ये केवल कुछ उदाहरण हैं जिनसे पता चलता है कि मानव गतिविधियाँ वातावरण को कितना प्रदूषित करती हैं। प्रदूषण (Pollution) को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है- ‘‘मानव गतिविधियों के फलस्वरूप पर्यावरण में अवांछित पदार्थों का एकत्रित होना, प्रदूषण कहलाता है। जो पदार्थ पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं उन्हें प्रदूषक (Pollutant) कहते हैं।’’ प्रदूषक वे भौतिक, रासायनिक या जैविक पदार्थ होते हैं जो अनजाने ही पर्यावरण में निष्कासित हो जाते हैं और प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मानव-समाज और अन्य जीवधारियों के लिये हानिकारक होते हैं। Show 10.2 प्रदूषण के प्रकार - वायु प्रदूषण 10.3 वायु प्रदूषण (AIR POLLUTION) तालिका 10.1 : कणिकीय वायु प्रदूषक, उनके स्रोत और उनका प्रभाव प्रदूषक स्रोत प्रभाव निलंबित कणिकीय द्रव्य/ धूल घरेलू, औद्योगिक और वाहनों से निकलने वाला धुआँ (सूट)। विशिष्ट संघटना पर निर्भर करता है। सूर्य का प्रकाश कम होता है, दृश्यता में कमी और क्षति-क्षरण में वृद्धि होती है। फेफड़ों में धूल (न्यूमोकोनियोसिस) आदि जमना, अस्थमा, कैंसर और फेफड़ों के अन्य रोग हो जाते हैं हवा में उड़ती हुई राख फैक्ट्रियों की चिमनी और पावर प्लांटों से निकलते हुए धुएँ का भाग। घरों और वनस्पतियों पर ठहर जाती है। हवा में ठोस निलंबित कण (SPM) शामिल हो जाते हैं। निक्षालकों में हानिकारक पदार्थ निहित होते हैं। 10.3.1 कण रूपी प्रदूषक (Particulate Pollutants) हवा में उड़ती हुई राख (फ्लाई एश) सीसा (लैड) और अन्य धातुओं के कण लौह, एल्युमिनियम, मैग्नेशियम, जिंक, और अन्य धातुओं के ऑक्साइड भी बहुत विपरीत प्रभाव डालते हैं। खनन प्रक्रिया और धातुकर्मीय प्रक्रिया में यह पौधों के ऊपर धूल की तरह जम जाता है। इससे कार्यिकीय, जैव-रासायनिक और विकास सम्बन्धी विकृतियाँ पौधों में विकसित हो जाती हैं जो पौधों में जननिक विफलता की ओर योगदान करती है। प्रदूषण की खासतौर पर तीन किस्में होती हैं। जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण। लेकिन हम यहाँ पर वायु प्रदूषण और मानव जीवन के बारे में बताना चाहेंगे। वायु प्रदूषण एक ऐसा प्रदूषण है जिसके कारण रोज-ब-रोज मानव स्वास्थ्य खराब होता चला जा रहा है और पर्यावरण के ऊपर भी इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है। यह प्रदूषण ओजोन की परत को पतला करने में मुख्य भूमिका निभा रहा है, जिसकी वजह से जैसे ही आप घर के बाहर कदम रखेंगे आप महसूस करेंगे कि हवा किस कदर प्रदूषित हो चुकी है। धुएँ के बादलों को बसों, स्कूटरों, कारों, कारखानों की चिमनियों से निकलता हुआ देख सकते हैं। थर्मल पावर प्लान्ट्स से निकलने वाली फ्लाई ऐश (हवा में बिखरे राख के कण) किस कदर हवा को प्रदूषित कर रहा है, कारों की गति रोड पर किस कदर प्रदूषण को बढ़ा रही है। सिगरेट का धुआँ भी हवा को प्रदूषित करने में पीछे नहीं है। वायु प्रदूषण के कारण
वायु प्रदूषण और उसकी बुनियाद
कार्बन डाइ ऑक्साइड: यह एक ग्रीन हाउस गैस है। जब मानव कोयला ऑयल और प्राकृतिक गैस को जलाता है तो इन सबके जलने से कार्बन डाइ ऑक्साइड गैस पैदा होती है। क्लोरो-फ्लोरो कार्बन: यह ओजोन को नष्ट करने वाला एक रसायन है। जब इसको एयर कन्डीशनिंग और रेफ्रीजरेटर के लिये उपयोग किया जाता है तब इसके कण हवा से मिलकर हमारे वायुमंडल के समताप मंडल (stratosphere) तक पहुँच जाते हैं और दूसरी गैसों से मिलकर ओजोन परत को हानि पहुँचाते हैं। यही ओजोन परत जमीन पर जीव-जन्तुओं तथा वनस्पतियों को सूर्य की नुकसान पहुँचाने वाली पराबैंगनी किरणों (Ultravoilet rays) से बचाती हैं। यही कारण है कि क्लोरो-फ्लोरो कार्बन मनुष्य और अन्य जैविक जगत के लिये बहुत बड़ा खतरा है। सीसा (Lead) : सीसा, डीजल, पेट्रोल, बैटरी, पेंट और हेयर डाई आदि में पाया जाता है। लेड खासतौर से बच्चों को प्रभावित करता है। इससे दिमाग और पेट की क्रिया खराब हो जाती है। इससे कैन्सर भी हो सकता है। ओजोन (Ozone) : ओजोन लेयर वायुमंडल में समताप मंडल (stratosphere) की सबसे ऊपरी परत है। यह एक खास और अहम गैस है। इसका काम सूरज की हानि पहुँचाने वाली पराबैंगनी किरणों को भूमि की सतह पर आने से रोकना है। फिर भी यह जमीनी सतह पर बहुत ज्यादा दूषित है और जहरीली भी है। कल-कारखानों से ओजोन काफी तादाद में निकलती है। ओजोन से आँखों में पानी आता है और जलन होती है। नाइट्रोजन ऑक्साइड : इसकी वजह से धुन्ध और अम्लीय वर्षा होती है। यह गैस पेट्रोल, डीजल और कोयला के जलने से पैदा होती है। इससे बच्चों में बहुत से प्रकार के रोग हो जाते हैं जोकि सर्दियों में आम होते हैं। निलम्बित अभिकणीय पदार्थ (Suspended Particulate Matter : SPM) : यह हवा में ठोस, धुएँ, धूल के कण के रूप में होते हैं जो एक खास समय तक हवा में रहते हैं। जिसकी वजह से फेफड़ों को हानि पहुँचता है और साँस लेने में परेशानी होती है। 'सल्फर डाइ ऑक्साइड' : जब कोयला को थर्मल पावर प्लान्ट में जलाया जाता है तो उससे जो गैस निकलती है वो 'सल्फर डाइ ऑक्साइड' गैस होती है। धातु को गलाने और कागज को तैयार करने में निकलने वाली गैसों में भी 'सल्फर डाइ ऑक्साइड' होती है। यह गैस धुन्ध पैदा करने और अम्लीय वर्षा में बहुत ज्यादा सहायक है। सल्फर डाइ ऑक्साइड की वजह से फेफड़ों की बीमारियाँ हो जाती हैं। वायु प्रदूषण से कैसे बचें
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प्रदूषण का क्या अर्थ है इसका मानव जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?यह गन्दा वातावरण जीवधारियों के लिए अनेक प्रकार से हनिकारक होता है। इस प्रकार वातावरण के दूषित हो जाने को ही प्रदूषण कहते हैं। आपको बता दे की प्रदूषण (essay on pollution in 150 words) का अर्थ है - प्राकृतिक संतुलन में दोष पैदा होना। न शुद्ध वायु मिलना, न शुद्ध जल मिलना, न शुद्ध खाद्य मिलना, न शांत वातावरण मिलना।
प्रदूषण क्या है और यह हमारे जीवन को कैसे प्रभावित करता है?प्रदूषण की परिभाषा – पर्यावरण के किसी भी तत्व में होने वाला वो बदलाव जिसका धरती पर मौजूद जीवों पर बुरा प्रभाव पड़ता है, प्रदूषण कहलाता है. वातावरण में मौजूद हानिकारक जीवन नाशक और जहरीले पदार्थ एकत्रित होकर इसे प्रदूषित कर देते हैं. प्रदूषण के जिम्मेदार इन पदार्थों को प्रदूषक कहा जाता है.
प्रदूषण से स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है?वायु प्रदूषण को अस्थमा, फेफड़ों के कैंसर, वेंट्रिकुलर हाइपरट्रॉफी, अल्जाइमर और पार्किंसंस रोग यहां तक कि मनोवैज्ञानिक जटिलताओं, ऑटिज़्म, जैसी कुछ बीमारियों के लिए भी प्रमुख पर्यावरणीय जोखिम कारक माना है।
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