ग़ज़ल और शायरी में क्या अंतर है
Show ग़ज़ल किसे कहते हैं
शायरी या शेर किसे कहते हैं
"खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर के पहले खुदा बन्दे से पूछे बता तेरी रज़ा क्या है." "इब्तेदा इश्क रोता है क्या आगे आगे देखिये होता है क्या " "ज़ाहिद शराब पीने दे मस्जिद में बैठकर या वो जगह बता जहाँ खुदा न हो " ग़ज़ल और शायरी में क्या अंतर है
इस प्रकार हम देखते हैं कि शेर के बिना ग़ज़ल की रचना नहीं की जा सकती अर्थात ग़ज़ल की छोटी इकाई को ही शेर कहते हैं। किन्तु शेर अपने आप में स्वतंत्र भाव रखते हैं यानि वे स्वयं में एक कविता होते है। 1.ग़ज़ल का प्रारूप गजल का पहला शेर को क्या कहते हैं?इसके पहले शेर को मतला कहते हैं। ग़ज़ल के अंतिम शेर को मक़्ता कहते हैं। मक़्ते में सामान्यतः शायर अपना नाम रखता है।
ग़ज़ल में कितने शेर होते हैं?इसका अर्थ यह हुआ कि किसी ग़ज़ल में अगर २५ शेर हों तो यह कहना ग़लत न होगा कि उसमें २५ स्वतंत्र कविताएं हैं। शेर के पहले मिसरे को 'मिसर-ए-ऊला' और दूसरे को 'मिसर-ए-सानी' कहते हैं। ग़ज़ल के पहले शेर को 'मत्ला' कहते हैं।
शायर का उपनाम क्या होता है?शायरी लिखने वाले कवि को शायर या सुख़नवर कहा जाता है।
रदीफ और काफिया क्या है?आप देख सकते हैं कि आपके सामने हमारी दो पंक्तियां है जिनमें काफिया के बाद दोनों पंक्ति में कुछ शब्दों का समूह ''लगी है'' आया है, इसे ही हम रदीफ कहते हैं। अब आपके मन में ये प्रश्न होगा कि ये दोनों पंक्ति में एक जैसा क्यों है, जबकि काफिया तो अलग-अलग हैं।
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