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भारत में शहरीकरण स्वतन्त्रता के बाद होने वाली वह घटना है जिसमें भारत में नगरों कि संख्या और आकार में तेज़ी से बढ़ोत्तरी हुई है और साथ ही कुल जनसंख्या में शहरी जनसंख्या का प्रतिशत भी बढ़ा है। इन्हें भी देखें[संपादित करें]
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Mumbai is the most populous city in India, and the fourth most populous city in the world, with a total metropolitan area population of approximately 20.5 million. शहरी क्षेत्रों के भौतिक विस्तार (क्षेत्रफल, जनसंख्या आदि का विस्तार) शहरीकरण (Urbanisation) कहलाता है। यह एक वैश्विक परिवर्तन है। संयुक्त राष्ट्र संघ की परिभाषा के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों का शहरों में जाकर रहना और काम करना भी 'शहरीकरण' है। शहरीकरण या नगरीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत एक समाज के समुदाय के आकार और शक्ति में वृध्दि होती रहती है जब तक की वे संपूर्ण जनसंख्या के अधिकांश भाग को सम्मिलित नहीं कर लेते हैं और सम्पूर्ण समाज पर प्रकार्यात्मक और सांस्कृतिक आधिपत्य स्थापित नही कर लेते। किसी राष्ट्र की जनसंख्या का बढ़ता हुआ आकार जब शहर की तरफ निवास के लिए जमा होता है तो उसे नगरीकरण या “शहरीकरण” कहते है।।। वैसा प्रक्रिया जिसके अंतर्गत शहरों का अधिक पैमाने पर विस्तार होता है, शहरीकरण कहलाता है । इन्हें भी देखें[संपादित करें]
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1. ग्रामीण तथा नगरीय जीवन के बीच भिन्नताओं को स्पष्ट करें। उत्तर ⇒ ग्रामीण तथा शहरी या नगरीय जीवन के बीच दो मूलभूत अंतर देखा जाता है। प्रथम जनसंख्या का घनत्व और दूसरा कृषि आधारित आर्थिक क्रियाओं का अनुपात। नगरों में जनसंख्या का घनत्व ग्रामीण इलाकों से अधिक होता है। गाँवों में कम लोग ही अधिक स्थानों में रहते हैं परंतु नगरों में कम स्थानों में अधिक लोग रहते हैं। इसलिए गाँव जहाँ खुलापन लिए होते हैं वहीं शहर संकुचित एवं भीड़-भाड़ वाले होते हैं। नगरों और गाँवों में दूसरा मूलभूत अंतर कृषिजन्य क्रियाकलापों से संबंधित है। ग्रामीण जनसंख्या का एक बहुत बड़ा भाग कृषि और इसके उत्पाद पर आश्रित रहता है और वही इनकी आजीविका का मुख्य साधन होता है। इसके विपरीत शहरी जनसंख्या का अधिकांश भाग गैर-कृषि व्यवसायों विशेषकर नौकरी, उद्योग तथा व्यापारिक गतिविधियों में लगी रहती है। इसके अतिरिक्त ग्रामीण तथा शहरी जीवन की अर्थव्यवस्था एक-दूसरे से भिन्न होती है। शहरी अर्थव्यवस्था मुद्रा प्रधान अर्थव्यवस्था होती है। यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था की तुलना में अधिक गतिशील होती है। 2. शहरीकरण की प्रक्रिया में व्यवसायी वर्ग, मध्यम वर्ग एवं मजदूर वर्ग की भूमिका की चर्चा करें। उत्तर ⇒ शहरीकरण की प्रक्रिया से समाज में विभिन्न वर्गों का अस्तित्व आया। शहरीकरण की प्रक्रिया में इन वर्गों की भूमिका क्रमानुसार इस प्रकार है व्यवसायी वर्ग – शहरीकरण की प्रक्रिया के कारण व्यापार तथा वाणिज्य का विकास हुआ। नये-नये व्यवसायों के कारण विभिन्न व्यवसायी वर्ग का उदय हुआ चुकी व्यापार शहरों में ही होते थे इसलिए शहरों में ही विभिन्न व्यवसायी वर्ग अस्तित्व में आए। शहरों में यह व्यवसायी वर्ग एक नये सामाजिक शक्ति के रूप में उभरकर आए। मध्यम वर्ग – शहरीकरण के परिणामस्वरूप समाज के एक नये वर्ग मध्यम वर्ग का उदय हुआ। यह एक शिक्षित वर्ग था जो विभिन्न पेशों में रहकर भी औसतन एक समान आय प्राप्त करने वाला वर्ग के रूप में उभरकर सामने आया एवं बुद्धिजीवी वर्ग कहलाया। यह मध्यम वर्ग शहरों में विभिन्न रूपों में कार्यरत जैसे-शिक्षक, वकील, चिकित्सक, इंजीनियर, क्लर्क, एकाउंटेंट्स आदि। समाज पर इनका व्यापक प्रभाव था। ये राजनीतिक आदोलन में भाग लेते थे एवं इसे नेतृत्व भी प्रदान करते थे। मजदूर वर्ग – शहरीकरण की प्रक्रिया ने समाज में जहाँ एक ओर पूँजीपति वर्ग को जन्म दिया वहीं दूसरी ओर प्रमिक या मजदूर वर्ग को भी। कारखानेदारी प्रथा से शहरों में श्रमिक वर्ग का भी उदय और विकास हुआ। ये मजदूर वर्ग संगठित होकर अपना संगठन बनाये तथा अपनी मांगों के समर्थन में समय-समय पर हड़ताल भी किए। इस प्रकार हड़ताल और श्रमिक आंदोलन आधुनिक शहरों की विशेषता बन गई। 3. शहरी जीवन में किस प्रकार के सामाजिक बदलाव आए ? उत्तर ⇒ शहरी जीवन के कारण विभिन्न प्रकार के सामाजिक बदलाव आए, जो निम्नलिखित हैं (i)शहरों में ‘सामूहिक पहचान’ के सिद्धांत को बढ़ावा मिला। ये समूह विभिन्न प्रजातियों, नृजातियों, जातियों, प्रदेश, क्षेत्रीयता का प्रतिनिधित्व करते हैं। कम स्थान में विभिन्न प्रकार के लोगों के रहने से पहचान की भावना बढ़ती है। (ii)शहरीकरण के कारण शहरों में नए सामाजिक समूह बने। ये समूह व्यावसायिक थे जैसे बुद्धिजीवी, नौकरी पेशा समूह, राजनीतिज्ञ, चिकित्सक, व्यापारी इत्यादि। व्यवसायी वर्ग नगरों के उदय का एक प्रमुख कारण बना। (iii) शहरीकरण के कारण समाज के नये मध्यमवर्ग का उदय हुआ। यह वर्ग पढ़ा-लिखा था। इसके अधिकांश सदस्य या तो नौकरी पेशा से संबंधित थे अथवा स्वतंत्र व्यवसाय में कार्यरत थे—जैसे वकील, डॉक्टर, लिपिक इत्यादि। ये नये सामाजिक परिवर्तनों को अपनाकर इनका प्रसार करते थे। समाज पर इनका व्यापक प्रभाव था। (iv) शहरीकरण के कारण समाज में पूँजीपति वर्ग का भी उदय हुआ। अपनी पूँजी के आधार पर ये उद्योगों को नियंत्रित करते थे। आर्थिक उन्मुक्तवाद की नीति का लाभ उठाकर इन लोगों ने अपार धन संग्रह किया था। ये मजदूरों का शोषण करते थे। इसलिए धीरे-धीरे इनके विरुद्ध मजदूरों में प्रतिक्रिया हुई और मजदूर आंदोलन हुए। (v) शहरी जीवन ने श्रमिकों के जीवन स्तर में भी काफी बदलाव लाए । कारखानों और उद्योगों में रोजगार की तलाश में गाँवों से आकर बड़ी संख्या में भूमिहीन किसान और मजदूर शहरों में बसने लगे। इनके श्रम पर ही औद्योगिक इकाइयाँ चली। परंतु पूँजीपतियों ने श्रमिकों का शोषण किया। फलतः श्रमिक संगठित हुए और श्रमिक संघों की स्थापना की गई। श्रमिकों ने अपनी मांगों की पूर्ति के लिए समय-समय पर हड़ताल किये। इस प्रकार हड़ताल और श्रमिक आंदोलन आधुनिक शहरों की विशेषता बन गई। शहरी जीवन ने औरतों के प्रति सोच में भी काफी बदलाव लाया। औरतों ने भी मताधिकार की माँग अथवा विवाहित स्त्रियों को संपत्ति में अधिकार देने के लिए आंदोलन चलाया। 4. शहरीकरण से आप क्या समझते हैं ? शहरीकरण में सहायक तत्वों का उल्लेख करें। या, शहरों के विकास की पृष्ठभूमि एवं उसके प्रक्रिया पर प्रकाश डालें। उत्तर ⇒ शहरीकरण का इतिहास काफी पुराना है। मानव सभ्यता के विकास के साथ-साथ शहरों का भी उदय और विकास हुआ। सुमेर (मेसोपोटामिया), हड़प्पा (भारत-पाकिस्तान) रोम और यूनानी सभ्यताओं में अनेक नगर विकसित हुए। मध्यकालीन और आधुनिक काल में भी शहरीकरण की प्रक्रिया जारी रही। प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक शहरों के स्वरूप में अंतर देखा जा सकता है। इन सभी शहरों की एक साझा विशेषता थी कि शहर गैर कषक उत्पादन, व्यवसाय और व्यापार के केंद्र थे। शहरों में नगरीय जीवन एवं संस्कृति का विकास हुआ। शहरीकरण उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसके अंतर्गत गाँव, छोटे कस्बे, शहर, र और महानगर में तब्दील हो जाते हैं। शहरों के उदय और विकास में अनेक नों का योगदान रहा है। इनमें आर्थिक, राजनीतिक और धार्मिक कारणों का समान महत्त्वपूर्ण है। शहरों का उदय एवं इसकी विकास की प्रक्रिया में तीन तत्त्वों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। ये हैं – (i) औद्योगिक पूँजीवाद का उदय 5. शहरीकरण का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ा ? प्रदूषण को रोकने के लिए क्या प्रयास किए गए ? उत्तर ⇒ शहरीकरण का प्रतिकूल प्रभाव पर्यावरण पर पड़ता है। शहरों में कल-कारखानों के खुलने, बेतरतीब भीड़, गाड़ियों और लोगों की लगातार आवाजाही, गंदगी और धूल से पर्यावरण दूषित होगा। शहरों का विस्तार करने के क्रम में पाकतिक वातावरण को नष्ट कर दिया गया।
जंगल काटे गए, पहाड़ियों को समतल किया गया तथा तटीय इलाकों को भूमि के रूप में परिवर्तित किया गया। इन सबका परिणाम हुआ पर्यावरण का दूषित होना। हवा, पानी को गंदगी ने प्रदूषित कर दिया, शोर-शराबे से भी वायु प्रदूषण बढ़ा। धीरे-धीरे नगर नियोजक इन समस्याओं की 6. बंबई की चॉल और उनमें रहने वालों के जीवन पर एक संक्षिप्त निबंध लिखें। उत्तर ⇒ चॉल मुख्यतः
गरीब लोगों और बाहर से बंबई में आकर बसनेवाले लोगों के लिए बनवाए गए। 1901 की जनगणना के अनुसार बंबई की लगभग 80 प्रतिशत आबादी इन चॉलों में रहती थी। 7. पेरिस के हॉसमानीकरण से आप क्या समझते हैं ? पेरिस कापुनर्निर्माण कैसे किया गया ? उत्तर ⇒1852 में फ्रांस के सम्राट लुई तृतीय ने पेरिस के पुनर्निर्माण का निर्णयलिया। यह कार्य सियाँ नामक स्थान के प्रीफेक्ट बैरान हॉसमान जो एक विख्यातऔर कुशल वास्तुकार था को सौंपा गया। पेरिस के पुनर्निर्माण के दो स्पष्ट उद्देश्य थे। (i)नगर को सुंदर, भव्य और आकर्षक बनाना तथा (ii) पेरिस में बगावत कीसंभावना को रोकने के लिए नगर में गरीबों की बस्ती को नष्ट करना। हॉसमान द्वारापेरिस का पुनर्निर्माण ‘पेरिस का हॉसमानीकरण’ कहलाता है। 8. 19 वीं शताब्दी में इंगलैंड में मनोरंजन के कौन से साधन थे ? उत्तर ⇒ 19वीं शताब्दी में इंगलैंड के शहरवासियों के लिए विभिन्न प्रकार केमनोरंजन की व्यवस्था की गयी। मशीनी जीवन व्यतीत करने के साथ-साथ रविवारएवं छुट्टियों का दिन आराम और मनोरंजन में व्यतीत करने के लिए समाज के विभिन्नवर्गों ने अलग-अलग रास्ते ढूँढ़े। 18वीं शताब्दी के अंतिम दशक से तीन-चार सौधनी एवं संभ्रात परिवार के लोगों के मनोरंजन के लिए ऑपेरा रंगमंच और शास्त्रीय संगीत के सांस्कृतिक
कार्यक्रम आयोजित किए जाते थे। 19वीं सदी में मनोरंजन का एक प्रमुख केंद्र शराबखाना था। रेलवे का आरंभ होने के पूर्व शराबखानों में लोग घोड़ागाड़ियों से आते थे। शराबखाने सामान्यतः घोड़ागाड़ियों के रास्ते में स्थापित किए गए। इनमें मुसाफिर आकर ठहरते थे और रात्रि विश्राम भी करते थे। ये मुगलकालीन भारत में प्रचलित सराय के समान थे। 9. पाटलिपुत्र (पटना) के इतिहास का संक्षिप्त विवरण दीजिए। उत्तर ⇒ पाँचवीं शताब्दी ई० पूर्व में मगध साम्राज्य की राजधानी राजगृह से स्थानांतरित कर पाटलिपुत्र में बनाई गई। नंदों और मौयों के शासन काल
में इस नगर का चातुर्दिक विकास हुआ। यूनानी राजदूत मेगास्थनीज ने इस नगर की यात्रा की एवं इसका विवरण लिखा। बाद में चीनी यात्री फाहियान एवं ह्वेनसांग भी यहाँ आए। गुप्तकाल तक पाटलिपुत्र शिल्प, व्यापार, शिक्षा और सांस्कृतिक गतिविधियों का केन्द्र बना रहा। 10. लंदन में “गार्डन सिटी” की योजना क्यों बनाई गई ? इस योजना का कार्यान्वयन कैसे किया गया ? उत्तर ⇒ लंदन में “गार्डन सिटी” की योजना इसलिए बनाई गई क्योंकि स्वच्छ वातावरण में रहने और काम करने से लोग अच्छे नागरिक बन सकेंगे। लंदन में धनी लोगों के लिए वास्तुकार और योजनाकार एवेनेजर हावर्ड ने बागीचों के शहर या गार्डन सिटी की योजना तैयार की। इस शहर की योजना इस रूप में बनाई गई कि शहर में साफ-सुथरे बाग-बागीचे हों, लोगों के रहने और उनके काम करने के स्थान हों। हावर्ड का मानना था कि ऐसे स्वच्छ वातावरण में रहने और काम करनेवाले लोग अच्छे नागरिक बन सकेंगे। हावर्ड की योजना के आधार पर रेमंड अनविन और बैरी पार्कर ने न्यू अर्जविंक नामक बागीचों के शहर का खाका बनाया। इस शहर में बाग-बागीचों, मनमोहन परिदृश्यों, साफ-सुथरे भव्य मकानों की व्यवस्था की गई जिसमें नए सामुदायिक जीवन का विकास हुआ परंतु महँगे होने के कारण इस शहर में सिर्फ कुलीन और संपन्न लोग ही रह सकते थे, गरीबों के लिए इसमें स्थान नहीं था। 11. लंदन में भूमिगत रेलवे का निर्माण क्यों किया गया? इसकी क्या प्रतिक्रिया हुई ? उत्तर ⇒ लंदन का जब विस्तार होने लगा तब यह शहर इतना विशालकाय हो गया कि लोगों को अपने कार्यस्थल पर पैदल पहुँचना कठिन हो गया। इसके अतिरिक्त लंदन के बाहर के उपशहरों में रहनेवाले लोगों को भी लंदन पहुँचने में मुश्किलें आ रही थी। इसलिए परिवहन के साधनों के विकास की आवश्यकता पड़ी। इसके लिए भूमिगत रेलवे के विकास की योजना बनाई गई। इसका सबसे बड़ा लाभ था कि लोग उपनगरीय बस्तियों से सुविधापूर्वक लंदन आकर अपना काम कर सकते थे। इसका दूसरा लाभ यह था कि भूमिगत रेलवे की सुविधा होने से लंदन परने आबादी का बोझ कम हो जाता। इसलिए 19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में लंदन मेंभूमिगत रेल का विकास किया गया। भूमिगत रेलवे के विकास के साथ इसकी प्रतिक्रिया भी व्यक्त की गई। आरंभ में लोगों को भूमिगत रेल से यात्रा करना असुविधाजनक और भयभीत कर देने वाला लगता था। अखबार में एक पाठक ने भूमिगत रेल में अपनी यात्रा का अनुभव इस प्रकार लिखा, “मेरा मानना है कि इन भूमिगत रेलगाड़ियों को फौरन बंद कर देना चाहिए। ये स्वास्थ्य के लिए भयानक खतरा है।” इसी तरह की निराशाजनक प्रतिक्रिया कुछ अन्य लोगों की भी थी। उनका कहना था कि, “इन लौहदैत्यों ने शहर की अफरातफरी और अस्वास्थ्यकर माहौल को और बढ़ा दिया है।” अनुमानतः दो मील लंबी लाइन बिछाने के लिए नौ सौ घर गिरा दिए जाते थे। 12. एक औपनिवेशिक शहर के रूप में बंबई शहर के विकास की समीक्षा करें। उत्तर ⇒ बंबई भारत का एक प्रमुख शहर था। सत्रहवीं शताब्दी में यह सात टापुओं का इलाका था। 1661 ई० में इंगलैंड के सम्राट चार्ल्स द्वितीय का विवाह पुर्तगाल की राजकुमारी से हुआ, जिसके परिणामस्वरूप पुर्तगाल ने चार्ल्स द्वितीय को दहेज में बंबई दे दिया। बाद में चार्ल्स-11 ने बंबई को ईस्ट इंडिया कंपनी को दे दिया। अपने व्यापार और राजनीतिक प्रभाव के विकास के क्रम में ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंबई का विकास कर उसे महानगर में परिवर्तित कर दिया। बंबई का महत्त्व कपड़ा निर्यात केंद्र के रूप में था। अत: कंपनी ने पश्चिम भारत के प्रमुख बंदरगाह सूरत के स्थान पर बंबई को अपनी व्यापारिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। 19वीं शताब्दी से बंबई का विकास एक महत्त्वपूर्ण बंदरगाह के रूप में होने लगा। यहाँ से अफीम और कपास का निर्यात किया जाता था। व्यापार के विकास के साथ-साथ यहाँ प्रशासकीय गतिविधियाँ भी बढ़ गई। अत: यह पश्चिमी भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी का मुख्यालय भी बन गया। औद्योगिकीकरण का जब विकास हुआ तो बंबई बड़े औद्योगिक केंद्र के रूप में बदल गया। ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंबई को बंबई प्रेसीडेंसी की राजधानी बनाई। इसके बाद बंबई का तेजी से विकास हुआ। शहर फैलने लगा, व्यापारी, कारीगर, उद्योगपति, दुकानदार, श्रमिक बड़ी संख्या में यहाँ आकर बसने लगे। इससे बंबई पश्चिमी भारत का सबसे प्रमुख नगर बन गया। औद्योगिकीकरण के कारण बंबई नगर का तेजी से विकास हुआ। 1854 में बंबई में पहली सूती मिल की स्थापना के साथ ही बंबई औद्योगिकीकरण के मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ा। Geography ( भूगोल ) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
History ( इतिहास ) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
Political Science दीर्घ उत्तरीय प्रश्नEconomics ( अर्थशास्त्र ) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
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