संयोग की बात, झूरी ने एक बार गोई को ससुराल भेज दिया। बैलों को क्या मालूम, वे क्यो भेजे जा रहे हैं। समझे, मालिक ने हमें बेच दिया। अपना यो बेचा जाना उन्हें अच्छा लगा या बुरा, कौन जाने, पर झूरी के साले गया को घर तक गोई ले जाने में दाँतों पसीना आ गया। पीछे से हॉकता तो दोनों दाएँ-बाएँ भागते, पगहिया पकड़कर आगे से खींचता, तो दोनों पीछे को जोर लगाते। मारता तो दोनों सींग नीचे करके हुँकारते। अगर ईश्वर ने उन्हें वाणी दी होती, तो झूरी से पूछते-तुम हम गरीबों को क्यों निकाल रहे हो? हमने तो तुम्हारी सेवा करने में कोई कसर नहीं उठा रखी। अगर इतनी मेहनत से काम न चलता था तो और काम लेते। हमें तो तुम्हारी चाकरी में मर जाना कबूल था। हमने कभी दाने-चारे की शिकायत नहीं की। तुमने जो कुछ खिलाया, वह सिर झुकाकर खा लिया, फिर तुमने हमें इस जालिम के हाथ क्यों बेच दिया? Show सन्ध्या समय दोनों बैल अपने नये स्थान पर पहुँचे। दिन-भर के भूखे थे; लेकिन जब नाँद में लगाये गये, तो एक ने भी उसमें मॅुह न डाला। दिल भारी हो रहा था। जिसे उन्होंने अपना घर समझ रखा था, वह आज उनसे छूट गया था। यह नया घर, नया गाँव, नये आदमी सब उन्हें बेगाने-से लगते थे। दोनों ने अपनी मूक भाषा में सलाह की, एक-दूसरे को कनखियों से देखा और लेट गये। जब गाँव में सोता पड़ गया, तो दोनों ने जोर मारकर पगहे तुड़ा डाले और घर की तरफ चले! पगहे बहुत मजबूत थे। कथाकार मुंशी प्रेमचंद देश ही नहीं, दुनियाभर में विख्यात हुए और 'कथा सम्राट' कहलाए. प्रेमचंद की जयंती 31 जुलाई को बड़े ही उत्साह से मनाई जा रही है. इस खास मौके पर उनकी कहानी 'दो बैलों की कथा' पढ़कर अपनी यादें ताजा कर लीजिए... कहानी: दो बैलों की कथा झूरी के बैलों ने नाद की तरफ क्यों नहीं देखा?*डर से भूख नहीं थी अपमान के कारण
झूरी के बैलों का क्या नाम है?झूरी काछी के दोनों बैलों के नाम थे हीरा और मोती । दोनों पछाईं जाति के थे - देखने में सुंदर, काम में चौकस, डील में ऊँचे । बहुत दिनों साथ रहते-रहते दोनों में भाईचारा हो गया था।
झूरी ने बैलों के प्रति अपना स्नेह कैसे प्रकट किया?गया के घर से भागकर आए हीरा-मोती को देखकर झूरी स्नेह से गदगद हो गया। वह उन्हें प्यार से गले लगाकर चूमने लगा । गाँव के सभी बच्चों ने तालियाँ बजाकर दोनों बैलों का स्वागत किया।
दोनों बैलों का किसने और किस तरह अपमान किया उसने ऐसा क्यों किया?दोनों बैलों (हीरा-मोती) का अपमान गया ने किया था। अपने घर ले जाकर गया ने उन्हें मोटी रस्सियों से बाँध दिया औऱ नांद में सूखा भूसा डाल दिया। अपने बैलों को उसने खली चुनी सब दिया । ऐसा उसने हीरा मोती को सबक़ सिखाने के उद्देश्य से किया था।
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