंह थे। तखतसिंह व अन्य शासकों का भी उल्लेख प्राप्त होता है। आरंभिक राजाओं का जमींदार के रूप में उल्लेख हुआ है तथा दीपसिंह को पहला राजा बतलाया गया है। राजा जुआरसिंह (कार्यकाल 1783-1824) इस वंश के योग्यतम शासक थे। यहां के राजा चक्रधरसिंह कलाओं के महान संरक्षक थे। भारत की स्वतंत्रता के बाद रागयढ़ रियासत का भारत संघ में विलय हुआ विलयपत्र पर राजा ललित सिंह ने हस्ताक्षर किये थे। 10. सारंगढ़ रियासतसंस्थापक नरेन्द्र साय को माना जाता है, जिसने लांजी से प्रस्थान कर इस क्षेत्र पर अपना प्रभाव स्थापित किया। अन्य शासकों के उदयभान, वीरभान, कल्याण साय आदि का भी उल्लेख मिलता है। 11. छुईखदान रियासतछुईखदान रियासत का नेतृत्व बैरागी राजवंशी परिवार के पास था। इस क्षेत्र को महंत रूपदास ने परपोड़ी के जमींदार से उसे दिए ऋण के बदले प्राप्त किया था। महंत रूपदास के अलावा लक्ष्मण दास व तुलसीदास अन्य प्रमुख शासक थे। 12. राजनांदगांव रियासतराजनांदगांव रियासत के संदर्भ में प्रारंभिक जानकारी का अभाव है। संभवतः मोहगांव, डोंगरगढ़ आदि परगनों को मिलाकर राजनांदगांव रियासत का निर्माण हुआ। 13. सक्ती रियासतयह सबसे छोटी रियासत थी। हरि व गुजर नायक दो भाइयों ने इसे स्थापित किया था। रूपनारायण सिंह, रणजीत सिंह, लीलाधर सिंह आदि यहां इसके शासक हुए। 14. खैरागढ़ रिसासतखैरागढ़ रियासत का संस्थापक लक्ष्मीनिधि राय को माना जाता है। इस रियासत के शासक स्वयं को छोटानागपुर के नागवंशी राजपूत राजाओं से संबद्ध करते थे। संभवत: लक्ष्मीनिधि राय ने अपने शौर्य से मंडला नरेश संग्राम सिंह को प्रभावित किया, व पुरस्कार स्वरूप उसे जो क्षेत्र प्राप्त हुआ वहां उसने खैरागढ़ स्थापित किया। रियासत 1862 में रिचर्ड टेम्पल द्वारा जमींदारी का नये सिरे से सर्वेक्षण किया। 1865 में 14 जमींदारियों को रियासत का दर्जा दिया गया। इसके प्रमुख को फ्यूडेटरी चीफ या रूलिंग चीफ या राजा कहा गया। ये 14 रियासतें थीं-
रियासतों का विलय भारत को आजादी प्राप्त होने के बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल ने छत्तीसगढ़ की विभिन्न रियासतों को भारतीय संघ का औपचारिक रूप से हिस्सा बनने का प्रस्ताव दिया और कुछ बाधाओं के बाद 1 जनवरी 1948 को छत्तीसगढ़ की विभिन्न रियासतें अखिल भारतीय संघ का हिस्सा बन गई। उल्लेखनीय है छत्तीसगढ़ के रियासतों (14 रियासत) के संविलयन में पं. रविशंकर शुक्ल की महत्वपूर्ण भूमिका थी। 1947 से पहले भारत में कितने रियासत थे?सन् 1947 में जब भारत आज़ाद हुआ तब यहाँ 562 रियासतें थीं। इनमें से अधिकांश रियासतों ने ब्रिटिश सरकार से लोकसेवा प्रदान करने एवं कर (टैक्स) वसूलने का 'ठेका' ले लिया था। कुल 565 में से केवल 21 रियासतों में ही सरकार थी और मैसूर, हैदराबाद तथा कश्मीर नाम की सिर्फ़ 3 रियासतें ही क्षेत्रफल में बड़ी थीं।
छत्तीसगढ़ का पुराना नाम क्या है?"छत्तीसगढ़" एक प्राचीन नाम नहीं है, इस नाम का प्रचलन १८ सदी के दौरान मराठा काल में शुरू हुआ। प्राचीन काल में छत्तीसगढ़ "दक्षिण कोशल" के नाम से जाना जाता था।
छत्तीसगढ़ में कितने राजा थे?छत्तीसगढ़ में कभी 14 रजवाड़े और लगभग 36 जमींदारियां हुआ करती थीं। 1818 में अंग्रेजों ने रतनपुर से राजधानी रायपुर में स्थानांतरित की। 1853 में नागपुर के राजा रघुजी भोंसले की मृत्यु के बाद 1854 में राजधानी रायपुर सहित छत्तीसगढ़ भी अंग्रेजों की सत्ता में शामिल हो गया। यहीं से शुरू हुआ रायपुर में बाड़ों का इतिहास।
छत्तीसगढ़ का राजा कौन है?इस वंश का संस्थापक शरभ नाम का राजा था और इसी के नाम पर इसकी राजधानी का नाम शरभपुर पड़ा। इस वंश के प्रमुख शासक नरेंद्र, प्रसन्नमात्र, जयराज, मनमात्र, दुर्गराज, सुदेवराज, प्रवरराज, प्रवरराज द्वितीय थे। छठवीं शताब्दी में शरभपुरीय शासकों के पश्चात् दक्षिण कोसल में पांडुवंश का राज्य स्थापित हुआ।
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