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रैबीज से बचाने किया गया जागरूकसनराइज पब्लिक स्कूल में शुक्रवार को आयोजित रैबीज जागरूकता कार्यक्रम में पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. तरुण रामटेके ने स्कूली बच्चों को रैबीज की जानकारी दी और इसके उपाय बताए। उन्होंने बताया कि रैबीज एक जानलेवा बीमारी है, जो पागल कुत्ते के काटने से होती है। इस बीमारी से भारत में प्रतिवर्ष औसतन 20 हजार लोगों की मौत होती है। यदि समय रहते इसका इलाज नहीं किया जाए, तो रैबीज के मरीज का बचना मुश्किल होता है। इस बीमारी के शिकार अधिकतर बच्चे होते हैं। उन्होंने बताया कि यह बीमारी कुत्तों के अलावा बिल्लियों, सियार, नेवलों, भेड़ियों व चमगादड़ से भी फैलती है। चूहे, गिलहरी, खरगोश के काटने से इस बीमारी के फैलने की संभावना बहुत कम होती है। अन्य जंतुओं में मधुमक्खी, मकड़ी, सांप, पक्षियों के काटने से यह बीमारी नहीं होती। डॉ. रामटेके ने बताया कि यदि कुत्ता काट ले और समय पर एंटी रैबीज इंजेक्शन लगवाने से मरीज पूरी तरह ठीक हो सकता है। रैबीज से बचने के उपाय: उन्होंने बताया कि रैबीज से बचने के लिए पालतू जानवरों का नियमित रूप से टीकाकरण करवाना, जानवरों को बांधकर या कंट्रोल में रखना, बच्चों छेड़छाड़ न करें, चमड़ी के घाव को जानवरों द्वारा चाटना भी घातक हो सकता है। व्यवहार में परिवर्तन दिखे जैसे किसी को काटने दौड़े, लार टपकाए में परिवर्तन जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत सतर्क हो जाना चाहिए। पंडरिया. सनराइज पब्लिक स्कूल में हुआ जागरूकता कार्यक्रम। क्या करें, क्या न करें डॉ. रामटेके बताते हैं कि कुत्ते के काटने पर सबसे पहले घाव को साबुन, अल्कोहल या आयोडीन सालूशन से नल की तेज धार में 15 मिनट तक धोएं व जल्द ही चिकित्सक के पास जाकर एन्टी रैबीज वैक्सीन लगवाएं। यदि पालतू कुत्ता है, तो भी एन्टी रैबीज वैक्सीन लगवाएं। वैक्सीन नवजात शिशुओं, गर्भवती महिलाओं, स्तनपान करवाने वाली महिलाओं एवं पीलिया के रोगियों में भी कारगर है। उन्होंने बताया कि कुत्ते के काटने पर घाव पर न तो पट्टी करें और न ही उसमें किसी प्रकार की चीरफाड़ करें, टांके लगवाने से भी बचें। घाव पर तेजाब, हल्दी, मिर्ची आदि न डालें, झाड़-फूंक से भी बचें। इसे सुनेंरोकेंउन्होंने बताया कि रैबीज एक जानलेवा बीमारी है, जो पागल कुत्ते के काटने से होती है। उन्होंने बताया कि यह बीमारी कुत्तों के अलावा बिल्लियों, सियार, नेवलों, भेड़ियों व चमगादड़ से भी फैलती है। चूहे, गिलहरी, खरगोश के काटने से इस बीमारी के फैलने की संभावना बहुत कम होती है। खरगोश के बच्चे कब होते हैं? इसे सुनेंरोकेंगर्भावस्था 30 से
32 दिन का होता है। बच्चा पैदा होने के 3-4 दिन पूर्व “बच्चा बक्सा” मादा के पिंजड़े में डाल देना चाहिए। बच्चा देने के 1-2 दिन पूर्व मादा अपने देह का रोयाँ नोचकर घोंसला बनाती है। मादा दिन में एक ही बार बच्चों को दूध पिलाती है। खरगोश और खारा में क्या अंतर है? यह एक दूसरे को ऐसे मारते हैं जैसे मुक्केबाज़ी का अभ्यास कर रहें हों।…खरगोश और खरहे में अंतर
खरहा के दांत होते हैं क्या?इसे सुनेंरोकेंइनके दातों की ट्रिमिंग जरूरी है। इनके दांतों की ट्रिमिंग किसी तार या नेलकटर की मदद से की जा सकती है। इसे सुनेंरोकेंक्या पालतू खरगोश के काटने से रेबीज हो सकता है? – Quora. यह बीमारी कुत्तों के अलावा बिल्लियों, सियार, नेवलों, भेड़ियों व चमगादड़ से फैलती है। चूहे, गिलहरी, खरगोश के काटने से इस बीमारी के फैलने की संभावना बहुत कम होती है। अन्य जंतुओं में मधुमक्खी, मकड़ी, सांप, पक्षियों के काटने से यह बीमारी नहीं होती। सफेद खरगोश क्या करता था? इसे सुनेंरोकेंखरगोश एक नाजुक, मासूम और निहायत खूबसूरत प्राणी है। सफेद-झक और मुलायम बालों वाला यह जानवर बरबस किसी को भी अपनी ओर आकर्षित कर सकता है। शिकारी किस्म के लोग इसे इसके लजीज और गर्म मांस के लिए पसंद करते हैं, तो बच्चे इसे पालतू जानवर बनाकर इसके साथ खेलना पसंद करते हैं। क्या खरगोश के नाखून काट सकते हैं? इसे सुनेंरोकेंजब आप नाखूनों पर काम करते हैं तो एक साथी खरगोश को स्थिर कर सकता है। यदि कोई उपलब्ध नहीं है, तब भी आप खरगोश के नाखून स्वयं ही काट सकते हैं। खरगोश के काटने पर क्या करना चाहिए?इसे सुनेंरोकेंसाथ जंगली जानवर के काटे जाने के बाद मरीज को चाहिए कि अगर घाव अधिक गहरा नहीं हो तो उसको साबुन से कम से कम पंद्रह मिनट तक अवश्य धोएं। इसके बाद बीटाडीन से उसकी ठीक तरह से सफाई करे व घाव को कभी भी गलती से ढ़क कर नहीं रखे। अगर घाव अधिक गहरा हो तो तुरंत ही चिकित्सक की सलाह से उसकी साफ-सफाई का ध्यान रखे। खरगोश के काटने पर कौन सी बीमारी होती है? इसे सुनेंरोकेंयदि समय रहते इसका इलाज नहीं किया जाए, तो रैबीज के मरीज का बचना मुश्किल होता है। इस बीमारी के शिकार अधिकतर बच्चे होते हैं। उन्होंने बताया कि यह बीमारी कुत्तों के अलावा बिल्लियों, सियार, नेवलों, भेड़ियों व चमगादड़ से भी फैलती है। चूहे, गिलहरी, खरगोश के काटने से इस बीमारी के फैलने की संभावना बहुत कम होती है। क्या खरगोश के काटने से रेबीज होता है?चूहे, गिलहरी, खरगोश के काटने से इस बीमारी के फैलने की संभावना बहुत कम होती है। अन्य जंतुओं में मधुमक्खी, मकड़ी, सांप, पक्षियों के काटने से यह बीमारी नहीं होती। डॉ. रामटेके ने बताया कि यदि कुत्ता काट ले और समय पर एंटी रैबीज इंजेक्शन लगवाने से मरीज पूरी तरह ठीक हो सकता है।
खरगोश अगर काट ले तो क्या करें?क्योंकि वे शाकाहारी होते हैं, अधिकांश खरगोशों के मुंह काफी साफ होते हैं। इसका मतलब है कि खरगोश के काटने से संक्रमण होने की संभावना नहीं है। यदि आपके खरगोश ने आपको काट लिया है, तो मेयो क्लिनिक की सलाह का पालन करें और घाव को साबुन और गर्म पानी से अच्छी तरह धो लें। उसके बाद, घाव पर एक एंटीबायोटिक क्रीम और एक पट्टी लगाएं।
खरगोश के काटने से कौन सा रोग होता है?रैबीज चूहे और खरगोश को छोड़ कर सभी स्तनधारी पशुओं के काटने से फैल सकती है, बर्शते वह पशु रैबीज से ग्रसित हों।
खरगोश को घर में रखने से क्या होता है?इसको घर में रखने से आपको गुडलक मिलता है और घर में शुद्धता आती है। इसके साथ ही घर नकारात्मक ऊर्जा दूर होकर सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ जाता है। इसके अलावा वास्तु में भी खरगोश को सुख समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसके अलावा खरगोश को पालने से आपके बच्चे भी खुश रहते हैं और उन्हें किसी की नजर नहीं लगती।
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