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Published in JournalYear: Feb, 2019 Article Details
किसी भी राष्ट्र की पहचान उसके भाषा और उसके संस्कृति से होती है और पूरे विश्व में हर देश की एक अपनी भाषा और अपनी एक संस्कृति है, जिसकी छांव में उस देश के लोग पले बढ़े होते हैं, यदि कोई देश अपनी मूल भाषा छोड़ दूसरे की भाषा में आश्रित होता है, तो उसे सांस्कृतिक रूप से
गुलाम कहते हैं। हमारे देश की मूल भाषा हिंदी है किंतु अंग्रेजों की गुलामी के बाद से ही उन्होंने न सिर्फ हमारे देश में शासन किया बल्कि अंग्रेजी ने हमारी भाषा हिंदी पर अपना पूरा अधिपत्य जमा लिया। भारत देश को आजाद हो गया, लेकिन हिंदी भाषा पर अंग्रेजी भाषा का आज भी अधिपत्य कायम है। अक्सर अपने देश के लोगों के मुंँह से यह सुनते हुए पाया गया है कि हमारी हिंदी थोड़ी कमजोर है, इसके कहने का मतलब साफ़-साफ़ समझ आता है कि उनकी अंग्रेजी हिंदी के मुताबिक ज्यादा अच्छी है और यदि कोई भूल से भी कह दे कि हमारी
अंग्रेजी थोड़ी सी कमजो़र है, तो लोग उसे कम पढ़ा-लिखा समझते हैं। क्या यह सही है कि किसी भाषा पर हमारी पकड़ अच्छी नहीं है, तो हम उसे अनपढ़ मान लेंगे। किंतु हमारे देश के आज यही विडंबना है। भारत में अनेक भाषाएंँ बोली जाती हैं। हमारे देश में इतनी भाषाएंँ हैं कि यह कहावत कही गई है। “कोस कोस पर बदले पानी और चार कोस पर वानी।”अर्थात् हमारे देश में हर एक कोश की दूरी में पानी का स्वाद बदल जाता है और 4 कोश की दूरी पर भाषा यानी वाणी भी बदल जाती है लेकिन इन सभी भाषाओं में सबसे अधिक भाषा बोली जाने वाली हिंदी है। विश्व की सबसे उन्नत भाषाओं में हिंदी सबसे विकसित एवं व्यवस्थित भाषा है अर्थात् हम जो हिंदी में लिखते हैं, वही पढ़ते हैं और वही बोलते हैं। हिंदी भाषा में सबसे सरल और लचीली भाषा है। हिंदी बोलना और समझना बहुत ही आसान है। हिंदी भाषा की मूल शब्दों में लगभग ढाई लाख शब्द है या फिर इससे अधिक और हिंदी भाषा की यही विशेषता है कि देसी बोले जाने वाली बोलियों के शब्दों को अपने आप में आत्मसात कर लेती है। हिंदी भाषा इतनी अधिक महत्वपूर्ण है कि बिना हिंदी के इंटरनेट में जुड़े लोगों को इंटरनेट से नहीं जोड़ा जा सकता है। और जब भी कोई कार्य अपनी मूल भाषा में तो उसे समझना अधिक आसान हो जाता है। इंटरनेट की दुनिया भी हिंदी को अपने आधिकारिक भाषा के रूप में अपना चुका है। जिससे हर भारतीय इंटरनेट से जुड़ जाए। सही अर्थों में कहा जाए तो अगर हम अपने मूल भाषा हिंदी का प्रचार प्रसार करें तो निश्चित ही विविधता वाले भारत को अपने हिंदी भाषा के माध्यम से एकता में जोड़ा जा सकता है। हिंदी के महत्व को समझते हुए प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। हिंदी दिवस एक ऐसा अवसर होता है, जिसके माध्यम से सभी भारतीयों को एकता के सूत्र में बांँधा जा सकता हैै।
Article shared by : राष्ट्रभाषा हिन्दी पर निबन्ध | Essay on Hindi : Our National Language in Hindi! 1. भूमिका:राष्ट्रभाषा का अर्थ है राष्ट्र की भाषा (Language of the nation) । अर्थात् ऐसी भाषा, जिसका प्रयोग देश की हर भाषा के लोग आसानी से कर सकें, बोल सकें और लिख सकें । हमारे देश की ऐसी भाषा है हिन्दी । आजादी के पहले अंग्रेजी सरकार ने अंग्रेज के माध्यम से सारा काम चलाया किन्तु अपने देश में सबके लिए एक भाषा का होना आवश्यक है, ऐसी भाषा जो अपने देश की हो । वह भाषा केवल हिन्दी ही है । 2. विशेषताए:हिन्दी को संस्कृत की बड़ी बेटी कहते हैं । हिन्दी का प्रमुख गुण यह है कि यह बोलने, पढ़ने, लिखने में अत्यंत सरल है । हिन्दी के प्रसिद्ध विद्वान जॉर्ज ग्रियर्सन ने कहा है कि हिन्दी व्याकरण के मोटे नियम केवल एक पोस्टकार्ड पर लिखे जा सकते हैं । संसार के किसी भी देश का व्यक्ति कुछ ही समय के प्रयत्न से हिन्दी बोलना और लिखना सीख सकता है । इसकी दूसरी विशेषता है कि यह भाषा लिपि (Script) के अनुसार चलती है । इसमें जैसा लिखा जाता है, वैसा ही बोला जाता है । इसकी सबसे बड़ी विशेषता है कि संसार की लगभग सभी भाषाओं के शब्द इसमें घुलमिल सकते हैं । कुर्सी, आलमारी, कमीज, बटन, स्टेशन, पेंसिल, बेंच आदि अनगिनत शब्द हैं जो विदेशी भाषाओं से आकर इसके अपने शब्द बन गए हैं । हिन्दी संसार के अनेक विश्वविद्यालयों (Univercities) में पढ़ाई जाती है और इसका साहित्य (Literature) भी विशाल है । इसके अलावा, हिन्दी ने देश में एकता लाने में बड़ी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है । उत्तर से लेकर दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक, भारत के अधिकतर विद्वानों ने भारत की एकता और अखंडता (Unity and Integrity) के लिए हिन्दी का समर्थन किया है । 3. बाधाएँ:इतने अधिक गुणों से भरपूर होकर भी हिन्दी आज अंग्रेजी के पीछे क्यों चल रही है ? इसका सबसे बड़ा कारण है ऊँचे पदों पर बैठे व्यक्ति जो अंग्रेजी के पुजारी हैं वे सोचते हैं कि अंग्रेजी न रही तो देश पिछड़ जाएगा । अंग्रेजी देश की अधिकतर जनता के लिए कठिन है, इसलिए वे जनता पर इसके माध्यम से अपना रौब रख सकते हैं । दूसरा कारण है- क्षेत्रीय भाषाओं (Regional Languages) के मन में बैठा भय । उन्हें लगता है कि यदि हिन्दी अधिक बड़ी तो क्षेत्रीय भाषाएँ पीछे रह जाएँगी । वास्तव में ये दोनों विचार गलत हैं । ऊँचे पदों पर बैठे अधिकारी हिन्दी के माध्यम से देश की अधिक सेवा कर सकते हैं और जनता का प्रेम पा सकते हैं । आज अंग्रेजी क्षेत्रीय भाषाओं को पीछे धकेल (Push) रही है जबकि हिन्दी की प्रकृति (Nature) किसी को पीछे करने की नहीं, बल्कि मेलजोल की है । यदि हिन्दी का विकास होता है, तो क्षेत्रीय भाषाओं का भी विकास होगा । 4. उपसंहार:भारत की भूमि पर जन्म लेने के नाते हमारा यह कर्त्तव्य है कि हम भारत की भाषाओं के विकास पर बल दें और हिन्दी का विकास करके सभी भाषाओं को जोड़ने का प्रयास करें । तभी हिन्दी सचमुच राष्ट्रभाषा बन पाएगी । राष्ट्रीय भाषा क्या है अपने शब्दों में लिखें?राष्ट्रभाषा हिंदी:-
किसी भी देश के अधिकतर निवासियों द्वारा बोली एवं समझी जाती है, वह राष्ट्रभाषा कहलाती है। प्रत्येक राष्ट्र की कोई न कोई राष्ट्रभाषा अवश्य होती है, भाषा ही है जो सम्पूर्ण राष्ट्र को एकता के सूत्र में बांधकर रखती है। उनमें राष्ट्रीयता का भाव जागृत करती है।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है क्या?हिंदी हमारी मातृभाषा है और यह राष्ट्रभाषा के रूप में कहीं भी पंजीकृत नहीं है। वास्तव में भारत की कोई आधिकारिक राष्ट्रीय भाषा नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 343 के खंड (1) के अनुसार देवनागरी लिपि में लिखित हिंदी संघ की राजभाषा है।
हिंदी को राष्ट्रभाषा क्यों कहते हैं?साल 1918 में महात्मा गांधी जी ने हिन्दी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने को कहा था। इसे गांधी जी ने जनमानस की भाषा भी कहा था। साल 1950 में हिंदी को संघीय भारत की आधिकारिक भाषा का दर्जा मिला था। जिसके बाद हिन्दी भाषा का उपयोग भारत के सभी सरकारी काम-काजों में अधिकारिक भाषा के रूप में किया जाने लगा।
राष्ट्रभाषा पर निबंध कैसे लिखें?हिन्दी विश्व में बोली जाने वाली प्रमुख भाषाओं में से एक है। विश्व की प्राचीन, समृद्ध और सरल भाषा होने के साथ-साथ हिन्दी हमारी 'राष्ट्रभाषा' भी है। वह दुनियाभर में हमें सम्मान भी दिलाती है। यह भाषा है हमारे सम्मान, स्वाभिमान और गर्व की।
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