कबीर जीवन-परिचय: कबीर का जन्म 1398 ई. में वाराणसी में हुआ और मृत्यु 1518 ई. में मगहर में। उनके बारे में अनेक किंवदंतियाँ मिलती हैं उन्हें नीरू और नीमा नामक जुलाहा-दंपति ने पाला-पोसा। कबीर पढ़े-लिखे नहीं थे किंतु उनका ज्ञान और अनुभव अपार था। कबीर के समय भारतीय समाज में अनेक अंधविश्वास और धार्मिक आडंबर व्याप्त थे। हिंदू-मुसलमानों के विश्वास और मान्यताओं में विषमता बढ़ रही थी। समाज कठिन परिवर्तन के दौर से गुजर रहा था। कबीर ने ऐसे आडंबरों और कुरीतियों का विरोध किया और उन पर तीखा प्रहार किया। कबीर का विश्वास था कि प्रेमपूर्ण भक्ति से ईश्वर को प्राप्त किया जा सकता है, दिखावे से नहीं। Show साखियाँ प्रश्न और उत्तर Class 9प्रश्न1. मानसरोवर से कवि का क्या अभिप्राय है? उत्तर: मानसरोवर से कवि का अभिप्राय उस पवित्र सरोवर से है जिसमें स्वच्छ विचारधारा रूपी जल भरा है तथा हंस रूपी जीवात्मा प्रभु भक्ति में लीन होकर मुक्ति रूपी मुक्त फल चुगते हैं। प्रश्न 2. कवि ने सच्चे प्रेमी की क्या कसौटी बताई है? उत्तर: कवि ने सच्चे प्रेमी की कसौटी बताते हुए यह बताया है कि सच्चा प्रेमी ईश्वर को ही अपना प्रेमी समझकर उसे पाने का प्रयास करता है सच्चा प्रेमी ईश्वर के अलावा किसी से कोई मोह नहीं रखता है उसे मोह और संसार के बंधन भी नहीं बांध सकते हैं। प्रश्न 3. तीसरे दोहे में कवि ने किस प्रकार के ज्ञान को महत्व दिया है? उत्तर: तीसरे दोहे में कवि ने अनुभव से प्राप्त ज्ञान को महत्व दिया है। प्रश्न 4. इस संसार में सच्चा संत कौन कहलाता है? उत्तर: कबीर के अनुसार सच्चा संत वही कहलाता है जो भेदभाव, सांसारिक मोह-माया से दूर, सभी स्थितियों में समभाव, सुख-दुख, लाभ-हानि, ऊंच-नीच, अच्छा-बुरा तथा निश्छल भाव से प्रभु भक्ति में लीन रहता है। प्रश्न 5. अंतिम दो दोहों के माध्यम से कबीर ने किस तरह की संकीर्णता की ओर संकेत किया है? उत्तर: अंतिम दो दोहों में कबीर ने दो तरह की संकीर्णताओं की ओर संकेत किया है: प्रश्न 6. किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके कुल से होती है या कर्मों से? उत्तर: राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर आदि राजा केवल ऊंचे कुल में जन्म लेने के कारण महान नहीं बने। वह महान बने तो अपने उच्च कर्मों से इसके विपरीत कबीर, सूर, तुलसी बहुत ही सामान्य घरों में पैदा हुए परंतु संसार भर में अपने कर्मों के कारण प्रसिद्ध हुए। अतः हम कह सकते हैं, कि व्यक्ति की पहचान उनके कर्मों से है कुल से नहीं। प्रश्न 7. काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिए- उत्तर: काव्य सौंदर्य: इन पंक्तियों में कवि ने ज्ञान के महत्व का प्रतिपादित करने वाला साधक हाथी पर चढ़े जा रहा है और संसार रूपी कुत्ते अर्थात और आलोचना करने वाले भोंक-भोंक कर शांत हो जाते हैं। प्रश्न 8. मनुष्य ईश्वर को कहां-कहां ढूंढता है? उत्तर: हिंदू अपने ईश्वर को मंदिर तथा पवित्र स्थानों में ढूंढता है, तो मुस्लिम अपने अल्लाह को काबा मस्जिद में और ईश्वर को योग वैराग्य तथा अनेक प्रकार की धार्मिक क्रियाओं में खोजता फिरता है। प्रश्न 9. कबीर ने ईश्वर प्राप्ति के लिए किन प्रचलित क्रियाओं का खंडन किया है? उत्तर: कबीर ने ईश्वर प्राप्ति के लिए प्रचलित विश्वास और मंदिर मस्जिद में पूजा अर्चना करना तथा नमाज पढ़ना अथवा योग वैराग्य जैसी क्रियाएं पवित्र तीर्थ स्थानों की यात्रा करना आडंबर आदि क्रियाओं का खंडन किया है। प्रश्न 10. कबीर ने ईश्वर को ‘सब स्वांसों की स्वांस’ में क्यों कहा है? उत्तर: सभी जीवो की रचना ईश्वर ने की है परंतु ईश्वर का वास हर प्राणी में समाया है इसलिए कबीर ने ईश्वर को सब सोचो कि स्वांस कहा है। प्रश्न11. कबीर ने ज्ञान के आगमन की तुलना सामान्य हवा से न कर आँधी से क्यों की? उत्तर: जैसे आँधी आने पर सारे टाट-पर पड़ जाते हैं और वर्षा आती है वैसे ही जब ज्ञान आता है तो वह चित्त से अज्ञानता के आवरण को उड़ाकर व्यक्ति को शुद्ध और ज्ञान राशि से स्नात (स्नात करा देता) कर देता है। प्रश्न12. ज्ञान की आंधी का भक्त के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है? उत्तर ज्ञान की आँधी के आने पर भक्त ईश्वर प्रेम के जल में स्नान करता है अज्ञान रूपी अंधेरा ज्ञान रूपी सूर्य के उदित होने पर छंट जाता है और भक्त अपने वास्तविक स्वरूप से परिचित हो जाता है। प्रश्न13.भाव स्पष्ट कीजिए: उत्तर: (क) हिति चित्त की द्वै थूँनी गिराँनी, मोह बलिंडा तूटा। रचना और अभिव्यक्ति प्रश्न 14. संकलित साखियों और पदों के आधार पर कबीर के धार्मिक और सांपृदायिक सद्भाव संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए। उत्तर: कविता के सांकलित साखियो से यह प्रकाश मिलता है कि कवि एक उदार और निर्भय संत थे। वह मानते थे की ईश्वर एक ही है हम मनुष्यों ने उन्हें अनेक नाम दिए हैं। वह अपने काव्य मे धार्मिक तथा सामाजिक संसार की कल्पना करते हैं। वह अपने काव्य से मनुष्यों के बीच के राम – रहिम के भेदभाव को समाप्त करना चाहते हैं। इसके साथ वह मानते थे कि किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके कर्मों से होती है ना कि उसके कुल से। भाषा -अध्ययन प्रश्न 15. निम्नलिखित शब्दों के तत्सम रुप लिखिए- पखापखी, अनत, जोग, जुगति, बैरागी, निरपख उत्तर: तद्भव तत्सम पखा पाखी पक्ष-विपक्ष अनत अन्यत्र जोग योग जुगति युक्ति बैराग वैराग्य निरपख निष्पक्ष पाठेतर सक्रियता
उत्तर-छात्र स्वयं करें।
उत्तर: छात्र स्वयं करें। अतिरिक्त प्रश्न और उत्तर प्र०१. मनुष्य ईश्वर को कहां-कहां ढूंढता फिरता है? उत्तर– मनुष्य ईश्वर को देवालय, मंदिर, मस्जिद, काबा तथा कैलाश में ढूंढता –फिरता है। प्र०२. ज्ञान की आंधी का भक्तों के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है। उत्तर– ज्ञान की आंधी का भक्तों के जीवन पर प्रभाव पड़ता है कि उनकी सारी शंकाएं और अज्ञानता का नाश हो जाता है। प्र०३. कवि ने किस प्रकार के ज्ञान को महत्व दिया है? उत्तर– कवि ने ‘सहज’ ज्ञान को महत्व दिया है। प्र०४. कवि ने ईश्वर को ‘सब स्वांसों की स्वांस’ में क्यों कहा है? उत्तर– ‘सब स्वांसों की स्वांस’ को कवि ने ईश्वर में इसलिए कहा है क्योंकि जब तक मनुष्य की सांस है तब तक ईश्वर उनकी आत्मा में है। ज्ञान की आंधी मनुष्य के जीवन पर क्या प्रभाव डालती है?उत्तर:- ज्ञान की आँधी का मनुष्य के जीवन पर यह प्रभाव पड़ता है कि उसके सारी शंकाए और अज्ञानता का नाश हो जाता है। वह मोह के सांसारिक बंधनों से मुक्त हो जाता है। मन पवित्र तथा निश्छल होकर प्रभु भक्ति में तल्लीन हो जाता है।
ज्ञान की आंधी से साधक को क्या क्या लाभ होते हैं?ज्ञान की आंधी से भक्त के जीवन के भ्रम दूर हो जाते हैं। माया उसे बांधकर नहीं रख सकती। उसके मन की दुविधा खत्म हो जाती है। वह मोह माया के बंधनों से छूट जाता है ।
ज्ञान की आंधी आने पर व्यक्ति के व्यवहार में क्या क्या परिवर्तन देखने को मिलते हैं?ज्ञान की आँधी आने से पहले मनुष्य का मन मोह-माया, अज्ञान तृष्णा, लोभ-लालच और अन्य दुर्विचारों से भरा था। वह सांसारिकता में लीन था, इससे वह प्रभु की सच्ची भक्ति न करके भक्ति का आडंबर करता था। ज्ञान की आँधी आने के बाद मनुष्य के मन से अज्ञान का अंधकार और कुविचार दूर हो गए। उसके मन में प्रभु-ज्ञान का प्रकाश फैल गया।
ज्ञान की आंधी के आने से क्या समाप्त हो जाता है?ज्ञान की आँधी के आने से भक्त के मन के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। उसके मन के भ्रम दूर हो जाते हैं। माया, मोह, स्वार्थ, धन, तृष्णा, कुबुद्धि आदि विकार समाप्त हो जाते हैं। इसके बाद उसके शुद्ध मन में भक्ति और प्रेम की वर्षा होती है जिससे जीवन में आनंद ही आनंद छा जाता है।
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