जूल का विद्युत धारा का तापन नियम क्या है?

जूल का विद्युत धारा का तापन नियम क्या है?

विद्युत टोस्टर का तापन अवयव जो विद्युत प्रवाह करने पर ऊष्मा उत्पन्न करता है।

जब किसी प्रतिरोध-युक्त चालक से विद्युत धारा प्रवाहित करते हैं तो उस चालक के अन्दर ऊष्मा उत्पन्न होती है। इसे ही जूल तापन (Joule heating) या प्रतिरोध तापन (resistive heating) कहते हैं।

जूल के प्रथम नियम (जिसे जूल-लेंज नियम भी कहते हैं)[1] के अनुसार, किसी विद्युत चालक के अन्दर ऊष्मीय ऊर्जा उत्पन्न होने की दर (अर्थात ऊष्मीय शक्ति) उस चालक के प्रतिरोध एवं उसमें प्रवाहित धारा के वर्ग के गुणनफल के समानुपाती होती है।

जूल-तापन पूरे चालक को प्रभावित करता है (उसके किसी एक भाग को नहीं ; जैसा कि पेल्टियर प्रभाव के कारण होता है - केवल संधि (जंक्शन) पर ही गरमी होती है।)

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Джоуля — Ленца закон Archived 2014-12-30 at the Wayback Machine. Большая советская энциклопедия, 3-е изд., гл. ред. А. М. Прохоров. Москва: Советская энциклопедия, 1972. Т. 8 (A. M. Prokhorov; एवं अन्य, संपा॰ (1972). "Joule–Lenz law". Great Soviet Encyclopedia (Russian में). 8. Moscow: Soviet Encyclopedia.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link))

जूल का तापन नियम क्या है समझाइए?

जब किसी प्रतिरोध-युक्त चालक से विद्युत धारा प्रवाहित करते हैं तो उस चालक के अन्दर ऊष्मा उत्पन्न होती है। इसे ही जूल तापन (Joule heating) या प्रतिरोध तापन (resistive heating) कहते हैं।

विधुत धारा का तापीय प्रभाव क्या होता है?

Solution : विद्युत धारा का तापीय प्रभाव-जब विद्युत स्रोत से केवल प्रतिरोधकों का समूह ही संयोजित किया जाता है तो स्रोत की ऊर्जा निरंतर पूर्ण रूप से ऊष्मा के रूप में क्षयित होती रहती है।

ऊष्मा और विद्युत धारा में क्या संबंध है?

सन् १८४१ में जूल (Joule) ने विद्युत के ऊष्मा प्रभाव का अध्ययन किया तथा बतलाया कि किसी सेल की रासायनिक ऊर्जा, जो परिपथ में धारा प्रवाहित करती है, उस परिपथ में उत्पादित ऊष्मा उर्जा के बराबर होती है।