कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं अंतिम तौर पर भी निश्चित करने के लिए कौन सक्षम होता है? - koee vidheyak dhan vidheyak hai ya nahin antim taur par bhee nishchit karane ke lie kaun saksham hota hai?

इन दिनों यह बहस चल रही है कि वित्त विधेयक की प्रकृति वाले विधेयकों को धन विधेयक के रूप में प्रस्तुत करके उसे सरलता से संसद में पारित करा लेना कितना उपयुक्त है? वस्तुत: विशेषज्ञों का कहना है कि दस अलग-अलग विधेयकों को धन विधेयक के रूप में इसलिए प्रस्तुत किया गया, क्योंकि वे वित्त मंत्री के बजट भाषण का हिस्सा थे। चूंकि राज्यसभा में भाजपा और उसके सहयोगी दलों को बहुमत हासिल नहीं है, ऐसे में लोकसभा में धन विधेयक के पारित होने के बाद सांविधानिक व्यवस्था के तहत सरलता से कानून बनाया जा सकता है।

यह जानना जरूरी है कि धन विधेयक और वित्त विधेयक क्या है? संविधान के अनुच्छेद 110 में धन विधेयक की परिभाषा दी गई है। इस अनुच्छेद के अनुसार कोई विधेयक धन विधेयक तब समझा जाएगा, जब उसमें कुछ विशेष विषयों से संबंधित प्रावधान हों। ये विषय हैं- कर लगाना, कर कम करना या बढ़ाना, उसे नियमित करना या उसमें परिवर्तन करना, भारत सरकार की ओर से ऋण लेना, नियमित करना या किसी आर्थिक भार में कोई परिवर्तन करना, भारत की संचित निधि या आकस्मिक निधि में कुछ धन डालना हो या निकालना, भारत की संचित निधि में से किसी व्यय के संबंध में धन दिया जाना हो, भारत की जमा-पूंजी में से किसी भी खर्च के दिए जाने की घोषणा करना या ऐसे व्यय को बढ़ाना हो, भारत की संचित निधि तथा सार्वजनिक लेखों में धन जमा करने या लेखों की जांच-पड़ताल करनी हो। जबकि वित्त विधेयक ऐसे विधेयक को कहते हैं, जो आय या व्यय से संबंधित हैं।

यह भी उल्लेखनीय है कि धन विधेयक राज्यसभा में पेश नहीं किया जा सकता है। लोकसभा अध्यक्ष द्वारा प्रमाणित धन विधेयक लोकसभा से पास होने के बाद राज्यसभा में भेजा जाता है। राज्यसभा धन विधेयक को न तो अस्वीकार कर सकती है और न ही उसमें कोई संशोधन कराने का वैधानिक हक रखती है। सभी वित्त विधेयक, धन विधेयक होते हैं, पर सभी धन विधेयक, वित्त विधेयक नहीं होते हैं। कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं, इस पर लोकसभा के अध्यक्ष का निर्णय अंतिम होता है। इस निर्णय को न्यायालय या सदन या राष्ट्रपति अस्वीकार नहीं करता है।

गौरतलब है कि पिछले दिनों लोकसभा की मंजूरी के बाद धन विधेयक के रूप में प्रस्तुत वित्त विधेयक, 2017 जब राज्यसभा में प्रस्तुत हुआ, तब उसमें बहुमत से जो संशोधन सुझाए गए थे, उन्हें लोकसभा ने खारिज कर दिया। चूंकि वित्त विधेयक, 2017 एक धन विधेयक था, इसलिए राज्यसभा इसे न तो ठुकरा सकता था और न ही संशोधन का दबाव डाल सकता था। वित्त विधेयक, 2017 वर्तमान में मौजूद 40 कानूनों में हो रहे बदलाव के सिलसिले की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। धन विधेयक के रूप में प्रस्तुत वित्त विधेयक, 2017 में कई अत्यंत बहसतलब मुद्दे जुड़े थे। इसमें राजनीतिक दलों को कारोबारी चंदे से संबंधित कई प्रावधानों में अहम बदलाव शामिल हैं। वित्त विधेयक, 2017 पारित होने के बाद देश में अब ऐसी व्यवस्था होगी, जहां असीमित, अपारदर्शी राजनीतिक चंदा दिया जा सकता है। यद्यपि चंदा चैक, बैंक के ई-ट्रांजेक्शन से दिया जा सकेगा। पर चंदा पाने वाले दल का नाम बताने की बाध्यता नहीं है।

यदि हम चाहते हैं कि भविष्य में वित्त विधेयक की प्रकृति का कोई विधेयक धन विधेयक के रूप में प्रस्तुत न हो, तो विकास से जुड़े मुद्दों पर जहां विपक्ष को सरकार के साथ सहयोग करना होगा, वहीं सरकार को भी लोकतांत्रिक जवाबदेही को ध्यान में रखना होगा।

कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं इसका अंतिम निर्णय कौन करता है?

कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं यदि इस बारे में कोई प्रश्‍न उठता है तो इस संबंध में अध्‍यक्ष का निर्णय अंतिम होगा।

किसी विधेयक को अंतिम रूप से कौन मान्यता देते हैं?

Answer. किसी विधेयक के बारे में विवाद उठने पर कि वह धन विधेयक है अथवा नहीं, लोकसभा के अध्यक्ष का निर्णय अंतिम होता है। किसी विधेयक को धन विधेयक के रूप में अध्यक्ष द्वारा प्रमाण पत्र दिये जाने के बाद उसकी प्रकृति के प्रश्न पर न्यायालय में अथवा किसी सदन में अथवा राष्ट्रपति द्वारा विचार नहीं किया जा सकता।

निम्नलिखित में से कौन किसी विधेयक को धन विधेयक घोषित कर सकता है?

19. राष्ट्रपति धन विधेयक पर अनुमति दे सकते हैं या रोक सकते हैं । संविधान के अनुसार राष्ट्रपति धन विधेयक को विचार के लिए सभा को नहीं लौटा सकते । 1 [ धन विधेयक संविधान के अनुच्छेद 108 109 110 111 और 117 तथा लोक सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमों के नियम 72, 96, 103 से 108 से विनियमित होते हैं । ]

धन विधेयक के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही नहीं है?

कथन 3 सही है: धन विधेयक के लोकसभा में पारित होने के बाद, इसे राज्यसभा के विचारार्थ प्रेषित किया जाता है। राज्यसभा के पास धन विधेयक के संबंध में सीमित शक्तियाँ हैं। यह धन विधेयक को अस्वीकार या संशोधित नहीं कर सकती है।