पृथ्वी की तीन परतों का क्या महत्व है? - prthvee kee teen paraton ka kya mahatv hai?

पृथ्वी की परतें पृथ्वी की पपड़ी, मेंटल और कोर हैं। ये तीन परतें पृथ्वी ग्रह की संरचना बनाती हैं और एक दूसरे से भिन्न विशेषताएं रखती हैं। पृथ्वी की पपड़ी ग्रह की सबसे बाहरी परत है। ... अंत में, कोर ग्रह की सबसे भीतरी परत है, जिसमें मूल रूप से लोहा और निकल शामिल है।

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पृथ्वी की आंतरिक संरचना क्या है?

पृथ्वी का आंतरिक भाग, अन्य खगोलीय ग्रहों के आंतरिक भाग की तरह, रासायनिक मानदंडों द्वारा विभाजित है: सिलिकॉन क्रस्ट की एक बाहरी परत; एक अत्यधिक चिपचिपा मेंटल; एक कोर जिसमें एक छोटी तरल परत से घिरा एक ठोस भाग होता है।

पृथ्वी की बाहरी संरचना को कैसे विभाजित किया गया है?

रासायनिक संरचना के अनुसार वर्गीकरण के अनुसार पृथ्वी को क्रस्ट, मेंटल और कोर में बांटा गया है और भौतिक व्यवहार में इसे लिथोस्फीयर, एस्थेनोस्फीयर, मेसोस्फीयर, बाहरी कोर और इनर कोर में बांटा गया है।

पृथ्वी की पपड़ी की संरचना क्या है?

क्रस्ट मूल रूप से सिलिकॉन, एल्यूमीनियम, लोहा, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम और सोडियम के ऑक्साइड से बनता है। सिलिका (सिलिकॉन ऑक्साइड) मुख्य घटक है, और क्वार्ट्ज, इसमें सबसे आम खनिज है। पपड़ी कई टुकड़ों में विभाजित है, टेक्टोनिक प्लेट्स (चित्र।

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स्थलीय परतें क्या हैं?

पृथ्वी की मुख्य परतें क्रस्ट, मेंटल और कोर (बाहरी और आंतरिक) हैं।

पृथ्वी की भीतरी परत क्या है?

बीच की परत को मंटो कहते हैं। सबसे भीतरी परत को CORE कहा जाता है।

हमारे ग्रह की किस आंतरिक संरचना को ठोस माना जा सकता है?

केवल परतें जिन्हें ठोस माना जा सकता है वे हैं पपड़ी (कम तापमान के कारण जो चट्टानों को जमने देती हैं) और आंतरिक कोर (जहां उच्च दबाव के कारण यह कठोर बनी रहती है)।

हमें कैसे पता चलेगा कि पृथ्वी के अंदर क्या है?

यह पता लगाने के लिए कि हमारे ग्रह का आंतरिक भाग किस चीज से बना है, शोधकर्ता भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोट जैसी भूगर्भीय घटनाओं द्वारा छोड़े गए सुरागों की ओर मुड़ते हैं। यहां गिरने वाले उल्कापिंड भी अच्छे सुराग देते हैं, जो एक विडंबना भी है।

भूवैज्ञानिक कैसे बता सकते हैं कि पृथ्वी की आंतरिक संरचना कैसी है?

चुंबकीय और गुरुत्वाकर्षण साक्ष्य। चुंबकीय क्षेत्र मापन भी पृथ्वी की आंतरिक संरचना को समझने में मदद करता है। पृथ्वी का एक चुंबकीय क्षेत्र है। यह क्षेत्र पृथ्वी के अंदर एक तरल माध्यम में चलने वाले आयनित अणुओं के कारण हो सकता है।

पृथ्वी की सबसे बाहरी परत कौन सी है ?

पृथ्वी की परतें पृष्ठ 2 पृष्ठ 3 • पृथ्वी की पपड़ी पृथ्वी का सबसे बाहरी हिस्सा है और उस पूरे हिस्से को घेरे हुए है जिसमें हम रहते हैं। यह ग्रह पर सबसे छोटी संरचना है, लेकिन यह मानवीय गतिविधियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। यह परत मुख्य रूप से हल्की चट्टानों से बनी है।

पृथ्वी का मेंटल कैसे बनता है?

मेंटल पृथ्वी की सबसे व्यापक परत है, जो पृथ्वी की पपड़ी के नीचे स्थित है। यह परत विभिन्न प्रकार की चट्टानों से बनी है, जैसे कि सिलिकॉन और मैग्नीशियम, जो कोर द्वारा छोड़ी गई गर्मी के कारण एक पेस्टी, लगभग तरल अवस्था में रहती हैं। …पृथ्वी का आवरण लोहे और मैग्नीशियम सिलिकेट्स से बना है।

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हमारा ग्रह कैसे बनता है?

ग्रह पृथ्वी का निर्माण जल, वायु, मिट्टी और जीवित प्राणियों जैसे तत्वों के संविधान से हुआ है। जल से युक्त भाग को जलमंडल कहते हैं; वायु को वायुमण्डल कहते हैं; और मिट्टी को लिथोस्फीयर का नाम मिलता है। ये तीन भाग पर्यावरण के निर्जीव तत्वों का निर्माण करते हैं।

पृथ्वी की पपड़ी का क्या महत्व है और यह किन भागों से बनी है, उनमें से प्रत्येक की व्याख्या करें?

पृथ्वी की पपड़ी पृथ्वी का सबसे बाहरी भाग है, जो पूरे ग्रह को घेरे हुए है और जहाँ हम रहते हैं। यह परत सिलिकॉन, मैग्नीशियम और एल्यूमीनियम से भरपूर चट्टानों से बनी है। ... भूपर्पटी का निर्माण टेक्टोनिक प्लेट्स कहे जाने वाले बड़े ठोस भागों से होता है, जो पृथ्वी के मेंटल पर धीरे-धीरे गति करते हैं।

पृथ्वी की पपड़ी का हिस्सा क्या है?

[भूविज्ञान] ग्लोब की सबसे बाहरी परत, मेंटल के ऊपर स्थित है।

पृथ्वी के कोर की संरचना क्या है?

दबाव बढ़ने पर लोहे का गलनांक बढ़ जाता है। इस आंतरिक कोर के चारों ओर बाहरी कोर है, 2 किमी मोटी एक परत जो लोहे, निकल और तरल अवस्था में अन्य धातुओं की थोड़ी मात्रा से बनी होती है, जिसमें दबाव कम होता है और धातु पिघली होती है।

पृथ्वी की आकृति लध्वक्ष गोलाभ (Oblate spheroid) के समान है। यह लगभग गोलाकार है जो ध्रुवों पर थोड़ा चपटी है। पृथ्वी पर सबसे उच्चतम बिंदु माउंट एवरेस्ट है जिसकी ऊँचाई 8848 मी. है। दूसरी ओर सबसे निम्नतम बिंदु प्रशांत महासागर में स्थित मारियाना खाई है जिसकी समुद्री स्तर से गहराई 10,911 मी. है। पृथ्वी की आंतरिक संरचना कई स्तरों में विभाजित है। पृथ्वी की आंतरिक संरचना के तीन प्रधान अंग हैं- ऊपरी सतह भूपर्पटी (Crust), मध्य स्तर मैंटल (mantle) और आंतरिक स्तर धात्विक क्रोड (Core)। पृथ्वी के कुल आयतन का 0.5' भाग भूपर्पटी का है जबकि 83' भाग में मैंटल विस्तृत है। शेष 16' भाग क्रोड है।

पृथ्वी की संरचना

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पृथ्वी की आकृति लध्वक्ष गोलाभ (Oblate spheroid) के समान है। यह लगभग गोलाकार है जो ध्रुवों  पर थोड़ा चपटी है। पृथ्वी पर सबसे उच्चतम बिंदु माउंट एवरेस्ट है जिसकी ऊँचाई 8848 मी. है। दूसरी ओर सबसे निम्नतम बिंदु प्रशांत महासागर में स्थित मारियाना खाई है जिसकी समुद्री स्तर से गहराई 10,911 मी. है। पृथ्वी की आंतरिक संरचना कई स्तरों में विभाजित है। पृथ्वी की आंतरिक संरचना के तीन प्रधान अंग हैं- ऊपरी सतह भूपर्पटी (Crust), मध्य स्तर मैंटल (mantle) और आंतरिक स्तर धात्विक क्रोड (Core)। पृथ्वी के कुल आयतन का 0.5' भाग भूपर्पटी का है जबकि 83' भाग में मैंटल विस्तृत है। शेष 16' भाग क्रोड है।


भूपर्पटी अथवा क्रस्ट की मोटाई 8 से 40 किमी. तक मानी जाती है। इस परत की निचली सीमा को मोहोरोविसिक असंबद्धता या मोहो असंबद्धता कहा जाता है। पृथ्वी पर महासागर और महाद्वीप केवल इसी भाग में स्थित हैं।


मैंटल की मोटाई लगभग 2895 किमी. है। यह अद्र्ध-ठोस अवस्था में है। एक संक्रमण परत जो मैंटल को क्रोड या कोर से विभक्त करती है उसे गुटेनबर्ग असंबद्धता कहते हैं।
बाह्म्तम क्रोड की विशेषता यह है कि यह तरल अवस्था में है जबकि आंतरिक क्रोड का पदार्थ ठोस पदार्थ की भांति व्यवहार करता है। इसकी त्रिज्या लगभग 1255 किमी. है। आंतरिक क्रोड के घूर्णन का कोणीय वेग पृथ्वी के कोणीय वेग से थोड़ा अधिक होता है।

पृथ्वी का निर्माण आयरन (32.1 फीसदी), ऑक्सीजन (30.1 फीसदी), सिलिकॉन (15.1 फीसदी), मैग्नीशियम (13.9 फीसदी), सल्फर (2.9 फीसदी), निकिल (1.8 फीसदी), कैलसियम (1.5 फीसदी) और अलम्युनियम (1.4 फीसदी) से हुआ है। इसके अतिरिक्त लगभग 1.2 फीसदी अन्य तत्वों का भी योगदान है। क्रोड का निर्माण लगभग 88.8 फीसदी आयरन से हुआ है। भूरसायनशास्त्री एफ. डल्ब्यू. क्लार्क के अनुसार पृथ्वी की भूपर्पटी में लगभग 47 फीसदी ऑक्सीजन है।

पथ्वी की आंतरिक परतेंगहराई (किमी.)परत0-35भूपर्पटी या क्रस्ट35-60ऊपरी भूपर्पटी35-2890मैंटल2890-5100बाहरी क्रोड5100-6378आंतरिक क्रोड

प्लेट टेक्टोनिक्स
महाद्वीपों और महासागरों के वितरण को स्पष्ट करने के लिए यह सबसे नवीन सिद्धांत है। इस सिद्धांत के अनुसार स्थलमंडल कई दृढ़ प्लेटों के रूप में विभाजित है। ये प्लेटें स्थलमंडल के नीचे स्थित दुर्बलतामंडल के ऊपर तैर रही हैं। इस सिद्धांत के अनुसार भूगर्भ में उत्पन्न ऊष्मीय संवहनीय धाराओं के प्रभाव के अंतर्गत महाद्वीपीय और महासागरीय प्लेटें विभिन्न दिशाओं में विस्थापित होती रहती हैं। स्थलमंडलीय प्लेटों के इस संचलन को महाद्वीपों तथा महासागरों के वर्तमान वितरण के लिए उत्तरदायी माना जाता है। जहां दो प्लेटें विपरीत दिशाओं में अपसरित होती हैं उन किनारों को रचनात्मक प्लेट किनारा या अपसारी सीमांत कहते हैं। जब दो प्लेटें आमने-सामने अभिसरित होती हैं तो इन्हें विनाशशील प्लेट किनारे अथवा अभिसारी सीमांत कहते हैं।


सबसे पुरानी महासागरीय भूपर्पटी पश्चिमी प्रशांत में स्थित है। इसकी अनुमानित आयु 20 करोड़ वर्ष है। अन्य प्रमुख प्लेटों में भारतीय प्लेट, अरब प्लेट, कैरेबियाई प्लेट, दक्षिणी अमेरिका के पश्चिमी तट पर स्थित नाज्का प्लेट और दक्षिणी अटलांटिक महासागर की स्कॉटिया प्लेट शामिल हैं। लगभग 5 से 5.5 करोड़ वर्ष पूर्व भारतीय व ऑस्ट्रेलियाई प्लेटें एक थी।

प्रमुख प्लेटें प्लेट का नाम क्षेत्रफल (लाख किमी. में) अफ्रीकी प्लेट 78.0 अंटार्कटिक प्लेट 60.9 इंडो-ऑस्ट्रेलियाई प्लेट 47.2 यूरेशियाई प्लेट 67.8 उत्तरी अमेरिकी प्लेट 75.9 प्रशांत प्लेट 103.3

स्थलाकृतियां
पृथ्वी का तल असमान है। तल का 70.8 फीसदी भाग जल से आच्छादित है, जिसमें अधिकांश महासागरीय नितल समुद्री स्तर के नीचे है। धरातल पर कहीं विशाल पर्वत, कहीं ऊबड़-खाबड़ पठार तो कहीं पर उपजाऊ मैदान पाये जाते हैं। महाद्वीप और महासागरों को प्रथम स्तर की स्थलाकृति माना जाता है जबकि पर्वत, पठार, घाटी निचले स्तरों के अंतर्गत रखे जाते हैं।

पृथ्वी का तल भूवैज्ञानिक समय काल के दौरान प्लेट टेक्टोनिक्स और क्षरण की वजह से लगातार परिवर्तित होता रहता है। प्लेट टेक्टोनिक्स की वजह से तल पर हुए बदलाव पर मौसम, वर्षा, ऊष्मीय चक्र और रासायनिक परिवर्तनों का असर पड़ता है। हिमीकरण, तटीय क्षरण, प्रवाल भित्तियों का निर्माण और बड़े उल्का पिंडों के पृथ्वी पर गिरने जैसे कारकों की वजह से भी पृथ्वी के तल पर परिवर्तन होते हैं।

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चट्टान
पृथ्वी की सतह से 16 किमी. की गहराई तक पृथ्वी की भूपर्पटी में पाए जाने वाले 95' पदार्थ चट्टानों के रूप में पाए जाते हैं। इनकी रचना विभिन्न प्रकार के खनिजों का सम्मिश्रण है। विभिन्न आधारों पर किया चट्टानों का वर्गीकरण इस प्रकार है-


आग्नेय शैल (Igneous Rock) - आग्नेय शैल की रचना धरातल के नीचे स्थित तप्त एवं तरल मैग्मा के शीतलन के परिणामस्वरूप उसके ठोस हो जाने पर होती है। उदाहरण- माइका, ग्रेनाइट आदि।

अवसादी शैल (Sedimentary Rocks) - अपक्षय एवं अपरदान के  विभिन्न  साधनों द्वारा मौलिक चट्टानों के विघटन, वियोजन एवं चट्टान-चूर्ण के परिवहन तथा किसी स्थान पर जमाव के फलस्वरूप उसके अवसादों (debris) से निर्मित शैल को अवसादी शैल कहा जाता है। उदाहरण- कोयला, पीट, बालुका पत्थर आदि।

रूपांतरित शैल (Metamorphic rock)- अवसादी एवं आग्नेय शैलों में ताप एवं दबाव के कारण परिवर्तन या रूपांतरण हो जाने से रूपांतरित शैलों का निर्माण होता है। उदाहरण- संगमरमर, क्वाटर्जाइट आदि।

क्वाटर्ज, फेल्सपार, एम्फीबोल, माइका, पाइरोक्सिन और ऑलिविन जैसे सिलिकेट खनिज पृथ्वी पर प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। पृथ्वी की सबसे बाहरी परत को पीडोस्फीयर कहते हैं। इस परत का निर्माण मृदा से हुआ है और इस स्तर पर लगातार मृदा उत्पादन की प्रक्रिया जारी रहती है। पृथ्वी पर स्थलमंडल का निम्नतम बिंदु मृत सागर है जिसकी गहराई समुद्र स्तर से 418 मी. नीचे है जबकि उच्चतम बिंदु माउंट एवरेस्ट है जिसकी समुद्री स्तर से ऊँचाई 8848 मी. है। स्थलमंडल की औसत ऊँचाई 840 मी. है।

महाद्वीप
पृथ्वी पर 7 महाद्वीप स्थित हैं-
एशिया- क्षेत्रफल - 44,614,000 वर्ग किमी.
एशिया सबसे बड़ा महाद्वीप है। यह विश्व के कुल स्थल क्षेत्र के 1/3 भाग पर स्थित है।  यहाँ की 3/4 जनसंख्या अपने भरण-पोषण के लिए कृषि पर निर्भर है। एशिया चावल, मक्का, जूट, कपास, सिल्क इत्यादि के उत्पादन के मामले में पहले स्थान पर है।


अफ्रीका - क्षेत्रफल - 30,216,000 वर्ग किमी.
अफ्रीका दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा महाद्वीप है। अफ्रीका का 1/3 हिस्सा मरुस्थल है। यहाँ की मात्र 10' भूमि ही कृषियोग्य है। हीरे व सोने के उत्पादन में अफ्रीका सबसे ऊपर है।

उत्तर अमेरिका- क्षेत्रफल- 24,230,000 वर्ग किमी. यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा महाद्वीप है। यह दुनिया के 16' भाग पर स्थित है। कृषीय संसाधनों की दृष्टिïकोण से यह काफी धनी क्षेत्र है। विश्व के कुल मक्का उत्पादन का आधा उत्पादन यहीं होता है। वन, खनिज व ऊर्जा संसाधनों के दृष्टिïकोण से यह काफी समृद्ध क्षेत्र है।

दक्षिण अमेरिका- क्षेत्रफल- 17,814,000 वर्ग किमी. यह दुनिया का चौथा सबसे बड़ा महाद्वीप है। इस महाद्वीप का 2/3 हिस्सा विषुवत रेखा के दक्षिण में स्थित है। इसके बहुत बड़े हिस्से में वन हैं।

अंटार्कटिका- क्षेत्रफल- 14,245,000 वर्ग किमी. यह विश्व का पाँचवा सबसे बड़ा महाद्वीप है। यह पूरी तरह दक्षिणी गोलाद्र्ध में स्थित है और दक्षिण ध्रुव इसके मध्य में स्थित है। इस महाद्वीप का 99' हिस्सा वर्षपर्यन्त बर्फ से ढंका रहता है। यहाँ की भूमि पूरी तरह बंजर है।

यूरोप - क्षेत्रफल-10,505,000 वर्ग किमी. यूरोप एकमात्र ऐसा महाद्वीप है जहाँ जनसंख्या घनत्व अधिक होने के साथ-साथ समृद्धता भी है। यहाँ वन, खनिज, उपजाऊ मिट्टी व जल बहुतायत में है। यूरोप के महत्वपूर्ण खनिज संसाधन कोयला, लौह अयस्क, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस हैं।

ऑस्ट्रेलिया- क्षेत्रफल - 8,503,000 वर्ग किमी. यह एकमात्र देश है जो सम्पूर्ण महाद्वीप पर स्थित है। यह देश पादपों, वन्यजीवों व खनिजों के मामले में समृद्ध है लेकिन जल की यहाँ काफी कमी है।

महाद्वीपों के आंकड़ेनामभूमि क्षेत्रफल का प्रतिशतक्षेत्रफल वर्ग किमी. मेंजनसंख्या (करोड़ में)एशिया29.544,614,000387.9अफ्रीका20.030,216,00087.7उत्तर अमेरिका16.324,230,00050.1दक्षिण अमेरिका11.817,814,00037.9यूरोप6.510,505,00072.7ऑस्ट्रेलिया5.28,503,0003.2अंटार्कटिका9.614,245,000-

पृथ्वी का भूगर्भिक इतिहास

वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी की आयु लगभग 4.6 अरब वर्ष है। पृथ्वी के सम्पूर्ण भूगर्भिक इतिहास को निम्नलिखित कल्पों (Eras) में विभाजित किया जा सकता है-

पूर्व कैम्ब्रियन (Pre Cambrian Era) - इसी काल से पृथ्वी की शुरुआत हुई। यह कल्प लगभग 57 करोड़ वर्ष पूर्व समाप्त हुआ। इस कल्प के दौरान भूपर्पटी, महाद्वीपों व महासागरों इत्यादि का निर्माण हुआ और जीवन की उत्पत्ति भी इसी काल के दौरान हुई।

पुराजीवी काल (Palaeozoic Era)- 57 करोड़ वर्ष पूर्व से 22.5 करोड़ वर्ष तक विद्यमान इस कल्प में जीवों एवं वनस्पतियों का विकास तीव्र गति से हुआ। इस कल्प को निम्नलिखित शकों (Periods) में विभाजित किया गया है-

  • कैम्ब्रियन (Cambrian)
  • आर्डोविसियन (Ordovician)
  • सिल्यूरियन (Silurian)
  • डिवोनियन (Divonian)
  • कार्बनीफेरस (Carboniferous)
  • पर्मियन (Permian)

मेसोजोइक कल्प (Mesozoic era)- इस कल्प की अवधि 22.5 करोड़ से 7 करोड़ वर्ष पूर्व तक है। इसमें रेंगने वाले जीव अधिक मात्रा में विद्यमान थे। इसे तीन शकों में विभाजित किया गया है-

  • ट्रियासिक (Triassic)
  • जुरासिक (Jurassic)
  • क्रिटैशियस (cretaceous)


सेनोजोइक कल्प (Cenozoic era)- इस कल्प का आरंभ आज से 7.0 करोड़ वर्ष पूर्व हुआ था। इस कल्प में ही सर्वप्रथम स्तनपायी जीवों का आविर्भाव हुआ। इस युग को पाँच शकों में विभाजित किया गया है-

  • पैलियोसीन (Paleocene)
  • इयोसीन (Eocene)
  • ओलिगोसीन (Oligocene)
  • मायोसीन (Miocene)
  • प्लायोसीन (Pliocene)

इस युग में हिमालय, आल्प्स, रॉकीज, एण्डीज आदि पर्वतमालाओं का विकास हुआ।

नियोजोइक या नूतन कल्प (Neozoic Era) - 10 लाख वर्ष पूर्व से वर्तमान समय तक चलने वाले इस कल्प को पहले चतुर्थक युग (Quaternary Epoch) में रखकर पुन: प्लीस्टोसीन हिमयुग (Pleistocene) तथा वर्तमान काल जिसे होलोसीन (Holocene) कहा जाता है, में वर्गीकृत किया जाता है।

पर्वत
पर्वत धरातल के ऐसे ऊपर उठे भागों के रूप में जाने जाते हैं, जिनका ढाल तीव्र होता है और शिखर भाग संंकुचित क्षेत्र वाला होता है। पर्वतों का निम्नलिखित चार भागों में वर्गीकरण किया जाता है-
मोड़दार पर्वत (Fold Mountains) - पृथ्वी की आंतरिक शक्तियों द्वारा धरातलीय चट्टानों में मोड़ या वलन पडऩे के परिणामस्वरूप बने हुए पर्वतों को मोड़दार अथवा वलित पर्वत कहते हैं। उदाहरण- यूरोप के आल्प्स, दक्षिण अमेरिका के एण्डीज व भारत की अरावली शृंखला।

अवरोधी पर्वत या ब्लॉक पर्वत (Block Mountains)- इन पर्वतों का निर्माण पृथ्वी की आंतरिक हलचलों के कारण तनाव की शक्तियों से धरातल के किसी भाग में दरार पड़ जाने के परिणामस्वरूप होता है। उदाहरण- यूरोप में ब्लैक फॉरेस्ट तथा वासगेस (फ्रांस) एवं पाकिस्तान में साल्ट रेंज।

ज्वालामुखी पर्वत (Volcanic) - इन पर्वतों का निर्माण ज्वालामुखी द्वारा फेंके गए पदार्थों से होता है। उदाहरण- हवाई द्वीप का माउंट माउना लोआ व म्यांमार का माउंट पोपा ।

अवशिष्ट पर्वत (Residual Mountains) - इनका निर्माण विभिन्न कारकों द्वारा अपरदन से होता है। उदाहरण- भारत के अरावली, नीलगिरि आदि।

पृथ्वी के तीन प्रत्यय क्या है?

भूपर्पटी, भूप्रवार, और क्रोड़ पृथ्वी की तीन परतों के नाम हैं| पृथ्वी की सबसे ऊपरी परत एक ठोस परत है, मध्यवर्ती परत अत्यधिक गाढ़ी परत है और बाह्य क्रोड तरल तथा आतंरिक क्रोड ठोस अवस्था में है।

पृथ्वी की तीन मुख्य परतें कौन कौन सी है?

Solution : पृथ्वी की तीन परतों के नाम हैं-1. भूपर्पटी, 2. प्रवार, 3. क्रोड।

पृथ्वी की कितनी परतें होती हैं?

Layers of Earth: धरती की चार सतहें मानी जाती हैं। इनमें से सबसे अंदर की परत Inner Core के अंदर एक और परत हो सकती है। लोहे की बनावट में अंतर के आधार पर यह संभावना जताई गई है। अभी तक माना जाता रहा है कि धरती के अंदर चार परतें होती हैं- क्रस्ट, मैंटल, बाहरी कोर और अंदरूनी कोर।

पृथ्वी की त्रिज्या क्या है?

6,371 कि.मी.पृथ्वी / त्रिज्याnull