हिन्दू कैलेंडर में, ज्येष्ठ का महीना, तीसरा महीना है. इस महीने में सूर्य अत्यंत ताकतवर होता है, इसलिए गर्मी भी भयंकर होती है. सूर्य की ज्येष्ठता के कारण इस माह को ज्येष्ठ कहा जाता है. ज्येष्ठा नक्षत्र के कारण भी इस माह को ज्येष्ठ कहा जाता है. Show इस महीने में धर्म का सम्बन्ध जल से जोड़ा गया है, ताकि जल का संरक्षण किया जा सके. इस मास में सूर्य और वरुण देव की उपासना विशेष फलदायी होती है. इस बार ज्येष्ठ मास 01 मई से आरम्भ हो रहा है. ज्येष्ठ मास का वैज्ञानिक महत्व क्या है? - इस माह में वातावरण और शरीर में जल का स्तर गिरने लगता है. - अतः जल का सही और पर्याप्त प्रयोग करना चाहिए. - सन स्ट्रोक और खान-पान की बीमारियों से बचाव आवश्यक है. - इस माह में हरी सब्जियां, सत्तू, जल वाले फलों का प्रयोग लाभदायक होता है. - इस महीने में दोपहर का विश्राम करना भी लाभदायक होता है. उत्तर भारत में बढ़ रहे हैं इस तरह के रोगी, हो जाएं सावधान इस माह में किस प्रकार जल (वरुण) देव और सूर्य की कृपा पाई जा सकती है? - नित्य प्रातः और संभव हो तो सायं भी पौधों में जल दें. - प्यासों को पानी पिलाएं, लोगों को जल पिलाने की व्यवस्था करें. - जल की बर्बादी न करें, घड़े सहित जल और पंखों का दान करें. - नित्य प्रातः और सायं सूर्य मंत्र का जाप करें. - अगर सूर्य सम्बन्धी समस्या है तो ज्येष्ठ के हर रविवार को उपवास रखें. आंखें हैं अनमोल, गर्मी में इस तरह रखें ख्याल ज्येष्ठ के मंगलवार की क्या महिमा है? - ज्येष्ठ के मंगलवार को हनुमान जी की विशेष पूजा की जाती है. - इस दिन हनुमान जी को तुलसी की माला अर्पित की जाती है. - साथ ही हलवा पूरी या मीठी चीजों का भोग भी लगाया जाता है. - इसके बाद उनकी स्तुति करें. - निर्धनों में हलवा पूरी और जल का वितरण करें. - ऐसा करने से मंगल सम्बन्धी हर समस्या का निदान हो जाएगा.
1.मटकी,सुराही, कलश अन्य पात्र 2.रसीले मौसमी फल - खीरा, तरबूज, नारियल, संतरा आदि 6.धार्मिक पुस्तकें (मन की शांति के लिए) 11.मौसमी शर्बत- कैरी पना, जलजीरा नारियल पानी, संतरा शर्बत आदि 12.श्रीखंड-आम का रस जैसी ठंडी मिठाई 13.चांदी का सामान (चांदी शीतल धातु मानी गई है।) महत्व : ज्येष्ठ मास में सूर्य की तपन अपने चरम पर रहती है। इसीलिए सूर्य की ज्येष्ठता के कारण इस महीने को ज्येष्ठ कहा जाता है। इन दिनों सर्वाधिक बड़े दिन होते हैं। इस माह में नौतपा भी लगता है। शास्त्रों में इसी माह में जल के संरक्षण का महत्व बताया गया है। ज्येष्ठ मास में जल के दान को बहुत बड़ा पुण्य माना गया है। ज्येष्ठ के महीने में भगवान श्रीराम से हनुमान की मुलाकात हुई थी, जिसके चलते ये इस माह के मंगलवार पर हनुमान पूजा का खासा महत्व रहता है। निम्नलिखित चौपाई से यह पता चलता है कि किस माह में क्या कार्य नहीं करना चाहिए। ।।चौते गुड़, वैशाखे तेल, जेठ के पंथ, अषाढ़े बेल। सावन साग, भादो मही, कुवांर करेला, कार्तिक दही। अगहन जीरा, पूसै धना, माघै मिश्री, फाल्गुन चना। जो कोई इतने परिहरै, ता घर बैद पैर नहिं धरै।।। ।।चैत चना, बैसाखे बेल, जैठे शयन, आषाढ़े खेल, सावन हर्रे, भादो तिल। कुवार मास गुड़ सेवै नित, कार्तिक मूल, अगहन तेल, पूस करे दूध से मेल। माघ मास घी-खिचड़ी खाय, फागुन उठ नित प्रात नहाय।। ज्येष्ठ माह में क्या करना और क्या नहीं चाहिए (Do's and Don'ts in Jyeshtha Month): 1. ज्येष्ठ माह में दोपहर में चलना खेलना मना है। इन महीनों में गर्मी का प्रकोप रहता है अत: ज्यादा घूमना-फिरना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। अधिक से अधिक शयन करना चाहिए। 2. इस माह बेल खाना चाहिए या बेल का रस पीना चाहिए। 3. इस माह में लहसुन, राईं, गर्मी करने वाली सब्जियां और फल नहीं खाना चाहिए। 4. इस माह में जल की पूजा की जाती है। इस माह में जल को लेकर दो त्योहार मनाए जाते हैं, पहला गंगा दशहरा और दूसरा निर्जला एकादशी। 5. घाघ ने कहा कि जो व्यक्ति ज्येष्ठ माह में दिन में सोता है वह रोगी होती है। 6. इस माह में बैंगन खाने से दोष लगता है और रोग उत्पन्न होता है। यह संतान के लिए शुभ नहीं होता है। 7. ज्येष्ठ के माह में ज्येष्ठ पुत्र या पुत्री का विवाह करना शुभ नहीं माना जाता है। 8. ज्येष्ठ माह में एक समय भोजन करना वाला निरोगी रहता है। महाभारत के अनुशासन पर्व में लिखा है- 'ज्येष्ठामूलं तु यो मासमेकभक्तेन संक्षिपेत्। ऐश्वर्यमतुलं श्रेष्ठं पुमान्स्त्री वा प्रपद्यते। 9. इस माह तिल का दान करने से अकाल मृत्यु से जातक बचा रहता है। 10. ज्येष्ठ माह में हनुमानजी की प्रभु श्रीराम से मुलाकात हुई थी। इसीलिए इस माह में हनुमानजी की पूजा करने से लाभ मिलता है। हिंदू कैलेंडर के तीसरे माह ज्येष्ठ (Jyeshtha Month) या जेठ का प्रारंभ 17 मई दिन मंगलवार से हो रहा है. ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 16 मई सोमवार को सुबह 09:43 बजे से लग रही है, इस तिथि का समापन 17 मई मंगलवार को सुबह 06:25 बजे हो रहा है. जिस तिथि में सूर्योदय होता है, उस दिन वह तिथि मान्य होती है. ऐसे में ज्येष्ठ कृष्ण प्रतिपदा 17 मई को है. इस दिन से ज्येष्ठ माह का प्रारंभ है और इसका समापन 14 जून को होगा. यह दिन बेहद ही शुभ है क्योंकि प्रात:काल से ही शिव योग बना हुआ है. रात 10:38 बजे से सिद्ध योग लग जाएगा. पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र से जानते हैं ज्येष्ठ माह के धार्मिक महत्व के बारे में. यह भी पढ़ें: कब से शुरु हो रहा है ज्येष्ठ माह? देखें इस महीने के सभी व्रत एवं त्योहार ज्येष्ठ माह में कुछ ऐसे कार्य हैं, जिनको करने से भाग्य मजबूत होता है और पुण्य भी मिलता है. इस माह में सूर्य का तेज ज्यादा होता है. आप कुछ कार्यों को करके सूर्य देव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं, जिससे आपके यश, कीर्ति, सफलता, प्रभाव आदि में वृद्धि होगी. ज्येष्ठ माह में करें ये काम1. ज्येष्ठ माह में सूर्य देव की पूजा करनी चाहिए क्योंकि इस समय में उनका प्रभाव ज्यादा होता है. सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए रोज स्नान के बाद जल अर्पित करें और उनके मंत्र का जाप करें. यह भी पढ़ें: कब है सोमवती अमावस्या? जानें तिथि, स्नान-दान का समय एवं महत्व 2. ज्येष्ठ माह में सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए आप रविवार का व्रत रख सकते हैं. इस दिन नमक खाना वर्जित है. मीठा भोजन करके पारण करना चाहिए. 3. ज्येष्ठ माह में गर्मी के वजह से लोग परेशान होते हैं, इसलिए जल और पंखे का दान करना उत्तम होता है. संभव हो तो प्यासे लोगों को पानी पिलाएं. आपको पुण्य प्राप्त होगा. 4. इस माह में आप पशु-पक्षियों के लिए दाने और पानी की व्यवस्था करें. आप पर ईश्वर की कृपा होगी. 5. ज्येष्ठ माह में राहगीरों को शरबत पिलाएं, गरीबों को उन फलों का दान करें, जिनमें पानी की मात्रा ज्यादा हो. आपको पुण्य फल प्राप्त होगा. 6. ज्येष्ठ माह में जल की पूजा की जाती है, इसलिए इस महीने में दो बड़े व्रत गंग दशहरा और निर्जला एकादशी रखे जाते हैं. 7. ज्येष्ठ माह में ही प्रभु श्रीराम से हनुमान जी का मिलन हुआ था, इसलिए इस माह में हनुमान जी की पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं. जेठ के महीने में क्या होता है?ज्येष्ठ या जेठ के महीने में गर्मी अपने चरम पर रहती है। इन दिनों सर्वाधिक बड़े दिन होते हैं इस कारण सूर्य की ज्येष्ठता के कारण इस महीने को ज्येष्ठ कहा जाता है,जेठ के महीने में धर्म का संबंध पानी से जोड़ा गया है,ताकि जल का संरक्षण किया जा सके। जेठ के महीने में पानी से जुड़े व्रत एवं त्योहार मनाए जाते हैं।
जेठ मास में किसकी पूजा करनी चाहिए?ज्येष्ठ माह में हनुमानजी की प्रभु श्रीराम से मुलाकात हुई थी। इसीलिए इस माह में हनुमानजी की पूजा करने से लाभ मिलता है।
जेठ के महीने में क्या नहीं खाना चाहिए?इस माह में बैंगन खाने से दोष लगता है और रोग उत्पन्न होता है। यह संतान के लिए शुभ नहीं होता है।
जेठ के बाद क्या करें?इस माह में जल की बर्बादी न करें, घड़े सहित जल और पंखों का दान करें। नित्य प्रातः और सायं सूर्य मंत्र का जाप करें और यदि सूर्य सम्बन्धी समस्या है तो ज्येष्ठ के हर रविवार को उपवास रखें। हिंदू पंचाग के अनुसार ज्येष्ठ या फिर जेठ का महीना चंद्र मास का तीसरा माह होता है जो चैत्र और वैशाख के बाद आता है।
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