कहानी लिखने वाला क्या कहलाता है - kahaanee likhane vaala kya kahalaata hai

इसे सुनेंरोकेंवृंदावनलाल वर्मा के अपने वक्तव्यों के अनुसार उनके ऐतिहासिक उपन्यास लिखने के कुछ सामान्य तथा कुछ विशेष कारण हैं।

Show

इसे सुनेंरोकेंअपने पात्रों का सृजन करें अपने पात्र को त्रुटिपूर्ण बनाइए जो मोहकता में वृद्धि करेगा। इसके अतिरिक्त, अपने पात्र को कोई समस्या दीजिए, एक द्व्न्द्व दीजिए। आपका उपन्यास पढ़ने में और भी बेहतर होगा यदि आपके अग्रणी के पास कोई आंतरिक द्व्न्द्व भी है। कुछ ऐसे सहायक और नकारात्मक पात्र भी बनाइए जो उसे परेशान करेंगे।

पढ़ना:   एसोसिएशन के एक ज्ञापन को परिभाषित करें इसके खंड क्या हैं?

उपन्यास कितने पेज का होता है?

इसे सुनेंरोकेंकम से कम कितने शब्दों में एक उपन्यास लिखा जा सकता है? उपन्यास की बात करें तो हिन्दी साहित्य में शब्द संख्या का इतना महत्व नहीं होता है लेकिन फिर भी एक उपन्यास कम से कम 100–150 पृष्ठों का तो होना ही चाहिए। इस हिसाब से देखें तो कम से कम (100 पृष्ठों के हिसाब से) 30000 शब्द तो एक उपन्यास में होने ही चाहिए।

कर्मभूमि उपन्यास की प्रमुख नारी पात्र कौन है?

इसे सुनेंरोकेंसलीम, सकीना, नैना, कालेखॉ, मुन्नीबाई और रेणुका देवी की कथाएँ प्रधान कथा को आगे बढ़ाती हैं। कर्मभूमि के कथानक में हमें रोचकता दिखाई देती है।

कैसे एक लेखक बनने के लिए?

उपन्यास की समीक्षा कैसे लिखी जाती है?

आप स्वयं से निम्नलिखित प्रश्न पूछ सकते हैं और तदनुसार अपने उत्तरों पर आधारित एक समीक्षा लिख सकते हैं:

  • आपकी पसंद का पात्र कौन था और क्यों?
  • क्या पात्र आपको वास्तविक लगे थे?
  • क्या कथानक में अनिश्चय/रोमांस या कोई ऐसी चीज थी जिसने आपको आकर्षित किया था?
  • क्या पुस्तक ने आपको हँसाया या रुलाया था?
  • दृश्य कैसे लिखे गए थे?

पढ़ना:   मेरे डिवाइस का क्या नाम है?

उपन्यास करने वाला क्या कहलाता है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: उपन्यास लिखने वाले को ‘उपन्यासकार’ कहते है।

उपन्यास के कितने तत्त्व होते हैं?

इसे सुनेंरोकें४४ Page 8 उपन्यास के तत्त्व : अधिक्तर विद्वानों ने उपन्यास के प्रमुख छः तत्त्व माने हैं । (१) कथानक / कथावस्तु (२) पात्र / चरित्र-चित्रण (३) कथोप कथन / संवाद (४) देशकाल / वातावरण (५) भाषा-शैली (६) उद्देश्य ।

संजीव की कर्मभूमि कौन सी है?

इसे सुनेंरोकेंसंजीव का जन्म 6 जुलाई, 1947 ई॰ को उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के गाँव बाँगर कलाँ में हुआ था।

कैसे घर से सामग्री लेखन शुरू करने के लिए?

इसे सुनेंरोकेंलिखना शुरू करने के लिए किसी कर्मकांड की अावश्यकता नहीं. अव्वल तो यह समझ लीजिए कि यदि अापके मन में यह भाव अा जाएं कि कुछ लिखना है तो यह खुद में इसका संकेत होता है कि अाप लिख सकते हैं. कैसा लिखेंगे यह वक्त अौर अभ्यास के साथ तय होगा. र विचार प्रवाह को धार देगा जो लिखने के लिए जरूरी है.

कहानी और उपन्यास का प्रधान तत्व कौन सा है?

इसे सुनेंरोकेंउपन्यास जीवन की विविधता को समाहित करता है, कहानी किसी एक पक्ष का उद्घाटन करती है. इसी कारण कहानी में संक्षिप्तता, सघनता और प्रभाव की एकदेशीय केन्द्रीयता, सृजनशील नियम अथवा गुण हैं, जबकि उपन्यास में विस्तार, खुलापन और प्रभाव की बहुस्तरीयता प्रधान गुण के रूप में होती है.

पढ़ना:   काजू खाने का सही समय क्या है?

वर्तमान समय में कितने प्रकार के उपन्यास लिखे जाते हैं?

1 घटना प्रधान उपन्यास

  • 2 चरित्र प्रधान उपन्यास
  • 3 ऐतिहासिक उपन्यास
  • 4 सामाजिक उपन्यास
  • 5 मनोवैज्ञानिक उपन्यास
  • 6 आंचलिक उपन्यास
  • लेखक बनने के लिए क्या करें?

    उपन्यास की काल्पनिक कथा को मूल पाठ में क्यों शामिल करना चाहिए?

    इसे सुनेंरोकेंश्यामसुन्दर दास के अनुसार,” उपन्यास मनुष्य के वास्तविक जीवन की काल्पनिक कथा हैं।” प्रेमचंद के अनुसार,” मैं उपन्यास को मानव चिरित्र का चित्र मानता हूँ। मानव चरित्र पर प्रकाश डालना और उसके रहस्यों को खोलना ही उपन्यास का मूल तत्व हैं।” हडसन के अनुसार,” उपन्यास में नामों और तिथियों के अतिरिक्त और सब बातें सच होती हैं।

    निष्कर्ष में क्या लिखते है?

    इसे सुनेंरोकेंसामान्यत: किसी रचना (विशेष रूप से गद्य अथवा नाटकीय) के अन्त में प्रस्तुत किया जानेवाला वह हिस्सा जिसमें सम्पूर्ण कृति का सार, उसका अभिप्राय और स्पष्टीकरण (कभी-कभी निबंध के लिए॰प्रसंगेतर लेकिन तत्संबंधी आवश्यक, अतिरिक्त सूचनाएँ) समाविष्ट हों, उपसंहार (या, पुश्तलेख, या अन्त्यलेख ; अंग्रेजी में – ए॰िलॉग) कहलाता है।

    हम और आप न जाने कितनी ही कहानियां पढ़ते रहते हैं । अलग अलग शैलियों में लिखी गई कहानियां कई बार हमें भावविभोर कर लेती है, हंसाती तो कभी रुलाती हैं । सही मायनों में कहानी वही होती है जो मनुष्य के भावों के साथ खिलवाड़ करे । जिस तरह चित्रकार, अदाकारी कला है उसी प्रकार कहानी लेखन भी एक कला है जिसके बारे में आपको What is Story Writing in Hindi के इस लेख में जानकारी दी जायेगी ।

    कहानी लेखन क्या होता है, कहानी लेखन के प्रकार क्या हैं, इसके सर्वश्रेष्ठ उदाहरण, कहानी कैसे लिखें, कहानी लेखन कैसे और कहां से सीखें आदि सभी बिंदुओं पर इस आर्टिकल में विस्तार से आपको जानकारी दी जाएगी । अगर आप स्टोरी राइटिंग सीखना चाहते हैं या इसके बारे में जानकारी प्राप्त कारण चाहते हैं तो आर्टिकल के अंत तक बने रहें ।

    Story Writing (कहानी लेखन) क्या है ?

    कहानी लेखन या Story Writing गद्य लेखन की एक कला है जिसमें जीवन की किसी सच्ची घटना या कल्पना की गई घटना का रोचक वर्णन होता है । मन में उपजे विचारों का सही ढंग से प्रस्तुतिकरण ही कहानी लेखन कहलाता है ।

    कहानी हमेशा आसान और सरल शब्दों में लिखी जाती है जिसे जनमानस पढ़ और समझ सके । कहानी लिखते समय उसकी कोई दशा या दिशा तय नहीं होती है और इसे मुक्त प्रवाह में लिखा जाता है । उदाहरण के तौर पर दो बैलों की कथा, उसने कहा था, हार की जीत, चीफ की दावत आदि कहानियां ही हैं । ये सभी काफी प्रचलित कहानिकारों की प्रचलित कहानियां हैं ।

    Story Writing Elements – कहानी लेखन तत्व

    जब भी कोई कहानी लिखी जाती है तो कहानी लेखन के तत्वों को ध्यान में रखा जाता है । हालांकि जरूर नहीं कि सभी तत्वों को एक ही कहानी में पिरोया जाए, तभी जाकर कहानी बन सकेगी । चलिए इन story writing elements के बारे में जानते हैं:

    1. पात्र

    पात्र यानि चरित्र किसी भी कहानी में जान डाल देते हैं । कहानी लेखन में बेहतरीन पात्रों का होना जरूरी होता है । कहानी की विषयवस्तु के हिसाब से लेखक इन पात्रों का निर्माण करता है । अगर कहानी की विषयवस्तु या पृष्ठभूमि गांव है तो उसके कुछ या सारे या मुख्य किरदार गांव के ही होंगे । यानि परिस्थिति और कथावस्तू को ध्यान में रखते हुए पात्रों का निर्माण किया जाता है ।

    Story Writing के लिए पात्रों का चयन बहुत ज्यादा जरूरी होता है । Characters यानि पात्रों के भी अलग अलग प्रकार होते हैं:

    • नायक
    • प्रतिपक्षी (खलनायक)
    • गतिशील चरित्र (परिस्थिति के अनुरूप नायक/खलनायक)
    • स्थिर चरित्र (परिस्थिति का जिनपर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है)

    2. कथावस्तु

    Story Writing के लिए अगला महत्वपूर्ण तत्व कथावस्तु का है । कथावस्तु यानि Plot ही किसी भी कहानी की आत्मा होती है यानि जिसके बिना कहानी का अस्तित्व संभव नहीं है । एक कहानी में कौन कौन सी मुख्य घटनाएं होंगी, पात्रों का कहानी में स्थान और योगदान क्या होगा, कहानी की मूल समस्या और समाधान क्या है आदि कथावस्तु के ही अंतर्गत आते हैं ।

    कथावस्तु या plot structure के भी 5 मुख्य तत्व होते हैं:

    कहानी लिखने वाला क्या कहलाता है - kahaanee likhane vaala kya kahalaata hai

    Trending

    Do Photo Ko Ek Sath Kaise Jode – दो अलग अलग फोटो को एक बनाने वाला ऐप

    • कहानी का परिचय
    • कहानी की मूल समस्या
    • कहानी का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा
    • महत्वपूर्ण हिस्से के बाद के परिणाम
    • कहानी का अंत

    3. चरित्र चित्रण

    सिर्फ पात्रों के नाम या पृष्ठभूमि तय करने भर से कहानी नहीं बन सकती है । आपको कहानी के सभी पात्रों का चरित्र चित्रण करना होगा । इसके लिए सबसे पहले तय करें कि कहानी के पात्र कौन कौन हैं और वे किस प्रकार के पात्र हैं । इसके बारे में ऊपर ही जानकारी दी गई है । अगर आपका पात्र या चरित्र नायक है तो उसके हिसाब से ही आप नायक को संवाद देंगे ।

    इसके अलावा चरित्र चित्रण की सबसे बड़ी भूमिका यह होती है कि यही आपकी कहानी की दिशा और दशा का निर्धारण करता है । इससे पाठक को भी समझ आता है कि वह किस प्रकार से बातें करेगा, उसकी सोच और कार्य क्या होंगे । इस तरह चरित्र चित्रण या जिसे character sketch कहते हैं, बहुत जरूरी होता है ।

    4. संवाद

    अगला महत्वपूर्ण story writing element है संवाद यानि कि आपकी कहानी के पात्र क्या बोलेंगे या अन्य पात्रों से कैसे संवाद करेंगे । सही संवाद कहानी को आगे बढ़ाते हैं और पाठक के लिए कहानी पढ़ना भी रोचक हो जाता है । अक्सर हम वहीं कहानियां पढ़ने में ज्यादा रुचि दिखाते हैं जिनमें संवाद हो । संवाद की मदद से कहानी के दृश्यों में भावना प्रवाह होता है ।

    अगर आप कहानी लिखने जा रहे हैं तो किसी भी key moment या climax के पहले संवाद को रखें । इससे कहानी को बल मिलेगा और क्लाइमैक्स ज्यादा रोचक होगा । हालांकि पूरे कहानी लेखन में एक बात का हमेशा ध्यान रखा जाना चाहिए कि संवाद लंबे लंबे न हो । इससे पाठक उबाऊ महसूस करता है ।

    5. देशकाल एवं वातावरण

    कहानी लेखन में अगला तत्व देशकाल एवं वातावरण का है । अगर आपकी कहानी dynamic scenes और environment की मांग करती है तो इस तत्व को आप शामिल कर सकते हैं । जब बात book review यानि पुस्तक समीक्षा की आती है तो इस तत्व को भी बारीकी से परखा जाता है इसलिए जरूरी है कि आप इस स्टोरी राइटिंग तत्व का सही ढंग से इस्तेमाल करें ।

    अगर आप 200 वर्ष पहले किसी गांव की कहानी लिख रहे हैं तो जगह और वातावरण दोनों पर आपको विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है । लेकिन अगर आप कोई सामान्य कहानी लिख रहे हैं जिसमें ज्यादा जरूरी संवाद या कोई मौलिक संदेश है तो देशकाल एवं वातावरण की अनिवार्यता नहीं होती है ।

    6. भाषा शैली

    भाषा शैली का सीधा सा अर्थ है किसी भाषा को लिखने का ढंग । सही समय पर सही शब्दों का चयन काफी महत्वपूर्ण होता है । एक Story Writer को सबसे पहले यह तय करना चाहिए कि उसकी कहानी का पाठक कौन है या किस उम्र/लिंग/भाषा/क्षेत्र के लोग उसे पढ़ेंगे, इसी हिसाब से भाषा शैली को अपनाना चाहिए ।

    शैली किसी रचना की सबसे बड़ी प्रेरणा है । इससे न सिर्फ साहित्य बल्कि भाषा का भी विस्तार होता है इसलिए कहानी के मुख्य तत्वों में शैली/भाषा शैली का अपना एक महत्वपूर्ण स्थान है ।

    7. उद्देश्य

    Story Writing का अंतिम तत्व है उद्देश्य यानि कहानी का उद्देश्य । हर कहानी का कोई न कोई उद्देश्य अवश्य होता है बल्कि कहानी लिखी ही इसलिए जाती है ताकि किसी उद्देश्य की पूर्ति की जा सके । कहानियां संज्ञानात्मक, सामाजिक और भावनात्मक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । इन्हीं तीनों में से या तीनों उद्देश्यों को एक कहानी लेखक साधता है ।

    आप जब भी कोई कहानी लिखें तो सबसे पहले उसका एक उद्देश्य निर्धारित कर लें । उद्देश्य निर्धारण से कहानी लिखने, संवाद बनाने और मुख्य घटनाओं को लिखना काफी आसान हो जाता है । आपकी कहानी का उद्देश कुछ भी हो सकता है ।

    Types of Story Writing – कहानी लेखन के प्रकार

    कहानी लेखन के भी कुछ मुख्य प्रकार होते हैं । Story Writing करने से पहले जरूरी है कि आप यह तय करें कि आपकी रचना कैसी होगी या किस प्रकार होगी । कुछ कहानी लेखन के प्रकार हैं:

    1. घटनाप्रधान कहानी

    ऐसी कहानियां जिसमें घटनाएं ही चरित्रों, संवादों, कथानक आदि का विकास करती हैं वे घटनाप्रधान कहानियां कहलाती हैं । घटनाप्रधान कहानियां का मुख्य उद्देश्य पाठक का मनोरंजन करना होता है और ये सूक्ष्म भावों की अभिव्यंजना पर ध्यान नहीं देते हैं ।

    आपने अवश्य ही तिलिस्मी, रहस्यपूर्ण, जासूसी से भरी कहानियां पढ़ी होंगी । वे सभी घटनाप्रधान कहानियां हैं । अगर कला की दृष्टि से देखा जाए तो ऐसी कहानियों को साधारण कोटि का माना जाता है ।

    2. चरित्रप्रधान कहानी

    जिन कहानियों में चरित्र चित्रण प्रधान होता है उन कहानियों को चरित्रप्रधान कहानी कहा जाता है । इसमें घटनाओं पर लेखक ध्यान न देकर पात्रों के चरित्र चित्रण पर ज्यादा ध्यान देता है । इसमें पात्रों के मनोभावों को बड़ी ही सूक्ष्मता से दर्शाया जाता है और एक पात्र के मनोभावों, विचारों और कार्यों के ही इर्द गिर्द पूरी कहानी घूमती है ।

    ऐसी कहानियों में व्यक्ति के अंतर्मन का भी चित्रण किया जाता है जिस वजह से चरित्रप्रधान कहानियों का स्थान घटनाप्रधान कहानियों से ऊंचा होता है ।

    3. वातावरण प्रधान कहानी

    अगर आपने पूस की रात, आकाशदीप, गुल्ली डंडा आदि कहानियां पढ़ी हैं तो आप आसानी से समझ सकते हैं कि वातावरण प्रधान कहानियां क्या होती हैं । Story Writing के प्रमुख तत्वों में भी देशकाल/वातावरण का जिक्र है जिससे कहानी ज्यादा मजबूत और रोचक बनती है । ऐसी कहानियां जिनमें वातावरण या परिवेश को प्रधानता दी जाती है, उसे वातावरण प्रधान कहानी कहते हैं ।

    वातावरण प्रधान कहानियों में मौसम, वर्ष, युग, संस्कृति आदि सभी चीजों पर विशेष जोर देकर कहानी का निर्माण किया जाता है । उदाहरण के तौर पर अगर आप पूस की रात कहानी को ही देखें तो उसमें सर्दी की कड़कड़ाती ठंड का ऐसा वर्णन है जिसे पाठक महसूस कर सकता है । पूरी कहानी में प्रेमचंद ने पूस की ठंडी रात का जिक्र बखूबी किया है ।

    4. भाव प्रधान कहानी

    भाव प्रधान कहानियां किसी एक भाव या विचार को लेकर आगे बढ़ती हैं । विचार या भाव कुछ भी हो सकता है लेकिन पूरी कहानी उसी विचार या भाव के इर्द गिर्द घूमती है । भावप्रधान कहानियां अक्सर प्रतीकों का सहारा लेती हैं और पाठक के मन में नए विचार उत्पन्न करती हैं । गद्य से मिलती जुलती लघु कथाएं, प्रेम कथाएं, प्रतीक कथाएं इसके अंतर्गत आती हैं ।

    खासकर कि अगर आप लघु कथाओं पर गौर करें तो उनमें आपको भाव की प्रधानता सबसे ज्यादा मिलेगी । लघुकथाओ में विस्तृत चरित्र चित्रण, परिवेश चित्रण आदि का अभाव होता है जबकि भाव/विचार की प्रधानता होती है । सआदत हसन मंटो को ही पढ़ लीजिए या जयशंकर प्रसाद की लघुकथाएं जिनमें कोई न कोई भाव प्रधान होता है ।

    5. मनोविश्लेषणात्मक कहानी

    मेरी पसंदीदा कहानी का प्रकार ही मनोविश्लेषणात्मक है और अगर आप इस श्रेणी की कहानियां पढ़ना चाहते हैं तो जैनेंद्र कुमार को जरूर पढ़ें । जिन कहानियों में मानसिक उहापोह की स्तिथि दर्शाया गया हो और मनोविश्लेषण को प्रमुखता दी गई हो, ऐसी कहानियों को मनोविश्लेषणात्मक कहानी कहते हैं । हिन्दी साहित्य में मनोविश्लेषणात्मक कहानियों के लिखने का दौर जनेंद्र कुमार द्वारा होता है ।

    एक रात, पाजेब, फांसी जैसी कई रचनाएं जैनेंद्र कुमार जी द्वारा रची गई हैं जिनमें मनोविश्लेषण या यूं कहें कि मन को प्रधानता दी गई है । इसी कड़ी में आगे अज्ञेय और इलाचंद्र जोशी आदि कहानीकार भी आते हैं । इस प्रकार की story writing के लिए जरूरी है कि एक लेखक किसी पात्र के मनोभावों का गहन विश्लेषण करे ।

    कहानी लेखन की विधियां – Story Writing methods

    कहानी लेखन की कुल 4 विधियां होती हैं । अगर आप story writing में बेहतर बनना चाहते हैं तो आपको कहानी लेखन की विधियों का नियमित अभ्यास करना चाहिए । कहानी लेखन की विधियां निम्नलिखित हैं:

    1. कहानी की सहायता या आधार पर कहानी लिखना

    अगर आप कहानी लेखन में सिद्धहस्त बनना चाहते हैं तो सबसे पहले कहानी लेखन की सबसे पहले विधि का अभ्यास करें । सबसे पहली story writing method यह है कि आप कहानी की सहायता या आधार पर कहानी लिखें । इसके लिए आपको पहले से लिखी गई कहानी को गौरपूर्वक पढ़ना है ताकि कहानी के सभी पात्र, मुख्य घटनाएं आदि आपके दिमाग में छप जाएं ।

    इसके पश्चात आपको वही कहानी अपने शब्दों में लिखनी है । लेकिन ध्यान रहे कि मूल कहानी की सभी महत्वपूर्ण बातें आपके द्वारा लिखी जा रही कहानी में सम्मिलित होनी चाहिए ।

    2. रूपरेखा के सहारे कहानी लिखना

    रूपरेखा के सहारे कहानी लिखना उन्हीं कहानिकारो के बस की बात है जिनके अंदर सृजनात्मक और कल्पनात्मक शक्ति अधिक होती है । किसी भी कहानी की रूपरेखा आपके सामने रख दी जाती है जिसके हिसाब से आपको पूरी कहानी लिखनी होती है ।

    आपको अपनी कल्पना शक्ति के इस्तेमाल से पहले से दी गई आधी अधूरी जानकारी को सही क्रम में मिलाकर एक कहानी का निर्माण करना होता है ।

    3. अपूर्ण कहानी को पूर्ण करना

    अपूर्ण कहानी लिखने के लिए भी लेखक के अंदर सृजनात्मक और कल्पनात्मक शक्ति होना चाहिए । आपके सामने कोई आधी अधूरी कहानी दे दी जाती है और उसके बाद के घटनाओं को आपको खुद पूरा करना होता है । इसके लिए आपको सबसे पहले कहानी के क्रम को समझना होगा और फिर धीरे धीरे कल्पना करते हुए कहानी पूरी करनी होगी ।

    ध्यान दें कि आपके द्वारा पूरी की गई कहानी का भाग पिछले भाग से मेल खाता हो । ऐसा न हो कि आप पूरी कहानी का कथानक या उद्देश्य ही बदल कर रख दें । पहले से दी गई घटनाओं को पूरा करते समय आपको क्रम का पूरा ध्यान रखना होगा ।

    4. चित्रों की सहायता से कहानी लिखना

    Story writing की अंतिम विधि है चित्रों के सहारे कहानी को लिखना । कोई भी चित्र को देखकर हमारे और आपके मन में सैंकड़ों भाव जगते हैं और इन्हीं भावों की मदद से आप कहानी लिख सकते हैं । चित्रों की मदद से अगर आप कहानी लेखन का अभ्यास करते हैं तो आपको काफी फायदा होगा ।

    कहानी लेखन में ध्यान रखने वाली बातें

    कहानी लेखन या story writing के समय कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है । कहानी लेखन के समय आपको निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए । इन्हे आप story writing rules या कहानी लेखन के नियम भी कह सकते हैं ।

    • कहानी का सही शीर्षक देना महत्वपूर्ण है ।
    • कहानी लेखन में आसान शब्दों का प्रयोग करना चाहिए ।
    • निरुद्देश्य कहानी लेखन से बचना चाहिए, आपको कहानी का कोई न कोई उद्देश्य होना चाहिए ।
    • कहानी का आरंभ आपको हमेशा आकर्षित रखना चाहिए ।
    • कहानी का अंत सहज ढंग से करें ।
    • कहानी लेखन में किसी एक घटना को ज्यादा न खींचें, सभी घटनाओं को समान रूप से जगह दें ।

    इस तरह आप समझ गए होंगे कि कहानी लेखन के नियम क्या हैं और कहानी कैसे लिखें । ऊपर दी गई सभी बातों को ध्यान में रखकर आप अच्छी सी कहानी लिख सकते हैं ।

    कहानी लेखन की प्रमुख विशेषताएं

    Key Features of Story Writing यानि कहानी लेखन की विशेषताएं अगर हम देखें तो इसमें कई सारी बातें आ जाती हैं । संक्षेप में आप कहानी लेखन की विशेषताओं को पढ़ सकते हैं:

    • प्राचीन कहानियां सुखांतक होती थी यानि उनका अंत ज्यादातर सुख के साथ होता था लेकिन वर्तमान समय की कहानियों में अंत दुखांतक होता है ।
    • वर्तमान समय में लिखी जा रही कहानियां किस्मत या चमत्कार का मखौल उड़ाती हैं जबकि मनुष्य के बल एवं परिश्रम को अधिक महत्व देती हैं ।
    • कहानियों में हमेशा से मनोरंजन साधन रहे हैं । अरस्तू ने भी कहा था कि मनुष्य पशु नहीं है जिसे सिर्फ और सिर्फ ज्ञान की बातें ही पढ़नी सीखनी चाहिए । बल्कि मनोरंजन की खोज करना मनुष्य की प्रकृति है जिसे कहानियों में हमेशा से ध्यान रखा जा रहा है ।
    • कहानियों में सिर्फ मनोरंजन हो, यह भी सही नहीं है । हर कहानी का एक उद्देश्य होना चाहिए जोकि मनोरंजन से इतर हो ।
    • कहानी हमेशा से समाज का आइना है और रहनी चाहिए । समाज में घट रही घटनाओं का ही वर्णन कहानियों में होना चाहिए इसका ध्यान कहानी लेखन में रखना जरूरी है ।
    • कहानी लेखन करने वाले व्यक्ति को किसी राजनीतिक, धार्मिक, जातीय चस्मे को उतार फेंकना चाहिए और समाज को सत्य दिखाना चाहिए ।
    • सच्चे मायनों में story writing वही है जो सत्य को साहित्य के माध्यम से परोसे । अंत में सिर्फ और सिर्फ सत्य मायने रखता है ।

    कहानी लेखन के विषय

    Story Writing की सबसे बड़ी समस्या ही यही है कि सही विषय ढूंढने पर भी जल्दी नहीं मिलते । लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है, आपकी मदद के लिए हमने 150+ Story Writing Topics in Hindi तैयार किया है । आप उन सभी विषयों में से कोई भी विषय चुनकर कहानी लिखने की शुरुआत कर सकते हैं । भविष्य में कहानी लेखन के विषय की सूची में अन्य विषयों को भी जोड़ा जायेगा ।

    इसके अलावा आप राजनीति, खेल, विज्ञान, तकनीकी आदि विषयों से संबंधित कोई कहानी लिख सकते हैं । अपने लिए एक बढ़िया story writing topic ढूंढने के लिए यह सोचें कि आपको कौन कौन सी चीजें सबसे ज्यादा परेशान करती हैं, आपके हिसाब से दुनिया कैसी होनी चाहिए, वर्तमान समय में दुनिया की समस्याएं क्या हैं, देश दुनिया में कौन कौन सी घटनाएं घट रही हैं, आदि प्रश्नों को खुद से पूछें ।

    इससे आप आसानी से कहानी लेखन विषय ढूंढ सकते हैं । आप दुनिया के किसी भी वस्तु, व्यक्ति, घटना, विषय पर कहानी लेखन कर सकते हैं ।

    कहानी लेखन के उदाहरण

    अगर आप कहानी लिखने के लिए सबसे पहले उदाहरण देखना चाहते हैं तो निम्नलिखित साइट्स पर क्लिक करके देख सकते हैं । इस आर्टिकल में story writing examples को न शामिल करने के पीछे का कारण लेख का जरूरत से ज्यादा बड़ा होना है । इसलिए आप निम्नलिखित साइट्स पर जाकर आराम से हजारों कहानियां पढ़ सकते हैं और कहानी लेखन के लिए प्रेरणा ले सकते हैं ।

    • Hindikahani.Hindi-kavita.com
    • Gadyakosh
    • Hindisamay

    इन साइट्स पर आपको लघुकथाएं, बाल कथाएं, उपन्यास, जादुई कहानियां आदि मिल जायेंगी जिन्हें पढ़कर आप ideas इकट्ठा कर सकते हैं ।

    Story Writing Course in Hindi

    अगर आप story writing course करना चाहते हैं तो कई online platforms की मदद से ऐसा कर सकते हैं । स्टोरी राइटिंग creative writing के ही अंतर्गत आता है इसलिए अगर आप कहानी लेखन कोर्स करना चाहते हैं तो इसका मतलब है कि आपको रचनात्मक लेखन का कोर्स करना होगा । कहानी लेखन का अलग से कोई कोर्स नहीं होता है ।

    ऐसे में अगर आप creative writing course करना चाहते हैं जिसके अंतर्गत कहानी लेखन भी आता है तो आप नीचे दिए आर्टिकल को पढ़ सकते हैं । इसमें क्रिएटिव राइटिंग की पूरी जानकारी दी गई है और साथ ही आप इस कोर्स को मुफ्त में कैसे कर सकते हैं, इसके बारे में भी बताया गया है ।

    • Creative Writing in Hindi

    Conclusion

    Story Writing in Hindi – कहानी लेखन क्या है उदाहरण के साथ के इस आर्टिकल में आपने जाना कि कहानी लेखन क्या है, इसकी विधियां क्या हैं, कहानी लेखन के तत्व, प्रकार, विशेषताएं, नियम और अंत में स्टोरी राइटिंग कोर्स की पूरी जानकारी दी गई है । Story writing से जुड़े हर बिंदु पर आपको जानकारी प्रदान की गई है, लेकिन अगर कोई प्रश्न आपके दिमाग में है तो आप कॉमेंट करके पूछ सकते हैं ।

    कहानी के लिखने वाले को क्या कहते हैं?

    कहानी लिखने वाले के 'कहानीकार' या 'कथाकार' कहते हैं

    कहानी कैसे लिखनी है?

    निम्नलिखित गुरों के साथ, आप इसे कैसे कर सकते हैं इसे जानने के लिए, आगे पढ़िए:.
    अपनी कहानी की विषय-वस्तु निर्धारित कीजिए और सुनिश्चित कीजिए कि यह अस्पष्ट नहीं है ... .
    जब पात्रों का विकास विश्वसनीय रखिए ... .
    भिन्न उपाय से चीजों को देखिए ... .
    एक मजबूत शीर्षक चुनिए ... .
    दीर्घता पर ध्यान रखिए.

    कहानी लिखने का मतलब क्या है?

    कहानी के आधार पर कहानी लिखना किसी कहानी को पढ़कर उसके आधार पर कहानी लिखना ही कहानी के आधार पर कहानी लिखना कहलाता हैं। ऐसी प्रक्रिया में हमें निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए : कहानी की शुरुआत रोमांचक हो। संवाद छोटे हो।