तानसेन का रियल नाम क्या था? - taanasen ka riyal naam kya tha?

Tansen Biography in Hindi – भारत देश में समय समय पर बहुत ही प्रतिभाशाली मनुष्यों का जन्म होता रहा है। अलग अलग प्रतिभा रखने वाले प्रतिभाशाली लोग यहां पर रहे हैं। जिनमें से कईओं ने शस्त्र कईओं ने शास्त्र विद्या हासिल की तो कई विद्वान संगीत  के धनी निकले। 

संगीत भी अपने आप में परिपूर्ण  कला है। एक ऐसी कला जो संगीत सुनने वाले और गायन या वादन करने वाले के कानों से होते हुए हृदय तक जाती है और तृप्त कर देती है।  यह एक ऐसी कला है जिसे एक दिन में नहीं सीखा जा सकता , इसमें महारत हासिल करने के लिए कई दशकों के अभ्यास की जरूरत होती है। 

संगीत की एक मात्र ऐसा ज़रिया है जिससे हम अपने दिल की बात को निश्चिन्त होकर दूसरे के आगे पेश कर सकते हैं , जो भाव   हम बोल कर प्रकट नहीं कर पाते , संगीत उसे आसानी से पेश कर देता है। ऐसा भी माना जाता है के संगीत सीधा भगवान से निकला है।  जो भी हम प्रार्थना करते हैं , भगवान की अर्चना करते हैं वो सँगीतिक रूप में ही करते हैं क्योंकि संगीत ही एक मात्र साधन है भगवान से जुड़ने का। 

संगीत सीखने के लिए एक गुरु की जरूरत होती है जो संगीत की बारीकियां जाने और अपने शिष्य को भी वो विद्या दे सके। भारत में शास्त्रीय संगीत की शुरुआत हुई।  हज़ारों साल पहले से ही भारतीय किसी न किसी तरीके से संगीत से जुड़े हुए थे , बेशक वो महाकाव्य की शक्ल में हो या भगवान की पूजा अर्चना की शक्ल में। 

संगीत शुरू से ही हमारे रक्त और विरासत में है।  संगीत सुनना हर किसी को पसंद होता है।  भारतीय   संगीत का जादू न सिर्फ भारत   में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी चला है।  यहां राज करने आए राजाओं ने भी भारतीय संगीत के जादू को महसूस किया है। 

 भारत पर मुग़लों के कई सदियों तक राज किया और मुग़लों के राजाओं में से अकबर सबसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय राजा हुए। 

तानसेन राजा अकबर के नवरत्नों में से एक थे।  तानसेन एक प्रतिभाशाली संगीतकार थे , उनके संगीत के जादू से महाराजा अकबर भी नहीं बच पाए थे। आज हम आपको तानसेन जी के जीवन के बारे में बताने जा रहे हैं। जिन्होंने अपने संगीत से सबको अपना प्रशंशक बनाया था। ऐसा भी कहा जाता है के तानसेन अपने संगीत से आग लगा देते थे और बारिश करवा देते थे। 

Table of Contents

  • तानसेन का जीवनी (Tansen Biography in Hindi)
    • जन्म और शिक्षा
    • विवाह
    • अकबर का दरबार
  • तानसेन की रचनाएँ और संगीत में योगदान
  • तानसेन के संगीतक चमत्कार
    • तानसेन सम्मान
  • तानसेन की मृत्यु

तानसेन का जीवनी (Tansen Biography in Hindi)

जन्म और शिक्षा

तानसेन जी का जन्म भारत के मध्यप्रदेश राज्य के ग्वालियर जगह में हुआ था।  इनका जन्म 1506 में हुआ था और पिता जी का नम मुकुंद पांडेय थे। मुकुंद पांडेय जी भी एक कवि थे और शहर के धनवान व्यक्तियों में शुमार थे। तानसेन का बचपन का नाम रामतनु था। 

तानसेन बचपन से ही एक प्रतिभाशाली बालक थे।  5 वर्ष की उम्र तक वो स्वरविहीन रहे। उनको जानवरों की नकल करना बहुत पसंद था।  वो अक्सर शेर और बाघ की आवाज़ निकलते थे।  कई बार तो वह जंगल से गुज़रते हुए मुसाफिरों को बाघ की आवाज़ से डरा देते थे। 

एक बार जब स्वामी हरिदास जी , जो उस समय के महान विद्वान थे , वो जंगल से गुज़र रहे थे तो तानसेन जी ने बाघ की आवाज़ से उन्हें डरने की कोशिश की , उनकी प्रतिभा को देख कर स्वामी जी ने उन्हें अपना शिष्य बना लिया। 

तानसेन ने अपनी संगीत विद्या बहुत कम उम्र में शुरू कर दी थी। उनके गुरु स्वामी हरिदास जी संगीत की ध्रुपद शैली के प्रतिपादक थे। तानसेन ने लगभग 10 वर्षों तक स्वामी जी से संगीत सीखा और उन्होंने ध्रुपद शैली में ही महारत हासिल की।  ऐसा कहा जाता है के उस समय संगीत विद्या में तानसेन से ऊपर उसका गुरु था उसके इलावा और कोई नहीं था। 

कुछ समय पश्चात तानसेन की मुलाकात एक मुसलमान फकीर   मुहम्मद गौस से हुई। वो भी संगीत के धनी थे। मुहम्मद गौस जी ने तानसेन को इस्लाम कबूल करने के लिए कहा पर तानसेन ने ऐसा करने से मना कर दिया।  

विवाह

तानसेन जी के विवाह के बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिलती है।  कुछ इतिहासकारों का मन्ना है के उनका विवाह राजा अकबर की बेटी से हुआ । जब वो पहली बार राजा अकबर के दरबार में गए तो अकबर की बेटी मेहरुन्निसा को तानसेन से प्यार हो गया। और तानसेन ने मेहरुन्निसा  से विवाह करने से एक दिन पहले इस्लाम धर्म अपना लिया। 

कुछ इतिहासकार मानते हैं के तानसेन का विवाह हुसैनी नाम की कन्या से हुआ।  तानसेन के 5 बच्चे हुए जिनके नाम हमीरसेन, सूरतसेन, तनरास खान, सरस्वती देवी, बिलास खान  थे। 

अकबर का दरबार

तानसेन पहले राजा रामचंद्र के दरबार में गायक थे जो रीवा राज्य के राजा थे। एक बार जब तानसेन अपने घर बैठी थे तो राजा रामचंद्र ने तानसेन के पास अपना एक दूत भेजा और बताया के रीवा राज्य के राजा तानसेन को दरबार में गायक नियुक्त कर रहे हैं।  ये सुन कर तानसेन बहुत खुश हुए। और वो राजा रामचंद्र के पास पहुचंह गए। 

तानसेन की प्रतिभा और प्रसिद्धि इतनी फ़ैल गयी थी की दूर दूर से लोग इनका संगीत सुनने आया करते थे। उनकी प्रशंशा जब राजा अकबर तक पहुंची तब तुरंत ही राजा अकबर ने तानसेन को अपने महल बुला लिया और संगीतकार की उपाधि दी। 

जब तानसेन पहली बार राजा अकबर की सभा में गाने आए तो उनका गाना सुनके  राजा अकबर ने उन्हें 1 लाख सोने की मोहरें इनाम में दी और तानसेन तबसे उनके पसंदीदा दरबारी बन गए। तानसेन को अकरब कर 9 रत्नो में से एक मन जाने लगा। तानसेन को अकबर मियां कहकर बुलाते थे इसी वजह से कई जगह पर इतिहासकारों ने भी तानसेन को मियंतानसेन कह कर बुलाया है। ऐसा कहा जाता है के दूसरे दरबारी तानसेन से ईर्ष्या करने लग गए थे।

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तानसेन की रचनाएँ और संगीत में योगदान

तानसेन ध्रुपद संगीत शैली के विद्वान थे।  उन्होंने अपनी ज्यादातर रचनाएँ इसी शैली में की। उन्होंने भगवन विष्णु , भगवन शिव और गणेश जी की प्रशंशा लिखी और गयी।  उनकी शैली इतनी अलग थी के कोई साधारण संगीतकार उसे समझ नहीं पाता था। उनकी रचनाएँ जटिल होती थी।  भक्ति संगीत के इलावा उन्होंने फिर राजाओं के लिए भी लिखना शुरू किया जिसमे उनका दीपक राग बहुत प्रसिद्ध हुआ। 

तानसेन को हिन्दोस्तानी संगीत का पिता माना  जाता है। उन्होंने भारत में शास्त्रीय संगीत की नीव रखी। उन्होंने अलग अलग रगों का निर्माण किया और उनका विभाजन किया। दूसरे संगीतकारों को रगों के बारे में बताया और समझाया के कोनसा राग कैसे और कब गाना है।  किस दशा में , किस भावना में हमे कोनसा राग गाना है , उन्होंने दूसरे संगीतकरों को बताया।  उन्होंने 

  • राग भैरव
  • दरबारीरोडी
  • दरबारीकानाडा
  •  मल्हार
  •  सारंग 
  • रागेश्वरी  

जैसे कई और रगों की रचना की।  

ये राग आज भी किसी संगीत के विद्यार्थी के लिए जरूरी हैं या ऐसा कहा जाता है  के इनके बिना भारतीय संगीत अधूरा है। हरेक संगीत सीखने वाले को यह राग आने चाहिए। उन्होंने रगों का विभाजन करके दुनिया के लिए संगीत सीखना और आसान कर दिया है। 

तानसेन ने अपनी ज्यादातर रचनाएँ हिन्दू भगवानों के ऊपर लिखी हैं उनकी प्रशंशा में लिखी है।  जिनमें से कुछ बेहद  महत्वपूर्ण 

  • श्रीगणेश स्तोत्र
  • रागमाला
  • संगीतसार

हैं और तानसेन द्वारा लिखी सैंकड़ों रचनाओं में से बीएस इनका ही उल्लेख मिलता है।  तानसेन एक अच्छे गायक एक संगीत यंत्र वादक के साथ साथ एक अच्छे कवि भी थे। 

तानसेन के संगीतक चमत्कार

तानसेन के संगीत में एक जादू था।  ऐसा कहा जाता है के तानसेन अपने संगीत से ऐसे चमत्कार कर देते थे जो बड़े से बड़ा ज्ञानी नहीं कर पाता था।  एक बार राजा अकबर के दूसरे दरबारीओं ने इर्ष्यापूर्वक राजा अकबर को कहा के अगर तानसेन इतना ही महान संगीतकार है तो वो महल के सारे दीपक क्यों नहीं जला देता।  जिसपे राजा अकबर ने तानसेन को अपने संगीत से सारे दीपक जलाने का आदेश दिया।  

तानसेन ने दीपक राग गए कर महल के सारे दीपक जला दिए जिससे राजा अकबर बहुत प्रसन्न हुए और उसके तुरंत बाद ही तानसेन ने मेघ मल्हार राग गाना शुरू किया जिससे बारिश शुरू हो गयी और दीपकों जी अग्नि से बढ़ा तापमान कम हो गया।  ऐसा देख कर बाकी सारे दरबार बहुत शर्मिंदा हुए।  ऐसा मन जाता है के मेघ मल्हार राग आज भी मौजूद है। 

एक बार एक विशाल हाथी राज्य में बेकाबू हो गया और उत्पाद मचाने लगा।  कोई भी महावत उस हठी को काबू नहीं कर पा रहा था।  इस बात का जब राजा अकबर को पता चला तो वो तानसेन को लेकर वहां पहुंचे।  तानसेन ने अपने संगीत से उस विशाल हाथी को शांत किया। जिसे देख कर राजा अकबर बहुत प्रभावित हुए। 

तानसेन सम्मान

तानसेन ने भारतीय शास्त्रीय संगीत की शुरुआत की।  भारतीय संस्कृति में और संगीत में उनके अमूल्य योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा हर साल  उनकी कब्र के पास एक समारोह  करवाया जाता है।  जिसमें दुनिया भर से बड़े से बड़े संगीतकार , गायक और वादक उपस्थित होते हैं। संगीत में जिनके द्वारा अमूल्य कार्य किये जाते हैं या किसी भी तरह योगदान दिया जाता है , उन्हें तानसेन पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है।  

भारत के इस महान संगीतकार पर फिल्में भी बन चुकी है जिनमें तानसेन (1958), संगीत सम्राट तानसेन (1962) और बैजू बावरा (1952) प्रमुख है।  

तानसेन की मृत्यु

तानसेन की मृत्यु ने सबको आचम्भित कर दिया था। ऐसा माना जाता है के एक बार वो उनके प्रसिद्ध दीपक राग में गए रहे थे और उस राग के साथ कुछ प्रयोग करते हुए अग्नि ज्यादा उत्पन्न हो गयी और तानसेन उसी अग्नि में जल कर मर गए।  इसके दुर्घटना के बारे में कोई ठोस सबूत नहीं है के असल में ऐसा हुआ था या नहीं। 

पहले हिन्दू थे और बाद में वो मुसलमान बने , तो उनका अंतिम संस्कार भी मुस्लिम धर्म के अनुसार हुआ। उनकी आखरी इच्छा यही थी के  उनकी मृत्यु के बाद उनके शव को उनके पुश्तैनी गांव ग्वालियर के बेहत में उनके सूफी गुरु मुहम्मद गौस की कब्र के पास दफनाया जाये।  

कुछ लोगों का मानना है के तानसेन की कब्र के ऊपर एक इल्मी का पेड़ उग गया। और उस पेड़ के अंदर तानसेन की चमत्कारी विद्या भी आ गयी।  जो भी व्यक्ति उस पेड़ से पत्ते या फल तोड़ कर खाता है तो उसका गला साफ हो जाता है , उसे संगीत का ज्ञान हो जाता है।  अब ये बात भी कितनी सत्य है इसके बारे में भी कोई पुख्ता सबूत मौजूद नहीं है। 

तानसेन एक महान संगीतकार थे। उन्होंने अपने जीवन को बहुत सरलता से और बहुत राजसी तरीके से जीया। इतने बड़े राजा के खास दरबारी होने का सौभाग्य हर किसी को नहीं मिलता।  

उनके द्वारा शास्त्रीय संगीत में की गयी खोजें अमूल्य हैं।  उन्होंने शास्त्रीय संगीत की नींव रखी और लोगों को अगल अगल रगों के बारे में बताया।  उन्हें बताया के एक अच्छा संगीतकार बनने के लिए, बेशक आप गायक हों या वादक , सबके लिए रगों का सीखना जरूरी है , जिसे राग नहीं आते वो संगीतकार नहीं बल्कि ढोंगी है।  संगीत एक दिन में नहीं सीखा जा सकता बल्कि इसके लिए वर्षों की कठोर तपस्या , सब्र और संतोष चाहिए। 

संगीत ही एक ऐसी कला है जो मनुष्य को सीधा परमात्मा से जोड़ देती है।  तानसेन ने संगीत शास्त्र के रागों  को अलग अलग किया और हरेक राग का अपना महत्व समझाया। 

तानसेन एक महान विद्वान थे।  संगीत में किये गए उनके काम के लिए वो हमेशा हमारे बीच रहेंगे।  आज कितने ही कॉलेज, स्कूल तानसेन द्वारा बताये रास्ते पर चलकर विद्यार्थिओं को संगीत की उचित शिक्षा दे रहे हैं। 

तानसेन द्वारा किये काम हमेशा ज़िंदा रहेंगे और जब भी कभी संगीत की , शास्त्रीय संगीत की या किसी राग की बात होगी तब तानसेन का नाम जरूर आएगा।  

तानसेन का दूसरा नाम क्या था?

सही उत्‍तर रामतनु पांडेय है। तानसेन जन्म से हिंदू थे और उन्होंने अपना अधिकांश जीवन भक्ति गीतों की रचना में बिताया। उन्हें सम्राट अकबर के दरबार के नवरत्नों (नौ रत्नों) में से एक, साठ वर्ष की आयु में मुगल दरबार में शामिल होने का आदेश दिया गया था

संगीत सम्राट तानसेन का असली नाम क्या था?

तानसेन का असली नाम रामतनु पांडे था जिनका जन्म ग्वालियर के पास बेहट गांव में 1493 से 1500 ईसवी के बीच हुआ था. वे रीवा नरेश राजा रामचंद्र सिंह के दरबारी थे. उनके गायन की शोहरत से प्रभावित होकर मुगल बादशाह अकबर ने 1562 में उन्हें अपने दरबार के नौ रत्नों में शामिल किया था.

तानसेन का धर्म क्या है?

ग्वालियर। देश के महान संगीतकार तानसेन ब्राह्मण परिवार में जन्मे थे। कहा जाता है कि बाद में उन्होंने इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया।

तान सेन का जन्म कब हुआ?

1500तानसेन / जन्म तारीखnull