राष्ट्रीय
एकता आज के भारत की आवश्यकता क्यों है शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रीय एकता की प्राप्ति के लिए आप किन उपायों का सुझाव देंगे ? राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता (Needs of National Integration)राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता तथा महत्त्व निम्न कारणों से है- (1) लोकतंत्र की रक्षा के लिये- भारत ने लोकतंत्र को एक शासन प्रणाली के रूप में अपनाया है, जिसका आधारभूत स्वतंत्रता, समानता, धर्म-निरपेक्षता तथा भाईचारे के गुणों का विकास करना है। यह कार्य राष्ट्रीयता के बिना संभव नहीं है। (2) राष्ट्रीय चरित्र के निर्माण हेतु- भारत में राष्ट्रीय चरित्र का अभाव है। भ्रष्टाचार भाई-भतीजावाद हमारे जीवन का एक अंग बन गया है। हमारे कई नागरिक हजारों बलिदानों से प्राप्त हुई स्वतंत्रता को शत्रुओं के हाथों बेचने में कभी भी नहीं हिचकिचाते तथा देश के विरुद्ध काम कर रहे हैं। इन सब बातों से नागरिकों को बचाने के लिये राष्ट्रीय चरित्र का होना आवश्यक है। राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण तभी संभव है जब हममें राष्ट्रीयता की भावना का विकास हो । (3) अनेकता में एकता- अनेकता में एकता भारत में सदियों से रही हैं, लेकिन जब विविधता का संकट उत्पन्न हो गया है। अनेकता में एकता के सिद्धांत को कायम रखने के लिये राष्ट्रीयता अनिवार्य है। विभिन्न जातियों, प्रान्त, धर्म आदि होते हुए भी हमें इस बात पर गर्व होना चाहिए कि हम एक ही राष्ट्र के निवासी हैं। (4) विदेशी आक्रमण से सुरक्षा- भारत की सीमा से चारों ओर लगते हुए देश भारत की प्रगति से खुश नहीं हैं तथा समय-समय पर भारत पर आक्रमण करने का बहाना ढूँढते रहते हैं। चीन, पाकिस्तान, बंगलादेश, श्रीलंका आदि पड़ोसी राष्ट्र भारत से मैत्री संबंध स्थापित करना नहीं चाहते। ऐसे समय में राष्ट्रीय एकता की अत्यन्त आवश्यकता है। यदि राष्ट्र के लोग एक-दूसरे से छोटी-छोटी बातों पर झगड़ते रहेंगे तो विदेशी शक्तियाँ इसका लाभ उठायेंगी और कमजोर भारत को दबाने का प्रयत्न करेंगी। (5) शांति स्थापना के लिए – देश तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर शांति स्थापित करने के लिए राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता है। जब राष्ट्रीय एकता सुदृढ़ होगी तभी देश में शांति स्थापित हो सकेगी तथा यदि देश में शांति होगी तो देश अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी शांति स्थापित करने के लिये प्रयासों में अपना योगदान दे सकेगा। (6) आंतरिक सुरक्षा – बाहरी संकट के साथ-साथ आंतरिक संकट भी गंभीर बनते जा रहे हैं। देश में आतंकवाद फैला हुआ है कभी धर्म, कभी भूमि इत्यादि के आधार पर विघटनकारी शक्तियाँ देश की अखण्डता को हानि पहुँचाने में लगी हुई हैं। इन सभी को समाप्त करने की आवश्यकता है। यह तभी संभव हो सकता है जब संपूर्ण राष्ट्र एक हो । ऐसी दशा में राष्ट्रीय एकता अनिवार्य है। डॉ० श्रीमती श्रीमाली ने लिखा है, “यदि हम कठिनाई से मिलने वाली अपनी स्वतंत्रता की सुरक्षा एवं समृद्धि चाहते हैं तो हमें राष्ट्रीय एकता की प्रक्रिया को जारी रखना और शक्तिशाली बनाना पड़ेगा।” राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता एवं महत्त्व (Needs and Importance of National Integration)भारत देश के लिये राष्ट्रीय एकता अत्यन्त आवश्यक एवं महत्त्वपूर्ण है। संक्षेप में राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता एवं महत्त्व को निम्न प्रकार समझा जा सकता है- (1) राष्ट्रीयता अथवा राष्ट्रीय एकता की शिक्षा से प्रेम की भावना का विकास होता है। इसी भावना से प्रेरित होकर व्यक्ति राष्ट्रहित और जनहित के लिये अपने स्वार्थों का त्याग कर देता है। (2) देश के विकास और नव-निर्माण का बोध भी राष्ट्रीयता की शिक्षा के कारण होता है। (3) राष्ट्र का अस्तित्व उस समय तक नहीं हो सकता तब तक वह स्वतंत्र न हो। स्वतंत्र राष्ट्र को अपनी प्रभुसत्ता बनाये रखने के लिये यह आवश्यक है कि वह अपने नागरिकों को राष्ट्रीयता की शिक्षा प्रदान करे। (4) राष्ट्रीयता की रक्षा के कारण संस्कृति अपना विशिष्ट रूप धारण करती है जिससे ज्ञान-विज्ञान का विकास होता है तथा इसी विकास को भी व्यक्ति अपना विकास मानता है। (5) राष्ट्रीयता की शिक्षा में सदा इस बात का बोध होता है कि हमें स्वतंत्र रहना है तथा अपनी स्वाधीनता को किसी प्रकार सुरक्षित रखना है। राष्ट्रीय एकता की प्राप्ति के उपाय (Measures for gain National Integration)भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने स्व० डॉ० सम्पूर्णानन्द की अध्यक्षता में मई सन् 1961 में एक समिति नियुक्त की थी। इस समिति का कार्य शिक्षा द्वारा भावात्मक एकता के उपाय बताना था। सम्पूर्णानन्द समिति के अनुसार, “शिक्षा भावात्मक एकता को मजबूत करने में एक महत्त्वपूर्ण कार्य कर सकती है।” अतः इस समिति ने राष्ट्रीय एकता स्थापित करने के लिए निम्नलिखित सुझाव दिये- (1) भारत में धर्म-निरपेक्ष राज्य की आवश्यकताओं को स्थान में रखते हुए शैक्षिक पाठ्यक्रम में परिवर्तन किया जाय। (2) प्राथमिक स्तर पर राष्ट्रगान तथा अन्य राष्ट्र-गीतों, राष्ट्रीय कविताओं आदि पर बल दिया जाय। विद्यार्थी प्रतिदिन विद्यालयों में सामूहिक प्रार्थना भी करें। (3) माध्यमिक स्तर के पाठ्यक्रम में ऐसे सामाजिक विषयों के अध्ययन तथा भौतिक शिक्षा को स्थान दिया जाय जो भावात्मक एकता में सहायक होते हैं। (4) विश्वविद्यालय स्तर पर भी भावात्मक एकता के लिये भारत के विभिन्न प्रदेशों की भाषाओं एवं साहित्य, संस्कृति एवं कला के अध्ययन को पाठ्यक्रम में स्थान दिया जाय। (5) विश्वविद्यालय स्तर पर एक प्रदेश के विद्यार्थी और अध्यापक दूसरे प्रदेश में जायँ जिससे कि विभिन्न प्रदेशों के विद्यार्थियों एवं अध्यापकों में भावात्मक एकता स्थापित हो । (6) सहपाठ्यक्रम क्रियाओं के द्वारा भावात्मक एकता में वृद्धि की जाय। ऐसी क्रियाओं में राष्ट्रीय महत्त्व के त्यौहारों मनाना, शैक्षिक पर्यटनों की व्यवस्था करना, विद्यार्थियों के कैम्प एवं युवक समारोहों का आयोजन महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं। (7) चलचित्र, रेडियो, टेलीविजन एवं जनसंचार के अन्य माध्यमों के द्वारा भावात्मक एकता में वृद्धि की जाय। (8) सम्पूर्ण विद्यालयों में एक ही प्रकार की शिक्षा व्यवस्था हो । (9) सभी स्कूलों में विद्यार्थी राष्ट्रगान को सही तौर पर गाना सीखें। (10) भारत के राष्ट्रीय झंडे का इतिहास विद्यार्थियों को बताया जाय और उनमें इनके प्रति आदर्श की भावना विकसित की जाय। इन सुझावों के अतिरिक्त सम्पूर्णानन्द समिति ने और भी उपयोगी सुझाव दिये हैं जिनका पूर्ण विवरण हमें इस समिति की रिपोर्ट में मिलता है।
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Disclaimer Disclaimer: Target Notes does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: You may also likeAbout the authorइस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद.. देश की प्रगति के लिए राष्ट्रीय एकता क्यों जरूरी है?अलग-अलग संस्कृति और भाषाएं होते हुए भी हम सभी एक सूत्र में बंधे हुए हैं तथा राष्ट्र की एकता व अखंडता को अक्षुण्ण रखने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। संगठन ही सभी शक्तियों की जड़ है,एकता के बल पर ही अनेक राष्ट्रों का निर्माण हुआ है,प्रत्येक वर्ग में एकता के बिना देश कदापि उन्नति नहीं कर सकता। एकता में महान शक्ति है।
भारत के राष्ट्रीय एकीकरण की आवश्यकता क्या है?वास्तव में लोग विचारों, मूल्यों तथा संवेगात्मक तत्वों में भागीदारी करते हैं। यह एक ऐसी भावना है, जो विभिन्नता में एकता लाती है। हमारे लिए राष्ट्रीय पहचान सर्वोत्तम है। हमारे राष्ट्रीय एकीकरण को बढ़ावा देने वाले तत्वों में समान आर्थिक समस्याएँ कला, साहित्य, राष्ट्रीय उत्सव राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्र गीत आदि हैं।
राष्ट्रीय एकीकरण का अर्थ क्या है?राष्ट्रीय एकीकरण क्या है? राष्ट्रीय एकीकरण का अभिप्राय है राष्ट्र में रहने वाले निवासियों के बीच जाति, पंथ, क्षेत्र और भाषा का भेदभाव किए बिना उनमें परस्पर सामान अनुभूतियों और सुख दुख की एकता की भावना का होना। राष्ट्रीय एकीकरण मूलतः राष्ट्र में भावनात्मक एकीकरण है।
राष्ट्रीय एकता एकीकरण से आप क्या समझते हैं भारत में इसकी आवश्यकता एवं महत्व पर प्रकाश डालिए?▶राष्ट्रीय एकता की परिभाषा (Definition of National Integration) (1). रॉस के अनुसार- "राष्ट्रीय एकता एक प्रेरणा है जिससे प्रभावित होकर एक देश के रहने वाले लोग आपस में एक दूसरे से एक राष्ट्र के नागरिक होने के नाते सद्भावना रखते हैं और मिल-जुलकर देश की उन्नति, सुरक्षा एवं कल्याण के लिए सक्रिय रहते हैं."
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