दिल्ली का पहला नाम क्या है? - dillee ka pahala naam kya hai?

दिल्ली को भारतीय महाकाव्य महाभारत में प्राचीन इन्द्रप्रस्थ की राजधानी के रूप में जाना जाता है. इस दिल्ली में ऐसे आकर्षक पर्यटन स्थल मौजूद हैं, जहां एक बार जाने के बाद आपका बार-बार जाने का मन करेगा. जैसे लाल किला, इंडिया गेट, क़ुतुब मीनार, हुमायूँ का मकबरा, जंतर मंतर, अक्षरधाम मंदिर, छत्तरपुर मंदिर, इस्कॉन मंदिर, कमल मंदिर, जामा मस्जिद, नेशनल रेल म्यूजियम इत्यादि.

दिल्ली देश की राजधानी होने के साथ-साथ एक एतिहासिक राज्य भी हैं, यहाँ पर राजा-महाराजो के ज़माने के बने किले एवं इमारते देखने के लिए पुरे संसार से पर्यटक आते हैं.

यदि ऐतिहासिक तौर पर पुराणी दिल्ली के बारे में बात की जाए तो दिल्ली को ‘सशक्त ऐतिहासिक पृष्ठभूमि’ कहा जा सकता है क्योंकि यहां भारतीय इतिहास के कुछ सर्वाधिक शक्तिशाली सम्राटों ने शासन किया था.

कहा जाता है कि दिल्ली शहर का इतिहास महाभारत के जितना ही पुराना है. उस समय इस शहर को इंद्रप्रस्थ के नाम से जाना जाता था, जहां कभी पांडव रहा करते थे.

 

दिल्ली का पुराना नाम क्या है (Delhi Ka Purana Naam Kya Tha)

दिल्ली का पुराना नाम ‘इंद्रप्रस्थ’ है. जी हाँ दिल्ली का प्राचीन नाम इंद्रप्रस्थ था. इंद्रप्रस्थ प्राचीन भारत के राज्यों में से एक था. महान भारतीय महाकाव्य महाभारत के अनुसार, इंद्रप्रस्थ पांडवों की राजधानी थी. यह शहर यमुना नदी के तट पर स्थित था, जो इस समय भारत की राजधानी है.

कहा जाता है कि ‘इंद्रप्रस्थ’ यह नाम भगवान इंद्र पर रखा गया था, क्योंकि इस नगर को इंद्र के स्वर्ग की तरह बसाया गया था. भगवान कृष्ण ने विश्वकर्मा से इंद्र के स्वर्ग के समान एक महान शहर का निर्माण करने के लिए कहा था. हालाँकि ‘इंद्रप्रस्थ’ को पहले ‘खांडवप्रस्थ‘ भी कहा जाता था.

 

दिल्ली का पुराना नाम इंद्रप्रस्थ का इतिहास

इंद्रप्रस्थ यमुना नदी के तट पर स्थित, प्राचीन शहर पांडवों के नेतृत्व वाले राज्य की राजधानी था. इसका निर्माण ‘खांडवप्रस्थ’ जगल में भगवान कृष्ण के कहने पर विश्वकर्मा ने इंद्र के स्वर्ग के समान किया था.

खांडवप्रस्थ एक जंगल था, जब कौरव-पांडवों के बीच हस्तिनापुर का बटवारा हुआ तब, मामा सकुनी के सिफारिश पर धृतराष्ट्र ने कौरवों को हस्तिनापुर और पांडवों को खांडवप्रस्थ जगल दिया था.

पहले उस जगल में एक भव्य नगर हुआ करता था और उस नगर के बीचोबीच एक महल हुआ करता था. उसके चारो ओर वन था, जिसे खांडव वन कहा जाता था.

लेकिन कुछ प्राकृतिक आपदाओं के कारण वो नगर और महल पूरी तरह नष्ट हो गया था और सिर्फ खंडहर ही बचे थे और उन खंडहरो के आसपास जंगल निर्मित हो गया था.

यही क्षेत्र हस्तिनापुर के हिस्से के रूप में धृतराष्ट्र द्वारा पांडवों को प्राप्त हुआ था, इसी जंगल और खंडहरो के स्थान पर भगवान कृष्ण के कहने पर विश्वकर्मा ने इन्द्रप्रस्थ बनाया था.

इंद्रप्रस्थ का नाम भगवान इंद्र के नाम पर रखा गया था, क्योंकि इस शहर को इंद्र के स्वर्ग की तरह बनाया गया था. भगवान कृष्ण ने विश्वकर्मा को भगवान इंद्र के स्वर्ग जैसा एक महान शहर बनाने के लिए कहा था.

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ज्योतिषियों ने भविष्यवाणी की कि जब तक यह कील है, तब तक साम्राज्य कायम रहेगा। कील काफी छोटी थी इसलिए राजा को शक हुआ। उन्होंने कील उखड़वा ली। बाद में यह दोबारा गाड़ी गई, लेकिन फिर वह मजबूती से नहीं धंसी और ढीली रह गई। तब से कहावत बनी कि किल्ली तो ढिल्ली भई। कहावत मशहूर होती गई और किल्ली, ढिल्ली और दिलु मिलाकर दिल्ली बन गया।

शहर का इतिहास महाभारत के जितना ही पुराना है। इस शहर को इंद्रप्रस्थ के नाम से जाना जाता था, जहां कभी पांडव रहे थे। समय के साथ-साथ इंद्रप्रस्थ के आसपास आठ शहर : लाल कोट, दीनपनाह, किला राय पिथौरा, फिरोज़ाबाद, जहांपनाह, तुगलकाबाद और शाहजहानाबाद बसते रहे।

पांच शताब्दियों से भी अधिक समय से दिल्ली राजनीतिक उथल-पुथल की गवाह रही है। यहां खिलजी और तुगलक वंशों के बाद मुग़लों ने शान किया।

दिल्ली का पहला नाम क्या है? - dillee ka pahala naam kya hai?
वर्ष 1192 में अफगान योद्धा मोहम्मद गौरी ने राजपूतों के शहर पर कब्जा किया 1206 में दिल्ली सल्तनत की नींव रखी। 1398 में दिल्ली पर तैमूर के हमले ने सल्तनत का खात्मा किया; लोधी, जो दिल्ली के अंतिम सुल्तान साबित हुए के बाद बाबर ने सत्ता संभाली, जिसने 1526 में पानीपत की लड़ाई के बाद मुग़ल साम्राज्य की स्थापना की। आरंभिक मुग़ल शासकों ने आगरा को अपनी राजधानी बनाया और दिल्ली शाहजहां द्वारा पुरानी दिल्ली की दीवार के निर्माण (1638) के बाद ही यह शहर उनकी स्थायी गद्दी बन पाया।

हिन्दू राजाओं से लेकर मुस्लिं सुल्तानों तक, दिल्ली का शासन एक शासक से दूसरे शासक के हाथों जाता रहा। शहर की मिट्टी खून, कुर्बानी और देश-प्रेम से सींची हुई है। प्राचीन काल से ही पुरानी 'हवेलियां' और इमारतें खामोश खड़ी हैं किन्तु उनका खामोशियां अपने मालिकों और उन लोगों को सदाएं देती हैं जो सैंकड़ों वर्षों पहले उनमें रहे थे।

1803 ई. में शहर पर अंग्रेजों का कब्जा हो गया। वर्ष 1911 में, अंग्रेजों ने कलकत्ता से बदलकर दिल्ली को अपनी राजधानी बनाया। यह शहर पुनः शासकीय गतिविधियों का केन्द्र बन गया। किन्तु, शहर की प्रतिष्ठा है कि वह अपनी गद्दी पर बैठने वालों को बदलती रहा है। इनमें ब्रिटिश और वे वर्तमान राजनीतिक पार्टियां भी शामिल हैं, जिन्हें स्वतंत्र भारत का नेतृत्व करने का गौरव हासिल हुआ है।

दिल्ली का बहुत पुराना नाम क्या है?

दिल्ली को भारतीय महाकाव्य महाभारत में प्राचीन इन्द्रप्रस्थ, की राजधानी के रूप में जाना जाता है। उन्नीसवीं शताब्दी के आरंभ तक दिल्ली में इंद्रप्रस्थ नामक गाँव हुआ करता था।

नई दिल्ली का दूसरा नाम क्या है?

दिल्ली का पुराना नाम “इंद्रप्रस्थ” था । जिसके साक्ष्य भारतीय महाकाव्य 'महाभारत' में मिलते हैं उस समय यह पांडवों की राजधानी हुआ करता था।

इंद्रप्रस्थ से पहले क्या नाम था?

इंद्रप्रस्थ : इस तरह इंद्रप्रस्थ, जो पूर्व में खांडवप्रस्थ था, को पांडव पुत्रों के लिए बनवाया गया था। यह नगर बड़ा ही विचित्र था। खासकर पांडवों का महल तो इंद्रजाल जैसा बनाया गया था

दिल्ली का पहला राजा कौन था?

इतिहास की बात करें तो सबसे पहले दिल्ली का जिक्र 1180 में हुआ था, जब राजा पृथ्वीराज चौहान ने इस पर विजय प्राप्त की थी. राजा पृथ्वीराज तृतीय ने यहां तोमर राजा- अनंगपाल के बनवाए लालकोट को किला राय पिथौरा में बदल दिया था. आपको बता दें, ये दिल्ली का पहला शहर माना जाता है.