गाय का गर्भ ठहरने के लिए क्या करना चाहिए? - gaay ka garbh thaharane ke lie kya karana chaahie?

गाय का गर्भ ठहरने के लिए क्या करना चाहिए? - gaay ka garbh thaharane ke lie kya karana chaahie?

**आपके पशु का गर्भ ठहरने का घरेलु इलाज **

१/ १०० ग्राम घी और १०० ग्राम बेसन लेना हैं उसको मिलाके एक पेस्ट बना लेना हैं,और उस पेस्ट को सुबह खाली पेट मैं ही अपने पशु को खिलाना हैं जो की गाभिन हो पिछले दिन दिन ही क्रोस करवा क लाये हो।
अगर आपके पशु का वजन ज्यादा हो तो उसको १५० ग्राम करके घी बेसन का पेस्ट बनाके खिलाये ।
यह खुराक आपको अपने पशु को लगातार ४/५ दिन तक देनी हैं।
२/ अगर गाय को क्रॉस करवाए तो आपको भैंस का दूध लेना हैं और अगर भैंस को क्रोस करवाए तो गाय का दूध लेना हैं। १ लीटर दूध मैं २००/३०० ग्राम बेसन मिला लेना हैं और अपने गाभिन पशु को पिलाना हैं।
यह खुराक भी आपको अपने पशु को लगातार ४/५ दिन तक देनी हैं।
३/नीम की बीज को पानी मैं उबाल कर उसको मछल कर उसका गुटली निकाल लेना हैं । अब जो गुदा सा बचेगा उसको अपने पशु को खिलाना हैं।
ये खुराक आपको ए आई कराने के बाद या टिका लगवाने के बाद खिलाना हैं।
४/ पशु को क्रोस करवाने के बाद ३/४ जानते तक जमीन पर बैठने न दे।
५/ पशु को नार्मल तापमान मैं रखे।
६/ क्रोस करवाने के बाद पशु को लस्सी/छांच पिलाये ताकि उनका बॉडी ठंडा रहे।

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गाय और भैंस को गाभिन करने के लिए क्या करें

दुधारू पशुओं में बढ़ती प्रजनन समस्यायें आज-कल पशुपालकों के लिए एक गंभीर समस्या बन गई है क्योंकि पशुओं में दुग्ध उत्पादन व प्रजनन क्षमता में कमी होने से पशुपालक को सीधे आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है | अत: यह आवश्यक हो जाता है की पशुपालकों को पशु प्रजनन के सम्बन्ध में अधिकाधिक जानकारी हो ताकि वे स्वयं अपने स्तर से इन समस्याओं का समाधान प्राप्त कर सकें |

प्रथम गर्भधारण की अवधि :-

आमतौर पर संकर बछिया को अधिकतम 2.5 वर्ष, देशी बछिया को 3 वर्ष तथा पदीय को 3.5 वर्ष के अन्दर गर्भधारण कर लेना चाहिए | ब्याने के पश्चात् पुन: 3 – 4 महीने के अन्दर दुबारा गर्भित होकर इसी प्रक्रिया से गुजरना अच्छी प्रजनन क्षमता दर्शाता है | इस प्रकार एक ब्यानेसे दुसरे ब्यात का अंतराल 13 – 14 महीने का होता है लेकिन प्रजनन क्षमता पूर्ण न होने की दशा में यह अंतराल अधिक हो जाता है जिससे पशुपालकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है |

मद चक्र :-

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गायों व भैंसों में मद चक्र की औसत अवधि 21 दिन है | गायों में मद 18 घंटे रहता है जबकि भैंसों में लगभग 24 घंटे | गायें अधिकतर सुबह 4:00 से दोपहर 12:00 बजे तक गर्मी में आती है जबकि भैंस शाम 6:00 से सुबह 6:00 बजे तक | भैंसे सर्दी के मौसम में ज्यादा प्रजनन करती है और रात्रि में गर्मी के लक्षण दिखाती है |

गर्भित कराने का उचित समय :-

  • पशु के गर्मी में रहने का समय 18 – 24 घंटे तक होता है और अंडा निकलने का समय मद काल के समापन के 10 – 12 घंटे बाद में होता है | अत: आवश्यक है कि पशु को गर्मी में आने के शुरुआत के करीब 10 – 12 घंटे बाद गर्भित करायें | पशु के मदकाल के आखिर एक तिहाई समय में गर्भित कराना ज्यादा उपयुक्त होता है | इससे गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है | एक ही समय में कई बार गर्भित कराना प्राय: निरर्थक है |
  • कुछ पशुओं में मदकाल अर्थात गर्मी की अवधि 18 – 24 घंटे से बढ़कर 3 या 4 दिन तक भी देखने को मिलती है एसे पशुओं को भी मदकाल के आखिरी अवस्था में गर्भित करना सार्थक होता है |
  • कुछ पशु समय से मद में नहीं आते, गर्भधारण नहीं करते अथवा बार – बार मद के लक्षण देते हैं ऐसे समस्याग्रस्त पशुओं के लिए पशुपालकों को निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए |

पशुपालक गाय या भैंस को गाभिन करवाने के लिए इन बातों का ध्यान रखें

  • अच्छे आहार के साथ – साथ 50 – 60 ग्राम उच्च गुणों वाला खनिज मिश्रण प्रतिदिन दें |
  • यदि पशु अन्त: कृमियों से ग्रसित है तो पशु – चिकित्सक की सलाह से कृमिनाशक दवा दें |
  • मद के लक्षण पहचान कर उचित समय पर गर्भित करायें |
  • अगर किसी कारणवश मद का समय निकल गया हो तो 21वें दिन विशेष ध्यान रखें और समय से गर्भित करायें |
  • यदि बच्चेदानी में कोई संक्रमण, सुजन, अंडाशय पर सिस्ट अथवा पशु में हारमोन सम्बन्धी विकार हो तो पशु – चिकित्सक से तुरन्त सम्पर्क करें |
  • मई से जुलाई माह का अत्याधिक तापमान संकर पशुओं एवं भैंसों में मद को बाधित करता है | अत: उच्च तापमान से बचाव के लिए पशुओं की पर्याप्त सुरक्षा करना चाहिए |
  • कभी – कभी सुविधानुसार मादा पशुओं को नर पशुओं के साथ रखना चाहिए | इससे उनकी प्रजनन क्रियाओं पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है |

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गाय-भैंस गाभिन है या नहीं, इसका पता लगाना अब आसान हो जाएगा। क्योंकि लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास) के विषय विशेषज्ञ गर्भधारण की पुष्टि करने के लिए एक किट पर शोध कर रहे हैं, शोध का काम अंतिम चरण में हैं। वैज्ञानिकों का मानना है अब गाय-भैंस के गर्भाधान के एक महीने के भीतर ही उनके गाभिन होने का पता चल जाएगा। अब तक पशुपालकों को डॉक्टर्स के पास जाना पड़ता है।

पशुओं में गर्भधारण की पुष्टि को लेकर परेशान रहने वाले किसानों की समस्या अब खत्म होने वाली है। लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय अब ऐसी किट तैयार करने में जुटा है जिससे मूत्र से पशुओं में भी गर्भधारण का पता मात्र एक मिनट में ही लगाया जा सकेगा। इस कार्य के लिए अब तक ग्रामीण पशु के लक्षणों पशु चिकित्सकों पर ही आश्रित रहते थे। पशुपालक अपने घर पर ही बिना अस्पताल जाए भैंस के गर्भ की जांच कर सकेंगे। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक पिछले दो साल से इस प्रोजेक्ट पर लगे हुए थे।

शेड्यूल बिगड़ जाता है पशुपालकों का
पशुओं में गाभिन की जांच के लिए किसी प्रकार की किट नहीं होने से पशुपालकों का शेड्यूल बिगड़ जाता है। सबसे बड़ी समस्या घर में दूध की उपलब्धता की है। यदि समयानुसार पशु का गर्भधारण नहीं होता है तो इससे पशुपालकों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एंटीजन से गर्भ होने या नहीं हाेने का पता चलता है उसकी पहचान कर ली है। गर्भधारण जानने की किट आने के बाद पशुपालकों को सहुलियत हो जाएगी।

कई बार झूठे साबित हो जाते थे अनुमान
अब तक पशुपालकों को गाय-भैंस गाभिन है या नहीं इसके लिए पशु चिकित्सालय या डॉक्टरों की मदद का इंतजार करना पड़ता था। परंतु पशु चिकित्सकों की कमी के चलते ग्रामीणों को चिकित्सक का इंतजार करना पड़ता है और उसके लिए उसे पैसा भी खर्च करना पड़ता है। कुछ पशु के लक्षणों को ही देखकर अनुमान लगाते हैं, लेकिन कई बार उनके अनुमान झूठे साबित हो जाते हैं। यह किट ग्रामीणों को इस पूरे झंझट से छुटकारा दिलाएगी और केवल कुछ मिनटों में उन्हें पता चल जाएगा कि पशु गाभिन है या नहीं।

लंगड़ी बुखार
इस रोग में पाॅलीवेलेंट टीका दिया जाता है। गोवंशीय तथा भैंसवशीय पशुओं में पहला टीका 6 महीने की उम्र में दिया जाता है। इसके बाद हर साल दिया जाता है। टीके की मात्रा 5 मिली प्रति पशु (चमड़ी के नीचे) मानसून के आगमन के पहले देना चाहिए ।

गलघोटू का उपाय
इस रोग में एडजूवेंट टीका देते हैं। गोवंशीय तथा भैंसवंशीय पशुओं मं पहला टीका 6 महीने की उम्र और इसके बाद प्रति वर्ष दिया जाता है। टीके की मात्रा 2 मिली प्रति पशु (चमड़ी के नीचे) मानसून के आगमन के पहले देना चाहिए। भेड़ तथा बकरियों में एक मिली प्रति पशु (चमड़ी के नीचे) दें।

पशुपालकों को डॉक्टर के पास जाने से मिलेगी मुक्ति
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अगले छह-सात महीने में पशुपालकों के पास होगी किट
पशुपालक घर बैठे ही किट के जरिए गाय-भैंस के यूरीन और दूध की जांच कर एक महीने के अंदर यह पता चल जाएगा कि गाय-भैंस प्रेग्नेट है या नहीं। इसके लिए उन्हें अस्पताल जाने की जरूरत नहीं होगी। अगले छह-सात महीने में गाभिन जानने की किट तैयार हो जाएगी। -डाॅ.पीके कपूर, निदेशक (को-ऑर्डिनेटर रिसर्च प्लानिंग एंड मॉनीटरिंग) लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय

गाय को प्रेग्नेंट करने के लिए क्या करना चाहिए?

पशुपालक गाय या भैंस को गाभिन करवाने के लिए इन बातों का ध्यान रखें.
अच्छे आहार के साथ – साथ 50 – 60 ग्राम उच्च गुणों वाला खनिज मिश्रण प्रतिदिन दें |.
यदि पशु अन्त: कृमियों से ग्रसित है तो पशु – चिकित्सक की सलाह से कृमिनाशक दवा दें |.
मद के लक्षण पहचान कर उचित समय पर गर्भित करायें |.

गाय गर्भ धारण क्यों नहीं करती?

पशुओं में गाभिन की जांच के लिए किसी प्रकार की किट नहीं होने से पशुपालकों का शेड्यूल बिगड़ जाता है। सबसे बड़ी समस्या घर में दूध की उपलब्धता की है। यदि समयानुसार पशु का गर्भधारण नहीं होता है तो इससे पशुपालकों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।

पशु को हीट में लाने के लिए क्या करना चाहिए?

पशुओं को गुड़ देना:- थोड़ी मात्रा में दिया गया गुड़ पशुओं के पेट में सूक्ष्मजीवों के बढ़ने और पाचन शक्ति बढ़ाने में सहायक होता है। इससे पशु की भूख बढ़ जाती है। गुड़ ऊर्जा देने के साथ साथ भूख भी बढ़ाता है इसलिए जरूरी तत्वों की पूर्ति में सहायक होता है जिससे पशु हीट में आ जाता है।

गाय खड़ी नहीं हो रही है क्या करें?

यदि पशु किसी भी प्रकार से खड़ा नहीं हो पा् रहा हो तो उसके लिए नरम बिस्तर का प्रबंध करना चाहिए जो की घास, चारे अथवा भूसे का बना हो सकता है। पशु के गोबर व मूत्र को समय समय पर साफ करते रहना चाहिए। पशु का दूध समयानुसार दुहना चाहिए और थनों को साफ सुथार रखना चाहिए।