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मगरमच्छ के आँसू वाली कहावत तो सभी ने सुनी होगी। इसका तात्पर्य होता है कपट पूर्ण प्रदर्शन करना या फिर झूठा दुख प्रकट करना, लेकिन अपन असली वाले मगरमच्छ की बात कर रहे हैं। यह तो आप जानते ही हैं कि जब मगरमच्छ शिकार को जबड़े में दबा लेता है यानी शिकार को खा रहा होता है तब उसकी आंखों से आंसू निकलते हैं। सवाल यह है कि क्या को सचमुच शिकार के प्रति झूठा शोक मना रहा होता है या फिर इसके पीछे कोई और कारण है। आइए वन्य प्राणी विज्ञान की किताब और वैज्ञानिकों से पता लगाते हैं:- मगरमच्छ शिकार करने के बाद आँसू क्यों बहता हैजब मगरमच्छ के जबड़े में शिकार फंसा होता है और वह उसे चबा रहा होता है तब उसकी आंखों से आंसू निकल रहे होते। दरअसल, यह आंसू नहीं होते बल्कि पानी होता है। मगरमच्छ को शिकार करने में ज्यादा श्रम नहीं करना पड़ता लेकिन उसे चबाने और पचाने में काफी परिश्रम करना पड़ता है। भोजन के दौरान बार-बार हांफने और फुफकारने के कारण उसकी आंखों से पानी निकलने लगता है। इसी पानी को मगरमच्छ के आंसू कहा जाता है। इसका मतलब यह हुआ कि जब कोई व्यक्ति 'मगरमच्छ के आंसू' कहावत का उपयोग करता है तो यह मान लेना चाहिए कि वह मगरमच्छ के बारे में कुछ नहीं जानता। मगरमच्छ के बारे में मजेदार बातें (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
मगरमच्छ के बारे में आश्चर्यजनक बातें
मगरमच्छ के बारे में रोचक जानकारियां
मगरमच्छ की विशेषताएं (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
डीएनए हिंदी: मध्य प्रदेश से एक बेहद दर्दनाक मामला सामने आया था. यहां श्योपुर में 10 साल के एक मासूम को मगरमच्छ ने अपना निवाला बना लिया. घटना श्योपुर के रघुनाथपुर थाने के रीझेटा गांव की है. बताया जा रहा है कि रीझेटा गांव निवासी अतर सिंह केवट अपने दोस्तों के साथ चंबल नदी में नहाने गया था, इस दौरान वहां अचानक मगरमच्छ आ गया और बच्चे को खींचते हुए गहरे पानी में ले गया. इस घटना के बाद गांववालों ने मिलकर मगरमच्छ को पकड़ा और उसके मुंह में एक लड़की फसा दी. लोगों का कहना था कि मगरमच्छ बिना चबाए ही खाना निगल जाता है तो हो सकता है कि बच्चा उसके पेट में अंदर जिंदा ही हो. हालांकि, ऐसा कुछ नहीं था. बच्चे का शव नदी से बरामद किया गया. काफी देर तक समझाने के बाद लोगों ने मगर को छोड़ा. इसके बाद वन विभाग की टीम उसे बहुत दूर जाकर नदी में छोड़ आई. अब यह खबर पढ़ने के बाद कई लोगों के मन में एक सवाल आया कि आखिर इतने तेज दांत होने के बाद भी मगरमच्छ अपने शिकार को बिना चबाए उसे निगल क्यों जाता है. जीव विज्ञानी भी कहते हैं कि चाहे इंसान हो या कोई दूसरा शिकार, मगरमच्छ कभी भी उसे चबाता नहीं है. वह शिकार को पकड़ता है, अपने जबड़ों में फंसाता है, दबाता है और निगल जाता है. क्या आप इसके पीछे की वजह के बारे में जानते हैं? अगर नहीं तो आज हम आपको इसी के बारे में बताने जा रहे हैं. यह भी पढ़ें- Love Jihad का अड्डा है लुलु मॉल ? हिंदू संगठन ने क्यों कही ये बात शिकार को चबाता क्यों नहीं है मगरमच्छ? फिर
कैसे पचता है खाना? यह भी पढ़ें- Viral Video: पहले खाली सारी मूंगफली फिर लड़की को थप्पड़ मारकर भागा बंदर पेट में कितनी देर जिंदा रहता है शिकार? यह भी पढ़ें: Viral: नंबर प्लेट पर लिखवाया था पापा, पुलिस ने पकड़ा तो याद आ गई 'नानी' देश-दुनिया की ताज़ा खबरों (Latest News) पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में (Hindi News) पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर. मगरमच्छ को क्यों मारा जाता है?हर वर्ष शिकार के लिए एक करोड़ मगरमच्छों को मार दिया जाता है। मगरमच्छ के शरीर के सभी अंग अवैध रूप से काला बाजार में बेचे जाते हैं। वे मुख्य रूप से उनकी त्वचा के लिए मारे गए थे। इन त्वचा का उपयोग मुख्य रूप से लक्जरी बैग, बेल्ट, जूते, पर्स और असबाब (गृह की सामग्री) के लिए किया जाता है।
मगरमच्छ का भोजन क्या है?बड़े आकार के व्यस्क खारे पानी के मगरमच्छ अपनी रेंज में आने वाले किसी भी जानवर को खा सकते हैं, इसमें बन्दर, कंगारू, जंगली सूअर, डिंगो (एक प्रकार का कुत्ता), गोआना, पक्षी, घरेलू पशु, पालतू जानवर, मनुष्य, पानी की भैंस, गौर, चमगादड़ और यहां तक कि शार्क भी शामिल है। क्या यह आपके समय के हिसाब से उपयुक्त था?
मगरमच्छ भोजन करते समय क्यों रोता है?4. मगरमच्छ(Crocodile) वास्तव में आँसू आते हैं। क्योंकि, भोजन करते समय, वे बहुत अधिक हवा निगलते हैं, जो लैरीक्रिमल ग्रंथियों (आँसू पैदा करने वाली ग्रंथियों) के संपर्क में आती हैं और आँसू बहने के लिए मजबूर करती हैं।
मगरमच्छ की खाल से क्या बनता है?मगरमच्छ की खाल का इस्तेमाल जूते, जैकेट, पर्स बनाने में किया जाता है. अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में मगरमच्छ के खाल से बने बैग्स और जैकेट्स की कीमत हजारों-लाखों में होती हैं.
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