जिस तरह घर में अन्य देवोया देवता की पूजा होती है, कुल देवी या देवता की पूजा भी करने का विधान है। किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए जिस तरह गणपति जी प्रथम पूजनीय माने गए हैं, उसी तरह से कुल देवी या देवता की पूजा भी अनिवार्य रूप करनी चाहिए। कुल देवी या देवता की पूजा हर घर में होनी बहुत जरूरी होती है। कुल देवी या देवता की अनदेखी या उनकी पूजा न करना पुराणों में बहुत ही गलत माना गया है। पुराणों में कुल देवी या देवता की पूजा करना हर दिन जरूरी होता है। Show
कैसे हुई कुल देवी या देवता की पूजा की परंपरा शुरूहिन्दू परिवार किसी न किसी ऋषि के वंशज माने गए हैं। उनके गोत्र का निर्धारण भी उन्हीं के नाम पर हुआ है। हर जाति वर्ग, किसी न किसी ऋषि की संतान मानी गई हैं और उन मूल ऋषि से उत्पन्न संतान के लिए वे ऋषि या ऋषि पत्नी कुलदेवी या देवता के रूप में पूज्य माने गए हैं। इसलिए की जाती है कुल देवी या देवता की पूजापूर्व काल से ही हर पूर्वज अपने कुल के जनक की पूजा करते आए हैं ताकि उनके घर-परिवार और कुल का कल्याण होता रहे। कुल देवी या देवता आध्यात्मिक और पारलौकिक शक्ति से कुलों की रक्षा करते हैं। जिससे नकारात्मक शक्तियों और ऊर्जाओं का खात्मा होता रहे। क्या होता है कुल देवी या देवता की पूजा न करने सेकुल देवी या देवता की पूजा नहीं करने से कुछ वर्षों तक तो कोई ख़ास अंतर नजर नहीं आता लेकिन धीरे-धीरे जब कुल देवी या देवता का घर-परिवार पर से सुरक्षा चक्र हटता है तो परिवार में दुर्घटनाएं, नकारात्मक ऊर्जा, वायव्य बाधाओं का बेरोक-टोक प्रवेश शुरू हो जाता है। यही नहीं घर-परिवार की उन्नति रुकने लगती है। संस्कारों का क्षय, नैतिक पतन, कलह, अशांति का वास होने लगता है। ग्रह-नशत्र का मेल अच्छा होते हुए भी परिवार का कल्याण नहीं होता। इसलिए करनी चाहिए कुल देवी-देवता की पूजाकुल देवता या देवी घर का सुरक्षा आवरण होते हैं जो बाहरी बाधा, नकारात्मक ऊर्जा और संकट से सबसे पहले जूझते हैं। उसे घर में प्रवेश करने से रोकते हैं। पारिवारिक संस्कारों और नैतिक आचरण के प्रति कुल देवी-देवता सचेत करते रहते हैं। यदि इन्हें घर-परिवार में मान-सम्मान नहीं मिलता या इनकी पूजा नहीं की जाती तो यह नाराज हो जाते हैं और अपनी सारी शक्तियों से घर को विहिन कर देते हैं। ऐसे में आप किसी भी ईष्ट की आराधना करें, वह उन तक नहीं पहुंचती। बाहरी बाधाएं, अभिचार, नकारात्मक ऊर्जा बिना बाधा घर में प्रवेश करने लगती है और जीवन नर्क समान बना देती हैं। हर वर्ष होती है इनकी पूजाकुल देवी-देवता की पूजा वर्ष में एक बार अथवा दो बार निश्चित समय पर की जाती है। हर परिवार का अपना समय निर्धारित होता है। साथ ही शादी-विवाह-संतानोत्पत्ति आदि पर भी इनकी विशिष्ट पूजा की जानी चाहिए। भारतीय संस्कृति दुनिया में अपनी एक अलग पहचान रखती है। और इस संस्कृति के सूत्रधार है सनातन धर्म, वैसे तो यहां कई धर्मों के अनुयायी रहते हैं लेकिन भारतीय संस्कृति की शुरूआत सनातन धर्म से ही शुरू हुई थी। हमारी संस्कृति है कि हम कोई भी कार्य शुरू करने से पहले देवी-देवताओं को पूजते हैं। ये वो देवी या देवता होते हैं जो हमारे कुल में पूजे जाते हैं। कुल देवी या देवता की पूजा कब से की जा रही है यह कहना बिल्कुल सटीक तो नहीं होगा, लेकिन पौराणिक ग्रंथों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि कुल देवी या देवताओं की पूजा-अर्चना का विधान वैदिक काल से है। हम इतिहास के पन्नों के पलटें तो पाएंगे कि छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरु स्वामी समर्थ रामदास जी ने उन्हें कुलदेवी भवानी माता की उपासना बताई थी। कुल देवी और देवता हमारे कुल की हमेशा संकटों से रक्षा करते हैं। हिन्दू पारिवारिक श्रृंखला में प्रत्येक हिन्दू परिवार किसी न किसी ऋषि के वंशज रहा है। जिनसे उनके गोत्र का पता चलता है, बाद में कर्मां के अनुसार इनका विभाजन वर्णों कर दिया गया। पहले के हमारे कुलों यानी पूर्वजों के खानदान के वरिष्ठों ने अपने लिए उपयुक्त कुल देवता अथवा कुलदेवी का चुनाव कर उन्हें पूजना शुरू किया था,ताकि परालौकिक शक्तियों से कुल की रक्षा हो सके और कुल आगे बढ़े और समृद्धि हासिल कर सके। पढ़ें: नहीं चाहते किसी से विवाद, तो आजमाइए उपाय यह लाजवाब ध्यान रखें यदि आपको अपने कुलदेवी या कुलदेवता के बारे में जानकारी न हो तो कुटुंब के ज्येष्ठ, अपने उपनामवाले बंधु, जातिबंधु, गांव के लोग, पुरोहित आदि से कुलदेवता की जानकारी प्राप्त जरूर करें। डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आज की भागती दौड़ती जिंदगी के बीच परिवार से दूर रहने वाले लोगों को कई बार अपने कुलदेवी/ देवता का पता नहीं होता है। इसकी कोई और वहज भी हो सकती है, जैसे वर्षों से स्थान परिवर्तन के कारण पता ही नहीं है कि हमारे कुलदेवता/देवी कौन है। कैसे उनकी पूजा कैसे होती है। कब उनकी पूजा होती है आदि। इस कारण से वर्षों से कुलदेवता/देवी को पूजा नहीं मिल पाती है। ऐसे में घर-परिवार का सुरक्षात्मक आवरण समाप्त हो जाने से अनेकानेक समस्याएं अनायास घेर लेती हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं, एक ऐसा प्रयोग, जिससे यह जाना जा सकता है की आपके कुलदेवता कौन है यह एक साधारण किन्तु प्रभावी प्रयोग है। ये है प्रयोग प्रार्थना करें ग्यारह मंगलवार करें ये काम समस्याएं होंगी समाप्त Next Storyजूडो खिलाड़ी नंदिनी वत्स ने जूनियर नेशनल जूडो चैंपियनशिप में गोल्ड और श्रुति उनियाल ने ब्रोंज मेडल जीताडिजिटल डेस्क, भोपाल। रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के स्पोर्ट्स ऑफिसर सतीश अहिरवार ने बताया कि जूडो खिलाड़ी नंदिनी वत्स, बीपीईएस प्रथम वर्ष -70किलो ग्राम वर्ग ने जूनियर नेशनल जूडो चैंपियनशिप 2022-23 रांची, झारखंड में गोल्ड मेडल जीत कर विश्वविद्यालय सहित प्रदेश का नाम रोशन किया। यह प्रतियोगिता 16 दिसंबर से 20 दिसंबर 2020 तक रांची में आयोजित की गई। नंदनी वत्स ने क्वार्टर फाइनल बाउट हरियाणा की सीनू को 2 स्कोर से हराया। सेमीफाइनल में उन्होंने जम्मू और कश्मीर की ताजीन को नॉकआउट में ईपोन से हराया वहीं फाइनल में महाराष्ट्र की शांभवी को 2 स्कोर से हराकर गोल्ड पर कब्जा किया। वे अपनी जीत का प्रमुख श्रेय अपने कोच, माता-पिता, साथियों सहित आरएनटीयू विश्वविद्यालय को देती हैं जिन्होंने मिलकर नंदिनी का लगातार उत्साहवर्धन किया। नंदनी अपने अगले लक्ष्य के बारे में बात करते हुए बताती हैं कि मध्यप्रदेश में होने वाले खेलो इंडिया यूथ गेम्स, ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर गोल्ड मेडल जीतना चाहती हैं वही फरवरी में होने वाले एशियन गेम्स ट्रायल्स पर भी निगाहें टिकी हुई हैं। वही श्रुति उनियाल ने -78 किलोग्राम वर्ग में ब्रोंज मेडल जीता है। श्रुति ने आसाम की धारित्री को गोल्डन स्कोर पर पॉइंट हासिल कर ब्रोंज मेडल जीता। श्रुति भी खेलो इंडिया यूथ गेम्स, ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में गोल्ड जीतने के लिए सतत् अभ्यास कर रही हैं। विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री संतोष चौबे, कुलपति डॉ ब्रम्ह प्रकाश पेठिया और कुलसचिव डॉ विजय सिंह ने नंदनी वत्स को गोल्ड और श्रुति उनियाल को ब्रोंज मेडल की जीत पर बधाई और शुभकामनाएं दी। Next Storyसोलर मॉड्यूल मैन्युफैक्चरिंग कंपनी नवितास सोलर के निदेशक विनीत मित्तल,के साथ बातचीत मेंश्री विनीत मित्तल; निदेशक (नवितास सोलर)
नवितास सोलर की स्थापना वर्ष 2013 में 5 समर्पित व्यक्तियों, अर्थात् विनीत मित्तल, सुनय शाह, अंकित सिंघानिया, आदित्य सिंघानिया और सौरभ अग्रवाल द्वारा की गई थी। नवितास सोलर की स्थापना के पीछे प्राथमिक अवधारणा सौर पैनलों के रूप में सौर ऊर्जा की क्षमता का उपयोग करना था। नवितास सोलर 500 मेगावाट की वार्षिक उत्पादन क्षमता के साथ 5 वाट से 600 वाट प्रति पैनल उच्च दक्षता वाले 2. कंपनी की यूएसपी क्या हैं? लक्षित ग्राहक कौन हैं? एक प्रतिष्ठित सोलर मॉड्यूल मैन्युफैक्चरिंग फर्म के रूप में हमारी यूएसपी एक समर्पित युवा टीम है जो तकनीक में बदलावों को जल्दी से अपना सकती है। इसके अलावा, नवितास सोलर में इन-हाउस क्वालिटी एश्योरेंस और क्वालिटी कंट्रोल लैब हैं। हम भारत में बैकवर्ड और फॉरवर्ड इंटीग्रेशन वाली कुछ सोलर मॉड्यूल मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों में से एक हैं। सौर मॉड्यूल के निर्माण के अलावा, नवितास सोलर टर्नकी सोलर ईपीसी (इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट एंड कंस्ट्रक्शन) परियोजनाओं में डील करती है। हमारे लक्षित ग्राहक बी2बी खंड में ईपीसी सलाहकार हैं और बी2सी खंड में वाणिज्यिक, औद्योगिक और आवासीय उपभोक्ता हैं। 3. कंपनी के हाल के घटनाक्रमों की व्याख्या करें? नवितास सोलर ने हाल के दिनों में बहुत कुछ हासिल किया है। हमें यह घोषणा करते हुए बेहद खुशी हो रही है कि नवितास सोलर एक कार्बन न्यूट्रल संगठन बन गया है। हमने "क्लाइमेट न्यूट्रल नाउ" पहल के तहत क्लाइमेट चेंज पर यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) से वर्ष 2021 के लिए सिल्वर लेवल हासिल किया है। हमने बोनिटो लॉन्च किया है जो 600 वाट तक की 4. कोई नई तकनीक जिस पर आप काम कर रहे हैं? हां, हम वर्तमान में मोनो पीईआरसी हाफ कट मॉड्यूल-बोनिटो पर काम कर रहे हैं। समय के साथ, सौर उद्योग में प्रौद्योगिकी विकसित होती है और हम आने वाले समय में सौर मॉड्यूल प्रौद्योगिकी में नए रुझानों को भी अपनाएंगे। 5. सौर निर्माण के दौरान आपके सामने कौन सी सबसे बड़ी चुनौतियां हैं? अपनी स्थापना के बाद से ही, नवितास सोलर ने सौर ऊर्जा निर्माण के क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलता देखी है, हालाँकि, कुछ चुनौतियाँ हैं जिनका हम सौर मॉड्यूल निर्माताओं के रूप में सामना करते हैं। हालाँकि, कुछ चुनौतियाँ हैं। राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर नीतियों और गतिशील नीतियों का खराब कार्यान्वयन सौर मॉड्यूल निर्माण कंपनी के रूप में हमारे सामने आने वाली सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। 6. विकास के लिए भविष्य की क्या योजनाएं हैं? Next Storyआईसेक्ट द्वारा रोजगारमंत्रा रोजगार केंद्र हुए लॉन्चडिजिटल डेस्क, भोपाल। भारत का अग्रणी उच्च शिक्षा, कौशल विकास और सेवा प्रदान करने वाले संस्थान आईसेक्ट द्वारा रोज़गारमंत्रा एम्प्लॉयमेंट सेंटर लॉन्च किए गए हैं, जो जॉबसीकर्स और स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर एम्पलायर के बीच की खाई को पाटने और सभी लोगों को एक प्लेटफॉर्म प्रदान करने वाला एक अत्याधुनिक रोज़गार केंद्र है। प्रारंभिक चरण मेंदेशभर में जिला स्तर पर 60 रोजगार केंद्र शुरू किए गए हैं। जिन्हें आगे चलकर देश के प्रत्येक जिले में शुरु किए जाने की योजना है। इसके संबंध में देशभर से आए प्लेसमेंट टीम के सदस्यों के साथ दो दिवसीय वर्कशॉप का आयोजन स्कोप कॉलेज के सेमिनार हॉल में किया गया जहां रोजगारमंत्रा एम्पलायमेंट सेंटर के कार्य और भविष्य की योजना को विस्तार से साझा किया गया। इसमें प्रमुख रूप से आईसेक्ट के एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट अरविंद चतुर्वेदी, रोजगार मंत्रा के हेड उद्दीपन चटर्जी, आईसेक्ट के नेशनल नेटवर्क मैनेजर राजेश पंडा, स्कोप इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. डीएस राघव, आईसेक्ट के नेशनल प्रोजेक्ट हैड अभिषेक गुप्ता मौजूद रहे। इस अवसर पर आईसेक्ट के एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट सिद्धार्थ चतुर्वेदी ने कहा कियह रोजगार केंद्र नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों को करियर परामर्श, साक्षात्कार की तैयारी प्रशिक्षण कार्यक्रम, नौकरी की जानकारी और साक्षात्कार की सुविधा प्रदान करेंगे। नौकरी चाहने वालों और नियोक्ता इन रोजगार केंद्रों में अपना नि:शुल्क पंजीकरण करा सकते हैं। इन रोजगार केंद्रों के माध्यम से स्थानीय रोजगार देने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। आईसेक्ट इस वित्तीय वर्ष के अंत तक पूरे देश में ऐसे 180 और रोजगार केंद्र खोलेगा। Next Storyसेक्ट बी. एड. का परीक्षा परिणाम शत - प्रतिशतडिजिटल डेस्क, भोपाल। बरकतउल्ला विश्वविद्यालय द्वारा बी. एड. 2020 - 22 का परीक्षा परिणाम घोषित किया गया, जिसमें सेक्ट कॉलेज ऑफ प्रोफेशनल एजुकेशन बी. एड. महाविद्यालय का परीक्षा परिणाम शत - प्रतिशत रहा l सेक्ट महाविद्यालय पिछले 18 वर्षों से शत - प्रतिशत परीक्षा परिणाम देने में सदैव अग्रणी रहा है l इस बार भी महाविद्यालय की छात्राओं ने ही बाजी मारी है l सौम्या शुक्ला 89.2%अंक लाकर प्रथम स्थान पर रही l द्वितीय स्थान पर यशस्विनी काले रही, जिन्होंने 88.6 प्रतिशत अंक प्राप्त किएl श्वेता श्रीवास्तव 88.5 प्रतिशत अंक लाकर तृतीय स्थान पर रहीl 60 प्रतिशत छात्र छात्राओं ने 80 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए है l विद्यार्थियों के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन पर महाविद्यालय की प्राचार्या. डॉ. नीलम सिंह एवं समस्त प्राध्यापकों ने विद्यार्थियों की इस सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि के लिए उन्हें बधाई प्रेषित की और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की l Next Storyशोध शिखर 2022-23 अंतर विद्यालयीन राष्ट्रीय शोध एवं नवाचार प्रतियोगिता का भव्य आयोजनडिजिटल डेस्क, भोपाल। रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में शोध शिखर 2022-23 अंतर विद्यालयीन राष्ट्रीय शोध एवं नवाचार प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। शुभारंभ अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि श्री आर बालसुब्रमण्यन, निदेशक, मौसम विज्ञान केन्द्र, मध्य प्रदेश, कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे श्री संतोष चौबे, कुलाधिपति, आरएनटीयू, बतौर विशिष्ट अतिथि डाॅ. वी. पी. गौर, निदेशक, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वे ऑफ इंडिया, डाॅ. अकरम खान, प्रमुख वैज्ञानिक, एम्प्री भोपाल, श्री पीयूष राय, आईपीसी, इंडियन बैंक, श्रीमती नीलम चौधरी (आईपीएस), डीएसपी, एमपी स्टेट सायबर क्राइम हेडक्वार्टर, श्री नितिन सक्सेना, जिला शिक्षा अधिकारी, भोपाल, श्री एम एल राठौरिया, जिला शिक्षा अधिकारी, रायसेन, डाॅ. वेद प्रकाश सिंह, वैज्ञानिक, मौसम विज्ञान केन्द्र मध्य प्रदेश, सुश्री आकांक्षा शुक्ला, टेक्निकल हेड, आईबीएम पुणे, डाॅ. सिद्धार्थ चतुर्वेदी, प्रो-चांसलर, आरएनटीयू, डाॅ. ब्रह्म प्रकाश पेठिया, कुलपति, आरएनटीयू और डाॅ. विजय सिंह, कुलसचिव, आरएनटीयू उपस्थित थे। इस मौके पर श्री आर बालसुब्रमण्यन ने मौसम विज्ञान, कृषि क्षेत्र में स्टेम सेल के क्षेत्र में नवाचार के बारे में विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि तकनीक और नवाचार ने मौसम विज्ञान और किसानी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसी क्रम में श्री संतोष चौबे ने कहा कि शोध को बढ़ावा देने के उद्देष्य से शोध शिखर जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन आरएनटीयू द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विज्ञान के क्षेत्र में सतत् विकास के लिए ‘दृष्टि और जिज्ञासा’ जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान देना जरुरी है। उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि विज्ञान के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए छात्रों को जिज्ञासु प्रवृत्ति का होना बहुत जरुरी है। आगे उन्होंने कहा कि विद्यालय स्तर पर विज्ञान, उद्यमिता पर जोर देना आवश्यक है। इसके साथ ही विज्ञान और नवाचार को सामाजिक सरोकार से जोड़कर देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज जरुरत है देश को विज्ञान के क्षेत्र में विकास करने की। डाॅ. वी. पी. गौर ने कहा कि देश की प्रगति के लिए तकनीक और नवाचार जरुरी है। इस दिशा में आरएनटीयू विद्यार्थियों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए इस तरह के सार्थक प्रयास कर रहा है। इसके अलावा आरएनटीयू ने देश की समस्याओं को उजागर करने की दिशा में एक सार्थक पहल की है। डाॅ. अकरम खान ने संबोधित करते हुए कहा कि फंडामेंटल रिसर्च को इंडस्ट्रियल रिसर्च से जोड़कर समाज और मानव जगत के लिए काम करने की आवष्कता है। उन्होंने विद्यार्थियों से रूबरू होते हुए कहा कि विद्यालय स्तर पर फंडामेंटल रिसर्च को मजबूत करना चाहिए तभी आगे जाकर विज्ञान और नवाचार के क्षेत्र में सफलता पाई जा सकती है। उन्होंने रिसर्च को सोसायटी से कनेक्ट होने की बात कही। इसी क्रम में श्रीमती नीलम चौधरी ने कहा कि विद्यार्थियों को एलीमेंट्री एजुकेशन को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। यही आगे की दिशा तय करता है। उन्होंने आगे कहा कि तकनीक और नवाचार ने सायबर क्राइम के क्षेत्र में उत्कृष्ट सफलता प्राप्त की है। तकनीकि विकास ने पुलिस विभाग को काफी सुदृढ़ किया है। इस अंतर विद्यालयीन राष्ट्रीय शोध एवं नवाचार प्रतियोगिता में ‘दहलीजः रिसर्च प्रोजेक्ट’ और ‘पहलः रिसर्च आइडिया’ का आयोजन किया गया। भोपाल संभाग से रिसर्च प्रोजेक्ट के लिए विभिन्न विद्यालयों के 100 से अधिक विद्यार्थियों ने रिसर्च प्रोजेक्ट डिमॉन्स्ट्रेशन किया जिसे कार्यक्रम में आए वरिष्ठ वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों द्वारा सराहा गया। जबकि रिसर्च, आयडियाज के लिए भोपाल संभाग के विभिन्न विद्यालयों के 70 से अधिक विद्यालयों के विद्यार्थियों ने प्रेजेंटेशन दिया। इस अंतरविद्यालयीन राष्ट्रीय शोध तथा नवाचार प्रतियोगिता में भोपाल संभाग के विद्यालय स्तर के गणित, विज्ञान, वाणिज्य, मानविकी व उद्यमिता के 9वीं, 10वीं, 11वीं व 12वीं के छात्र-छात्राओं ने बड़ी संख्या में भाग लिया। इस मौके पर विद्यार्थियों ने अपने माॅडल प्रदर्षित एवं शोध पत्र प्रस्तुत किए। रिसर्च आयडिया प्रेजेंटेषन के जूरी मेंबर के रुप में डाॅ. रोनाल्ड फर्नांडिस, निदेशक, एआईसी-आरएनटीयू और डाॅ. रीता जैन, आईओटी एक्सपर्ट उपस्थित थे। चयनित विद्यार्थियों को फरवरी 2023 में होने वाले ‘शोध शिखर 2022-23’ अंतरराष्ट्रीय शोध पत्र और शोध संगोष्ठी में पुरस्कृत किया जाएगा। इस अवसर पर डाॅ. वेद प्रकाश सिंह और सुश्री आकांक्षा शुक्ला ने क्रमशः मेट्रोलॉजी और डिजीटल तकनीक पर विस्तृत जानकारी साझा की। इस मौके पर भारतीय वैज्ञानिकों के अलावा विदेषी वैज्ञानिकों पर आईसेक्ट पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित मोनोग्राफ और प्रसिद्ध विज्ञान पत्रिका ‘इलेक्टाॅनिकी आपके लिए’ का लोकार्पण किया गया। साथ ही मौसम विज्ञान केन्द्र, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वे आॅफ इंडिया, मैप कास्ट और साइबर सिक्योरिटी विभाग ने अपनी प्रदर्शनी लगाकर विद्यार्थियों को जानकारी साझा की। अपने कुल देवता को कैसे जाने?मंगलवार को सुबह स्नान आदि से स्वच्छ पवित्र हो अपने देवी देवता की पूजा करें। इस अवधि में शुद्धता का विशेष ध्यान रखें ,यहां तक कि बिस्तर और सोने का स्थान तक शुद्ध और पवित्र रखें। ब्रह्मचर्य का पालन करें और मांस-मदिरा से पूर्ण परहेज रखें। इस प्रयोग की अवधि के अन्दर आपको स्वप्न में आपके कुलदेवता/देवी की जानकारी मिल जाएगी।
कुल देवी देवता कौन होते हैं?कुलदेवी या देवता कुल या वंश के रक्षक देवी-देवता होते हैं। ये घर-परिवार या वंश-परंपरा के प्रथम पूज्य तथा मूल अधिकारी देव होते हैं। अत: प्रत्येक कार्य में इन्हें याद करना आवश्यक होता है।
कुल देवता को प्रसन्न कैसे करें?कुलदेवता को हल्दी में लिपटे पीले चावल पानी में भिगोकर अर्पण करना शुभ माना जाता है. पूजा के समय पान के पत्ते का बहुत महत्व है. यदि आप पान का पत्ता अर्पित कर रहे हैं तो साथ में सुपारी, लौंग, इलायची और गुलकंद भी अर्पण करना चाहिए. इससे कुलदेवता प्रसन्न होते हैं.
कुलदेवता की पूजा कैसे की जाती है?कुलदेवी या देवता की पूजा करते समय शुद्ध घी के साथ धूप और कपूर जलाना चाहिए। कुलदेवता को चंदन, अक्षत, सिंदूर आदि जरूर लगाएं। इसके साथ ही हल्दी में लिपटे पीले चावल को भिगोकर अर्पित करना शुभ होता है। पूजा के समय कुलदेवी या देवता को पान में सुपारी, लौंग, इलायची, दक्षिणा, गुलकंद आदि जरूर चढ़ाएं।
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