महादेवी वर्मा- गीत |पद्यांश आधारित प्रश्नोत्तरChapter 5 महादेवी वर्मा गीत प्रश्नोत्तर- UP Board Class 12 Samanya & Sahityik Hindi काव्यांजलि- Chapter 5 महादेवी वर्मा गीत प्रश्नोत्तर- UP Board Class 12 Samanya & Sahityik Hindi काव्यांजलि – UP Board kaksha 12 Mahadevi Verma Samanya Hindi sahitya Hindi chapter 5 Mahadevi Verma geet ke padyansh per aadharit prashn Uttar class 12 UP board examination most important Hindi aur question answer general Hindi sahityik Hindi. Show प्रिय! छात्र- छात्राओं, Chapter 5 महादेवी वर्मा गीत प्रश्नोत्तर- UP Board Class 12 Samanya & Sahityik Hindi काव्यांजलि हम यहां पर महादेवी वर्मा द्वारा रचित गीत काव्यांजलि में संकलित चैप्टर गीत 1,2,3 के पद्यांश पर आधारित महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर प्रस्तुत कर रहे हैं यूपी बोर्ड परीक्षा की दृष्टि से कक्षा 12 साहित्यिक एवं सामान्य हिंदी वाले विद्यार्थियों के लिए अति महत्वपूर्ण हैं।
महादेवी वर्मा- गीत | Mahadevi Verma Geetपद्यांश -1चिर सजग आँखें उनींदी आज कैसा व्यस्त बना ! जाग तुझको दूर जाना ! अचल हिमगिरि के हृदय में आज चाहे कम्प हो ले , या प्रलय के आँसुओं में मौन अलसित व्योम रो ले ; आज पी आलोक को डोले तिमिर की घोर छाया , जाग या विद्युत – शिखाओं में निठुर तूफान बोले ! पर तुझे है नाश – पथ पर , चिह्न अपने छोड़ आना ! जाग तुझको दूर जाना !
उत्तर- महादेवी वर्मा आँखों से प्रश्न करती है कि हे ! निरन्तर जागरुक रहने वाली आँखें आज नींद से भरी अर्थात् आलस्य युक्त क्यों हो ? तुम्हारा वेश आज इतना अव्यवस्थित क्यों है ?
उत्तर- पद्यांश का शीर्षक – गीत तथा कवयित्री महादेवी वर्मा हैं।
उत्तर- कवयित्री कहती है कि साधना पथ पर चलते हुए दृढ़ हिमालय कम्पित हो जाए , आकाश से प्रलयकारी वर्षा होने लगे , घोर अन्धकार प्रकाश को निगल जाए या चाहे चमकती और कड़कती हुई बिजली से तूफान आने लगे , लेकिन तुम अपने पथ से विचलित मत होना और आगे बढ़ते रहना ।
उत्तर- शब्दार्थ :-
उत्तर-
पद्यांश -2कह न ठंडी साँस में अब भूल वह जलती कहानी आग हो उर में तभी दृग में सजेगा आज पानी ; हार भी तेरी बनेगी मानिनी जय की पताका , राख क्षणिक पतंग की है अमर दीपक की निशानी ! है तुझे अंगार – शय्या पर मृदुल कलियाँ बिछाना ! जाग तुझको दूर जाना !
उत्तर – ‘ अंगार शैया पर मृदुल कलियाँ बिछाने ‘ के माध्यम से कवयित्री यह कहना चाहती है कि साधक तुझे अपनी तपस्या से संसार रूपी इस अंगार शय्या अर्थात् कष्टों से भरे इस संसार में फूलों की कोमल कलियों जैसी आनन्दमय परिस्थितियों का निर्माण करना है ।
उत्तर- पद्यांश का शीर्षक – गीत तथा कवयित्री महादेवी वर्मा हैं।
उत्तर- मनुष्य को जीवन में आने वाले दुःखों एवं कठिन परिस्थितियों आदि को भूलकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में निरन्तर आगे बढ़ते रहना चाहिए ।
उत्तर- कवयित्री ने पतंगे का उदाहरण इंसलिए दिया है कि पतंगा अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अथक प्रयास करता है और उसे प्राप्त करने के क्रम में समाप्त हो जाता है ।
उत्तर- लक्ष्य को प्राप्त करने की तड़प ही मनुष्य को प्रेरित करती है और परमात्मा को पाने का साधन या माध्यम बनाती है । पद्यांश -3मैं नीर भरी दुख की बदली ! स्पन्दन में चिर निस्पन्द बसा , क्रन्दन में आहत विश्व हँसा , नयनों में दीपक से जलते पलकों में निर्झरिणी मचली । मेरा पग पग संगीत भरा , श्वासों से स्वप्न – पराग झरा , नभ के नव रँग बुनते दुकूल , छाया में मलय – बयार पली !
उत्तर – कवयित्री स्वयं की तुलना बादलों से करती हुई कहती है कि जिस प्रकार सदैव बादल पानी से भरे रहते हैं , उसी प्रकार उसकी आँखों में भी सदैव आँसू भरे रहते हैं ।
उत्तर- कवयित्री के जीवन में विरह से उत्पन्न दुःख ने स्थायित्व ग्रहण कर लिया है ।
उत्तर- शब्दार्थ इस प्रकार हैं –
उत्तर- कवयित्री को अपने हृदय में अपने प्रियतम से मिलने की आशा बँधी हुई है ।
उत्तर- कवयित्री की आँखों में प्रियतम की विरह वेदना के कारण ही सदैव आँसुओं की नदी बहती रहती है । पद्यांश -4विस्तृत नभ का कोई कोना , मेरा न कभी अपना होना , परिचय इतना इतिहास यही उमड़ी कल थी मिट आज चली । मैं नीर भरी दुःख की बदली ।
उत्तर – कवयित्री अपने जीवन की तुलना आकाश में छाए हुए बादलों से करती है ।
उत्तर- शीर्षक – गीत ,कवयित्री महादेवी वर्मा ।
उत्तर-कवयित्री अपने व्यक्तित्व की तुलना आकाश में छाने वाले बादलों से करते हुए स्वयं को निष्कलंक मानती हैं । अपने इसी गुण के कारण जब भी उसका स्मरण लोगों के मस्तिष्क में होता है , तो वह उसमें खुशी बिखेर देता है ।
उत्तर- कवयित्री का आशय है कि जिस प्रकार इस विशाल आकाश में बादल घूमता रहता है , वहाँ पर उसे कोई स्थायित्व प्राप्त नहीं होता , उसी प्रकार स्वयं कवयित्री का जीवन है ।
उत्तर- कवयित्री महादेवी जी ने बादल से ही जीवन की साम्यता प्रस्तुत करके उसी क्षणक भंगुरता को उजागर करने का प्रयास किया है , साथ ही वह यह सन्देश देना चाहती है कि मनुष्य जीवन निष्कलंक होना चाहिए । पद्यांश -5कह न ठंडी सांस में अब भूल वह जलती कहानी आग हो उर में तभी हम में सजेगा आज पानी , हार भी तेरी बनेगी मानिनी जय की पताका । राख क्षणिक पतंग की है अमर दीपक की निशानी है तुझे अंगार – शय्या पर मृदुल कलियाँ बिछाना जाग तुझको दूर जाना ।
उत्तर -‘अंगार सैया पर मृदुल कलियां बिछाने’ के माध्यम से महादेवी वर्मा यह बताना चाहती हैं की हे साधक! तुझे अपनी तपस्या से संसार रूपी इस अंगार शैया पर अर्थात कांटों से भरे इस संसार में फूलों की कोमल कलियों जैसी आनंदमय परिस्थितियों का निर्माण करना है।
उत्तर- पद्यांश का शीर्षक – गीत तथा कवयित्री महादेवी वर्मा हैं।
उत्तर- मनुष्य को जीवन में आने वाले दुःखों एवं कठिन परिस्थितियों आदि को भूलकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में निरन्तर आगे बढ़ते रहना चाहिए ।
उत्तर- कवयित्री ने पतंगे का उदाहरण इसलिए दिया है कि पतंगा अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अथक प्रयास करता है और उसे प्राप्त करने के क्रम में समाप्त हो जाता है । 2. परमात्मा को प्राप्त करने का साधन क्या बनता है ? उत्तर- लक्ष्य को प्राप्त करने की तड़प ही मनुष्य को प्रेरित करती है और परमात्मा को पाने का साधन या माध्यम बनाती है । Download Full Solve PDF अन्य महत्वपूर्ण टॉपिक -यह भी देखें – www.gyansindhuclasses.com
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