1. भाषा के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन उचित है या नहीं, इसकी जांच के लिए संविधान सभा के अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अवकाशप्राप्त न्यायाधीश एस. के. धर की अध्यक्षता में एक चार सदस्यीय आयोग की नियुक्ति की. इस आयोग ने भाषा के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन का विरोध किया और प्रशासनिक सुविधा के आधार पर राज्यों के पुनर्गठन का समर्थन किया. Show
2. धर आयोग के निर्णयों की परीक्षा करने की लिए कांग्रेस कार्य समिति ने अपने जयपुर अधिवेशन में जवाहरलाल नेहरू, बल्लभ भाई पटेल और पट्टाभि सीतारमैय्या की एक समिति का गठन किया. इस समिति ने भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की मांग को खारिज कर दिया. 3. नेहरू पटेल एवं सीतारमैय्या (जे. वी. पी. समिति) समिति की रिपोर्ट के बाद मद्रास राज्य के तेलगु-भाषियों नें पोटी श्री रामुल्लू के नेतृत्व में आंदोलन प्रारम्भ हुआ. 4. 56 दिन के आमरण अनशन के बाद 15 दिसंबर, 1952 ई० को रामुल्लू की मृत्यु हो गई. 5. रामुल्लू की मृत्यु के बाद प्रधानमंत्री नेहरू ने तेलगुभाषियों के लिए पृथक आंध्र प्रदेश के गठन की घोषणा कर दी. 6. 1 अक्टूबर, 1953 ई० को आंध्र प्रदेश राज्य का गठन हो गया. यह राज्य स्वतन्त्र भारत में भाषा के आधार पर गठित होने वाला पहला राज्य था. 7. राज्य पुनर्गठन अयोग के अध्यक्ष फजल अली थे; इसके अन्य सदस्य प० हृदयनाथ कुंजरू और सरदार के एम. पणिक्कर थे. 8. राज्य पुनर्गठन अधिनियम जुलाई 1956 ई० में पास किया गया. इसके अनुसार भारत में राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश स्थापित किए गए. 9. नवंबर, 1954 ई० को फ्रांस की सरकार ने अपनी सभी बस्तियां पांडिचेरी, यनाम, चंद्रनगर और केरिकल को भारत को सौंप दिया; 28 मई 1956 ई० को इस संबंध में संधि पर हस्ताक्षर हो गए. इसके बाद इन सभी को मिला कर 'पांडिचेरी संघ राज्य क्षेत्र' का गठन किया गया. 10. भारत सरकार ने 18 दिसंबर, 1961 ई० को गोवा, दमन द्वीप की मुक्ति के लिए पुर्तगालियों के विरुद्ध कार्रवाई की और उन पर पूर्ण अधिकार कर लिया. बारहवें संविधान संशोधन द्वारा गोवा, दमन और द्वीप को प्रथम परिशिष्ट में शामिल करके अभिन्न अंग बना दिया गया. 11. 1 मई, 1960 ई० को मराठी एवं गुजराती भाषियों के बीच संघर्ष के कारण बम्बई राज्य का बंटवारा करके महाराष्ट्र एवं गुजरात नामक दो राज्यों की स्थापना की गई. 12. नागा आंदोलन के कारण असम को विभाजित करके 1 दिसंबर, 1063 ई० में नागालैंड को अलग राज्य बनाया गया. 13. 1 नवंबर,1966 ई० में पंजाब को विभाजित करके (पंजाबी भाषा) एवं हरियाणा (हिंदी भाषी) दो राज्य बना दिए गए. 14. 25 जनवरी, 1971 ई० को हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया. 15. 21 जनवरी, 1972 ई० मणिपुर, त्रिपुरा एवं मेघालय को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया. 16. 26 अप्रैल,1975 ई० सिक्किम भारत का 22वां राज्य बना. 17. 20 फरवरी, 1987 ई० में मिजोरम एवं अरुणाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया. 18. 30 मई, 1987 ई० में गोवा को 25वां राज्य का दर्जा दिया गया. 19. 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ 26वां राज्य, 9 नवंबर 2000 में उत्तरांचल (अब उत्तराखंड) 27वां राज्य, 15 नवंबर 2000 को झारखंड 28वां राज्य और 02 जून 2014 को तेलंगाना को भारत का 29वां राज्य बनाया गया. 20. वर्तमान समय में भारत में 29 राज्य और 7 केंद्र शासित प्रदेश हैं. 21. क्षेत्रीय परिषद: भारत में पांच क्षेत्रीय परिषद हैं. इनका गठन राष्ट्रपति के द्वारा किया जाता है और केंद्रीय गृहमंत्री या राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत केंद्रीय मंत्री क्षेत्रीय परिषद का अध्यक्ष होता है. संबंधित राज्यों के मुख्यमंत्री उपाध्यक्ष होते हैं, जो प्रतिवर्ष बदलते रहते हैं. भाषा पर विवाद या बहस का मुद्दा कोई नया नहीं है. आजादी के बाद जब राज्यों के पुनर्गठन की बात सामने आई थी, तब भी ये विषय बड़ा मुद्दा बना था.भाषा (Language) को विचारों के आदान-प्रदान का प्रमुख माध्यम माना जाता है, मगर देश में भाषा को लेकर एक अलग ही बहस छिड़ी है, पिछले दिनों साउथ सुपरस्टार किच्चा सुदीप और अजय देवगन (Ajay Devgn) के बीच भी ऐसी ही एक बहस हुई थी, जो अब शांत हो चुकी है, लेकिन तमाम अभिनेता और नेता अभी भी इस पर बयान दे रहे हैं, हालांकि ये विवाद या बहस का मुद्दा नया नहीं है. आजादी के बाद जब राज्यों के पुनर्गठन की बात सामने आई थी, तब भी ये विषय बड़ा मुद्दा बना था. उस समय भाषा के आधार पर राज्यों का बंटवारा करने की मांग ने जोर पकड़ा था. 1956 में राज्य पुनर्गठन आयोग ने सबसे पहले भाषा के आधार पर ही 14 राज्य और छह केंद्र शासित प्रदेश बनाए थे, बाद में भाषा के आधार पर ही समय-समय पर इनका बंटवारा करने की मांग होती रही और 65 साल में ये राज्य 14 से 28 हो गए, केंद्र शासित प्रदेशों की संख्या भी बढ़ गई. जब भाषा के आधार पर बंटवारे से कर दिया गया था इंकारलोकसभा सचिवालय की 2014 में प्रकाशित सूचना बुलेटिन के मुताबिक आजादी से पहले और बाद में 1956 तक देश में प्रांतीय व्यवस्था लागू थी, पांच सौ ज्यादा रियासतें थीं, जिन्हें राज्यों के तौर पर गठित किया जाना था, लेकिन सवाल ये था कि इनका गठन किस आधार पर किया जाए, भाषा के आधार पर राज्यों के गठन पर लगातार जोर दिए जाने पर संविधान सभा के अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद ने 1948 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय से अवकाश प्राप्त न्यायाधीश एस. के. धर की अध्यक्षता में एक चार सदस्यीय आयोग की नियुक्ति की, जिसने इसका विरोध किया. इसके बाद जवाहर लाल नेहरू, वल्लभ भाई पटेल तथा पट्टाभि सीतारमैया की एक जेवीपी समिति बनाई गई. इस समिति का काम राज्यों के गठन का मुख्य आधार खोजना था, इस इस समिति ने भी अपनी रिपोर्ट में भाषाई आधार पर राज्यों को बांटने का विरोध किया और आर्थिक और प्रशासनिक आधार पर राज्यों का सीमांकन करने की सिफारिश की. तेलुगू भाषियों ने सबसे पहले किया आंदोलनजेवीपी समिति की ओर से भाषाई आधार पर राज्यों के बंटवारे से इन्कार करने के बाद तेलुगू भाषियों ने आंदोलन शुरू कर दिया. अक्टूबर 1952 में पोट्टी श्रीरामलू ने आमरण अनशन शुरू किया और 56 वें दिन उनका निधन हो गया. वह तेलुगू भाषियों के लिए मद्रास प्रेसीडेंसी से अलग राज्य की मांग कर रहे थे, श्री राम लू की मौत के बाद आंदोलनों ने हिंसक रूप ले लिया और 1953 में तत्कालीन सरकार को मजबूरन तेलुगू भाषियों के लिए अलग राज्य आंध्रप्रदेश की घोषणा करनी पड़ी. दक्षिण से पूरे देश में फैला आंदोलनआंध्रप्रदेश का गठन होने के बाद आंदोलन पूरे देश में फैल गया, अन्य क्षेत्रों में भी भाषाई आधार पर राज्यों की मांग जोर पकड़ने लगी, इसे देखते हुए 19 दिसंबर 1953 को पीएम जवाहर लाल नेहरू ने राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन किया, इस तीन सदस्यीय आयोग में जस्टिस सैय्यद फजल अली, हृदयनाथ कुंजरू और सरदार के एम. पणिक्कर थे. इस आयोग ने 1955 में अपनी सिफारिशें की थीं, 1956 में आयोग की रिपोर्ट को पारित कर दिया गया. रिपोर्ट में ये था जिक्रआयोग की रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया था कि 1951 की जनगणना के मुताबिक देश में 844 भाषाएं बोली जाती हैं, लेकिन 91 प्रतिशत लोग मात्र 14 भाषाएं बोलते हैं, इस आधार पर 14 राज्यों की अनुशंसा की जाती है, इनके भौगोलिक वितरण और भाषाई क्षेत्र में एकरूपता है और 90 प्रतिशत लोग भाषाई राज्य के पक्ष में हैं. 1956 में बने थे 14 राज्य 6 केंद्र शासित प्रदेशराज्य पुनर्गठन आयोग और संविधान संशोधन अधिनियम के तहत उस समय आंध्रप्रदेश, असम, बिहार, बंबई, केरल, मध्य प्रदेश, मद्रास, मैसूर, उड़ीसा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल तथा जम्मू कश्मीर को राज्य तथा दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, त्रिपुरा, अंडमान और निकोबार, और मालाबर तट के छोटे द्वीप मसलन लक्षद्वीप, मिनी कॉय और अमीनदिवी द्वीप शामिल किया गया था. 1960 में गुजराती और मराठी भाषियों में छिड़ा विवादआयोग को गठित होने के बाद चार साल तो शांति से बीते, लेकिन अंदरखाने राज्यों में भाषाई बंटवारे की मांग जोर पकड़ती रही, 1960 में गुजराती और मराठी भाषियों में विवाद छिड़ा, आखिरकार बंबई को महाराष्ट्र और गुजरात में बांट दिया गया. ऐसे बने अन्य राज्य
आर्टिकल 370 हटने के बाद कम हो गया एक राज्यदेश में 1956 के बाद से 2019 तक 15 राज्य बढ़े, लेकिन उसके बाद एक राज्य कम भी हो गया, आर्टिकल 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर के पूर्ण राज्य का दर्जा खत्म हो गया और इसे हिस्सों जम्मू कश्मीर और ल्रद्दाख में बांटकर केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया. इसके अलावा दिल्ली, अंडमान एंड निकोबार, लक्षद्वीप, दमन और दीव, चंडीगढ़, पुडूचेरी भी केंद्र शासित प्रदेश हैं. भारत में प्रथम भाषाई आधार पर गठित राज्य कौन था?1 अक्टूबर 1953 को आंध्र प्रदेश भाषा के आधार पर गठित होने वाला पहला राज्य बना I.
भाषा के आधार पर दूसरा राज्य कौन सा बना?भाषा के आधार पर गठित दूसरा राज्य कौन है? 1 अक्टूबर, 1953 ई० को आंध्र प्रदेश राज्य का गठन किया गया.
भाषा के आधार पर कौन कौन से राज्य बने?1 अक्टूबर, 1953 ई० को आंध्र प्रदेश राज्य का गठन हो गया. यह राज्य स्वतन्त्र भारत में भाषा के आधार पर गठित होने वाला पहला राज्य था.
भाषा के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन कब किया गया?भाषाई आधार पर राज्यों का पुनर्गठन 1956 में किया गया था। राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956: आजादी के बाद कई बार राज्यों के पुनर्गठन की मांग की गई। वित्तीय, आर्थिक, प्रशासनिक और क्षेत्रीय भाषा के मुद्दे थे।
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