कृषि में मृदा परीक्षण या "भूमि की जाँच" एक मृदा के किसी नमूने की रासायनिक जांच है जिससे भूमि में उपलब्ध पोषक तत्वों की मात्रा के बारे में जानकारी मिलती है। इस परीक्षण का उद्देश्य भूमि की उर्वरकता मापना तथा यह पता करना है कि उस भूमि में कौन से तत्वों की कमी है। Show
मृदा परिक्षण क्यों?[संपादित करें]मृदा पोषक तत्वों का भंडार है तथा पौधों को सीधे खडा रहने के लिए सहारा देती है। पौधों को अपना जीवन चक्र पूरा करने के लिए 16 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। ये तत्व है : कार्बन, हाइडोजन, आक्सीजन, नत्रजन, फास्फोरस, पोठाश, कैल्सिशयम, मैग्नीशियम। सूक्ष्म तत्चजस्ता, मैग्नीज, ताँबा, लौह, बोरोन, मोलिबडेनम व क्लोरीन। इन सभी तत्वों का संतुलित मात्रा में प्रयोग करने से ही उपयुक्त पैदावार ली जा सकती है। यदि किसी भंडार से केवल निष्कासन ही होता रहे और उसमें निष्कासित मात्रा की पूर्ति न की जाय जो कुछ समय बाद वह भंडार खाली हो जाता है। ठीक यही दशा हमारे मृदा की है। लगातार फसल उत्पादन में वृद्वि एवं बडती सघन खेती के परिणाम स्वरूप पोषक तत्वों का ह्रास भी बड रहा है। परंतु उर्वरकों एवं रासायनिक खादों द्वारा उनकी पूर्ति पूरी तरह से नहीं हो पा रही है। जिससे हमारी भूमि की उर्वरा शक्ति क्षीण होती जा रही है। मृदा परिक्षण के उद्देश्य[संपादित करें]
प्रयोगशाला में मृदा की जांच[संपादित करें]मृदा परिक्षण के लिए सबसे पहले मृदा का नमूना लिया जाता है। इसके लिए जरूरी है की मृदा का नमूना पूरे क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करे। यदि मृदा का नमूना ठीक डंग से नहीं लिया गया हो और वह मृदा का सही प्रतिनिधित्व न कर रहा हो तो भले ही मृदा परिक्षण में कितनी ही सावधानियां क्यों न बरती जाएं, उसकी सिफारिश सही नहीं हो सकती। अतः खेत की मृदा का नमूना पूरी सावधानी से लेना चाहिए। आवश्यक सामग्री[संपादित करें]नमूना लेने के लिए निम्न सामान की आवश्यकता होती है जो किसी भी किसान के पास उपलब्ध होता है। नमूना लेने के लिए सभी सामान साफ होने चाहिए जिससे मृदा दूषित न हो।
मृदा का नमूना लेने की विधि[संपादित करें]
सावधानियां[संपादित करें]
मृदा के नमूने के साथ सूचना पत्र अवश्य डालें जिस पर साफ अक्षरों में नमूना संबधित सूचना एवं किसान का पूरा पता लिखा हो। सूक्ष्म तत्वों की जांच के लिए नमूना लेते समय अतिरिक्त सावधानियां धातु से बने औजारों या बर्तनों को काम में नहीं लाएं क्योंकि इनमें लौह, जस्ता व तांबा होता है। जहां तक संभव हो, प्लास्टिक या लकडी के औजार काम में लें। यदि मृदा खोदने के लिए फावडा या खुरपी ही काम में लेनी पडे तो वे साफ होनी चाहिए। इसके लिए गडडा बना लें व एक तरफ की परत लकडी के चौडे फट्टे या प्लास्टिक की फट्टी से खुरचकर मृदा बाहर निकाल दें। फिर इस प्लास्टिक या लकडी के फट्टे से 2-3 सेमी मोटी परत उपर से नीचे तक 15 सेमी और पूर्व बताई गई विधि के अनुसार 10-15 जगहों से मृदा एकत्र करके मृदा का नमूना तैयार कर सूचना पत्रक सहित कृषि विकास प्रयोगशाला में भेज दें। इन्हें भी देखें[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
नमूना लेने के तरीके क्या हैं?मिट्टी का प्रतिनिधि नमूना कैसे लें ?. जिस खेत का नमूना लेना हो उसके 8 - 10 स्थानों पर निशान लगा लें।. प्रत्येक निशानदेह स्थान की ऊपरी सतह से घास-फूस, कंकड़-पत्थर आदि साफ कर लें।. निर्धारित स्थान पर खुरपी या फावड़े से '' ट '' आकार का 15 सैं.मी. ... . इसी मिट्टी को साफ-सुथरे तसले, ट्रे या बोरी पर रख लें।. नमूना लेने का उद्देश्य क्या है?नमूना लेने के उद्देश्य
ऊसर तथा आम्लिक भूमि के सुधार तथा उसे उपजाऊ बनाने के सही ढंग जानने के लिए। बाग़ व पेड़ लगाने में भूमि कि योग्यता निश्चित करने के लिए।
मृदा नमूनाकरण और मृदा पी एच निर्धारण क्या है?मृदा नमूनाकरण क्या है? मृदा नमूना करण मिट्टी का एक छोटा सा नमूना लेने की प्रक्रिया है, जिसे बाद में पोषक तत्व निर्धारित करने के लिए एक प्रयोगशाला में भेजा जाता है। … मिट्टी का विश्लेषण मिट्टी के नमूने लेकर और प्रयोगशाला परीक्षण करके किया जाता है, जिसके बाद परिणामों की व्याख्या की जाती है।
मृदा से आप क्या समझते हैं?मृदा कई ठोस, तरल और गैसीय पदार्थों का मिश्रण है जो भूपर्पटी के सबसे ऊपरी स्तर में पाई जाती है। जैविक, भौतिक और रासायनिक प्रक्रियाओं के एक लंबी अवधि तक बने रहने से मृदा का निर्माण होता है। भिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न प्रकार की मृदा पाई जाती है फलस्वरूप फसलों, घासों तथा पेड़-पौधों में भी भिन्नता पाई जाती है।
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