हरिद्वार, जिसे हरद्वार भी कहा जाता है, भारतीय राज्य उत्तराखण्ड का एक जिला है, जिसके मुख्यालय हरिद्वार नगर में स्थित हैं। इस जिले के उत्तर में देहरादून जिला, पूर्व में पौड़ी गढ़वाल जिला, पश्चिम में उत्तर प्रदेश राज्य का सहारनपुर जिला तथा दक्षिण में उत्तर प्रदेश राज्य के ही मुजफ्फरनगर तथा बिजनौर जिले हैं। हरिद्वार जिले की स्थापना २८ दिसंबर १९८८ को उत्तर प्रदेश राज्य के सहारनपुर मण्डल के अंतर्गत सहारनपुर जिले की हरिद्वार और रुड़की तहसीलों, मुजफ्फरनगर जिले की सदर तहसील के ५३ गांवों और बिजनौर जिले की नजीबाबाद तहसील के २५ गांवों को मिलाकर हुई थी। ९ नवंबर २००० को हरिद्वार नवगठित उत्तराखण्ड राज्य का हिस्सा बन गया। २०११ में १८,९०,४२२ की जनसंख्या के साथ यह उत्तराखण्ड का सबसे अधिक जनसंख्या वाला जिला है। हरिद्वार, भेल रानीपुर, रुड़की, मंगलाौर, धन्देरा, झबरेड़ा, लक्सर, लन्ढौरा और मोहनपुर-मोहम्मदपुर जिले के महत्वपूर्ण शहर हैं। इतिहास[संपादित करें]वर्तमान हरिद्वार क्षेत्र छठी शताब्दी ईसा पूर्व में प्राचीन कोशल राज्य का हिस्सा था, जो बाद में नंद तथा मौर्य वंश द्वारा शासित मगध साम्राज्य का हिस्सा बन गया।[3] १८४ ईसा पूर्व में मौर्य वंश के पतन के साथ ही यह शुंग राजवंश के वर्चस्व के अधीन आ गया, और ७२ ईसा पूर्व तक रहा। इसके बाद यहां २२६ ईस्वी तक कुशानों का राज चलने के बाद ३२० ईस्वी से ९८० ईस्वी के अंत तक गुप्त साम्राज्य का शासन रहा।[3] दिल्ली सल्तनत के शासनकाल के समय यह क्षेत्र दिल्ली सूबे का हिस्सा था।[4] अकबर और उनके तत्काल उत्तराधिकारियों के समय में यह सहारनपुर में रहने वाले अधिकारी के अधीन था, और उस समय सहारनपुर और हरिद्वार में तांबे के सिक्कों के टकसाल थे।[5] जिले के बाद के इतिहास में सिखों और मराठों के आक्रमण का उल्लेख है। १८५७ के विद्रोह के समय रुड़की, कनखल, ज्वालापुर और हरिद्वार के जंगलों में स्वतंत्रता सेनानियों और ब्रिटिश सेना के बीच कई छिटपुट लड़ाइयाँ भी लड़ी गई थी। ब्रिटिश काल में इस क्षेत्र में प्रशासनिक सुधार, राजस्व समाधान, शैक्षिक और चिकित्सा सुविधाओं, और स्थानीय स्वशासन पर काफी काम प्राधिकारियों द्वारा शुरू किया गया था। मंगलौर, हरिद्वार और रुड़की में क्रमशः १८६० , १८७३ और १८८४ में नगरपालिका बोर्ड स्थापित किए गए थे। हरिद्वार में १९०० में गुरुकुल कांगडी की स्थापना हुई, जो बाद के वर्षों में प्राच्य अध्ययन (प्राचीन भारतीय संस्कृति के आधार पर) के एक प्रमुख केंद्र के रूप में विकसित हुआ, और साथ ही कांग्रेस द्वारा चलाये गए विभिन्न आंदोलनों के लिए गढ़ भी रहा। हरिद्वार जिला, सहारनपुर डिवीजनल कमिशनरी के भाग के रूप में २८ दिसम्बर १९८८ को अस्तित्व में आया। २४ सितंबर १९९८ के दिन उत्तर प्रदेश विधानसभा ने 'उत्तर प्रदेश पुनर्गठन विधेयक, १९९८' पारित किया,[6] अंततः भारतीय संसद ने भी 'भारतीय संघीय विधान - उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम २०००' पारित किया,[7] और इस प्रकार ९ नवम्बर २०००, के दिन हरिद्वार भारतीय गणराज्य के २७वें नवगठित राज्य उत्तराखण्ड (तब उत्तरांचल), का भाग बन गया। जनसांख्यिकी[संपादित करें]२०११ की जनगणना के अनुसार हरिद्वार जिले की जनसंख्या १८,९०,४२२ है,[8] जो लगभग लेसोथो,[9] या अमेरिका के पश्चिम वर्जीनिया राज्य के बराबर है।[10] जनसंख्या के मामले में भारत में इसका स्थान २४४वां है (कुल ६४० में से)।[8] जिले में जनसंख्या घनत्व ८१७ व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है।[8] २००१-२०११ के दशक में इसकी जनसंख्या वृद्धि दर ३३.१६% थी।[8] हरिद्वार की साक्षरता दर ७४.६२% है और लिंग अनुपात ८७९ महिलायें प्रति १००० पुरुष है।[8] प्रशासन[संपादित करें]जिले के प्रशासनिक मुख्यालय हरिद्वार नगर के रोशनाबाद क्षेत्र में हैं, जो हरिद्वार रेलवे स्टेशन से १२ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। प्रशासनिक कार्यों के लिए जिले को तीन तहसीलों में विभाजित किया गया है: रुड़की, लक्सर और हरिद्वार। इसके अतिरिक्त जिले को आगे ६ सामुदायिक विकास खण्डों और ३१६ ग्राम पंचायतों में भी बांटा गया है। जिले में कुल ६१२ गांव और २४ शहर हैं। जिले में एक संसदीय क्षेत्र, और ११ उत्तराखण्ड विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र हैं, जिनमें हरिद्वार, हरिद्वार ग्रामीण, भेल रानीपुर, ज्वालापुर, भगवानपुर, रुड़की, पिरान कलियार, खानपुर, मंगलौर, लक्सर और झबरेड़ा शामिल हैं।[11][12] आवागमन[संपादित करें]जिले में कोई भी विमानक्षेत्र नहीं है, हालांकि लक्सर और शिकारपुर नगरों में दो हेलिपैड साइटें प्रस्तावित हैं।[13] मुख्यालय हरिद्वार से लगभग ५० किलोमीटर दूर देहरादून में स्थित जॉली ग्राण्ट विमानक्षेत्र निकटतम हवाई अड्डा है। जॉली ग्राण्ट स्पाइस जेट, इंडिगो तथा जेट एयरवेज की उड़ानों द्वारा दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु इत्यादि महत्वपूर्ण नगरों से जुड़ा हुआ है। दिल्ली में स्थित इंदिरा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र जिले से निकटतम अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। जिले में कुल १३ रेलवे स्टेशन हैं, जिनमें से ६ स्टेशन ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित हैं। सभी स्टेशन भारतीय रेलवे के उत्तरी जोन के मुरादाबाद मण्डल के अंतर्गत आते हैं। जिले से होकर जाने वाली रेलवे लाइन की कुल लंबाई ७२ किलोमीटर है। प्रति हजार वर्ग किमी क्षेत्र में रेल लाइन की लंबाई ३०.१ किलोमीटर है। हरिद्वार जंक्शन रेलवे स्टेशन जिले का प्रमुख रेलवे स्टेशन है। लक्सर और रुड़की अन्य महत्वपूर्ण रेलवे जंक्शन हैं। वर्ष २००९-१० के लिए उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक जिले में सड़कों की कुल लंबाई १,१५३ किलोमीटर है। राष्ट्रीय राजमार्ग ३४, ३३४, ३४४ और ३०७ जिले से होकर गुजरते हैं। उत्तराखण्ड का कोई भी राज्य राजमार्ग जिले से नहीं गुजरता है। जिले में यातायात के प्रमुख साधन राज्य सड़क परिवहन निगम की और निजी बसें, टैक्सी, जीप, और ट्रक आदि हैं। पूरे जिले में बस स्टेशनों/बस स्टॉपों की संख्या ३९३ है। बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
हरिद्वार कौन से जिले में लगता है?हरिद्वार, जिसे हरद्वार भी कहा जाता है, भारतीय राज्य उत्तराखण्ड का एक जिला है, जिसके मुख्यालय हरिद्वार नगर में स्थित हैं। इस जिले के उत्तर में देहरादून जिला, पूर्व में पौड़ी गढ़वाल जिला, पश्चिम में उत्तर प्रदेश राज्य का सहारनपुर जिला तथा दक्षिण में उत्तर प्रदेश राज्य के ही मुजफ्फरनगर तथा बिजनौर जिले हैं।
हरिद्वार का असली नाम क्या है?अर्थात् गंगाद्वार (हरिद्वार) स्वर्गद्वार के समान है; इसमें संशय नहीं है।
हरिद्वार का दूसरा नाम क्या है?हिंदू धर्मग्रंथों में हरिद्वार को कपिल्स्थान, मायापुरी, गंगाद्वार जैसे विभिन्न नामों से पुकारा गया है। हरिद्वार का प्राचीन पौराणिक नाम 'माया' या 'मायापुरी' है, जिसकी सप्त मोक्षदायिनी पुरियों में गणना की जाती थी।
हरिद्वार क्यों प्रसिद्ध है?भक्तों का मानना है कि वे हरिद्वार में पवित्र गंगा में एक डुबकी लगाने के बाद स्वर्ग में जा सकते हैं। गंगा नदी की पहाड़ो से मैदान तक की यात्रा में हरिद्वार पहले प्रमुख शहरों में से एक है और यही कारण है कि यहां पानी साफ और शांत है।
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