हामिद ने अपनी दादी के लिए चिमटा क्यों खरीदा? - haamid ne apanee daadee ke lie chimata kyon khareeda?

विषयसूची

  • 1 हामिद ने मेले में चिमटे को ही क्यों खरीदा समझाइए?
  • 2 हामिद के बारे में आप क्या जानते हैं?
  • 3 मेले में चिमटा खरीदने से पहले हामिद के मन में कौन कौन से विचार आए वर्णन कीजिए?
  • 4 हामिद के पिता का नाम क्या है?
  • 5 हामिद के चरित्र की विशेषता कौनसी है?
  • 6 हामिद के पास कितने पैसे हैं?

हामिद ने मेले में चिमटे को ही क्यों खरीदा समझाइए?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: हामिद ने ईद के मेले से तीन पैसों में लोहे का चिमटा खरीदा, क्योंकि उसकी दादी के पास चिमटा नहीं था। जब वे तवे पर से रोटियाँ उतारतीं तो उनके हाथ की उँगलियाँ जल जाती थीं, इसलिए हामिद ने दादी के लिए चिमटा खरीदा।

हामिद के माता पिता को क्या हुआ था?

इसे सुनेंरोकेंकहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए। उत्तर : अमीना ने हामिद को उसके माता-पिता के संबंध में झूठ बोला था। हामिद को यही पता था कि उसके पिता व्यापार के लिए बाहर गए हैं तथा उसकी माँ अल्लाह मियाँ के यहाँ गई हैं।

हामिद के बारे में आप क्या जानते हैं?

इसे सुनेंरोकेंहामिद बेहद भावुक और संवदेशील है और वो अपनी दादी से प्रेम करने वाला है। जब वो ये देखता है कि उसकी दादी बिना चिमटे के रोटी बनाती है जिस कारण उसकी दादी के हाथ जल जाते हैं तो वह अपनी दादी की सुविधा के लिए दादी द्वारा मेले में उसको खाने-खिलौने के लिए दिये गये पैसों से चिमटा खरीद लेता है।

हामिद चरखी पर क्यों नहीं बैठा?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: क्योकि उसे अपनी दादी के लिए चिमटा लेना थाऔर चरखी पर बैठकर पैसे बर्बाद नही करना चाहता था।

मेले में चिमटा खरीदने से पहले हामिद के मन में कौन कौन से विचार आए वर्णन कीजिए?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: मेले में चिमटा खरीदने से पहले हामीद के मन में एक वयस्क की तरह विचार करने लगा। खिलौने सभी अच्छे हैं किसे लें। हरेक का दाम दो पैसे हैं, सभी खिलौने भी नहीं होंगे ।

हामिद ने चिमटे को कौन सी उपमा दी?

इसे सुनेंरोकेंजब हामिद ने अमीना को चिमटा दिया, तो अमीना का दिल भर आया। वह उस बच्चे के उज्जवल भविष्य के लिए अल्लाह से दुआएँ करने लगी और रोने लगी। वह जानती थी कि हामिद के सिर से माता-पिता का साया हट गया है। यदि उसके माता-पिता होते, तो उसका भविष्य ऐसा नहीं होता।

हामिद के पिता का नाम क्या है?

इसे सुनेंरोकें____ हामिद चार-पाँच साल का दुबला-पतला लड़का है, वह अपनी दादी अमीना के साथ रहता है। उसके माता-पिता गत वर्ष गुज़र चुके हैं, परन्तु उसे बताया गया है कि उसके अब्बाजान रुपये कमाने गए हैं और उसकी अम्मीजान अल्लाह मियाँ के घर से उसके लिए अच्छी-अच्छी चीजें लाने गई हैं। इसलिए हामिद आशावान है और प्रसन्न है।

हामिद के खुशी का कारण क्या है?

इसे सुनेंरोकेंअम्मीजान अल्लाह मियाँ के घर से उसके लिए बहुत सी चीजें लाने गयी है। हामिद का दिल निर्मल और खुश है। वह ईद का मेला भी देखने जा रहा है। यही हामिद की खुशी का कारण है।

हामिद के चरित्र की विशेषता कौनसी है?

इसे सुनेंरोकेंहामिद के अंदर चतुराई भी है, वह जानता है कि उसके पास कम पैसे हैं और उसके दोस्त जब पैसे मिठाई-खिलौनों आदि में पैसे खर्च करते हैं तो वो खिलौनों और मिठाई की बुराइयां बताकर दोस्तों के सामने अपनी निर्धनता छुपाकर स्वयं को शर्मिंदा होने से बचा लेता है।

हामिद के पिता की मृत्यु कैसे हुई?

इसे सुनेंरोकेंहामिद के पिता की मृत्यु हैजे नामक संक्रमण की बिमारी से हुई। हामिद के बचपन में ही उसकी माँ की मृत्यु हो गई थी। हामिद ने चिमटा इसलिए खरीदा रोटी बनाते समय अमीना के हाथों में छाले पड़ गये थे।

हामिद के पास कितने पैसे हैं?

इसे सुनेंरोकेंउसके पास बारह पैसे हैं. मोहसिन के पास एक, दो, तीन, आठ, नौ, पंद्रह पैसे हैं. इन्हीं अनगिनती पैसों में अनगिनती चीजें लाएँगे-खिलौने, मिठाइयाँ, बिगुल, गेंद और जाने क्या-क्या! और सबसे ज़्यादा प्रसन्न है हामिद.

हामिद ने मेले में क्या खरीदा?

इसे सुनेंरोकेंईद के मौके पर वह अपनी दादी से तीन पैसे लेकर अपने दोस्तों के साथ मेले में जाता है। उसके दोस्त मेले में खूब मस्ती करते हैं, खिलौने खरीदते हैं लेकिन हामिद को मेले में भी अपनी दादी का ख्याल आता है और वह तीन पैसे में दादी के लिए चिमटा खरीद लेता है, क्योंकि उसकी दादी जब खाना बनाती है तो उनके हाथ जल जाते हैं।

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कभी हामिद ने दादी के लिए खरीदा था चिमटा और आज बदलते वक्त में किसी के पास किसी के लिए नहीं है समय

रंगमंच आर्ट एंड कल्चरल सोसाइटी, बेगूसराय की ओर से ऋषिकेश कुमार के निर्देशन में विभिन्न कवियों की कविताओं पर आधारित नाटक ‘वक़्त नहीं है\\\' का मंचन प्रेमचंद रंगशाला में किया गया। इसमें दिखाया गया कि आज के बदलते दौर में किसी के पास वक्त नहीं है। वक्त एक तरफ धीरे-धीरे निकलते जा रहा है वहीं लोग इंतजार में बैठे हुए हैं। इसके बाद रंग उमंग की ओर से सत्य प्रकाश के निर्देशन में प्रेमचंद की कहानी पर आधारित नाटक ‘ईदगाह\\\' का मंचन हुआ।

मंचित नाटक ईदगाह की कहानी एक गरीब बालक हामिद के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसके माता-पिता की मृत्यु हो चुकी है और वह दादी अमीना के साथ रहता है। ईद के मौके पर वह अपनी दादी से तीन पैसे लेकर अपने दोस्तों के साथ मेले में जाता है। उसके दोस्त मेले में खूब मस्ती करते हैं, खिलौने खरीदते हैं लेकिन हामिद को मेले में भी अपनी दादी का ख्याल आता है और वह तीन पैसे में दादी के लिए चिमटा खरीद लेता है, क्योंकि उसकी दादी जब खाना बनाती है तो उनके हाथ जल जाते हैं। नाटक में खुशी, सृष्टि, राजनंदनी, नेहा रानी, आयुष कुमार के अलावा अन्य कलाकारों ने किरदार को बखूबी निभाया। इनके अभिनय ने दर्शकों को भावविभोर किया।

इससे पहले द स्ट्रगलर्स की ओर से रमेश कुमार रघु के निर्देशन में और सौरभ सागर लिखित नुक्कड़ नाटक ‘स्टेज ऑफ लाइफ’ का शानदार प्रदर्शन हुआ। इसमें युवाओं की सोच, सरकारी व्यवस्था और व्यावहारिक ज्ञान को दिखाया गया। नाटक में पूजा, प्रिया शर्मा, सृष्टि कश्यप, सौरभ सागर, महेंद्र, विशाल गुप्ता, संजू पासवान, सत्यम शिवम, विपिन, देवराम, राणा नीलेंद्र, अंकित राज, सौरभ झा, आदित्य और नीरज मौर्य ने अभिनय किया।

प्रेमचंद की कहानी पर आधारित नाटक ‘ईदगाह’ और वक़्त नहीं है’ का मंचन, ‘स्टेज ऑफ लाइफ’ का प्रदर्शन