Class 10 Science VVI Subjective, class 10 subjective question, science ka subjective question, vvi question 10th class 2022, class 10 science important questions with answers in hindi, science objective question 10th class, class 10 science important questions with answers in hindi 2022, 10th class science objective question answer in hindi, class 10 chemistry objective questions in hindi, 10th class science objective question answer in hindi pdf download, अनुवांशिकता एवं जैव विकास Show 1. आनुवंशिक रोग किसे कहते हैं ? 2. आनुवंशिकता को परिभाषित कीजिए। इसकी खोज कब और किसने की ? इसी कारण मनुष्य की सन्तान मनुष्य, बन्दर की सन्तान बन्दर, गाय की सन्तान गाय तथा हाथी की सन्तान सदैव हाथी ही रहती है। विज्ञान की उस शाखा को जिसमें आनुवंशिक लक्षणों के माता-पिता से सन्तान में आने की रीतियों का अध्ययन करते हैं, आनुवंशिकी कहते हैं। इसकी खोज ग्रेगर जॉहन मेण्डल ने सन् 1866 में की। 3. आनुवंशिकी के गुणसूत्र सिद्धान्त का वर्णन कीजिए। 1. सभी जीवों में प्रत्येक लक्षण के लिए कम-से-कम एक जोड़ी जीन या कारक अवश्य होते हैं। 2. आनुवंशिक लक्षणों के जीन या आनुवंशिक कारक गुणसूत्रों पर पंक्तिबद्ध होते हैं और गुणसूत्रों के साथ एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में वंशागत होते हैं। 3. बहुकोशिकीय जीवों में जनन कोशिकाओं के माध्यम से विभिन्न पीढ़ियों में जैविक सम्बन्ध स्थापित रहता है। इसका अर्थ है कि आनुवंशिक लक्षणों के जीन जनन कोशिकाओं या युग्मकों द्वारा दूसरी पीढ़ी के जीवों में पहुँचते हैं। 4. किसी जीव के लक्षणों में शुक्राणु व अण्डाणु दोनों ही का बराबर का योगदान होता है। 5. युग्मक निर्माण के समय अर्धसूत्री विभाजन में गुणसूत्रों के व्यवहार से प्रमाणित होता है कि जीन गुणसूत्रों पर होते हैं। 6. जीवों की प्रत्येक कोशिका में गुणसूत्र जोड़ों में मिलते हैं किन्तु युग्मकों में प्रत्येक गुणसूत्र-युग्म में से केवल एक गुणसूत्र होता है। 7. अगुणित शुक्राणु व अण्डाणु के संलयन से बना युग्मज द्विगुणित होता है जिससे पूर्ण जीव का विकास होता है। 4. एकसंकर तथा द्विसंकर क्रॉस से आप क्या समझते हैं? उदाहरण देते हुए समझाइए। 5. गुणसूत्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। गुणसूत्रों के कार्य :
गुणसूत्रों के प्रकार: 2. लिंग गुण सूत्र (Sex chromosomes) जो गुणसूत्र लिंग- निर्धारण करते हैं उन्हें लिंग गुणसूत्र या हेटरोसोम कहते हैं। ये नर तथा मादा में अलग-अलग होते हैं। ये प्राय: X तथा Y गुणसूत्र कहलाते हैं। मनुष्य में लिंग निर्धारण XY गुणसूत्र द्वारा होता है। मनुष्य में 22 जोड़ी कायिक या ऑटोसोम तथा एक जोड़ी लिंग गुणसूत्र या हेटरोसोम होते हैं। 6. जीन का क्या अर्थ है ? जीन की प्रकृति संक्षेप में समझाइये। 1. जीन गुणसूत्र के क्रोमोनीमा पर माला के मोतियों के समान रैखिक क्रम में लगी रचनाएँ हैं जो आनुवंशिक लक्षणों का नियन्त्रण करती हैं। 2. जीन संचरण की इकाई (unit of transmission) हैं जो जनक से सन्तानों में पहुँचती हैं। 3. जीन उत्परिवर्तन की इकाई (unit of mutation) हैं जिनकी संरचना में परिवर्तन होता रहता है। 4. जीन कार्यिकी की इकाई (physiological units) हैं। ये जीवों के विभिन्न लक्षणों का नियन्त्रण करती हैं। 5. जीन DNA का वह भाग है जिसमें एक प्रोटीन या पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला के संश्लेषण की सूचना होती है। 7. मनुष्य में लिंग सहलग्न गुण से क्या तात्पर्य है ? वे किस प्रकार वंशागत होते हैं ? इनकी वंशागति लिंग सहलग्न वंशागति अथवा लिंग सहलग्नता (sex linkage) कहलाती है। मनुष्य में लगभग 120 प्रकार के लक्षणों की वंशागति ज्ञात है। मनुष्य में लिंग निर्धारित करने वाले गुणसूत्र; X तथा Y गुणसूत्र कहलाते हैं। यद्यपि इनकी संरचना में भिन्नता दिखायी देती है, फिर भी वर्तमान जानकारी के अनुसार इन गुणसूत्रों में कुछ भाग समजात होता है। ये भाग अर्द्धसूत्री विभाजन के समय सूत्रयुग्मन करते हैं, अन्यथा शेष भाग असमजात होता है। उपर्युक्त आधार पर लिंग-सहलग्न लक्षण तीन प्रकार के हो सकते हैं – 8. डार्विन के प्राकृतिक वरणवाद को उदाहरण सहित समझाइए। उत्तर: जैव विकास के सम्बन्ध में डार्विन का सिद्धान्त या डार्विनवाद चार्ल्स डार्विन (Charles Darwin, 1809-1882) एक अंग्रेज जीव वैज्ञानिक थे। डार्विन ने समुद्री यात्राओं द्वारा विभिन्न देशों तथा द्वीपों के जीवों का अध्ययन किया और जीवों के विकास के सम्बन्ध में अपने सिद्धान्त को “प्राकृतिक वरण द्वारा जातियों का उद्भव”(Origin of Species by Natural Selection) नामक पुस्तक में प्रकाशित किया। डार्विन का सिद्धान्त प्राकृतिक वरणवाद या डार्विनवाद (theory of natural selection or Darwinism) के नाम से प्रचलित है। यह सिद्धान्त निम्नलिखित तथ्यों को आधार मानकर प्रतिपादित किया गया – 2. जीवन संघर्ष सभी जीवों को जीवित रहने के लिए स्थान, प्रकाश तथा भोजन चाहिए, परन्तु सीमित स्थान तथा भोजन के कारण यह सम्भव नहीं हो पाता। अत: पैदा होते ही प्रत्येक जीव को जीवित रहने की आवश्यक सुविधाओं के लिए संघर्ष करना पड़ता है। इसको जीवन संघर्ष कहते हैं। इस जीवन संघर्ष के कारण ही रेखागणितीय अनुपात में बढ़ती जनसंख्या स्थिर रहती है। एक ही जाति के जीवों के मध्य होने वाला जीवन संघर्ष सबसे अधिक घातक होता है। 3. योग्यतम की उत्तरजीविता वही जीव जीवित रहता है, जो जीवन संघर्ष में वातावरण के अनुकूल होता है और आवश्यकतानुसार परिवर्तन करके स्वयं को और अधिक अनुकूल बना लेता है। अनुकूलन से वह सशक्त हो जाता है। संघर्ष में निर्बल जीव नष्ट हो जाते हैं अर्थात् योग्यतम ही जीवित रहता है। इस प्रकार प्रत्येक जाति के जीवों की संख्या लगभग स्थिर बनी रहती है। 4. प्राकृतिक वरण जीवित रहने के लिए जीवों में जो संघर्ष होता है, इसमें जो जीव प्राकृतिक वातावरण के अनुकूल होते हैं, वे ही जीवित रहते हैं तथा अन्य नष्ट हो जाते हैं। अतः प्रकृति स्वयं ही श्रेष्ठ व अनुकूल जीवों का वरण करती है, जिसको प्राकृतिक वरण कहते हैं। 5. विभिन्नतायें प्रत्येक जाति के जीवों में विभिन्नतायें मिलती हैं। इन्हीं विभिन्नताओं के कारण कुछ जीव वातावरण के अनुकूल होते हैं। जो विभिन्नतायें उत्पन्न होती हैं, वे सन्तानों में वंशानुगत हो जाती हैं, जिससे सन्तान भी उस वातावरण के लिए अनुकूलित हो जाती है। यहाँ यह भी माना गया है कि विभिन्नतायें लाभदायक अथवा हानिकारक हो सकती हैं। लाभदायक अथवा उपयोगी विभिन्नतायें ही जीव को योग्य बनाने में सक्षम होती हैं तथा उस जीव को जीवित रहने में सहायता करती हैं। 6. नयी जातियों की उत्पत्ति जीवन संघर्ष में योग्य सिद्ध करने के लिए उत्पन्न विभिन्नतायें एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में वंशानुगत होती रहती हैं, साथ-ही-साथ सन्तान में भी स्वयं कुछ विशेष लक्षण तथा विभिन्नतायें उत्पन्न हो जाती हैं। कुछ पीढ़ियों के बाद लक्षणों तथा विभिन्नताओं की वंशागति इतनी अधिक हो जाती है कि सन्तानें अपने पूर्वजों से भिन्न हो जाती हैं और इस तरह नयी जातियों की उत्पत्ति हो जाती हैं। science vvi subjective class 10, science class 10 vvi subjective question, 10th class science subjective question, Science ka subjective question, Science ka objective, 10th class science Objective Questions in hindi, matric ka question 2022, अनुवांशिकता एवं जैव विकास अनुवांशिकता को परिभाषित कीजिए इसकी खोज कब और किसने की?अनुवांशिकता की खोज किसने किया था? अनुवांशिकी के पिता ग्रेगर जॅान मेंडल को कहा जाता है।
आनुवंशिकता की परिभाषा लिखिए इसके जनक कौन थे इनके आनुवंशिकता के नियम कौन कौन से हैं स्पष्ट कीजिए?आनुवंशिकी के जनक कौन हैं –
ग्रेगर जॉन मेंडल एक गिरजाघर में पादरी थे। वहीं पर अवकाश के समय पर बगीचे में मटर के पौधों के संकरण में बहुत सारे प्रयोग किया। 8 वर्षों की कठिन मेहनत के बाद 1866 में आनुवंशिकी के नियम की खोज की। मेण्डल ने अपने प्रयोग के लिए मटर के पौधों का उपयोग किया।
आनुवंशिकता क्या है इसके जनक?Solution : अनुवांशिकी के जनक ग्रेगर जान मेण्डल है।
अनुवांशिकी की खोज कब हुई?मेंडल के काम के प्रस्तावक विलियम बेटसन ने 1905 में आनुवांशिकी शब्द गढ़ा था, (ग्रीक शब्द जीनसिस से लिया गया विशेषण आनुवंशिक- γένεσις, "मूल", संज्ञा से पूर्ववर्ती है और पहली बार एक जैविक अर्थ में प्रयुक्त हुआ था) 1860 में )।
|