मेदिनीनगर (Medininagar), जिसका भूतपूर्व नाम डाल्टेनगंज (Daltonganj) था, भारत के झारखण्ड राज्य के पलामू ज़िले में स्थित एक नगर है। यह उत्तर कोयल नदी के किनारे बसा हुआ है।[1][2] इन्हें भी देखें[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
पलामू उत्तर-पश्चिमी झारखंड का एक जिला है, जो पूर्व में जिले चतरा, पश्चिम में गढ़वा, दक्षिण में लातेहार और उत्तर में राज्य बिहार की सीमा पर स्थित है। यह 1 जनवरी 1 9 28 को अस्तित्व में आया। पलामू जिला 23 ° 50′- 24º8 ‘उत्तर अक्षांश के बीच और 83 ° 55′- 84º30’ पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। यह 5043.8 वर्ग की.मी. के क्षेत्र में फैला हुआ है। पलामू का प्रशासनिक मुख्यालय डालटनगंज(मेदिनीनगर) कोइल नदी के तट पर 24º3 ‘उत्तर और 84º4’ पूर्व के बीच स्थित है। डालटनगंज को 1861 में छोटानागपुर के आयुक्त कर्नल डाल्टन का नाम पर जाना जाता है। डालटनगंज का नया नाम अब मेदिनीनगर है, जो राजा मेदिनी राय के नाम पर पड़ा।
मेदिनीनगर का पुराना नाम क्या है?मेदिनीनगर (Medininagar), जिसका भूतपूर्व नाम डाल्टेनगंज (Daltonganj) था, भारत के झारखण्ड राज्य के पलामू ज़िले में स्थित एक नगर है। यह उत्तर कोयल नदी के किनारे बसा हुआ है।
डाल्टनगंज क्यों प्रसिद्ध है?पहले यह डाल्टनगंज के नाम से जाना जाता था लेकिन आनंदमार्ग के लक्ष्मण सिंह, बैद्यनाछ साहू, युगलकिशोर सिंह, विश्वनाथ सिंह जैसे लोगों ने लंबे समय तक आंदोलन किया और शहर का नाम मेदनीनगर किया गया। यहां के राजनीतिज्ञों में इंदर सिंह नामधारी, ज्ञानचंद पांडेय, शैलेंद्र, केडी सिंह आदि मुख्य हैं।
पलामू किला का निर्माण कब हुआ था?इतिहास के अनुसार इसका निर्माण 1766-1770 के आसपास चेरोवंशीय राजा गोपाल राय ने करवाया था और चेरो सत्ता के अवसान काल के दौरान पलामू का सम्राज्य को यहीं से संचालित किया जाता था। सन् 1771 में पलामू किला पर अंग्रेजों के आक्रमण और नियंत्रणाधीन होने के बाद शाहपुर किला ही राजा का निवास स्थान बना।
पलामू का राजा कौन था?जुलाई 1771 में गोपाल राय को पलामू के शासक घोषित किया गया था। इस प्रकार जुलाई 1771 के मध्य तक, ईस्ट इंडिया कंपनी ने पूरे पलामू पर अपना अधिकार स्थापित किया।
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