भारत में निर्मित प्रथम भारतीय फिल्म कौन सा है? - bhaarat mein nirmit pratham bhaarateey philm kaun sa hai?

राजा हरिश्चन्द्र १९१३ में बनी भारतीय मूक फ़िल्म थी। इसके निर्माता निर्देशक दादासाहब फालके थे और यह भारतीय सिनेमा की प्रथम पूर्ण लम्बाई की नाटयरूपक फ़िल्म थी।[1] फ़िल्म भारत की कथाओं में से एक जो राजा हरिश्चन्द्र की कहानी पर आधारित है। यद्यपि फ़िल्म मूक है लेकिन इसमें दृश्यों के भीतर अंग्रेज़ी और हिन्दी में कथन लिखकर समझाया गया है। चूँकि फ़िल्म में अभिनय करने वाले सभी कलाकार मराठी थे अतः फ़िल्म को मराठी फ़िल्मों की श्रेणी में भी रखा जाता है।

फ़िल्म ने भारतीय फिल्म उद्योग में ऐतिहासिक नींव स्थापित की।[2]

फ़िल्म की शुरुआत राजा रवि वर्मा द्वारा की गई राजा हरिश्चन्द्र, उनकी पत्नी और पुत्र की चित्रों द्वारा बनाये गये चित्रों की प्रतिलिपियों की झांकी से आरम्भ होती है।

फ़िल्म में प्रमुख अभिनय भूमिका में दत्तात्रय दामोदर दबके हैं। फ़िल्म में मुख्य अभिनेत्री का अभिनय अन्ना सालुंके नामक अभिनेता ने किया।

आलमआरा (विश्व की रौशनी) 1931 में बनी हिन्दी भाषा और भारत की पहली सवाक (बोलती) फिल्म है। इस फिल्म के निर्देशक अर्देशिर ईरानी हैं। ईरानी ने सिनेमा में ध्वनि के महत्व को समझते हुये, आलमआरा को और कई समकालीन सवाक फिल्मों से पहले पूरा किया। आलम आरा का प्रथम प्रदर्शन मुंबई (तब बंबई) के मैजेस्टिक सिनेमा में 14 मार्च 1931 को हुआ था।[1] यह पहली भारतीय सवाक इतनी लोकप्रिय हुई कि "पुलिस को भीड़ पर नियंत्रण करने के लिए सहायता बुलानी पड़ी थी"।[2]

आलमआरा एक राजकुमार और बंजारन लड़की की प्रेम कथा है। यह जोसफ डेविड द्वारा लिखित एक पारसी नाटक पर आधारित है। जोसफ डेविड ने बाद में ईरानी की फिल्म कम्पनी में लेखक का काम किया।। फिल्म में एक राजा और उसकी दो झगड़ालू पत्नियां दिलबहार और नवबहार है। दोनों के बीच झगड़ा तब और बढ़ जाता है जब एक फकीर भविष्यवाणी करता है कि राजा के उत्तराधिकारी को नवबहार जन्म देगी। गुस्साई दिलबहार बदला लेने के लिए राज्य के प्रमुख मंत्री आदिल से प्यार की गुहार करती है पर आदिल उसके इस प्रस्ताव को ठुकरा देता है। गुस्से में आकर दिलबहार आदिल को कारागार में डलवा देती है और उसकी बेटी आलमआरा को देशनिकाला दे देती है। आलमआरा को बंजारे पालते हैं। युवा होने पर आलमआरा महल में वापस लौटती है और राजकुमार से प्यार करने लगती है। अंत में दिलबहार को उसके किए की सजा मिलती है, राजकुमार और आलमआरा की शादी होती है और आदिल की रिहाई।

फिल्म और इसका संगीत दोनों को ही व्यापक रूप से सफलता प्राप्त हुई, फिल्म का गीत "दे दे खुदा के नाम पर" जो भारतीय सिनेमा का भी पहला गीत था और इसे अभिनेता वज़ीर मोहम्मद खान ने गाया था, जिन्होने फिल्म में एक फकीर का चरित्र निभाया था, बहुत प्रसिद्ध हुआ।[3] उस समय भारतीय फिल्मों में पार्श्व गायन शुरु नहीं हुआ था, इसलिए इस गीत को हारमोनियम और तबले के संगीत की संगत के साथ सजीव रिकॉर्ड किया गया था।[4]

फिल्म ने भारतीय फिल्मों में फिल्मी संगीत की नींव भी रखी, फिल्म निर्देशक श्याम बेनेगल ने कहा फिल्म की चर्चा करते हुए कहा है, "यह सिर्फ एक सवाक फिल्म नहीं थी बल्कि यह बोलने और गाने वाली फिल्म थी जिसमें बोलना कम और गाना अधिक था। इस फिल्म में कई गीत थे और इसने फिल्मों में गाने के द्वारा कहानी को कहे जाने या बढा़ये जाने की परम्परा का सूत्रपात किया।"

तरन ध्वनि प्रणाली का उपयोग कर, अर्देशिर ईरानी ने ध्वनि रिकॉर्डिंग विभाग स्वंय संभाला था। फिल्म का छायांकन टनर एकल-प्रणाली कैमरे द्वारा किया गया था जो ध्वनि को सीधे फिल्म पर दर्ज करते थे। क्योंकि उस समय साउंडप्रूफ स्टूडियो उपलब्ध नहीं थे इसलिए दिन के शोरशराबे से बचने के लिए इसकी शूटिंग ज्यादातर रात में की गयी थी। शूटिंग के समय माइक्रोफ़ोन को अभिनेताओं के पास छिपा कर रखा जाता था।[3]

प्रथम दक्षिण भारतीय फिल्म : 'भीष्म प्रतिज्ञा' 1921 में मद्रास में ईस्ट फिल्म कंपनी केआर वेंकैया और आर. प्रकाश द्वारा निर्मित।

प्रथम बोलती फिल्म जो भारत में प्रदर्शित हुई : 'मेलॉडी ऑफ लव' 1929 में कलकत्ता के एलफिन्सटन पिक्चर पैलेस में प्रदर्शित।

प्रथम भारतीय बोलती फिल्म : 'आलम आरा' आर्देशिर ईरानी द्वारा निर्मित। 14 मार्च, 1931 को बंबई के मैजेस्टिक सिनेमा में प्रदर्शित।
प्रथम मराठी बोलती फिल्म : 'अयोध्याचा राजा' (मराठी) और 'अयोध्या का राजा' (हिन्दी) प्रभात फिल्म कंपनी द्वारा 1932 में निर्मित।

प्रथम बंगाली में बोलती फिल्म- 'जमाई षष्टी', मदान थिएटर्स द्वारा 1931 में निर्मित।

प्रथम बोलती तमिल फिल्म- 'कालिदास', सागर मूवीटोन द्वारा निर्मित।
प्रथम पंजाबी में बोलती फिल्म- 'हीर-रांझा', (हिन्दी) हकीम रामप्रसाद द्वारा 1932 में निर्मित।

दक्षिण में प्रथम नि‍र्मित बोलती फिल्म : 'श्रीनिवास कल्याणम्' (1934) मद्रास में श्रीनिवास सिनेटोन द्वारा निर्मित।

प्रथम तेलुगु बोलती फिल्म : 'सीताकल्याणम्' (1934) पीवी हास द्वारा निर्मित।
प्रथम मलयालम बोली फिल्म : बालन (1938) मॉडर्न थिएटर्स द्वारा सलेम में निर्मित।

दक्षिण से प्रथम हिन्दी बोलती फिल्म : 'प्रेमसागर' (1939) के. सुब्रमण्यम द्वारा निर्देशित और निर्मित।

प्रथम कार्टून फिल्म : ऑन ए मुनलिट नाइट, आरसी बोराल द्वारा निर्मित।

प्रथम सिनेमास्कोप फिल्म : कागज के फूल (1959) गुरुदत्त द्वारा निर्मित।
प्रथम एक ही अभिनेता द्वारा अभिनीत ‍फीचर फिल्म : यादें (1964), सुनील दत्त द्वारा निर्मित-निर्देशित।

प्रथम 70 एमएम टेक्नीकलर फिल्म : अराउंड द वर्ल्ड (1967) पाछी द्वारा निर्मित।

प्रथम सिल्वर जुबली हिंदी फिल्म : अमृत मंथन- 1934 में प्रभात फिल्म कंपनी द्वारा निर्मित।
प्रथम भारतीय फिल्मों का अभिनेता (नायक-नायिका) : ए. सालुंके ने 1917 में फालके द्वारा निर्मित 'लंका दहन' में राम और सीता दोनों का अभिनय किया।

प्रथम महिला अभिनेत्री : कमला बाई गोखले। एक महाराष्ट्रीयन महिला ने 1013 में 'भस्मासुर मोहिनी' में अभिनय किया।

प्रथम पुरुष अभिनेता द्वारा महिला भूमिका : ए. सालुंके द्वारा राजा हरिश्चन्द्र (1913) में तारामती की भूमिका अभिनीत।
प्रथम नायक : दत्तात्रय दामोदर डबके ने 1913 में 'राजा हरिश्चन्द्र' में अभिनय किया।

प्रथम हॉलीवुड प्रशिक्षित भारतीय : सुचेतसिंह ने 1918 में चार्ली चैप्लिन के सहयोगी के रूप में कार्य किया और ओरिएंटल फिल्म मैन्युफैक्चरिंग कंपनी की स्थापना कर 'शंकुतला' फिल्म बनाई।