संकष्टी चतुर्थी का व्रत कैसे करते हैं? - sankashtee chaturthee ka vrat kaise karate hain?

Sankashti Chaturthi Vrat 2022: संकष्टी चतुर्थी के दिन अगर गणेश जी का विधि-विधान से पूजन किया जाए तो जीवन में आ रहे सभी विघ्न समाप्त होते हैं.

संकष्टी चतुर्थी का व्रत कैसे करते हैं? - sankashtee chaturthee ka vrat kaise karate hain?

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Sankashti Chaturthi Vrat 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार आज यानि 12 नवंबर को संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जा रहा है और इस व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित है और इस दिन उनका पूरे विधि-विधान के साथ पूजन किया जाता है. कहते हैं संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से भक्तों के सभी संकट दूर होते हैं और हर मनोकामना पूर्ण होती है. आइए जानते हैं कि आज संकष्टी चतुर्थी की पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि.

संकष्टी चतुर्थी 2022 शुभ मुहूर्त

इस संकष्टी चतुर्थी को गणाधिप संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है और इस दिन भगवान गणेश जी का पूजन किया जाता है. पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 8 बजकर 2 मिनट पर से लेकर सुबह 9 बजकर 23 मिनट तक रहेगा. इसके अलावा दोपहर 1 बजकर 26 मिनट से लेकर शाम 4 बजकर 8 मिनट तक भी पूजा के लिए उत्तम समय है.

चंद्रोदय का खास महत्व

संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान ​गणेश जी का पूजन किया जाता है और उन्हें प्रसन्न करने के लिए भक्तजन व्रत-उपवास भी करते हैं. दिनभर व्रत करने के बाद रात के समय व्रत खोला जाता है. इस दिन चंद्रोदय का विशेष महत्व होता है क्योंकि रात्रि के समय चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत खोला जाता है. इस बार गणाधिश संकष्टी चतुर्थी के दिन रात को 8 बजकर 21 मिनट पर चंद्रोदय होगा.

संकष्टी चतुर्थी पूजन विधि

अगर आप संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत कर रहे हैं तो इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें. इसके बाद एक चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं और उस पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें. फिर हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प करें और पूजा शुरू करें. विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी के दिन भर व्रत करती हैं और चंद्रोदय के बाद व्रत खोलती हैं. पूजा करते समय गणेश जी को लड्डुओं को भोग लगाना न भूलें. उनके समक्ष अक्षत, धूप-दीप जलाएं और फिर आरती करें. व्रत की कथा पढ़ना ना भूलें. पूजन में गणेशजी को तिल, गुड़, लड्डू, दूर्वा और चंदन चढ़ाएं. इस दिन जो लोग व्रत करते हैं, वह दिन भर केवल फलाहार ग्रहण करते हैं. रात में चंद्रमा को अर्घ्य देकर गणेश जी का भोग निकालें और व्रत खोलें.

डिस्क्लेमर: यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं. India.Com इसकी पुष्टि नहीं करता. इसके लिए किसी एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें.

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अंगार संकष्टी चतुर्थी व्रत 2022 पूजा विधि महत्व

By

Karnika

-

April 19, 2022

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अंगार संकष्टी चतुर्थी व्रत 2022, पूजा विधि महत्व (Angarika Sankashti Chaturthi Vrat pooja vidhi mahatv in hindi)

माता पार्वती के पुत्र गणपति को पूरी दुनिया में प्रथम पूजनीय का दर्जा प्राप्त है. कोई भी शुभ कार्य के लिए सबसे पहले गणेश जी की ही आराधना की जाती है. गणेश जी संकटमोचन, विघ्नहर्ता है. कहते है कोई भी परेशानी, तकलीफ, संकट में इनकी आराधना करने से परेशानियों का अंत हो जाता है. गणेश जी का व्रत बहुत फलदायी होता है, ये हर चतुर्थी को रखा जाता है. हिन्दू पंचाग के अनुसार हर महीने में 2 चतुर्थी आती है – विनायक चतुर्थी और संकष्टी चतुर्थी.

हर महीने के शुक्ल पक्ष के चौथे दिन विनायक चतुर्थी आती है, एवं हर महीने के कृष्ण पक्ष के चौथे दिन संकष्टी चतुर्थी आती है. संकष्टी चतुर्थी का व्रत भारत में महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, पश्चिमी व दक्षिणी भारत में विशेष रूप से मनाया जाता है. संकष्टी चतुर्थी को संकट चौथ, संकटहरा चतुर्थी और गणेश संकष्टी चौथ भी कहते है.

Table of Contents

  • कब मनाई जाती है संकष्टी चतुर्थी ? (Sankashti chaturthi Vrat 2022)
    • संकष्टी चतुर्थी व्रत 2022 तारीख  व समय क्या है? (Sankashti chaturthi Vrat dates with Moonrise timings )
    • संकष्टी चतुर्थी महत्त्व (Sankashti Chaturthi vrat importance) 
    • संकष्टी चतुर्थी व्रत पूजा विधि (Sankashti Chaturthi vrat  pooja vidhi in hindi)
    • संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा (Sankashti Chaturthi vrat katha)
    • संकष्टी चतुर्थी व्रत उपवास खाना (Sankashti Chaturthi vrat fasting food) 
    • संकष्टी चतुर्थी व्रत के दौरान इन मंत्रो का उच्चारण करें
    • अंगारकी संकष्टी चतुर्थी (Angarki sankashti chaturthi)
    • अंगारकी संकष्टी चतुर्थी 2022 में कब है (Angarki sankashti chaturthi Date)
    • अंगारकी संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि (Angarika sankashti chaturthi puja vidhi)
    • अंगारकी संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा व कहानी (Angarki sankashti chaturthi story)
    • अंगार की संकष्टी चतुर्थी का महत्व (Angarika sankashti chaturthi importance)
    • अंगारकी संकष्टी चतुर्थी व्रत (Angarika sankashti chaturthi vrat) 
    • अंगारकी संकष्टी चतुर्थी मनाने का तरीका (Angarika sankashti chaturthi celebration)

कब मनाई जाती है संकष्टी चतुर्थी ? (Sankashti chaturthi Vrat 2022)

वैसे कुछ लोग हर महीने की संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखते है, लेकिन हिन्दू मान्यता के अनुसार भादों माह की संकष्टी चतुर्थी का बहुत महत्व है. क्योकि भादों माह की आने वाली संकष्टी चतुर्थी को बहुला चौथ कहा जाता है, जिसका हिन्दू धर्म में बहुत महत्व है. बहुला चौथ व्रत पूजा विधि एवं कथा यहाँ पढ़ें. साथ ही भादों माह में आने वाली विनायक चतुर्थी देश भर में गणेश जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है, जिसे गणेश चतुर्थी भी कहते है.

संकष्टी चतुर्थी व्रत 2022 तारीख  व समय क्या है? (Sankashti chaturthi Vrat dates with Moonrise timings )

दिनांकचतुर्थी21 जनवरीसंकष्टी चतुर्थी20 फरवरीसंकष्टी चतुर्थी21 मार्चसंकष्टी चतुर्थी19 अप्रैलअंगारकी चतुर्थी19 मईसंकष्टी चतुर्थी17 जूनसंकष्टी चतुर्थी16 जुलाईसंकष्टी चतुर्थी15 अगस्तसंकष्टी चतुर्थी30 अगस्तसंकष्टी चतुर्थी13 सितंबरअंगारकी चतुर्थी13 अक्टूबरसंकष्टी चतुर्थी12 नवम्बरसंकष्टी चतुर्थी11 दिसम्बरसंकष्टी चतुर्थी

संकष्टी चतुर्थी महत्त्व (Sankashti Chaturthi vrat importance) 

संकष्टी नाम से ही पता चलता है, इसका मतलब है संकट हरने वाली. इस व्रत के रहने से किसी भी तरह की परेशानी दूर होती है, जीवन में सुख शांति आती है. इस व्रत को कोई भी गणेश जी का विश्वासी रख सकता है. इस व्रत को रखने वाले को अच्छी बुद्धि, जीवन में सुख सुविधा मिलती है.

संकष्टी चतुर्थी व्रत पूजा विधि (Sankashti Chaturthi vrat  pooja vidhi in hindi)

  • सूर्योदय के पहले उठकर स्नान कर लें. इस दिन पूरा दिन का उपवास रखा जाता है, शाम की पूजा के बाद भोजन ग्रहण करते है.
  • स्नान के बाद गणेश जी की पूजा आराधना करें, गणेश जी के मन्त्र का उच्चारण करें.
  • पूरा दिन बिना पानी व खाने के उपास रखा जाता है, जो ये कठिन उपवास नहीं कर सकते हैं, वे दिन में साबूदाना, आलू मूंगफली, मिठाई खा सकते है.
  • शाम को चंद्रोदय के बाद पूजा की जाती है, अगर बादल के चलते चंद्रमा नहीं दिखाई देता है तो, पंचाग के हिसाब से चंद्रोदय के समय में पूजा कर लें.
  • शाम की पूजा के लिए गणेश जी की मिट्टी की मूर्ति बनायें. गणेश जी के बाजु में दुर्गा जी की भी फोटो रखें, इस दिन दुर्गा जी की पूजा बहुत जरुरी मानी जाती है.
  • इसे धुप, दीप, अगरबत्ती, फूल से सजाएँ. प्रसाद में केला, नारियल रखें.
  • साथ ही गणेश जी के प्रिय मोदक बनाकर रखें. इस दिन गुड़ व तिली के मोदक बनाये जाते है.
  • गणेश जी के मन्त्र का जाप करते हुए कुछ मिनट का ध्यान करें व कथा सुने, फिर आरती करके, प्राथना करें.
  • इसके बाद चन्द्रमा की पूजा करें उसे जल अर्पण कर, फूल, चन्दन चढ़ाएं. चन्द्रमा की दिशा में चावल चढ़ाएं.
  • पूजा समाप्ति के बाद प्रसाद सबको वितरित किया जाता है.
  • गरीबों को दान भी किया जाता है.

संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा (Sankashti Chaturthi vrat katha)

शिव पार्वती एक बार नदी किनारे बैठे हुए थे. पार्वती को चोपड़ खेलने का मन किया, उस समय उन दोनों के अलावा वहां कोई नहीं था, तो खेल में हार जीत का फैसला कौन करेगा यह सोच कर, पार्वती ने मिट्टी, घास से एक मूरत बनाई और उसमें जान फूंक दी. उन्होंने उस बालक से बोला कि तुम खेल का फैसला करना. खेल शुरू हुआ 3-4 बार खेलने के बाद हर बार जीत पार्वती की हुई, लेकिन भूलवश बालक ने शिव का नाम ले लिया. पार्वती जी क्रोधित होकर उसे लंगड़ा बना देती है. बालक उनसे माफ़ी मांगता है, और उपाय पूछता है. ममतामयी माता पार्वती उसे बताती है कि संकष्टी चतुर्थी के दिन यहाँ कुछ कन्यायें गणेश की पूजा करने आती है, तुम उनसे व्रत की पूजा विधि पूछना और इस व्रत को श्रद्धापूर्वक रखना.

कुछ समय बाद संकष्टी व्रत के दिन वहां कन्यायें आती है, जिनसे वो बालक व्रत की विधि पूछकर व्रत रखता है. व्रत के कुछ समय बाद गणेश जी उसे दर्शन देकर वरदान मांगने को बोलते है. बालक अपने माता पिता शिव पार्वती के पास जाने को बोलता है. गणेश जी तथास्तु बोलकर चले जाते है. बालक तुरंत शिव के पास पहुँच जाता है. उस समय पार्वती शिव से रूठकर कैलाश छोड़ कर चली जाती है. शिव उस बालक से श्राप मुक्त कैसे हुआ ये पूछते है. वो सब बताता है, तब शिव भी पार्वती को वापस बुलाने के लिए यह व्रत रखते है. कुछ समय बाद पार्वती का मन में अचानक से वापस जाने की बात आ जाती है, और वे खुद वापस कैलाश आ जाती है. इस तरह ये कथा ये बताती है कि गणेश व्रत किस तरह हमारी मनोकामना पूरी होती है और सारे संकट दूर होते है.

संकष्टी चतुर्थी व्रत उपवास खाना (Sankashti Chaturthi vrat fasting food) 

संकष्टी व्रत में अन्न नहीं खाया जाता है, इस व्रत में दिन में फल, जूस, मिठाई बस खाया जाता है. शाम को पूजा के बाद फलाहार जिसमें साबूदाना खिचड़ी, राजगिरा का हलवा, आलू मूंगफली, सिंघाड़े के आटे का समान खा सकते है. व्रत वाले खाने को सेंधा नमक में बनाया जाता है. व्रत में मिट्टी के अंदर, जड़ वाली सब्जी खा सकते है.

गणेश जी को मनाना बहुत आसान होता है, वे बहुत सीधे और जल्दी प्रसन्न होने वाले भगवन है. गणेश जी बुद्धि के भी देवता है, उन्हें अत्याधिक ज्ञान था. पढाई करने वाले बच्चे का गणेश जी की आराधना करने से अच्छी बुद्धि मिलती है.

संकष्टी चतुर्थी व्रत के दौरान इन मंत्रो का उच्चारण करें

संकष्टी चतुर्थी का व्रत कैसे करते हैं? - sankashtee chaturthee ka vrat kaise karate hain?

अंगारकी संकष्टी चतुर्थी (Angarki sankashti chaturthi)

अगर संकष्टी चतुर्थी मंगलवार के दिन आती है, तो इसे बहुत मान्यता दी जाती है, इसे अंगारकी संकष्टी चतुर्थी कहते है. सभी संकष्टी चतुर्थी में इसे विशेष महत्त्व दिया जाता है. इस दिन का मराठी संस्कृति के अनुयायियों के लिए बहुत महत्व है, और इस त्यौहार का जश्न विशेष रूप से भारत के पश्चिमी क्षेत्रों में प्रसिद्ध है. महाराष्ट्र में, अंगारकी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश जी के मंदिर में विशेष व्यवस्था की जाती है. ‘अंगारकी’ संस्कृत मूल का एक शब्द है जिसका अर्थ होता है.’जला हुआ कोयला जैसे लाल’. हिन्दू भक्तों का ढृढ़ विश्वास है कि भगवान् गणेश की पूजा करके और उनके लिए उपवास रखकर उन्हें अपनी सारी इच्छाओं को पूरा करने में मदद मिलेगी.

अंगारकी संकष्टी चतुर्थी 2022 में कब है (Angarki sankashti chaturthi Date)

इस साल अंगारकी संकष्टी चतुर्थी 19 अप्रैल और 13 सितंबर को है. जिनमे से माघ माह की अंगारकी संकष्टी चतुर्थी का बहुत महत्व है. 19 अप्रैल  दिन मंगलवार को आने वाली संकष्टी को विकटा संकष्टी, 13 सितंबर दिन मंगलवार वाली संकष्टी को गजानना संकष्टी की अंगार संकष्टी को अखुरथा संकष्टी भी कहते है.

अंगारकी संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि (Angarika sankashti chaturthi puja vidhi)

अंगारकी संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि की तरह ही है. यह मंगलवार के दिन पड़ने की वजह से इसका बहुत महत्व है.

अंगारकी संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा व कहानी (Angarki sankashti chaturthi story)

हिन्दू पौराणिक एक कथा के अनुसार, ऋषि भारद्वाज और माता पृथ्वी का एक पुत्र अंगारक एक महान ऋषि और भगवान् गणेश के परम भक्त थे. उन्होंने भगवान् गणेश की पूजा की और उनसे आशीर्वाद माँगा. माघ कृष्ण चतुर्थी (मंगलवार का दिन) पर, भगवान् गणेश जी ने उन्हें आशीर्वाद दिया और उन्होंने उनसे वरदान मांगने को कहा. उन्होंने अपनी इच्छा व्यक्त की कि उनका नाम हमेशा के लिए भगवान् गणेश के नाम के साथ जुड़ जाये. भगवान् गणेश ने उन्हें तथास्तु कह कर उनकी इच्छा पूरी करते हुए कहा कि कृष्ण पक्ष की चतुर्थी में से मंगलवार के दिन पड़ने वाली चतुर्थी अंगारकी चतुर्थी के नाम से जानी जाएगी. और इस दिन जो भी व्यक्ति व्रत रखता है और गणेश जी पूजा कर जो भी प्रार्थना करता है वह पूरी हो जाएगी. इसलिए हर महीने की संकष्टी चतुर्थी में से मंगलवार को पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी अंगारकी चतुर्थी कहलाती है.

अंगार की संकष्टी चतुर्थी का महत्व (Angarika sankashti chaturthi importance)

अंगारकी संकष्टी चतुर्थी के महत्व और अनुष्ठान का ‘गणेश पूरण’ और ‘स्मृति कौस्तूभ’ जैसे धर्मिक ग्रंथों में उल्लेख किया गया है. गणेश जी के भक्तों में इस दिन का महत्व खुशहाल और समृद्ध जीवन, और गणेश जी के आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए बहुत अधिक है. हिन्दू पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान् गणेश को सभी बाधाओं को दूर करने के लिए बुद्धिमत्ता और सर्वोच्च स्थान पर माना जाता है. इस प्रकार भगवान गणेश की पूजा करने से लोगों को बाधाओं को दूर करने और उनके जीवन में समस्याओं को कं करने में मदद मिलेगी. अंगारकी चतुर्थी छः माह में एक बार आती है और इसे बेहद उत्साह और समर्पण के साथ मनाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति इस अंगारकी चतुर्थी का व्रत रखते है उन्हें पूरे वर्ष की संकष्टी चतुर्थी का लाभ प्राप्त हो जाता है.  

अंगारकी संकष्टी चतुर्थी व्रत (Angarika sankashti chaturthi vrat) 

भक्त भगवान गणेश को खुश करने के लिए सुबह से दिन के अंत तक उपवास रखते है. उपवास सूर्योदय  से शुरू होकर शाम को चाँद देखने के बाद समाप्त होता है. पूरे दिन बिना भोजन का एक भी अनाज का दाना खाए व्यतीत करना पड़ता है. किन्तु कुछ लोग आंशिक रूप से भी उपवास रखते है जिसमे फल व साबूदाना खिचड़ी शामिल हो सकती है. उपवास के समय शराब, तम्बाकू और इस तरह की हानिकारक चीजों का सेवन वर्जित होता है. अंगारकी संकष्टी चतुर्थी का व्रत चाँद को देखने और गणेश पूजा के बाद समाप्त होता है. भक्त भी गणेश जी के लिए ‘आर्ग्य’ प्रदान करते है और फिर शुद्ध शाकाहारी भोजन कर अपना उपवास तोड़ते हैं. इस तरह अंगारकी संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है. नवरात्रि नाश्ता उपवास व्यंजन रेसिपी यहाँ पढ़ें.    

अंगारकी संकष्टी चतुर्थी मनाने का तरीका (Angarika sankashti chaturthi celebration)

इस दिन भगवान गणेश को समर्पित वैदिक मंत्र का जिक्र किया जाता है. इस दिन चाँद की रौशनी पड़ने से पहले ‘गणपति अथर्वाशेष’ को पढ़ना बहुत फायदेमंद होता है. इस दिन भगवान गणेश की प्रशंसा में भजन और धार्मिक भजन भी गए जाते है. आज के दिन भक्त चंद्र देवता की चंदन के पेस्ट, चांवल और फूलों के साथ पूजा करते हैं. अंगारकी शब्द का अर्थ ‘कोयले की लाल या जलती हुई अंगूठी’ भी होता है इसलिए लाल रंग मंगलवार से जुड़ा होता है. इसलिए भक्त इस दिन लाल रंग के कपड़े पहनते हैं. चूंकि भगवान गणेश बाधाओं को दूर करते हैं. वह लोगों की प्रार्थनाओं के पहले प्राप्तकर्ता हैं. अंगारकी संकष्टी चतुर्थी पर पूर्ण समर्पण के साथ भगवान् गणेश की प्रार्थना कर, कई सपनों और अधूरी इच्छाओं को साकार करने में मदद मिलती है. इस तरह अंगारकी संकष्टी चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है.

सकट चौथ का व्रत कैसे रखते हैं?

सबसे पहले सुबह स्नान कर साफ और धुले हुए कपड़े पहनें। पूजा के लिए भगवान गणेश की प्रतिमा को ईशानकोण में चौकी पर स्थापित करें। चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा पहले बिछा लें। भगवान के सामने हाथ जोड़कर पूजा और व्रत का संकल्प लें और फिर उन्हें जल, अक्षत, दूर्वा घास, लड्डू, पान, धूप आदि अर्पित करें।

संकष्टी चतुर्थी की पूजा कैसे की जाती है?

आइए जानते हैं संकष्टी चतुर्थी की व्रत एवं पूजा विधि व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर भगवान गणेश की पूजा करने के लिए एक छोटी सी चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं और उस पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें। गणेश जी का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें, फिर हाथ में रोल, अक्षत और फूल लेकर मंत्र का जाप करें।

संकष्टी में क्या खाना चाहिए?

व्रत हैं तो दिन के समय हेवी फलाहार कर लें. शरीर में प्रोटीन की कमी पूरी करने के लिए सिंघाड़े की रोटी और पनीर की व्रत वाली सब्जी खा सकते हैं. व्रत के दौरान ये चीजें ऐसी हैं जिन्हें खाना चाहिए, ताकि शरीर अपनी एनर्जी ना खोए. और आप अच्छे से गणेश चतुर्थी के उत्सवों को सेलेब्रेट कर सकें.

हर महीने गणेश चतुर्थी का व्रत कैसे रखें?

* चतुर्थी के दिन व्रत-उपवास रख कर चन्द्र दर्शन करके गणेश पूजन करें। * तत्पश्चात गणेशजी की आरती करें। * विधिवत तरीके से गणेश पूजा करने के बाद गणेश मंत्र 'ॐ गणेशाय नम:' अथवा 'ॐ गं गणपतये नम: की एक माला (यानी 108 बार गणेश मंत्र का) जाप अवश्य करें। * इस दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार गरीबों को दान करें।