कवि ने पुलिस की मार को सबसे खतरनाक क्यों कहा है? - kavi ne pulis kee maar ko sabase khataranaak kyon kaha hai?

कवि परिचय

  • जीवन परिचय-कवि पाश का मूल नाम अवतार सिंह संधू है। इनका जन्म 1950 ई. में पंजाब राज्य के जालंधर जिले के तलवंडी सलेम गाँव में हुआ। इनका संबंध मध्यवर्गीय किसान परिवार से था। इस कारण इनकी स्नातक तक की शिक्षा अनियमित तरीके से हुई। इन्होंने जनचेतना फैलाने के लिए अनेक साहित्यिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया और सिआड़, हेमज्योति, हॉक, एंटी-47 जैसी पत्रिकाओं का संपादन किया। ये कुछ समय तक अमेरिका में रहे। इनकी मृत्यु 1988 ई. में हुई।
  • रचनाएँ-इनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं-
    लौह कथा, उड़दें बाजां मगर, साडै। समिया बिच, लड़ेंगे साथी (पंजाबी); बीच का रास्ता नहीं होता, लहू है कि तब भी गाता है (हिंदी अनुवाद)।
  • साहित्यिक परिचय-पाश समकालीन पंजाबी साहित्य के महत्वपूर्ण कवि माने जाते हैं। ये जन आंदोलनों से जुड़े रहे और विद्रोही कविता का नया सौंदर्य विधान विकसित कर उसे तीखा, किंतु सृजनात्मक तेवर दिया। इनकी कविताएँ विचार और भाव के सुंदर संयोजन से बनी गहरी राजनीतिक कविताएँ हैं, जिनमें लोक संस्कृति और परंपरा का गहरा बोध मिलता है। वे जनसामान्य की घटनाओं पर ‘आउटसाइडर’ की तरह प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करते, बल्कि इनकी कविताओं में वह व्यथा, निराशा और गुस्सा नजर आता है जो गहरी संपृक्तता के बगैर संभव ही नहीं है।

कविता का सारांश

यह कविता पंजाबी भाषा से अनूदित है। यह दिनोदिन अधिकाधिक नृशंस और क्रूर होती जा रही दुनिया की विदूपताओं के चित्रण के साथ उस खौफनाक स्थिति की ओर इशारा करती है, जहाँ प्रतिकूलताओं से जूझने के संकल्प क्षीण पड़ते जा रहे हैं। पथरायी आँखों-सी तटस्थता से कवि की असहमति है। कवि इस प्रतिकूलता की तरफ विशेष संकेत करता है जहाँ आत्म के सवाल बेमानी हो जाते हैं। जड़ स्थितियों को बदलने की प्यास के मर जाने और बेहतर भविष्य के सपनों के गुम हो जाने को कवि सबसे खतरनाक स्थिति मानता है।

कवि का मानना है कि मेहनत की लूट, पुलिस की मार, गद्दारी-लोभ की मुट्ठी खतरनाक स्थितियाँ तो हैं, परंतु अन्य बातों से कम खतरनाक हैं। बिना कारण पकड़े जाना, कपट के वातावरण में सच्ची बात गुम होना या विवशतावश समय गुजार लेना या गरीबी में दिन काटना आदि बुरी दशाएँ हैं, परंतु खतरनाक नहीं। कवि कहता है कि सबसे खतरनाक वह है जब व्यक्ति में मुदों जैसी शांति भर जाती है। ऐसी स्थिढ़ि में व्यक्ति की विरोध-शक्ति समाप्त हो जाती है। व्यक्ति बँधे-बँधाए ढरे पर चलता है तो उसके सपने समाप्त हो जाते हैं। समय की गति रुकना भी खतरनाक दशा है, क्योंकि व्यक्ति समय के अनुसार बदल नहीं पाता।

मनुष्य की संवेदनशून्यता भी खतरनाक है। अन्याय के प्रति विद्रोह की भावना समाप्त होना भी गलत है। गीत भी जब मरसिए पढ़कर सुनाने लगे और आतंकित व्यक्तियों के दरवाजों पर अकड़ दिखाए तो वह भी खतरनाक होता है। उल्लू व गीदड़ों की आवाज युक्त रात भी खतरनाक है। कवि कहता है कि जब मनुष्य आत्मा की आवाज को अनसुना कर देता है तो वह संवेदनशून्य हो जाता है। मेहनत का लुटना, पुलिस की मार, गद्दारी व लोभ की दशा अधिक खतरनाक नहीं है।

व्याख्या एवं अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

1.

मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती
पुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होती 
गद्दारी-लोभ की मुट्ठी सबसे खतरनाक नहीं होती 
बैठे-बिठाए पकड़ जाना-बुरा तो हैं 
सहमी-सी चुप में जकड़ जाना-बुरा तो है 
पर सबसे खतरनाक नहीं होता

कपट के शर में
सही होते हुए भी दब जाना-बुरा तो है
किसी जुगनू की ली में पढ़ना-बुरा तो है
मुट्टियाँ भींचकर बस वक्त निकाल लेना-बुरा तो हैं
सबसे खतरनाक नहीं होता

शब्दार्थ
गद्दारी
-देश के शासन के विरुद्ध होकर उसे हानि पहुँचाने का भाव। लोभ-लालच। सहमी-डरी। जकड़े जाना-पकड़े जाना। कपट-छल। लौ-रोशनी। मुट्टियाँ भींचकर-गुस्से को दबाकर। वक्त-समय।
प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-1 में संकलित कविता ‘सबसे खतरनाक’ से उद्धृत है। इसके रचयिता पंजाबी कवि पाश हैं। पंजाबी भाषा से अनूदित इस कविता में, कवि ने दिनोंदिन अधिकाधिक नृशंस और क्रूर होती जा रही स्थितियों को उसकी विदूपताओं के साथ चित्रित किया है। इस अंश में कवि कुछ खतरनाक स्थितियों के विषय में बता रहा है।
व्याख्या-कवि यहाँ उन स्थितियों का वर्णन करता है जो मानव को दुख तो देती हैं, परंतु सबसे खतरनाक नहीं होतीं। वह बताता है कि किसी की मेहनत की कमाई को लूटने की स्थिति सबसे खतरनाक नहीं है, क्योंकि उसे फिर पाया जा सकता है। पुलिस की मार पड़ना भी इतनी खतरनाक नहीं है। किसी के साथ गद्दारी करना अथवा लोभवश रिश्वत देना भी खतरनाक है, परंतु अन्य बातों जितना नहीं। वह कहता है कि किसी दोष के बिना पुलिस द्वारा पकड़े जाने से बुरा लगता है तथा अन्याय को डरकर चुपचाप सहन करना भी बुरी बात है, परंतु यह सबसे खतरनाक स्थिति नहीं है। छल-कपट के महौल में सच्ची बातें छिप जाती हैं, कोई जुगनू की लौ में पढ़ता है अर्थात् साधनहीनता में गुजारा करता है, विवशतावश अन्याय को सहन कर समय गुजार देना आदि बुरी तो है, परंतु सबसे खतरनाक नहीं है। कई बातें ऐसी हैं जो बहुत खतरनाक हैं और उनके परिणाम दूरगामी होते हैं।

विशेष-

  1. ‘सबसे खतरनाक नहीं होती’ तथा ‘बुरा तो है’ की आवृत्ति से परिस्थितियों की भयावहता का पता चलता है।
  2. ‘सहमी-सी चुप’ में उपमा अलंकार है।
  3. ‘बैठे-बिठाए’ में अनुप्रास अलंकार है।
  4. साधनहीनता के लिए ‘जुगनू की लौ’ नया प्रयोग है।
  5. ‘गद्दारी लोभ की मुट्ठी’ भी नया प्रयोग है।
  6. कथन में जोश, आवेश व मौलिकता है।
  7. ‘मुट्ठयाँ भींचकर बस वक्त निकाल लेने’ का बिंब प्रभावशाली है।
  8. सहज सरल खड़ी बोली है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

  1. ‘सबसे खतरनाक नहीं होती’-वाक्यांश की आवृत्ति से कवि क्या कहना चाहता है?
  2. कवि ने किन-किन खतरनाक स्थितियों का उल्लेख किया है?
  3. ‘किसी जुगनू की लौ में पढ़ना’-आशय स्पष्ट कीजिए।
  4. मुदठियाँ भींचकर वक्त निकालने को बुरा क्यों कहा गया है?

उत्तर –

  1. इस वाक्यांश की आवृत्ति से कवि कहना चाहता है कि समाज में अनेक स्थितियाँ खतरनाक हैं, परंतु इनसे भी खतरनाक स्थिति जड़ता, प्रतिक्रियाहीनता की है।
  2. कवि ने निम्नलिखित खतरनाक स्थितियों के बारे में बताया है-
    मेहनत की कमाई लूटना, पुलिस की मार, शासन के प्रति गद्दारी, लोभ करना।
  3. इसका अर्थ है कि साधनहीनता की स्थिति में गुजारा चलाना बहुत बुरा है किंतु खतरनाक नहीं है।
  4. कवि ने अपने आक्रोश को दबाकर टालते रहने की प्रवृत्ति को बुरा बताया है इससे मनुष्य अपनी इच्छानुसार कार्य नहीं कर सकता।

2.

सबसे खतरनाक होता है ।
मुर्दा शांति से भर जाना 
न होना तड़प का सब सहन कर जाना 
घर से निकलना काम पर 
और काम से लौटकर घर आना

सबसे खतरनाक होता हैं
हमारे सपनों का मर जाना
सबसे खतरनाक वह घड़ी होती है
आपकी कलाई पर चलती हुई भी जो
आपकी निगाह में रुकी होती हैं

शब्दार्थ
मुर्दा शांति-निष्क्रियता, प्रतिरोध विहीनता की स्थिति। तड़प-बेचैनी। सपनों का मरना-इच्छाओं का नष्ट होना। घड़ी-समय बताने का यंत्र, वक्त। निगाह-दृष्टि।
प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-1 में संकलित कविता ‘सबसे खतरनाक’ से उद्धृत है। इसके रचयिता पंजाबी कवि पाश हैं। पंजाबी भाषा से अनूदित इस कविता में, कवि ने दिनोंदिन अधिकाधिक नृशंस और क्रूर होती जा रही स्थितियों को उसकी विदूपताओं के साथ चित्रित किया है।
व्याख्या-कवि कहता है कि सबसे खतरनाक स्थिति वह है जब व्यक्ति जीवन के उल्लास व उमंग से मुँह मोड़कर निराशा व अवसाद से घिरकर सन्नाटे में जीने का अभ्यस्त हो जाता है। उसके अंदर कभी न समाप्त होने वाली शांति छा जाती है। वह मूक दर्शक बनकर सब कुछ चुपचाप सहन करता जाता है, ढरें पर आधारित जीवन जीने लगता है। वह घर से काम पर चला जाता है और काम समाप्त करके घर लौट आता है। उसके जीवन का मशीनीकरण हो जाता है। उसके सभी सपने मर जाते हैं और जीवन में कोई नयापन नहीं रह जाता है। उसकी सारी इच्छाएँ समाप्त हो जाती हैं। ये परिस्थितियाँ अत्यंत खतरनाक होती हैं। कवि कहता है कि सबसे खतरनाक दृष्टि वह है जो अपनी कलाई पर बँधी घड़ी को सामने चलता देख कर सोचे कि जीवन स्थिर है; दूसरे शब्दों में, मनुष्य नित्य हो रहे परिवर्तनों के अनुसार स्वयं को नहीं बदलता और न ही स्वयं को बदलना चाहता है।

विशेष-

  1. कवि जीवन में आशा व समयानुसार परिवर्तन की माँग करता है।
  2. ‘घड़ी’ में श्लेष अलंकार है।
  3. ‘सपनों का मर जाना’ में लाक्षणिकता है।
  4. ‘मुर्दा शांति’ से भाव स्पष्ट हो गया है।
  5. भाषा व्यंजना प्रधान है।
  6. खड़ी बोली है।
  7. अनुप्रास अलंकार है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

  1. कवि के अनुसार सबसे खतरनाक क्या होता है?
  2. ‘मुद शांति’ से क्या अभिप्राय है?
  3. सपनों के मर जाने से क्या होता है?
  4. घड़ी के माध्यम से कवि क्या कहता है?

उत्तर –

  1. कवि के अनुसार, सबसे खतरनाक वह स्थिति है जब मनुष्य प्रतिक्रिया नहीं जताता, वह उत्साहहीन हो जाता है।
  2. ‘मुर्दा शांति’ से अभिप्राय है, मानय जीवन में जड़ता और निष्क्रियता का भाव होना अर्थात् अत्याचारों को मूक बनकर सहते जाना और कोई प्रतिक्रिया न व्यक्त करना।
  3. सपनों के मरने से मनुष्य की कामनाएँ, इच्छाएँ समाप्त हो जाती हैं। वह वर्तमान से संतुष्ट रहता है। इस प्रवृति से समाज में नए विचार व आविष्कार नहीं हो पाते।
  4. घड़ी समय को बताती है। वह समय की गतिशीलता दर्शाती है तथा मनुष्य को समय के अनुसार बदलने की प्रेरणा देती है। मनुष्य द्वारा स्वयं को न बदल पाने की स्थिति खतरनाक होती है।

3.

सबसे खतरनाक वह आँख होती है
जो सब कुछ देखती हुई भी जमी बर्फ होती है 
जिसकी नजर दुनिया को मुहब्बत से चूमना भूल जाती है

जो चीजों से उठती अधेपन की भाप पर दुलक जाती है
जो रोजमर्रा के क्रम को पीती हुई
एक लक्ष्यहीन दुहराव के उलटफेर में खो जाती है

शब्दार्थ
जमी बर्फ
-संवेदनशून्यता। दुनिया-संसार। मुहब्बत-प्रेम। रोजमर्रा-दैनिक कार्य। उलटफेर-चक्कर। दुहराव-दोहराना।
प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-1 में संकलित कविता ‘सबसे खतरनाक’ से उद्धृत है। इसके रचयिता पंजाबी कवि पाश हैं। पंजाबी भाषा से अनूदित इस कविता में, कवि ने दिनोंदिन अधिकाधिक नृशंस और होती जा रही स्थितियों को उसकी विदूपताओं के साथ चित्रित किया है।
व्याख्या-कवि सामाजिक विदूपताओं का विरोध न करने को खतरनाक मानता है। वह कहता है कि वह आँख बहुत खतरनाक होती है जो अपने सामने हो रहे अन्याय को संवेदनशून्य होकर वैसे देखती रहती है जैसे वह जमी बर्फ हो। जिसकी नजर इस संसार को प्यार से चूमना भूल जाती है अर्थात् जिस नजर से प्रेम व सौंदर्य की भावना समाप्त हो जाती है और हर वस्तु को घृणा से देखती है, वह नजर खतरनाक हो जाती है। ऐसी नजर वस्तु के स्वार्थ के लोभ में अंधी हो जाती है तथा उसे पाने के लिए लालयित हो उठती है, वह खतरनाक होती है। वह जिंदगी जो दैनिक क्रियाकलापों में संवेदनहीनता के साथ भटकती रहती है। जिसका कोई लक्ष्य नहीं है, जो लक्ष्यहीन होकर अपनी दिनचर्या को पूरा करती है, खतरनाक होती है।

विशेष-

  1. कवि संवेदनशून्यता पर गहरा व्यंग्य करता है।
  2. ‘जमी बर्फ’, ‘मुहब्बत से चूमना’, ‘अंधेपन की भाप’, ‘रोजमर्रा के क्रम को पीती’ आदि नए भाषिक प्रयोग हैं।
  3. ‘जमी बर्फ’ संवेदनशून्यता का परिचायक है।
  4. भाषा व्यंजना प्रधान है।
  5. ‘अंधेपन की भाप’ में रूपक अलंकार है।
  6. खड़ी बोली है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

  1. कवि कैसी आँख को खतरनाक मानता है?
  2. दुनिया को मुहब्बत की नजर से न चूमने वाली आँख को कवि खतरनाक क्यों मानता है?
  3. ‘जो रोजमर्रा के क्रम को पीती हुड़ी पंक्ति का आशय बताइए।
  4. आँख का अंधेपन की भाप पर दुलकना क्या कटाक्ष करता है?

उत्तर –

  1. कवि उस आँख को खतरनाक मानता है जो अन्याय को देखकर भी कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करती। इस तरह से कवि मनुष्य की संवेदनशून्यता पर चोट कर रहा है।
  2. दुनिया को मुहब्बत की नजर से न चूमने वाली आँख को कवि इसलिए खतरनाक मानता है; क्योंकि ऐसी नजर से प्रेम एवं सौंदर्य की भावना समाप्त हो जाती है। ऐसी आँख हर वस्तु को घृणा की दृष्टि से देखती है।
  3. इसका अर्थ है-वह जिदगी जो दैनिक क्रियाकलापों में संवेदनहीनता के साथ भटकती रहती है।
  4. इसमें कवि कहता है कि मनुष्य वस्तुओं की चाह में गलत-सही कार्य करता है। वह उनकी पूर्ति की चाह में हर मूल्य को दाँव पर लगा देता है।

4.

सबसे खतरनाक वह चाँद होता है
जो हर हत्याकांड के बाद

वीरान हुए आँगनों में चढ़ता है
पर आपकी आँखों की मिचों की तरह नहीं गड़ता है।

शब्दार्थ
हत्याकांड
-हत्या की घटना। वीरान-सुनसान। गड़ता-चुभना।
प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-1 में संकलित कविता ‘सबसे खतरनाक’ से उद्धृत है। इसके रचयिता पंजाबी कवि पाश हैं। पंजाबी भाषा से अनूदित इस कविता में, कवि ने दिनोंदिन अधिकाधिक नृशंस और क्रूर होती जा रही स्थितियों को उसकी विदूपताओं के साथ चित्रित किया है।
व्याख्या-कवि अपराधीकरण के बारे में बताता है कि वह चाँद सबसे खतरनाक है जो हत्याकांड के बाद उन आँगनों में चढ़ता है जो वीरान हो गए हैं। चाँद सौंदर्य और शांति का परिचायक है, परंतु हत्याकांडों का चश्मदीद गवाह भी है। ऐसे चाँद की चाँदनी लोगों की आँखों में मिर्च की तरह नहीं गड़ती। इसके विपरीत लोग शांति महसूस करते हैं।

विशेष

  1. ‘चाँद’ आस्था व शांति का प्रतीक है।
  2. ‘मिर्च की तरह गड़ना’ सशक्त प्रयोग है।
  3. अनुप्रास अलंकार है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

  1. ‘चाँद’ किसका प्रतीक है? कवि उसे खतरनाक क्यों मानता है?
  2. घर-आँगन के वीरान होने का क्या कारण है?
  3. अंतिम पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर –

  1. ‘चाँद’ आस्था व शांति का प्रतीक है। कवि उसे खतरनाक मानता है, क्योंकि वह लोगों में प्रतिकार की भावना को दबा देता है।
  2. इस आँगन के वीरान होने के कारण हत्याकांड हैं जो आतंक के कारण हो रहे हैं।
  3. इस पंक्ति का अर्थ है कि लोग हत्याकांड पर भी शांत रहते हैं तथा अपनी खुशियों में मग्न रहते हैं, जबकि उन्हें ऐसे हमलों का प्रतिकार करना चाहिए।

5.

सबसे खतरनाक वह गीत होता है
आपके कानों तक पहुँचने के लिए 
जो मरसिए पढ़ता है
जो जिंदा रूह के आसमानों पर ढलती हैं 
जिसमें सिर्फ़ उल्लू बोलते और हुआँ हुआँ करते गीदड़

आतांकित लोगों के दरवाज़ों पर
जो गुंडे की तरह अकड़ता है
सबसे खतरनाक वह रात होती है
हमेशा के औधरे बद दरवाज-चौगाठों पर चिपक जाते हैं

शब्दार्थ
मरसिए-मृत्यु पर गाए जाने वाले करुण गीत। आतंकित-डरे हुए। जिंदा रूह-जीवित आत्मा। चौगाठों-चौखटें।
प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-1 में संकलित कविता ‘सबसे खतरनाक’ से उद्धृत है। इसके रचयिता पंजाबी कवि पाश हैं। पंजाबी भाषा से अनूदित इस कविता में, कवि ने दिनोंदिन अधिकाधिक नृशंस और क्रूर होती जा रही स्थितियों को उसकी विदूपताओं के साथ चित्रित किया है।
व्याख्या-कवि कहता है कि वे गीत सबसे खतरनाक हैं जो मनुष्य के हृदय में शोक की लहर दौड़ाते हैं। वस्तुत: ये गीत मृत्यु पर गाए जाते हैं तथा भयभीत लोगों को और डराते हैं, उन्हें गुंडों की तरह धमकाते हैं तथा अकड़ते हैं। कवि ऐसे गीतों को निरर्थक मानता है, क्योंकि ये प्रतिरोध के भाव को नहीं जगाते। वह कहता है कि जब किसी जीवित आत्मा के आसमान पर निराशा रूपी रात्रि का घना औधेरा छा जाता है और उसमें कोई उत्साह नहीं रह जाता, ऐसी रात बहुत खतरनाक होती है। उसके हर कोने-चौखट पर उल्लू व गीदड़ों की तरह शोक व भय चिपक जाते हैं जो कभी निराशा से उबरने नहीं देते।

विशेष-

  1. कवि ने संवेदनहीनता व निराशा को खतरनाक बताया है।
  2. प्रतीकात्मकता है।
  3. ‘गुंडे की तरह अकड़ता है’, उल्लू बोलते और हुआँ हुआँ’ बिंब सार्थक व सजीव है।
  4. गीत का मानवीकरण किया गया है।
  5. ‘मिचों की तरह’, ‘गुंडों की तरह’ में उपमा अलंकार है।
  6. खड़ी बोली है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

  1. कवि कैसे गीत को खतरनाक मानता है तथा क्यों?
  2. कवि लोगों की किस आदत को खतरनाक मानता है?
  3. कवि ने किस रात को खतरनाक माना है?
  4. ‘जिदा रूह के आसमानों’ द्वारा कवि क्या कहना चाहता है?

उत्तर –

  1. कवि उन गीतों को खतरनाक मानता है जो शोक गीत गाकर लोगों के मन में प्रतिकार के भाव को समाप्त करके उन्हें और अधिक डराता है।
  2. कवि लोगों का आतंक सहने तथा उसका विरोध न करने की आदत को खतरनाक मानता है।
  3. कवि उस रात को खतरनाक मानता है जो जीवित लोगों की आत्मा रूपी आसमान पर अंधकार के समान छा जाती है
  4. इसका अर्थ है-सजग लोग। वह कहना चाहता है कि सजग लोगों को अंधविश्वासों व रूढ़ियों से बचना चाहिए।

6.

सबसे खतरनाक वह दिशा होती है
जिसमें आत्मा का सूरज डूब जाए 
और उसकी मुद धूप का कोई टुकड़ा
आपके जिस्म के पूरब में चुभ जाए

मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती
पुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होती
गद्दारी-लोभ की मुट्ठी सबसे खतरनाक नहीं होती। 

शब्दार्थ
मुर्दा-
मृत। जिस्म-शरीर। पूरब-पूर्व दिशा।
प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-1 में संकलित कविता ‘सबसे खतरनाक’ से उद्धृत है। इसके रचयिता पंजाबी कवि पाश हैं। पंजाबी भाषा से अनूदित इस कविता में, कवि ने दिनोंदिन अधिकाधिक नृशंस और क्रूर होती जा रही स्थितियों को उसकी विदूपताओं के साथ चित्रित किया है।
व्याख्या-कवि कहता है कि सबसे खतरनाक दिशा वह है जिसमें आत्मा का सूरज डूब जाता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति अपने अंदर की आवाज को नहीं सुनता। उसकी मुर्दा जैसी स्थिति हमें कहीं कोई प्रभाव छोड़ जाए तो यह स्थिति भी खतरनाक होती है। ऐसे लोगों में धूप की किरणों से आशा उत्पन्न भी हो तो मृतप्राय ही होती है। जो अपने ही शरीर रूपी पूर्व दिशा में चुभकर उसे लहूलुहान करती है। कवि कहना चाहता है कि अन्याय को सहना ही लोगों ने अपनी नियति मान लिया है।
कवि कहता है कि किसी की मेहनत की कमाई लुट जाए तो वह खतरनाक नहीं होती। पुलिस की मार या गद्दारी आदि भी इतने खतरनाक नहीं होते। खतरनाक स्थिति वह है जब व्यक्ति में संघर्ष करने की क्षमता ही खत्म हो जाए।

विशेष-

  1. कवि व्यक्ति की संवेदनहीनता को खतरनाक स्थिति बताता है।
  2. ‘आत्मा का सूरज’ और ‘जिस्म के पूरब’ में रूपक अलंकार है।
  3. खड़ी बोली है।
  4. सांकेतिक भाषा है।
  5. काव्य रचना मुक्त छंद है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

  1. कवि ने आत्मा को क्या माना है?
  2. कवि किस दिशा को खतरनाक मानता है?
  3. ‘आत्मा का सूरज डूबने जाए’ का अर्थ बताइए।
  4. मुर्दा धूप का कोई टुकड़ा का व्यंग्य स्पष्ट कीजिए।

उत्तर –

  1. कवि ने आत्मा को मृत के समान तटस्थ माना है।
  2. कवि उस दिशा को खतरनाक मानता है जिस पर चलकर मनुष्य अपनी आत्मा की बात अनसुनी कर देता है।
  3. इसका अर्थ है-अंतरात्मा की आवाज का क्षीण पड़ना।
  4. कवि कहना चाहता है कि आदर्शपरक अच्छी बातें ; जैसे-त्याग, अहिंसा, बलिदान आदि मनुष्य को प्रतिक्रियाहीन व जड़ बना देती हैं।

काव्य-सौंदर्य संबंधी प्रश्न

1.

कपट के शोर में
सही होते हुए भी दब जाना-बुरा तो हैं
किसी जुगनू की लों में पढ़ना-बुरा तो हैं

मुट्टियाँ भींचकर बस वक्त निकाल लेना-बुरा तो है
सबसे खतरनाक नहीं होता

प्रश्न

  1. भाव-सौंदर्य स्पष्ट करें।
  2. शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट करें।

उत्तर –

  1. इस काव्यांश में कवि ने कुछ स्थितियों का वर्णन किया है जो बुरी तो हैं, परंतु सबसे खतरनाक नहीं हैं। सही बातों का कपट के कारण दब जाना, अभाव में रहना, क्रोध को व्यक्त करना आदि बुरी स्थितियाँ तो हैं; परंतु सबसे खतरनाक नहीं हैं।
  2. ‘बुरा तो है’ पद की आवृत्ति प्रभावी है।
    • ‘जुगनू की लौ’ से साधनहीनता प्रकट होती है।
    • ‘कपट के शोर में सही होते हुए भी दब जाना’, ‘जुगनू की लौ में पढ़ना’, ‘मुट्ठयाँ भींचकर वक्त निकाल लेना’ आदि नए भाषिक प्रयोग हैं।
    • व्यंजना शब्द शक्ति है।
    • खड़ी बोली में सशक्त अभिव्यक्ति है।
    • मुक्त छंद है।
    • सरल शब्दावली है।

2.

सबसे खतरनाक वह आँख होती है
जो सब कुछ देखती हुई भी जमी बर्फ होती है 
जिसकी नजर दुनिया को मुहब्बत से चूमना भूल जाती है

जो चीजों से उठती अधेपन की भाप पर दुलक जाती है
जो रोजमर्रा के क्रम को पीती हुई
एक लक्ष्यहीन दुहराव के उलटफेर में खो जाती है

प्रश्न

  1. भाव-सौंदर्य स्पष्ट करें।
  2. शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट करें।

उत्तर –

  1. इस काव्यांश में दृष्टि के अनेक रूपों का उल्लेख किया गया है। कवि संवेदनशील व परिवर्तनकारी जीवन शैली का समर्थन है। ‘सबसे खतरनाक’ कहकर कवि उन वस्तुओं या भावों को समाज के लिए हानिकारक व अनुपयोगी मानता है।
  2. जमी बर्फ’, संवेदना शून्य ठडे जीवन का
    • ‘जमी बर्फ होती’, ‘मुहब्बत से चूमना’, ‘अंधेपन की प्रतीक है। भाप’ आदि नए भाषिक प्रयोग हैं।
    • ‘अंधेपन की भाप’ में रूपक अलंकार है।
    • भाषा में व्यंजना शक्ति है।
    • खड़ी बोली में सशक्त अभिव्यक्ति है।
    • उर्दू शब्दों का सहज प्रयोग है।
    • प्रतीकों व बिंबों का सशक्त प्रयोग है।

3.

सबसे खतरनाक वह दिशा होती है
जिसमें आत्मा का सूरज डूब जाए 
और उसकी मुद धूप का कोई टुकड़ा
आपके जिस्म के पूरब में चुभ जाए

प्रश्न

  1. भाव-सौदर्य बताइए।
  2. शिल्प–सौंदर्य बताइए।

उत्तर –

  1. इस अंश में, कवि आत्मा की आवाज को अनसुना करने वाली चिंतन-शैली को धिक्कारता है। वह कट्टर विचारधारा का विरोधी है।
  2. ‘आत्मा का सूरज’ में रूपक अलंकार है।
    • ‘जिस्म के पूरब’ में रूपक अलंकार है।
    • सांकेतिक भाषा का प्रयोग है।
    • खड़ी बोली में सशक्त अभिव्यक्ति है।
    • मुक्त छंद है।
    • उर्दू शब्दावली का प्रयोग है।

पादयपुस्तक से हल प्रश्न

कविता के साथ
प्रश्न 1:
कवि ने किस आशय से मेहनत की लूट, पुलिस की मार, गद्दारी-लोभ को सबसे खतरनाक नहीं माना।
उत्तर –
कवि ने मेहनत की लूट, पुलिस की मार, गद्दारी लोभ को सबसे खतरनाक नहीं माना क्योंकि इन तीनों में मीन में आशा व उम्मीद की किरण बची रहती है। इनका प्रभाव सीमित होता है। इन क्रियाओं में प्रतिरोधक क्षमता बनी रहती है। इन स्थितियों को बदला जा सकता है। जिस समाज में पारस्परिक सौहाद्र, प्रेम, दया, करुणा आदि भावनाएँ समाप्त हो जाएंगी, वह मृत हो जाएगा।

प्रश्न 2:
‘सबसे खतरनाक’ शब्द के बार-बार दोहराए जाने से कविता में क्या असर पैदा हुआ?
उत्तर –
‘सबसे खतरनाक’ शब्द के बार-बार, दोहराए जाने से पाठकों का ध्यान खतरनाक बातों की तरफ अधिक आकर्षित होता है। वे समाज की स्थितियों पर गंभीरता से विचार करते हैं। यह शब्द उस विभीषिका की ओर संकेत करता है जो समाज को निर्जीव कर रही है। इसके बार-बार प्रयोग से कथ्य प्रभावशाली ढंग से व्यक्त हुआ है।

प्रश्न 3:
कवि ने कविता में कई बातों को ‘बुरा है’ न कहकर ‘बुरा तो है’ कहा है। ‘तो’ के प्रयोग से कथन की भंगिमा में क्या बदलाव आया है, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर –
कवि ने बैठे बिठाए पकड़े जाना, सहमी चुप में जकड़ने, कपट के शोर में सही होते हुए भी दब जाने आदि को बुरा तो है कहा है। ‘बुरा’ शब्द प्रत्यक्ष आरोप लगाता है, परंतु ‘तो’ लगाने से सारा जोर ‘तो’ पर चला जाता है। इसका अर्थ है। कि स्थितियाँ खराब अवश्य है, परंतु उनमें सुधार की गुंजाइश है। साथ ही, यह चेतावनी भी देता है कि अगर इन्हें नहीं सुधारा गया तो भविष्य में हालात और बिगड़ेंगे।

प्रश्न 4:
‘मुर्दा शांति से भर जाना और हमारे सपनों का मर जाना’-इनको सबसे खतरनाक माना गया है। आपकी दृष्टि में इन बातों में परस्पर क्या संगति है और ये क्यों सबसे खतरनाक है?
उत्तर –
‘मुर्दा शांति से भर जाना’ का अर्थ है-निष्क्रिय होना, जड़ हो जाना या प्रतिक्रिया शून्य हो जाना। ऐसी स्थिति बहुत खतरनाक है। ऐसा व्यक्ति सामाजिक अन्याय के खिलाफ संघर्ष नहीं कर पाता। उसके मन में किसी तरह की कोई प्रतिक्रिया नहीं होती। वह जीवित होते हुए भी मृत के समान होता है। ‘हमारे सपनों का मर जाना’ का अर्थ है-कुछ करने की इच्छा समाप्त होना। मनुष्य कल्पना करके ही नए-नए कार्य करता है तथा विकसित होता है। सपनों के मर जाने से हम यथास्थिति को स्वीकार करके स्थिर एवं विचारशून्य हो जाते हैं।

प्रश्न 5:
सबसे खतरनाक वह घड़ी होती है/अपनी कलाई पर चलती हुई भी जो/आपकी निगाह में रुकी होती है। इन पंक्तियों में ‘घड़ी’ शब्द की व्यंजना से अवगत कराइए।
उत्तर –
‘घड़ी’ शब्द के दो अर्थ मिलते हैं। पहला अर्थ जीवन से जुड़ा हुआ है। जीवन घड़ी की तरह चलता रहता है। वह कभी नहीं रुकता। मनुष्य की चाह समाप्त होने पर ही वह जड़ हो जाता है। दूसरा अर्थ है-दिनचर्या यदि व्यक्ति समय के अनुसार स्वयं को बाँध लेता है तो वह यांत्रिक हो जाता है। वह ढर्रे पर चलता है। उसके जीवन में नया कुछ करने का अवकाश नहीं होता।

प्रश्न 6:
वह चाँद सबसे खतरनाक क्यों होता है, जो हर हत्याकांड के बाद/आपकी आँखों में मिचों की तरह नहीं गड़ता है?
उत्तर –
‘चाँद’ सौंदर्य का प्रतीक है, परंतु हत्याकांड के बाद कोई प्राणी सौंदर्य की कल्पना नहीं कर सकता। हत्या होने पर आम व्यक्ति के मन में आक्रोश उत्पन्न होता है। ऐसी स्थिति में मनुष्य को चाँद आनंद प्रदान करने वाला नहीं लगता। जो लोग ऐसी स्थिति में आनंद लेने की कोशिश करते हैं तो ऐसी संवेदनशून्यता वास्तव में खतरनाक है।

कविता के आस-पास
प्रश्न 1:
कवि ने ‘मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती’, से कविता का आरंभ करके फिर इसी से अंत क्यों किया होगा?
उत्तर –
कवि ने ‘मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती’ से कविता का आरंभ करके इसी पर अंत किया क्योंकि कवि का ध्येय ‘खतरनाक’ व ‘सबसे खतरनाक’ स्थितियों में अंतर बताना है। कुछ स्थितियाँ खतरनाक होती हैं, परंतु उन्हें सुधारा जा सकता है कुछ दशाएँ कवि ने बताई हैं। यदि वे समाज में आ जाती हैं तो मानवता पर ही प्रश्न चिह्न लग जाता है। ऐसी स्थितियों से समाज को बचना चाहिए।

प्रश्न 2:
कवि द्वारा उल्लिखित बातों के अतिरिक्त समाज में अन्य किन बातों को आप खतरनाक मानते हैं?
उत्तर –
कवि द्वारा उल्लिखित बातों के अतिरिक्त हम समाज में निम्नलिखित बातों को खतरनाक मानते हैं

  1. स्त्रियों का अपमान, शोषण तथा फिर उनका मजाक उड़ाना।
  2. संकटग्रस्त मित्र या जानकार की मदद से दूर भागना।
  3. सांप्रदायिकता
  4. आतकवाद
  5. निरर्थक महत्त्वाकाक्षा
  6. देशद्रोह

प्रश्न 3:
समाज में मौजूद खतरनाक बातों को समाप्त करने के लिए आपके क्या सुझाव हैं?
उत्तर –
समाज में मौजूद खतरनाक बातों को समाप्त करने के लिए हमारे सुझाव निम्नलिखित हैं

  1. सत्ता शीर्ष को व्यवस्था ठीक करनी चाहिए।
  2. आम आदमी को जागरूक होना होगा।
  3. दुष्ट लोगों का विनाश ही समाधान है।
  4. वैचारिक स्तर में बढ़ोतरी करनी होगी।
  5. समाज को संवेदनशीलता रखनी होगी।

अन्य हल प्रश्न

लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1:
‘सबसे खतरनाक’ कविता का प्रतिपाद्य बताइए।
उत्तर –
यह कविता पंजाबी भाषा से अनूदित है। यह दिनोदिन अधिकाधिक नृशंस और क्रूर होती जा रही दुनिया की विदूपताओं के चित्रण के साथ उस खौफनाक स्थिति की ओर इशारा करती है, जहाँ प्रतिकूलता से जूझने के संकल्प क्षीण पड़ते जा रहे हैं। पथरायी आँखों-सी तटस्थता से कवि की असहमति है। कवि इस प्रतिकूलता की तरफ विशेष संकेत करता है जहाँ आत्मा के सवाल बेमानी हो जाते हैं। जड़ स्थितियों को बदलने की प्यास के मर जाने और बेहतर भविष्य के सपनों के गुम हो जाने को कवि सबसे खतरनाक स्थिति मानता है।

प्रश्न 2:
सपनों का मर जाना किस प्रकार खतरनाक है?
उत्तर –
सपने जीवन में नए रंग भरते हैं। वे मनुष्य को नया कार्यक्षेत्र देते हैं। जब व्यक्ति के सपने मर जाते हैं तो उसके जीवन का उद्देश्य समाप्त हो जाता है। बिना उद्देश्य के कोई जीवन नहीं होता। इस तरह सपनों के मर जाने से व्यक्ति का अस्तित्व ही समाप्त हो जाता है। यह स्थिति जीवन के लिए कभी अच्छी नहीं होती।

प्रश्न 3:
कवि ने किन-किन स्थितियों को बुरा बताया है?
उत्तर –
कवि ने निम्नलिखित स्थितियों को बुरा बताया है

  1. मेहनत की लूट होना
  2. पुलिस की मार पड़ना
  3. बिना किसी दोष के गिरफ्तारी
  4. डर से चुप होना
  5. सही आवाज का दब जाना
  6. विवशता से आक्रोश की दवा कर समय काटतें जाना;

प्रश्न 4:
कवि ने वे कौन-कौन सी स्थितियाँ बताई हैं जो सबसे खतरनाक हैं?
उत्तर –
कवि ने निम्नलिखित स्थितियों को सबसे खतरनाक बताया है

  1. मुर्दे जैसी शांति का भर जाना।
  2. सपनों का मर जाना।
  3. तड़पकर अन्याय को सहन करना।
  4. घड़ी का एक बिंदु पर ठहरना।
  5. अन्याय देखकर संवेदनहीन होना।
  6. ढरें पर जिंदगी चलना।
  7. अत्याचार का आँखों में न गड़ना।
  8. आत्मा की आवाज को अनसुना करना।

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सपनों के मर जाने को सबसे खतरनाक क्यों कहा गया है?

कवि इस प्रतिकूलता की तरफ विशेष संकेत करता है जहाँ आत्मा के सवाल बेमानी हो जाते हैं। जड़ स्थितियों को बदलने की प्यास के मर जाने और बेहतर भविष्य के सपनों के गुम हो जाने को कवि सबसे खतरनाक स्थिति मानता है।

कवि के अनुसार सबसे खतरनाक क्या होता है?

कवि के अनुसार, सबसे खतरनाक वह स्थिति है जब मनुष्य प्रतिक्रिया नहीं जताता, वह उत्साहहीन हो जाता है। 'मुर्दा शांति' से अभिप्राय है, मानय जीवन में जड़ता और निष्क्रियता का भाव होना अर्थात् अत्याचारों को मूक बनकर सहते जाना और कोई प्रतिक्रिया न व्यक्त करना। सपनों के मरने से मनुष्य की कामनाएँ, इच्छाएँ समाप्त हो जाती हैं।

कवि पाश के अनुसार सबसे खतरनाक क्या?

कवि के अनुसार मेहनत की लूट, पुलिस की मार, गद्दारी-लोभ सबसे अधिक खतरनाक नहीं है। इनको करते समय मनुष्य में प्रतिरोध की क्षमता विद्यमान रहती है। यदि मनुष्य प्रयास करे, तो इन सभी बुरी बातों को सुधार सकता है। अतः जहाँ बदलाव संभव है, उसे सबसे खतरनाक नहीं समझा जा सकता है।

कवि ने शोषण को सबसे खतरनाक क्यों नहीं माना है?

प्रश्न 1: कवि ने किस आशय से मेहनत की लूट, पुलिस की मार, गद्दारी-लोभ को सबसे खतरनाक नहीं माना। उत्तर – कवि ने मेहनत की लूट, पुलिस की मार, गद्दारी लोभ को सबसे खतरनाक नहीं माना क्योंकि इन तीनों में मीन में आशा व उम्मीद की किरण बची रहती है। इनका प्रभाव सीमित होता है। इन क्रियाओं में प्रतिरोधक क्षमता बनी रहती है।