कर्क रेखा निम्न देशों से गुजरती है –
दक्षिण अमेरिका महाद्वीप के देश –चिली, अर्जेन्टीना, पराग्वे, ब्राजील। Show
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प्रधान याम्योत्तर (GMT)गुजरती है –
परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण प्रश्न पढ़ें:– वांडीवाश के युद्ध में अंग्रेज सेना का नेतृत्व किसने किया था महात्मा गांधी द्वारा दक्षिण अफ्रीका में प्रकाशित की गई पत्रिका का नाम था- ‘दो अस्पा’ व ‘सिंह अस्पा’ पद सर्वप्रथम किस शासक के काल में लागू किए गए? अकबर के शासनकाल में रामायण का फारसी में अनुवाद किसने किया था? किसने कहा था, ‘तिलक भारतीय अशांति के जनक’ हैं? निम्नलिखित में से किस एक ने सुभाषचन्द्र बोस को ‘देश नायक’ कहा था? कांग्रेस मंत्रिमंडल ने कब त्यागपत्र दिया था, इस दिन को मुस्लिम लीग ने किस रूप में मनाया प्रथम सत्याग्रही कौन थे?
संसार की सबसे लम्बी नदी नील है जो अफ्रीका की सबसे बड़ी झील विक्टोरिया से निकलकर विस्तृत सहारा मरुस्थल के पूर्वी भाग को पार करती हुई उत्तर में भूमध्यसागर में उतर पड़ती है। यह भूमध्य रेखा के निकट भारी वर्षा वाले क्षेत्रों से निकलकर दक्षिण से उत्तर क्रमशः युगाण्डा, इथियोपिया, सूडान एवं मिस्र से होकर बहते हुए काफी लंबी घाटी बनाती है जिसके दोनों ओर की भूमि पतली पट्टी के रूप में शस्यश्यामला दिखती है। यह पट्टी संसार का सबसे बड़ा मरूद्यान है।[1] नील नदी की घाटी एक सँकरी पट्टी सी है जिसके अधिकांश भाग की चौड़ाई १६ किलोमीटर से अधिक नहीं है, कहीं-कहीं तो इसकी चौड़ाई २०० मीटर से भी कम है। इसकी कई सहायक नदियाँ हैं जिनमें श्वेत नील एवं नीली नील मुख्य हैं। अपने मुहाने पर यह १६० किलोमीटर लम्बा तथा २४० किलोमीटर चौड़ा विशाल डेल्टा बनाती है।[2] घाटी का सामान्य ढाल दक्षिण से उत्तर की ओर है। मिस्र की प्राचीन सभ्यता का विकास इसी नदी की घाटी में हुआ है। इसी नदी पर मिस्र देश का प्रसिद्ध अस्वान बाँध बनाया गया है। नील नदी की घाटी का दक्षिणी भाग भूमध्य रेखा के समीप स्थित है, अतः वहाँ भूमध्यरेखीय जलवायु पायी जाती है। यहाँ वर्ष भर ऊँचा तापमान रहता है तथा वर्षा भी वर्ष भर होती है। वार्षिक वर्षा का औसत २१२ से. मी. है। उच्च तापक्रम तथा अधिक वर्षा के कारण यहाँ भूमध्यरेखीय सदाबहार के वन पाये जाते हैं। नील नदी के मध्यवर्ती भाग में सवाना तुल्य जलवायु पायी जाती है जो उष्ण परन्तु कुछ विषम है एवं वर्षा की मात्रा अपेक्षाकृत कम है। इस प्रदेश में सवाना नामक उष्ण कटिबन्धीय घास का मैदान पाया जाता है। यहाँ पाये जाने वाले गोंद देने वाले पेड़ो के कारण सूडान विश्व का सबसे बड़ा गोंद उत्पादक देश है। उत्तरी भाग में वर्षा के अभाव में खजूर, कँटीली झाड़ीयाँ एवं बबूल आदि मरुस्थलीय वृक्ष मिलते हैं। उत्तर के डेल्टा क्षेत्र में भूमध्यसागरीय जलवायु पायी जाती है जहाँ वर्षा मुख्यतः जाड़े में होती है। चित्र दीर्घा
मीडियाटीका टिप्पणी'मिस्र ही नील है और नील ही मिस्र है' (Egypt is Nile and Nile is Egypt)- हेरोडोटस सन्दर्भ
नील नदी कितने देशों से होकर जाती है?10 देशों से होकर गुज़रती है नील नदी
नील नदी के किनारे कौन कौन से देश हैं?नील नदी दुनिया की सबसे लम्बी नदियों में से एक है। यह विक्टोरिया झील के पास से निकल कर दस देशों से बहती हुई, भूमध्य सागर में समा जाती है। ये देश हैं—मिश्र, उगांडा, केन्या, सूडान, दक्षिणी सूडान, इथियोपिया, रवांडा, कांगो गणतंत्र, बुरुंडी एवं तंजानिया। मिश्र को नील नदी का देन कहते हैं।
नील नदी कितने शहरों से होकर गुजरती है?यह भूमध्य रेखा के निकट भारी वर्षा वाले क्षेत्रों से निकलकर दक्षिण से उत्तर क्रमशः युगाण्डा, इथियोपिया, सूडान एवं मिस्र से होकर बहते हुए काफी लंबी घाटी बनाती है जिसके दोनों ओर की भूमि पतली पट्टी के रूप में शस्यश्यामला दिखती है।
विश्व की सबसे बड़ी नदी का नाम क्या है?नील नदी, अफ्रीका- यह नदी नॉर्थ-ईस्ट अफ्रीका में बहती है.
यह विश्व की सबसे लंबी नदी है. इसकी लंबाई 6650 किलोमीटर यानी कि 4132 मील है. नील नदी अफ्रीका की सबसे बड़ी झील विक्टोरिया से निकलकर विस्तृत सहारा मरुस्थल के पूर्वी भाग को पार करती हुई उत्तर में भूमध्य सागर में उतर जाती है.
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