इस लेख में हम राजस्थान की जलवायु | CLIMATE OF RAJASTHAN के बारे में जानेगे। एंव इस से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण नोट्स व प्रतियोगी परीक्षा में आने वाले सवालों के बारे में भी जानेगे। Show
राजस्थान की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक(CLIMATE OF RAJASTHAN)1. अक्षांशीय स्थिति- भारत उत्तरी गोलार्द्ध में स्थित है, अतः राजस्थान की स्थिति भी उत्तरी गोलार्द्ध में है। राजस्थान उपोष्ण कटिबन्ध में आता है। लेकिन राजस्थान की जलवायु उष्ण कटिबन्धीय मानसूनी जलवायु है। 2. समुद्र से दूरी- समुद्र (कच्छ की खाड़ी) से – 225 किमी. तथा अरब सागर से राजस्थान – 400 किमी. दूर है। अतः समुद्री प्रभाव नहीं होते हैं। 3. भूमध्य रेखा से दूरी-111.4 × 23.3 = 2595.62 किमी.। 4. स्थान की समुद्र तल या धरातल से ऊंचाई- प्रति 165 मीटर की ऊंचाई पर 1°C तापमान कम हो जाता है। अतः माऊण्ट आबू ठण्डा रहता है। राजस्थान के सामान्य तापमान व माऊण्ट आबू के ताप में लगभग 11°C का अन्तर है। 5. भौगोलिक स्थिति (प्रकृति)– (i) अरावली पर्वतमाला की स्थिति – दक्षिण पश्चिम – उत्तर-पूर्व। (ii) राजस्थान विश्व के सबसे युवा मरूस्थल (थार) का भाग है। अतः यहां गर्म जलवायु रहती है। (iii) विभिन्न ऋतुओं में तापमान की विषमताओं के कारण राजस्थान की जलवायु को महाद्वीपीय जलवायु कहा जाता है। राजस्थान के जलवायु प्रदेश (भारतीय मौसम विभाग द्वारा प्रस्तुत)-
1. शुष्क जलवायु प्रदेश – यहां वनस्पति बहुत कम है। केवल कंटिली झाड़ियां है। वर्षा का औसत – 20 सेमी से कम। प. राजस्थान वाष्पीकरण दर अधिक तापमान -: ग्रीष्म – 34°-40° शीत – 12°-16° 2. अर्द्ध शुष्क जलवायु प्रदेश – यह स्टैपी प्रकार की वनस्पति, घास एवं कंटिली झाड़ियां पायी जाती है। वर्षा का औसत – 20 से 40 सेमी। शेखावटी क्षेत्र -: ग्रीष्म – 32°-36° शीत – 10°-17° 3. उप आर्द्र जलवायु प्रदेश – यह पर्वतीय वनस्पति पायी जाती है। वर्षा का औसत- 40 से 60 सेमी। जयपुर, अजमेर, पाली, नागौर आदि -: ग्रीष्म – 28°-34° शीत – 12°-18° 4. आर्द्र जलवायु प्रदेश – पतझड़ वाले वृक्ष पाये जाते हैं। वर्षा का औसत – 60 से 90 सेमी। भरतपुर, धौलपुर, कोटा, बूंदी, स. माधोपुर -: ग्रीष्म – 32°-35° शीत – 14°-17° 5. अति आर्द्र प्रदेश – यहां मानसूनी सवाना वनस्पति पायी जाती है। वर्षा का औसत – 90 सेमी से अधिक। द. पू. राजस्थान में । आम, शीशम, सागवान, बांस, शहतूत आदि वनस्पतियां व वृक्ष इस प्रदेश में है। राजस्थान में ऋतुएँ
(1) ग्रीष्म ऋतु :
(2) वर्षा ऋतु :
– भारतीय मानसून की उत्पत्ति- इसकी उत्पत्ति हिन्दमहासागर में मेडागास्कर द्वीप के पास से मानी जाती है क्योंकि मई के माह में उच्च ताप व निम्न वायुदाब होता है इस कारण हवाएं मेडागास्कर के पास से दक्षिण-पश्चिम दिशा बहती हुई भारत की ओर आती है तथा सबसे पहले केरल तट पर वर्षा करती है। यहां मानसून दो भागों में बंट जाता है- (A) अरब सागर का मानसून- यह भारत के पश्चिमी तट पर वर्षा करता हुआ गुजरात काठिया वाड़ में वर्षा कर राजस्थान में प्रवेश करता है।
यह तमिलनाडु में वर्षा कर बंगाल की खाड़ी की आर्द्रता को ग्रहण कर उत्तर-पूर्व के राज्यों में घनघोर वर्षा करता है।
(3) शरद् ऋतु :
(4) शीत ऋतु :
हवाएँ :
आंधियाँ :
जलवायु सम्बन्धी महत्वपूर्ण तथ्य –
तथ्य – उत्तर-पश्चिम से दक्षिण पूर्व की ओर चलने पर वर्षा का औसत बढ़ता हुआ दिखायी देता है। जबकि इसके विपरीत वर्षा का औसत घटता हुआ दिखायी देता है।
कोपेन के अनुसार राजस्थान के जलवायु प्रदेशजलवायु वर्गीकरण के आधार -: वर्षा, वनस्पति, तापमान, वाष्पीकरण। (i) AW या ऊष्ण कटिबन्धीय आर्द्र जलवायु प्रदेश – इस जलवायु प्रदेश के अंतर्गत डूंगरपुर जिले का दक्षिणी भाग एवं बांसवाड़ा,चित्तौड़गढ़ व झालावाड़ आते हैं। यहाँ का तापक्रम 18° से. से ऊपर रहता है। इस प्रदेश में ग्रीष्म ऋतु में भीषण गर्मी (30°- 40°) तथा यहाँ की वनस्पति सवाना तुल्य एवं मानसूनी पतझड़ वाली आदि प्रमुख विशेषताएँ हैं। औसत वर्षा – 80 cm से अधिक (ii) Bshw जलवायु प्रदेश –इस प्रदेश के अन्तर्गत, जालौर, बाड़मेर, सिरोही, पाली, नागौर, जोधपुर, चूरू, सीकर, झुंझुनूं आदि आते हैं। इस प्रदेश में जाड़े की ऋतु शुष्क, वर्षा कम (20-40 cm) व स्टैपी प्रकार की वनस्पति पायी जाती है। कांटेदार झाड़ियाँ एवं घास यहाँ की मुख्य विशेषता है। ग्रीष्म ऋतु → 32°-35° से सर्दी → 5°-10°C (iii) BWhw जलवायु प्रदेश – यहाँ वर्षा बहुत कम होने के कारण वाष्पीकरण अधिक होता है। इस प्रदेश में मरुस्थलीय जलवायु पायी जाती है। इस जलवायु प्रदेश के अन्तर्गत-जैसलमेर, पश्चिमी बीकानेर, उ. पश्चिमी जोधपुर, हनुमानगढ़ तथा गंगानगर आदि आते हैं। वर्षा 10-20 cm ग्रीष्म 35°C मे अधिक शीत 12-18°C वर्षा -: 60-80 cm वाष्पीकरण की दर तीव्र (iv) Cwg जलवायु प्रदेश – अरावली के दक्षिण-पूर्वी भाग इस जलवायु प्रदेश में आते हैं। यहाँ वर्षा केवल वर्षा ऋतु में होती है। शीतऋतु में कुछ मात्रा में वर्षा होती है। ग्रीष्म -: 32°-38°C शीत-: 14°-16°C थार्नवेट के विश्व जलवायु प्रदेशों पर आधारित : राजस्थान जलवायु प्रदेश आधार -:वनस्पति, वाष्पीकरण मात्रा, वर्षा व तापमान।
(i) CA’ w (उपआर्द्र जलवायु प्रदेश) – इस प्रकार का प्रदेश अधिकांशतया दक्षिणी-पूर्वी उदयपुर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, कोटा, बारां, झालावाड़ आदि जिलों में पाया जाता है। यहाँ वर्षा ग्रीष्म ऋतु में होती है। शीत ऋतु प्रायः सूखी रहती है। यहां सवाना तथा मानसूनी वनस्पति पायी जाती है। (ii) DA’ w (उष्ण आर्द्र जलवायु प्रदेश) – इस प्रकार की जलवायु में ग्रीष्मकालीन तापमान ऊँचे रहते हैं। वर्षा कम होती है तथा अर्द्ध मरूस्थलीय वनस्पति पायी जाती है। राजस्थान का अधिकांश भाग अर्थात् बाड़मेर व जोधपुर का अधिकांश भाग, बीकानेर, चूरू एवं झुन्झुनूं का दक्षिणी भाग, सिरोही, जालोर, पाली, अजमेर, उत्तरी चित्तौड़, बूंदी, सवाई माधोपुर, टोंक, भीलवाड़ा, भरतपुर, जयपुर, अलवर आदि जिले इस जलवायु प्रदेश के अन्तर्गत आते हैं। (iii) DB’ w (अर्द्ध शुष्क जलवायु प्रदेश) – इस प्रदेश के भागों में शीत ऋतु छोटी और शुष्क परन्तु ग्रीष्म ऋतु लम्बी और वर्षा वाली होती है। यहाँ कंटीली झाड़ियाँ और अर्द्ध-मरूस्थलीय वनस्पति पायी जाती है। राजस्थान के ऊत्तरी भाग जैसे गंगानगर, हनुमानगढ़ जिले व चूरू एवं बीकानेर के अधिकांश भाग आदि जिले इस प्रदेश में आते हैं। (iv) EA’ d (उष्ण शुष्क कटिबन्धीय मरूस्थलीय जलवायु – यह अत्यन्त गर्म और शुष्क जलवायु प्रदेश है। यहां प्रत्येक मौसम में वर्षा की कमी अनुभव की जाती है। वनस्पति केवल मरूस्थलीय ही उगती है। राजस्थान की मरूस्थली में स्थित बाड़मेर, जैसलमेर, पश्चिमी जोधपुर, दक्षिणी-पश्चिमी बीकानेर आदि जिले इस प्रदेश के अन्तर्गत आते हैं। ट्रिवार्था के विश्व जलवायु प्रदेशों पर आधारित राजस्थान जलवायु प्रदेश
(i) Aw जलवायु प्रदेश – इस प्रकार के प्रदेश में उष्ण कटिबन्धीय आर्द्र जलवायु मिलती है जिसमें तापमान 21° से. तक रहता है और वर्षा 100 सेमी. तक होती है। बांसवाड़ा, उदयपुर, डूंगरपुर, चित्तौड़गढ़, बारां, झालावाड़ इसके अन्तर्गत आते हैं। (ii) Bsh जलवायु प्रदेश – उष्ण और अर्द्ध उष्ण कटिबन्धीय स्टेपी जलवायु इस प्रदेश की विशेषता है। इस प्रकार की जलवायु पश्चिमी उदयपुर, हनुमानगढ़, राजसमन्द, सिरोही, जालौर, दक्षिणी-पूर्वी बाड़मेर, जोधपुर, पाली, अजमेर, नागौर, चूरू, झुन्झुनूं, सीकर, गंगानगर, बीकानेर आदि जिलों में मिलती है। (iii) Bwh जलवायु प्रदेश – इस प्रदेश के अन्तर्गत उष्ण और अर्द्धउष्ण मरूस्थल जलवायु पाई जाती है। जैसलमेर, उत्तरी-पश्चिमी बीकानेर आदि जिले तथा उनके भू-भाग इसके अन्तर्गत आते हैं। (iv) Caw जलवायु प्रदेश – यह अर्द्धउष्ण आर्द्र प्रदेश है जिसमें वर्षा कम होती है शीत ऋतु में कुछ वर्षा चक्रवातों द्वारा होती है। इसमें कोटा, बूंदी, पूर्वी टोंक, सवाईमाधोपुर, करौली, भरतपुर, धौलपुर, दक्षिणी अलवर आदि जिले आते हैं। अन्य महत्वपूर्ण तथ्य :– राजस्थान का दक्षिणी भाग कच्छ की खाड़ी से लगभग 225 किमी. एवं अरब सागर से 400 किमी. की दूरी पर स्थित है। – राजस्थान को 50 सेमी की समवर्षा रेखा विभक्त करती है। – दोंगड़ा :- राज्य में होने वाली मानसून पूर्व की वर्षा। – सामान्यत: समुद्र तल में ऊँचाई बढ़ने के साथ तापक्रम घटता है। – राजस्थान में सबसे छोटा दिन :- 22 दिसम्बर। – राजस्थान में मानसून सर्वप्रथम बाँसवाड़ा जिले में प्रवेश करता है। – राजस्थन में सर्वप्रथम मानसून का आगमन अरबसागरीय शाखा से होता है। – राजस्थान में मानसून वर्षा दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर बढ़ती है। – वर्ष 2006 में बाड़मेर के कवास स्थान पर भीषण बाढ़ आयी थी। – राजस्थान में दक्षिण पूर्व से उत्तर पश्चिम की ओर जाने पर वर्षा की मात्रा में कमी आती है। – राजस्थान का जेकोकाबाद :- चूरू – 997 Mb :- समदाबीय रेखा जैसलमेर, बीकानेर से गुजरती है। 998 Mb :- बीकानेर, जोधपुर, गंगानगर, हनुमानगढ़ से। 999 Mb :- जालौर, पाली, अजमेर, टोंक, दौसा, भरतपुर से। 1000 Mb :- सिरोही, उदयपुर, प्रतापगढ़ एवं झालावाड़ से। – जनवरी में समदाबीय रेखाएँ राजस्थान में 1017 Mb दक्षिणी राजस्थान से 1018 Mb मध्य राजस्थान से एवं 1019 Mb उत्तरी राजस्थान से गुजरती है। पश्चिम बंगाल में मानसून प्रस्फोट को क्या कहते है?इसे मानसून प्रस्फोट यानी मानसून ब्रस्ट कहा जाता है.
मानसून प्रस्फोट से क्या तात्पर्य है?प्रचंड गर्जन और बिजली की कड़क के साथ आर्द्रता भरी पवनों का अचानक चलना मानसून का प्रस्फोट कहलाता है। जून के पहले सप्ताह में केरल, कर्नाटक, गोवा और महाराष्ट्र के तटीय भागों में मानसून फट पड़ता है, जबकि देश के आंतरिक भागों में यह जुलाई के पहले सप्ताह तक हो पाता है।
पश्चिम बंगाल में गर्म मौसम में वर्षा का क्या कारण है?सही उत्तर भारतीय मानसून की बंगाल की खाड़ी शाखा है। बंगाल की खाड़ी में मानसून की धारा पश्चिम बंगाल में ग्रीष्म मानसून के कारण वर्षा होने का मुख्य कारण है। भारत में कुल वर्षा का 75% दक्षिण-पश्चिम मानसून के कारण होता है।
मानसून कितने प्रकार के होते हैं?भारत में मानसून दो प्रकार के होते हैं, जिन्हें समर मानसून और विंटर मानसून कहा जाता है. समर मानसून की शुरुआत जून और सितंबर महीने के बीच होती है और यह भारत के दक्षिण-पश्चिम इलाकों को प्रभावित करता है. जुलाई के अंत में मानसून उत्तर भारत तक पहुंचता है.
|