बिहार में कौन सा पुल बन रहा है? - bihaar mein kaun sa pul ban raha hai?

स्टोरी हाइलाइट्स

  • एसपी सिंगला कंपनी कर रही है पुल का निर्माण
  • 2019 में पूरा होना था पुल का निर्माण

भागलपुर जिले के सुल्तानगंज में बन रहा पुल शुक्रवार की रात आंधी को नहीं झेल पाया. तेज हवा के चलते निर्माणाधीन पुल का एक हिस्सा गिर गया. पुल का निर्माण 2015 में शुरू किया गया था. पुल की लागत 1711 करोड़ रुपए बताई जा रही है. उधर, घटना की सूचना के बाद मौके पर पहुंचे सुल्तानगंज के जदयू विधायक ललित नारायण मंडल ने कहा कि हमने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस संबंध में जानकारी दी है. जल्द ही जांच शुरू की जाएगी. उन्होंने कहा कि लगता है कि निर्माण के लिए घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया था. 

सिंगला कंपनी कर रही है पुल का निर्माण

जानकारी के मुताबिक, सुल्तानगंज में बन रहे इस फोरलेन पुल का निर्माण 2015 के फरवरी में शुरू किया गया था. 1711 करोड़ रुपए से बन रहे इस पुल का टेंडर एसपी सिंगला कंपनी को मिला है. निर्माणकार्य पूरा होने के बाद पुल बरौनी खगड़िया एनएच 31 और दक्षिण बिहार के मोकामा, लखीसराय, भागलपुर, मिर्जाचौकी एनएच 80 को जोड़ेगा.

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2019 में पूरा होना था पुल का निर्माण

पुल के निर्माण से विक्रमशिला और मुंगेर ब्रिज पर गाड़ियों का दबाव कम होगा. पुल की कुल लंबाई 23 किलोमीटर होगी जिसमें नदी पर पुल की लंबाई 3.16 किलोमीटर है. सुल्तानगंज में पुल की लंबाई 4 किलोमीटर, जबकि खगड़िया जिले में 16 किलोमीटर है. पुल में कुल 31 पिलर हैं. पुल का निर्माण 2019 तक होना था, लेकिन करोना, बाढ़ और भूमि अधिग्रहण के पेंच के कारण अब इसकी डेडलाइन 2022 तय की गई है.

बिहार में कौन सा पुल बन रहा है? - bihaar mein kaun sa pul ban raha hai?

पुल के गिरे हुए हिस्से को देखते स्थानीय जदयू विधायक व अन्य.

बता दें कि सुल्तानगंज में बन रहे इस पुल के बीच में डॉल्फिन देखने के लिए इन हैंगिंग डॉल्फिन ऑब्जर्वेटरी बनाया जा रहा है. पुल के बीच में गाड़ियों का पार्किंग एरिया भी होगा. दर्शक सीढ़ियों से नीचे उतर कर एक बड़े प्लेटफार्म से डॉल्फिन देख सकेंगे. सुल्तानगंज भागलपुर कहलगांव का यह इलाका डॉल्फिन अभयारण्य क्षेत्र घोषित किया गया है, लेकिन ध्वस्त हुए पुल की गुणवत्ता से बिहार सरकार और पुल निर्माण एजेंसी पर बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है.

(रिपोर्ट- राजीव सिद्धार्थ)

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बिहार में शुरू हुआ दुनिया के सबसे लंबे पुल का निर्माण, जानिए

राजधानी गंगा में पटना के कच्ची दरगाह से बिदुपुर तक बनने वाले दुनिया के सबसे लंबे सिक्सलेन पुल का निर्माण शुरू हो गया है। पुल निर्माण का काम 4 वर्षों में पूरा हो जायेगा।

पटना [राज्य ब्यूरो]। राजधानी में गंगा नदी पर बनने वाले दुनिया के सबसे लंबे सिक्सलेन पुल का निर्माण शुरू हो गया। कुल 67 पायों वाले पुल के निर्माण कार्य को चार वर्षों में पूरा करना है। बुधवार को कच्ची दरगाह की तरफ से पुल के पहले पाये का निर्माण शुरू किया गया है। पहला दिन पायों की ढलाई (वेल फाउंडेशन) का काम किया गया। पथ निर्माण निगम के दावे के मुताबिक यह दुनिया में किसी भी नदी पर बनने वाला पहला सबसे लंबा सिक्सलेन पुल होगा।

गंगा पर बनने वाला यह राज्य का पहला सिक्सलेन पुल भी होगा। 9.76 किमी की लंबाई में बनने वाले इस पुल के निर्माण में अत्याधुनिक तकनीक का सहारा लिया जा रहा है। इससे बरसात के दिनों में भी निर्माण कार्य में व्यवधान नहीं आएगा। सिर्फ गंगा के जलस्तर में भारी वृद्धि के बाद ही इसे कुछ दिनों के लिए रोका जा सकता है।
परियोजना के लिए करार 10 फरवरी, 2016 को किया गया था।

इस लिहाज से इसे हर हाल में 2020 तक पूरा करना है। प्रत्येक पाये के निर्माण कार्य को पूरा करने में करीब छह महीने का समय लगेगा। काम को समय पर पूरा करने के लिए प्रत्येक 15 दिनों पर एक नये पाये का निर्माण शुरू कर देना है। प्रत्येक पाये को बनाने में 12 करोड़ रुपये की लागत आएगी।

क्या है विशेषता
पुल की लंबाई 9.76 किमी प्रस्तावित है। पथ निर्माण निगम के दावे के मुताबिक यह दुनिया में किसी भी नदी पर बनने वाला पहला सबसे लंबा सिक्सलेन पुल होगा। अभी तक देश में सबसे लंबा पुल असम-अरुणाचल प्रदेश को जोडऩे वाला ब्रह्मपुत्र पुल है, जिसकी लंबाई 9.15 किमी है। इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी साल 26 मई को किया था।

विदुपुर-कच्ची दरगाह पुल के प्रत्येक स्पन की लंबाई 150 मीटर होगी। पुल के डेक की ऊंचाई गंगा के उच्चतम जलस्तर (हाइएस्ट फ्लड लेवल) से 10 मीटर अधिक होगी। यानि बड़ा से बड़ा जहाज भी पुल के नीचे से पार कर सकता है।

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क्या था लफड़ा
पुल निर्माण शुरू होने में देरी के पीछे जमीन का लफड़ा था। इसकी बाधा दूर हो गई तो काम शुरू कर दिया गया। पुल के लिए 313 एकड़ जमीन की जरूरत है। राज्य सरकार इसके लिए लीज पर जमीन ले रही थी, लेकिन पूरी कवायद के बावजूद जमीन नहीं मिल सकी, जबकि 45 फीसद जमीन मिलने पर ही निर्माण एजेंसी को काम की अनुमति दी जानी थी। ऐसे में आसपास की करीब 56 एकड़ जमीन जो सरकारी है, उसे उपलब्ध कराया गया। अभी एजेंसी को 186 एकड़ जमीन दी जा चुकी है।

पुल की लंबाई : 9.76 किमी
कुल लागत : पांच हजार करोड़
कुल पाये बनने हैं : 67

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Edited By: Ravi Ranjan

बिहार का सबसे लंबा पुल कौन सा है?

सही उत्तर महात्मा गांधी सेतु- गंगा नदी है। महात्मा गांधी सेतु बिहार में नदी पर सबसे लंबा सड़क पुल है।

2022 में भारत का सबसे लंबा पुल कौन सा है?

भूपेन हजारिका सेतु या ढोला - सादिया पुल भारत में असम और अरुणाचल प्रदेश के पूर्वोत्तर राज्यों को जोड़ने वाला एक बीम पुल है। इसकी लंबाई 9.15 किलोमीटर (5.69 मील) है और यह भारत का सबसे लंबा पुल है। The RRB Group D Results are expected to be out on or before 24th December 2022!

पटना में सबसे लंबा पुल कौन सा है?

एशिया का सबसे बड़ा पुल रहा है गांधी सेतु पटना के गायघाट से हाजीपुर तक के लिए लगभग पौने 6 किलोमीटर लंबे इस पुल का उद्घाटन मई महीने में साल 1982 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) ने किया था.

बिहार में कौन सा पुल है?

गांधी सेतु या गंगा सेतु दक्षिण में पटना को बिहार के उत्तर में हाजीपुर से जोड़ने वाली गंगा नदी पर एक पुल है। इसकी लंबाई 5,575 मीटर (18,291 फीट) है और यह भारत में सबसे लंबा नदी पुल है