ठोस किसे कहते हैं यह कितने प्रकार के होते हैं? - thos kise kahate hain yah kitane prakaar ke hote hain?

अँग्रेजी मे ठोस को Solid कहते हैं। हमारे आस पास तरह तरह की चिजे दिखाई देती हैं। जैसे – मिट्टी, पत्थर, पानी, बेड, कुर्सी, धुंआ, लोहा, प्लास्टिक इत्यादि। इसमे से कुछ solid होती है, कुछ द्रव और कुछ गैस होती है। लेकिन सवाल यह है की solid किसे कहते है, और solid को कैसे पहचानेंगे।

सॉलिड शब्द विज्ञान से जुड़ा शब्द है, जो दैनिक जीवन मे बहुत इस्तेमाल होता है।

  • Solid किसे कहते हैं?
  • ठोस कितने प्रकार के होते हैं ?
  • ठोस की विशेषता
    • द्रव्य का वर्गीकरण

यह द्रव्य की एक अवस्था है। ठोस का आकार और आयतन निश्चित होता है। इसे जिस स्थान पर रखेंगे उस स्थान को पूर्णतया घेर लेता है। इसके कण द्रव और गैस के मुकाबले एक दूसरे से बहुत ज़्यादा नजदीक और बधे होते है।

solid के उदाहरण : लकड़ी का टुकड़ा, बाल्टी, बर्तन, मोबाइल, पत्थर, ईंट आदि।

ठोस कितने प्रकार के होते हैं ?

इसे दो वर्ग मे विभाजित किया जाता है, क्रिस्टलीय (Crystalline Solids) और अक्रिस्टलीय (Amorphous Solids)

क्रिस्टलीय वास्तविक ठोस होता है, इसके सभी परमाणु, अणु तथा आयन क्रमबद्ध और सममितीय पैटर्न से सुव्यवस्थित बधे हुये होते हैं। यही पैटर्न बार बार दोहराते क्रम मे पूरे क्रिस्टल पर होता है। जिसे lattice pattern कहते है। जैसे – हीरा, लोहा, क्वार्ट्ज (Quartz), केल्साइट (Calcite), चीनी आदि।

इनको मुख्य रूप से निम्नलिखित 4 भाग मे बाँटा जाता है।

  1. धातु (Metallic Solids)
  2. आयनिक (Ionic Solids)
  3. सहसंयोजक – नेटवर्क (Covalent – Network Solids)
  4. आणविक (Molecular Solids)

अक्रिस्टलीय के कण पूर्णरूप से क्रमबद्ध और सममितीय नहीं होते है। जिसके वजह से उनका टूटना या पिघलना बहुत ही आसान होता है। जैसे – रबर, काँच, मोम, पॉलीमर आदि।

ठोस की विशेषता

विशेषता का मतलब गुणधर्म से है। solid के निम्नलिखित गुणधर्म है।

  • solid के सभी परमाणु नियमित पैटर्न मे व्यवस्थित होते हैं।
  • इनके परमाणु बहुत ही नजदीक नजदीक बधे हुये होते है।
  • रासायनिक बन्ध द्वारा परमाणु आपस मे बधे हुये होते है।
  • इसके परमाणु स्थिर होते है।
  • इसका निश्चित आकार और आयतन होता है।

द्रव्य का वर्गीकरण


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रसायन विज्ञान में ठोस किसे कहते हैं इसके प्रकार बताइए , परिभाषा example क्या है , आकार आकृति solid in hindi definition ?

पदार्थों की गैस अवस्था (gaseous state) में अणु एक-दूसरे से बहुत दूर-दूर होते हैं और उन के रिक्त स्थान में स्वतन्त्रतापूर्वक विचरण करते रहते हैं, अतः उनका आकार व आयतन दोनों स्थिर होते। पदार्थों की द्रव अवस्था (diauid state) में अण परस्पर तीव्र आकर्षण बल के कारण एक-टो पास-पास होते हैं, किन्तु फिर भी उनके मध्य कछ रिक्त स्थान होता है जिसमें वे गति करते रहते उनका आकार स्थिर नहीं होता लेकिन इनका आयतन स्थिर रहता है। पदार्थों की ठोस अवस्था (solid state) में उसके अणु परस्पर बहुत प्रबल आकर्षण बल से एक-दूसरे के इतने समीप होते हैं और इतनी दृढ़ता से पैक होते हैं कि वे बिल्कुल भी गति नहीं कर पाते अतः उनका आकार व आयतन दोनों ही स्थिर होते हैं।

ठोस पदार्थ दो प्रकार के होते हैं

  • क्रिस्टलीय ठोस (Crystalline solids) — उन पदार्थों को क्रिस्टलीय ठोस कहा गया है जो कठोर और असंपीड्य होने के साथ-साथ एक निश्चित ज्यामितीय आकृति वाले होते हैं, उदाहरण, शक्कर, नमक, शोरां, नौसादर, आदि।

क्रिस्टर शब्द ग्रीक भाषा के ‘क्रस्टलोज’ (Krustallos) शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ होता है, ‘स्वच्छ बर्फ’ । यह नाम सर्वप्रथम खनिज क्वार्ट्ज को दिया गया था। क्वार्ट्ज़ पारदर्शी. चमकीला, कई प्रकार के आकर्षक रूपों में पाया जाने वाला एक खनिज होता है। अतः उन सब पदार्थों को क्रिस्टलीय ठोस कहा जाने लगा जो निश्चित आकृति वाले कणीय रूपों में पाये जाते हैं। X-किरण विश्लेषण से ज्ञात होता है कि क्रिस्टलीय पदार्थों के अणु , परमाणु अथवा आकृति ही निश्चित व्यवस्था वाली नहीं होती वरन उनकी आन्तरिक संरचना में पदार्थ के अणु, परमाणु अथवा आयन भी एक निश्चित योजनाबद्ध व्यवस्था में एक-दूसरे के साथ जड़े रहते हैं और यह स्थायी व्यवस्था पदार्थ के सूक्ष्मतम भाग से लेकर वृहद्तम क्रिस्टल (largest crystal) तक समान होती है, इसे हम दीर्घ क्षेत्र व्यवस्था (long range order) कहते हैं। सही अर्थों में ठोस. क्रिस्टलाय पदार्थों को ही मानते हैं।

ठोस अवस्था क्रिस्टलों के आकार एवं आकृति (Size and Shape of Crystals)

प्रकृति में पाये जाने वाले कई क्रिस्टलीय पदार्थों के आकार एवं आकृति इतनी निश्चित व सुस्पष्ट होती है कि देखते ही प्रतीत हो कि उक्त पदार्थ क्रिस्टलीय है। किन्तु कई अन्य ठोस ऐसे होते हैं जो देखने पर तो महीन कणों वाले चूर्ण अथवा पाउडर जैसे प्रतीत होते हैं जिन्हें हम अक्रिस्टलीय समझ सकते हैं, किन्तु इन्हीं यौगिकों को जब सूक्ष्मदर्शी (microscope) से देखते हैं तो ये निश्चित आकृति एवं आकार वाले क्रिस्टलीय ठोस दिखायी देते हैं। ठोस पदार्थ जिनके क्रिस्टल केवल प्रबल सूक्ष्मदर्शी की सहायता से ही दिखायी दे जाते हो, सूक्ष्मक्रिस्टलीय (microcrystalline) अथवा बहुक्रिस्टलीय (Polycrystalline) ठोस पदार्थ कहलाते हैं। अतः क्रिस्टलीय यौगिकों के आकार एवं आकृति में बहुत विविधता होती है। RAM)

(2). अक्रिस्टलीय ठोस (Amorphous solids) : उपर्युक्त के विपरीत उन पदार्थों को अक्रिस्टलीय ठोस कहा जाता है जो कठोर तथा असंपीड्य तो होते हैं लेकिन एक निश्चित ज्यामिति वाले नहीं होते, उदाहरण कांच, प्लास्टिक, रबर, रेजिन, आदि। ___अक्रिस्टलीय पदार्थों में, पहली बात तो कणों की निश्चित व्यवस्था ही नहीं होती और हो भी तो वह दीर्घ क्षेत्र तक कायम नहीं रहती वरन् द्रवों की भांति अक्रिस्टलीय पदार्थों को सही अर्थों में ठोस मानते ही नहीं हैं अतः अतिशीतित द्रव मानते हैं।

 क्रिस्टलीय तथा अक्रिस्टलीय ठोसों में अन्तर अक्रिस्टलीय ठोस दी।

क्रमाक  क्रिस्टलीय ठोस अक्रिस्टल ठोस
1.

2.

3.

4.

5.

6.

ये निश्चित ज्यामिति वाले होते हैं।

X-किरण विश्लेषण से ज्ञात होता है कि इन पदार्थों की आन्तरिक संरचना में भी कणों की व्यवस्था में वही ज्यामिति होती है जो इनके क्रिस्टल की है।

इन पदार्थों के गलनांक निश्चित होते हैं अर्थात् एक निश्चित ताप से पहले पदार्थ पूर्णतः ठोस अवस्था में होता है जबकि इस ताप के बाद वह पूर्णतः द्रव अवस्था में आ जाता है। गलनांक बिन्दु पर पदार्थ को दी गयी ऊष्मा उसके क्रिस्टल को तोड़ने में खर्च हो जाती है, इस कारण पिघलने के दौरान उसका ताप निश्चित रहता है।

निश्चित गलनांक होने के कारण इन्हें ‘वास्तविक ठोस’ (True solids) कहा जाता है।

जिस प्रकार एक निश्चित ताप पर ये पिघलकर ठोस से द्रव अवस्था में आते हैं, उसी प्रकार यदि पिघले हुए क्रिस्टलीय ठोस बिन्दु (A) को ठण्डा किया जाए अर्थात् उसका शीतलन किया जाए तो एक निश्चित ताप बिन्दु (B) पर वह जमने लगेगा और जब तक वह पूर्णतः जम नहीं जाता उसका ताप स्थिर रहता है बिन्दु (C) और फिर ताप घटने लगता है। अतः इनके ‘शीतलन वक्र’ (cooling curves) असतत (discontinuous) होते हैं, जैसा कि निम्न चित्र से प्रदर्शित है

घनीय क्रिस्टल संरचना के अपवाद को छोड़कर अन्य समस्त क्रिस्टलीय पदार्थ ‘विषमदेशिकता’ क्रिस्टलीय पदार्थ कुछ भौतिक सामों के भिन्न-भिन्न दिशा हैं। में प्रयोग करने पर भिन्न भित्र मान देते हैं।

इनकी ज्यामिति निश्चित नहीं होती।

इन पदार्थों की आन्तरिक संरचना में कणों की व्यवस्था में कोई निश्चित क्रम या कोई निश्चित ज्यामिति नहीं होती।

इन पदार्थों का कोई निश्चित गलनांक नहीं होता। ये ताप पाकर मृदु होते जाते हैं और अन्ततः द्रबों की भांति बहने लगते हैं। इनका ऐसा कोई निश्चित ताप नहीं होता जिस पर पदार्थ का अवस्था परिवर्तन ज्ञात हो।

निश्चित गलनांक नहीं होने के कारण इन्हें ‘अतिशीतित द्रव’ (supercooled liquids) कहा जाता है।

चूंकि इनके गलनांक निश्चित नहीं होते अतः यदि पिघले हुए अक्रिस्टलीय ठोस को ठण्डा किया जाए तो उसका ताप लगातार कम होता जाता है और ऐसा कोई बिन्दु नहीं आता जिस पर उसका ताप स्थिर हो जाए। अतः इनके ‘शीतलन वक्र’ (cooling curves) सतत (continuous) होते है जैसा कि निम्न चित्र से  प्रदर्शित है

अक्रिस्टलीय ठोस ‘समदेशिकता‘ (isotropy) दर्शाते हैं। अतः इनके भातिक गुणा का किसी भी दिशा में अध्ययन किया जाए, समान परिणाम ही प्राप्त होते है

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ठोस क्या है कितने प्रकार के होते हैं?

ये हैं: आण्विक ठोस (Molecular Solids), आयनिक ठोस (Ionic solids), धात्विक ठोस (Metallic solids) तथा सहसंयोजक ठोस (Covalent or Network solids)।

ठोस की परिभाषा क्या है?

ठोस (solid) पदार्थ की एक अवस्था है, जिसकी पहचान पदार्थ की संरचनात्मक दृढ़ता और विकृति (आकार, आयतन और स्वरूप में परिवर्तन) के प्रति प्रत्यक्ष अवरोध के गुण के आधार पर की जाती है। ठोस पदार्थों में उच्च यंग मापांक और अपरूपता मापांक होते है।

ठोस के दो प्रकार कौन कौन से हैं?

ठोसों के प्रकार (types of solids in hindi) – अवयवी कणों की व्यवस्था के आधार पर ठोस पदार्थों को दो भागों में बांटा जाता है – (1) क्रिस्टलीय ठोस (2) अक्रिस्टलीय ठोस!

ठोस क्या है परिभाषा प्रकार क्रिस्टलीय तथा अक्रिस्टलीय ठोसों में अंतर?

क्रिस्टलीय और अक्रिस्टलीय ठोस में अंतर (Difference Between Crystalline and Non Crystalline Solids) क्रिस्टलीय ठोसों में अवयवी कणों की निश्चित व्यवस्था होती है। अक्रिस्टलीय ठोसों में अवयवी कणों की निश्चित व्यवस्था नहीं होती है। इनकी ज्यामिति और आकृति निश्चित होती है।