विदेशी विनिमय दर कैसे निर्धारित होता है? - videshee vinimay dar kaise nirdhaarit hota hai?

उत्तर- विदेशी विनिमय दर- विदेशी विनिमय दर दो देशों के बीच एक देश की मुद्रा की वह मात्रा है, जिसके द्वारा दूसरे देश की मुद्रा की एक इकाई को क्रय किया जा सकता है। विनिमय दर को प्रभावित करने वाले प्रमुख तत्व निम्नलिखित हैं-

1. कीमतों में परिवर्तन- दो देशों में किसी एक देश में सापेक्षिक दृष्टि से कीमत के परिवर्तन के परिणामस्वरूप विनिमय दर परिवर्तित हो जाती है। उदाहरणार्थ, माना भारत में कीमत स्तर बढ़ जाता है, जबकि इंग्लैण्ड में कीमत स्तर में कोई परिवर्तन नहीं होता है। भारतवासियों को इंग्लैण्ड की वस्तुएँ सस्ती पड़ने लगेंगी और वह वहाँ से बड़ी मात्रा में आयात करने लगेंगे। अतः पौण्ड की माँग बढ़ेगी। पौण्ड का मूल्य रुपयों में बढ़ जायेगा।

2. आयात एवं निर्यात में परिवर्तन- आयात एवं निर्यात में परिवर्तन के परिणामस्वरूप विदेशी विनिमय की माँग एवं पूर्ति में परिवर्तन हो जाता है। यदि देश के निर्यात उसके आयातों से अधिक हैं तो देश की मुद्रा की माँग बढ़ेगी और विदेशी विनिमय दर देश के पक्ष में परिवर्तित होगी। इसके विपरीत, यदि देश के आयात, निर्यात से अधिक हैं तो विदेशी मुद्रा की माँग बढ़ेगी तथा विनिमय दर देश के विपक्ष में हो जायेगी।

3. पूँजी का आवागमन- जिस देश में विदेशों से पूँजी आती है उस देश की मुद्रा की माँग बढ़ जाती है। परिणामस्वरूप विनिमय दर उस देश के पक्ष में हो जाती है। इसके विपरीत जब पूँजी देश से विदेश को जाती है तो विदेशी विनिमय की माँग बढ़ जाती है और विनिमय दर विपक्ष में हो जाती है।

4. बैंकिंग सम्बन्धी प्रभाव- बैंक अपनी क्रियाओं के द्वारा भी विनिमय दर को प्रभावित किया करते हैं। यदि व्यापारिक बैंक विदेशी बैंक पर बड़ी मात्रा में बैंकर्स ड्राफ्ट तथा अन्य प्रकार के साख पत्र जारी करता है तो इससे विदेशी विनिमय की माँग बढ़ जाती है और विनिमय दर देश के विपक्ष में हो जाती है। इसके विपरीत जब विदेशी बैंक देश के बैंकों के ऊपर साख पत्र जारी करते हैं तो देशी मुद्रा की माँग बढ़ जाती है और विनिमय दर देश के पक्ष में हो जाती है।

प्रश्न 1 : विदेशी विनिमय बाजार में संतुलित विनिमय दर कैसे निर्धारित होती है? (How is the balanced exchange rate determined in the foreign exchange market?)

उत्तर : विनिमय दर विदेशी विनिमय से संबंधित मांग तथा पूर्ति की शक्तियों द्वारा निर्धारित होती है। संतुलित विनिमय दर तब प्राप्त होती है जब विदेशी विनिमय की मांग तथा पूर्ति बराबर हो जाती है। नीचे दिया गया चित्र इस स्थिति की व्याख्या करता है।

The exchange rate is determined by the forces of demand and supply related to foreign exchange. Balanced exchange rate is achieved when the demand and supply of foreign exchange are equal. The figure below explains this situation.

विदेशी विनिमय दर कैसे निर्धारित होता है? - videshee vinimay dar kaise nirdhaarit hota hai?

चित्र में OR विनिमय दर के बराबर संतुलित दर निर्धारित हुई है जहां पर डॉलरों की मांग तथा पूर्ति वक्रें एक-दूसरे को काट रही हैं। इस दर पर डॉलरों की मांग तथा पूर्ति स्पष्ट कर दी गई है।

In the figure, the equilibrium rate equal to the OR exchange rate has been determined where the demand and supply curves of dollars are intersecting. At this rate the demand and supply of dollars is made clear.

यह विनिमय दर, सामान्य प्रकृति की है यह दीर्घ काल के लिए प्रचलित रहती है। अल्पकाल में यह आवश्यक नहीं कि विदेशी विनिमय की मांग तथा पूर्ति, प्रचलित दरों पर बराबर रहें। इस अवस्था में विदेशी विनिमय की अतिरिक्त मांग तथा अतिरिक्त पूर्ति हो सकती है, किंतु अतिरिक्त पूर्ति की अवस्था में दीर्घकाल में, प्रतियोगिता के कारण, विनिमय दर तब तक कम होती जाएगी जब तक कि विदेशी विनिमय की मांग तथा पूर्ति आपस में संतुलित नहीं हो जाते।

This exchange rate is of a general nature and remains in force for a long period of time. In the short run it is not necessary that the demand and supply of foreign exchange should remain the same at the prevailing rates. In this stage there may be excess demand and excess supply of foreign exchange, but in the long run in the state of excess supply, due to competition, the exchange rate will decrease until the demand and supply of foreign exchange are balanced.

इसी प्रकार अतिरिक्त मांग की दशा में दीर्घकालीन प्रतियोगिता के कारण, विनिमय दर तब तक बढ़ेगी जब तक कि विदेशी विनिमय की मांग तथा पूर्ति बराबर नहीं हो जाते।

Similarly in case of excess demand due to long run competition, the exchange rate will increase till the demand and supply of foreign exchange are equal.

चित्र में यदि विनिमय दर बढ़कर OR¹ हो जाती है तो इस दशा में AB मात्रा से विदेशी विनिमय की पूर्ति अधिक है, इससे विनिमय दर (डॉलर दर) कम हो जाएगी तथा संतुलित दर OR निश्चित हो जाएगी। इसी प्रकार यदि विनिमय दर कम होकर OR² रह जाती है तो इससे KL अतिरिक्त मांग पैदा होगी तथा इससे विनिमय दर बढ़कर OR संतुलित हो जाएगी। इस दर को समता विनिमय दर भी कहते हैं।

In the figure, if the exchange rate increases to OR¹ then in this case the supply of foreign exchange by quantity AB is more, this will reduce the exchange rate (dollar rate) and the equilibrium rate OR will be fixed. Similarly, if the exchange rate falls to OR, it will create additional demand for KL and this will increase the exchange rate to OR equilibrium. This rate is also called the parity exchange rate.

अतएव विनिमय दर वहीं तय होगी जहां करेंसी की मांग तथा पूर्ति एक दूसरे के बराबर होंगे।

Therefore, the exchange rate will be fixed only where the demand and supply of the currency are equal to each other.

प्रश्न 2 : विदेशी विनिमय की मांग तथा पूर्ति किन किन तत्वों पर निर्भर करती है? (On what factors do the demand and supply of foreign exchange depend?)

उत्तर (Answer) :

(A) विदेशी विनिमय की मांग कई तत्वों पर निर्भर करती है:

(A) The demand for foreign exchange depends on several factors:

1) घरेलू व्यक्तियों, फर्मों अथवा सरकार द्वारा वस्तुओं का आयात के लिए विदेशी विनिमय की मांग,

Demand for foreign exchange for import of goods by domestic persons, firms or Government,

2) घरेलू यात्रियों तथा विद्यार्थियों द्वारा यात्रा तथा शिक्षण सेवाओं के लिए विदेशी विनिमय की मांग,

Demand for foreign exchange by domestic travelers and students for travel and educational services,

3) घरेलू निवेश कर्त्ताओं द्वारा विदेशों में निवेश के लिए विदेशी विनिमय की मांग,

Demand for foreign exchange by domestic investors for investment abroad,

4) विदेशों से घरेलू नागरिकों द्वारा प्रत्यक्ष खरीद के लिए विदेशी विनिमय।

Foreign exchange for direct purchase by domestic citizens from abroad.

(B) विदेशी विनिमय की पूर्ति निम्न साधनों से आती है :

(B) The supply of foreign exchange comes from the following sources:

1) घरेलू निवेश कर्त्ता जो विदेशी करेंसी में भुगतान प्राप्त करते हैं, तो इससे विदेशी मुद्रा की पूर्ति बढ़ती है।

Domestic investors who receive payments in foreign currency increase the supply of foreign exchange.

2) विदेशी जो घरेलू देश में निवेश करते हैं तथा ऋण प्रदान करते हैं, तो विदेशी मुद्रा की पूर्ति बढ़ती है।

Foreigners who invest in the home country and provide loans, the supply of foreign exchange increases.

3) घरेलू निवासी जो विदेशों में, पहले पूंजी कोष भेज चुके हैं, द्वारा वापस मंगवाने से विदेशी मुद्रा की पूर्ति बढ़ती है।

Recalls by domestic residents who have previously remitted capital funds abroad increase the supply of foreign exchange.

4) घरेलू निवासियों द्वारा विदेशों से उपहार प्राप्त करने से विदेशी मुद्रा की पूर्ति के प्राप्ति होती है।

The receipt of gifts from foreign countries by the domestic residents leads to the receipt of foreign exchange.

विदेशी विनिमय दर कैसे निर्धारित की जाती है?

जिस प्रकार से वस्तु की कीमत बाजार में माँग एवं पूर्ति की शक्तियों द्वारा निर्धारित होती है, उसी प्रकार विनिमय दर भी विदेशी विनिमय बाजार में माँग एवं पूर्ति के द्वारा ही निर्धारित होती है।

विदेशी विनिमय में क्या शामिल है?

सरल शब्दों में, एक मुद्रा को दूसरी मुद्रा में परिवर्तित करना विदेशी विनिमय कहलाता है। उदाहरण के लिए, एक भारतीय व्यापारी को अमेरिका में एक विक्रेता का भुगतान करने के लिए रुपए डॉलर में बदलना पड़ता है। विभिन्न देशों में विभिन्न मुद्राओं के होने की वजह से यह आवश्यकता उत्पन्न होती है।

विनिमय दर क्या है यह कितने प्रकार की होती है?

विनिमय दर प्रणाली मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं- स्थायी विनिमय दर प्रणाली और अस्थायी विनिमय दर प्रणाली। स्थायी विनिमय दर प्रणाली के अंतर्गत सरकार विनिमय दर का एक स्तर विशेष दर पर निर्धारित करती है

विदेशी विनिमय दर का दूसरा नाम क्या है?

इसके विपरीत अन्य देशों से किसी देश को देनी की अपेक्षा लेनी बहुत अधिक होती है तब उस देश की विनिमय की दर उस सीमा तक पहुंच जाती है जब अन्य देशों को उस देश में हुंडियाँ भेजने के बदले सोना भेजने में सुविधा होती है। इस दर को स्वर्णआयात-दर कहते हैं। विदेशी विनिमय की दर इस सीमा से बहर नहीं जाती।