भारत का सबसे बड़ा बांध – पानी की प्रकृति बहत रहना होती है. इसलिए पानी का संरक्षण करना आवश्यक होता है. इसके लिए नदियों पर बांध बनाए जाते है. यह बांध नदियों के पानी को रोक
कर रखते हैं. बांध बनाने के कई लाभ है. नदियों के जल का संरक्षण मिलता है, सिंचाई, विद्युत उत्पादन के लिए, बाढ़ को नियंत्रित करने के लिए और पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है. भारत में लगभग 4000 छोटे बड़े dam बनाए जा चुके हैं. हम बात करने जा रहे हैं भारत का सबसे बड़ा बांध(bharat ka sabse bada bandh) कौन सा है. साथ ही जानेंगे दुनिया का सबसे बड़ा dam कौन सा है. उत्तराखंड राज्य में स्थित टिहरी बांध भारत का सबसे बड़ा(bharat ka
sabse bada bandh) और सबसे ऊंचा बांध है. इस बांध की ऊंचाई 261 मीटर (855 फीट) तथा लंबाई 575 मीटर (1886 फीट) है. इस आधार पर टिहरी बांध दुनिया का आठवां सबसे बड़ा बांध है. मुख्य तौर पर इसका प्रयोग सिंचाई, बिजली उत्पादन और बाढ़ नियंत्रण के लिए किया जाता है. वर्तमान में यहां 1000 मेगावॉट वाला पावर सिस्टम मौजूद है. जिससे बिजली उत्पादन होता है. यह बांध भागीरथी नदी के पानी को रोककर बनाया गया है. इस बांध की कुल भराव क्षमता 3200000 एकड़ फीट है. 200 करोड़ की लागत से बना यह बांध भारत का एक प्रमुख dam है. इस स्वामी रामतीर्थ सागर बांध के नाम से भी जाना जाता है. भारत का सबसे लंबा पुल(bharat ka sabse lamba pul) इसका इतिहास क्या है – इस बांध का निर्माण सन 1978 में शुरू हुआ था. जो सन 2006 में पूरा हुआ. माना जाता है कि आर्थिक पर्यावरणीय कारणों से उसके बनाने में इतना अधिक समय लगा. टिहरी बांध टूट जाए तो क्या होगा? यदि tehri dam किसी कारण टूट जाता है तो ऋषिकेश, हरिद्वार, बिजनौर, मेरठ बुलंदशहर इसमें पूरी तरह डूब जाएंगे. लेकिन ऐसा होना मुश्किल है. यह इंजीनियरिंग का बेजोड़ नमूना है. इसको बनाने में आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है. अब जानते हैं दुनिया का sabse bada बांध भाकड़ा बांध (226 m) – हिमाचल प्रदेश भारत का दूसरा सबसे बड़ा बांध सतलज नदी पर स्थित हैं, जो की हिमाचल प्रदेश हैं. भाखड़ा बांध द्वारा बनाया गया गोबिंद सागर जलाशय कुल क्षमता से भारत का तीसरा सबसे बड़ा जलाशय है। इस बांध पर बनाये गये बिजली उत्पादन संयंत्र से हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, हिमाचल प्रदेश आदि राज्यों में बिजली की आपूर्ति की जाती हैं. इडुक्की बांध (168.91 मीटर) – केरला पेरियार नदी पर स्थित इडुक्की बांध एशिया के सबसे ऊंचे मेहराबों(DAM) में से एक है. इस बांध के पानी को बिजली उत्पादन में काम में लिया जाता हैं. 780 मेगावाट पनबिजली स्टेशन के बिजली उत्पादन के लिए संग्रहीत पानी का उपयोग किया जाता है। दो चेरुथोनी और कुलमावु के साथ बांध दोनों पहाड़ों के बीच एक बड़ी कृत्रिम झील बनाता है। कोल्डम बांध (167 मीटर) – हिमाचल प्रदेश संसार का सबसे हॉट (गर्म) desh हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में सतलज नदी के पार कोल्डम बांध जल विद्युत परियोजना का उपयोग एनटीपीसी द्वारा 800 मेगावाट बिजली उत्पादन के साथ पनबिजली उत्पादन के लिए किया जाता है। कोल्डम बांध तटबंध बांध है और 167 मीटर कुल ऊंचाई के साथ भारत का सबसे ऊंचा सबसे ऊंचा बांध है। सरदार सरोवर बांध (163 मीटर) – गुजरात – sardar sarovar bandh गुजरात में नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर गुरुत्वाकर्षण बांध दुनिया के सबसे बड़े बांधों में से एक है और नर्मदा घाटी परियोजना पर बनाया जाने वाला सबसे बड़ा ढांचा भी है। गुजरात में कुल 30 बांध स्थित हैं जिसमे दो बांध परियोजना सबसे बड़ी हैं. एक सरदार सरोवर और दूसरा महेश्वर – इन दोनों परियोजना का हमेशा विरोध रहा हैं. सरदार सरोवर बांध कई सारे आन्दोलनों का परिणाम हैं. सिंचाई और जलविद्युत के लिए बांध की ऊँचाई 163 मीटर और 30 गेट है। रंजीत सागर बांध (160 मीटर) यह बांध एक नदी घाटी परियोजना हैं. इस बांध परियोजना को थीन बांध परियोजना भी कहा जाता हैं. इस बांध का निर्माण 1982 में शुरू हुआ था जो कि 1999 में बनकर तैयार हुआ. सिंचाई और बिजली उत्पादन दोनों उद्देश्यों के लिए पंजाब के पठानकोट शहर और जम्मू और कश्मीर के कठुआ जिले के पास स्थित रावी नदी पर रणजीत सागर बांध और यह बांध भारत में सबसे अधिक पृथ्वी से भरे बांधों में से एक है। श्री शैलम बांध (145.10 मीटर) – आंध्र प्रदेश आंध्र प्रदेश से लगभग 232 की मी दूर कुरनूल जिले में कृष्णा नदी के पर निर्मित श्रीशैलम बांध आंध्र प्रदेश का सबसे बड़ा बांध है, जिसका निर्माण नल्लमाला हिल्स में एक गहरे घाट में किया गया है। श्री शैलम बांध देश की 12 सबसे बड़ी परियोजना में से एक हैं. यह बांध एक पर्यटन स्थल हैं, जहाँ पर जाने के लिए विशेष अनुमति की आवश्कयता होती हैं. चमेरा बांध (140 मीटर) – हिमाचल प्रदेश डलहौजी शहर के पास चमेरा बांध हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में रावी नदी के पार भारत का एक और सबसे ऊंचा बांध है। बांध का जलाशय वाटर स्पोर्ट्स और रोइंग, बोटिंग, कैनोइंग और एंगलिंग जैसी गतिविधियों के लिए एक लोकप्रिय स्थान है। तीन चरणों में 1100 मेगावाट की बिजली उत्पादित की जाती हैं. नागार्जुन सागर बांध (124 मीटर) – आंध्र प्रदेश कृष्णा नदी के पार नागार्जुन सागर बांध भारत में सबसे शुरुआती बहुउद्देश्यीय सिंचाई और जल विद्युत परियोजनाओं में से एक था। बांध भारत में 11.472 बिलियन क्यूबिक मीटर की सकल भंडारण क्षमता वाला दूसरा सबसे बड़ा बांध बनाता है। इस बांध को बनाने का मुख्य उदेश्य पानी क आपूर्ति करना और सिचाई की सुविधा करवाना. इस बांध पर दो प्रमुझ नहरे स्थित हैं. एक जवाहर नाहर और दूसरी लाल बहादुर सस्त्री नहर हैं. इस बांध को बनाने का प्रस्ताव ब्रिटिश काल में ही रख दिया था, लेकिन इसकी नीव स्वतंत्रता के बाद ही रखा गया. इसकी नींव तात्कालिक प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु द्वारा रखी गयी थी. कोयना बांध (103 मीटर) – महाराष्ट्र कोयना बांध महारास्ट्र राज्य के सांगली ज़िला में स्थित हैं. कोयना बांध महारास्ट्र का सबसे बड़ा बांध हैं. कोयना बांध कोयना नदी पर स्थित हैं. इस बाँध का निर्माण वर्ष 1863 में हुआ था। इस बांध पर एक भूमिगत पन बिजली संयंत्र हैं. जिसकी कुल क्षमता 1920 मेगावाट हैं. राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा बांध कौन सा है?राणा प्रताप सागर बांध राजस्थान के रावतभाटा में स्थित भारत की चंबल नदी पर बने प्रमुख बांधों में से एक है। प्रसिद्ध रानाप्रतप सागर गुरुत्वाकर्षण चिनाई बांध चंबल नदी पर दूसरा सबसे बड़ा बांध है और चंबल घाटी परियोजना के प्रमुख बांध में से एक है।
राजस्थान में सबसे बड़े बांध कौन कौन से हैं?जवाई बांध पश्चिमी राजस्थान का जल भंडारण की क्षमता की दृष्टि से सबसे बड़ा बांध है। जवाई बांध की ऊंचाई 34 मीटर है ।
राजस्थान में सबसे छोटा बांध कौन सा है?
राजस्थान का सबसे बड़ा कच्चा बांध कौन सा है?तेज बारिश के कारण प्रदेश में कई बांधों पर चादर चल रही है। दौसा जिले का मोरेल बांध 21 साल बाद छलकने को आतुर है। ऐशिया का सबसे बड़ा कच्चा बांध मोरेल बांध अब ओवर फ्लो के करीब जा पहुंचा है। बांध का जल स्तर शनिवार सुबह 30 फीट 3 ईंच तक जा पहुंचा।
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