रामनाम जपिबौ श्रवननि सनु िबौ । Show ० शब्द ससं ार स्वाध्याय * सचू ना के अनुसार कतृ ियाँ कीजिए ः- (२) पद्य में इस अर्थ मंे आए शब्द ः (4) पद की प्रथम दो पकं ्तियों का सरल अर्थ लिखिए ः (३) लिखिए ः २. नामदवे जी द्वारा दी गई सीख उपयोजित लेखन निम्नलिखित सुवचन पर आधारित कहानी लिखिए ः 91 8. बातचीत - दुर्गाप्रसाद नौटियाल (परू क पठन) परिचय [प्रसिदध् साहित्यकार शिवानी जी से दुर्गाप्रसाद नौटियाल की बातचीत ] जन्म ः १९४२, पौड़ी गढ़वाल 92 दरु ्गा प्र. नौटियाल ः साहित्यकार भोगे हुए सत्य के
ककं ाल पर कल्पना श्रवणीय शिवानी ः बिना यथार्थ के कोई भी रचना प्रभाव उत्पन्न करने दुर्गा प्र. नौटियाल ः आप अपनी सर्वोत्तम कतृ ि या रचना किसे मानती शिवानी ः मरे े लिए यह कहना कठिन है कि मरे ी कौन-सी रचना दरु ्गा प्र. नौटियाल ः आपने किस अवस्था से लिखना शरु ू किया ? पहली शिवानी ः मरे ी पहली रचना तब छपी जब मैं मात्र बारह वर्ष की 93 चली गई । वहाँ हस्तलिखित पत्रिका निकलती थी । पठनीय 9९4 पंडित । दोनों का मुझपर प्रभाव पड़ना स्वाभाविक सभं ाषणीय 9९55 और दूरदर्शन के सीरियलों के लिए कहानी देने का मरे ा कोई इरादा नहीं है । जो चीज को ही नष्ट कर दे, उस पसै े का क्या करना ? दुर्गा प्र. नौटियाल ः आपकी राय मंे साहित्यकार का समाज और अपने पाठकवर्ग के प्रति क्या दायित्व है ? आपने कसै े इस दायित्व का निर्वाह किया है ? शिवानी ः मैंने साहित्यकार के रूप मंे अपना दायित्व कहाँ तक निभाया, यह तो कहना कठिन ह,ै लेकिन जहाँ तक साहित्यकार का सबं धं ह,ै मैं उसे राजनीतिज्ञ से अधिक महत्त्व देती हूँ क्योंकि कलम में वह ताकत है जो राजदंड मंे भी नहीं है । दुर्गा प्र. नौटियाल ः आप लखे न कार्य कब करती हंै ? लिखने के लिए विशषे मडू बनाती हंै या किसी भी स्थिति मंे लिख लेखनीय सकती हैं ? आपके द्वारा आखँ ों देखी किसी परिस्थिति में लिख सकती हंूॅ । सब्जी छौंकते हुए भी लिख सकती हूँ और चाय की चुस्की लते े हुए भी लिख सकती हूँ । रात को ज्यादा लिखती हूँ, क्यांके ि तब वातावरण शांत होता है, लके िन यदि काम का भार पड़ जाता है तो दिन-रात किसी भी वक्त लिख लते ी हूँ । ‘कालिंदी’ को मंैने रात में भी लिखा और दिन में भी । एकांत में लिखना मझु े अच्छा लगता ह ै । दुर्गा प्र. नौटियाल ः एक कहानी को आप कितनी बैठकों या सीटिंग में परू ा कर लते ी हंै और लगातार कितनी देर तक लिखती हैं ? शिवानी ः पहले मैं मन में एक खाका बनाती हूँ । फिर उसे कागज पर उतारती हूँ । खाका बनाकर रफ लिखती हूंॅ । हमेशा हाथ से लिखती हूंॅ । यहाँ तक कि अंतिम आलखे तक भी हाथ से ही लिखकर छपने भजे ती हूँ । एक कहानी लिखने में मझु े पंद्रह-बीस दिन लग जाते हैं । लिखास लगती है तो लिखती हूँ । मनंै े दस-बारह सदस्यों के परिवार में भी लिखा है और जब बच्चे छोटे थे तब भी खबू लिखा । दुर्गा प्र. नौटियाल ः हिंदी का लखे क हमारे यहाँ अपके ्षाकृत अर्थाभाव का शिकार होता है । कवे ल लखे न के बल पर समाज में सम्मानजनक ढगं से जीवनयापन करना कल्पनातीत 96 है । यदि आप शुरू से कवे
ल लखे न से जीविका (‘एक थी रामरति’ सगं ्रह स)े ० 97 शब्द ससं ार स्वाध्याय * सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए ः- (२) आकृति परू ण् कीजिए ः ------- ------- (३) एक-दो
शब्दों मंे उत्तर लिखिए ः (4) जोड़ियाँ मिलाइए ः ------- ------- (७) पाठ मंे प्रयुक्त शिवानी की रचनाओं के नामों की सचू ी तैयार कीजिए । (8) ‘परिवेश का प्रभाव व्यक्तित्व पर होता है’ आपके विचार लिखिए । उपयोजित लेखन ‘जल है तो कल है’ विषय पर अस्सी से सौ शब्दों में निबंध लिखिए । 9९8 अपठित पद् यांश अतिरिक्त अध्ययन हेतु हम अनेकता में भी तो हंै एक ही वीरंेद्र मिश्र ० दोस्त एक भी नहीं जहाँ पर, सौ-सौ दुश्मन जान के, उस दुनिया में बड़ा कठिन है चलना सीना तान के । उखड़-े उखड़े आज दिख रहे हैं तमु को जो यार हम, यह न समझ लेना जीवन का दाँव गए हंै हार हम ! वही स्वप्न नयनों मंे, मन में वही अडिग विश्वास है, खो बैठे हंै कितं ु अचानक अपना ही आधार हम ! इस दनु िया में जहाँ लोग हैं बड़े आन के बान के, हम तो देख रहे हैं तेवर दो दिन के मेहमान के । डगमग अपने चरण स्वयं ही, इतना हमको ज्ञान है, नीलांबर परिधान हरित पट पर सुंदर ह,ंै निज मस्तक की सीमा से भी अपनी कछु पहचान ह,ै बंदीजन खग-वंृ द शषे -फन सिंहासन हैं । करते अभिषेक पयोद ह,ैं बलिहारी इस वेष की, हे मातृभमू ि, तू सत्य ही सगुण मूर्ति सर्वेश की । जिसकी रज मंे लोट-लोटकर बड़े हुए ह,ंै घटु नों के बल सरक-सरक कर खड़े हुए हैं । परमहसं -सम बाल्यकाल मंे सब सुख पाए, जिसके कारण ‘धलू ि भरे हीर’े कहलाए । मैथिलीशरण गुप्त ० 99 ९. चितं ा - जयशकं र प्रसाद हिमगिरि के उत्तुंग शिखर पर, बठै शिला की शीतल छॉहं , परिचय 100 आह! घिरगे ी हृदय
लहलहे खेतों पर करका घन-सी, पद् य सबं ंधी (‘कामायनी’ महाकाव्य से) ० शब्द संसार उत्तुंग वि.(स.ं ) = बहुत ऊँचा मर्म पु.ं (सं.) = स्वरूप, रहस्य 101 * सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए ः- स्वाध्याय २. दवे दार वृक्ष की विशेषताएँ (३) जोड़ियाँ मिलाइए ः आ (4) ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्न शब्द हों- उपयोजित लखे न निम्नलिखित जानकारी के आधार पर विज्ञापन तैयार कीजिए ः विशेषताएँ दैनिक जीवन में अपनी सपं रक् वस्तु 102 १०. टॉलॅ ्स्टॉय के घर के दर्शन बचपन मंे मनंै े टॉल्स्टॉय की डायरी कई बार पढ़ी थी । उसमंे उन्होंने - डॉ. रामकुमार वर्ाम 103 अस्तित्व नहीं है क्योंकि जब यह परु ाना और जीर्ण-शीर्ण हो गया तो एक श्रवणीय टॉल्स्टॉय जब कवे ल डढ़े साल के थे तभी उनकी माँ नहीं रही रूसी सने ा उस समय पहाड़ी कबीलों से लड़ रही थी ।
काकशे िया के १8६२ मंे टॉल्स्टॉय ने २4 वर्ष की आयु मंे एक चिकित्सक की उसके बाद हम सगं ्रहालय के निर्देशक के साथ संग्रहालय प्रासाद में पसु ्तकालय के बाद हम बैठकखाने मंे गए जो अनेक तलै चित्रों से सजा 1१0०4 हुआ है । इसी कमरे मंे टॉल्स्टॉय अपने समानधर्मा लेखकों से मिलते थे । पठनीय कमरे के बीचोंबीच एक बड़ी मेज थी । उसके पीछे दीवार से सटी हुई दूसरे कोने में टॉल्स्टॉय की संगमरमर की मरू ्ति थी । चित्रों के नीचे दीवार ज्यों ही हम टॉल्स्टॉय के अध्ययन कक्ष मंे घसु े, हमने एक बड़ी मेज एक तरफ पसु ्तकों का
शेल्फ था जिसमें अनके पुस्तकंे थीं । मेरे साथी यह महात्मा गाधं ीजी की पुस्तक ‘दक्षिण अफ्रीका में एक भारतीय इस कमरे की सबसे उल्लेखनीय वस्तु वह तख्तपोश था जिसपर
इसके बाद हमने टॉल्स्टॉय का शयनागार देखा । वहाँ उनकी पत्नी के 1१0०55 थी । एक काेने मंे सिंगार की अनके चीजें रखी थीं । टॉल्स्टॉय सदा स्वच्छ सभं ाषणीय इससे मिला हुआ शयनागार उनकी पत्नी का था । उस कमरे की दीवारों द् वितीय विश्वयुदध् के अवसर पर जर्मन फासिस्ट सेनाओं ने यास्नाया यदु ्ध समाप्त होने के बाद सारी चीजंे फिर ले आई गईं । ऊपर के कमरे देखने के बाद हम टॉल्स्टॉय के काम करने के कमरे में अब हम टॉल्स्टॉय की समाधि देखने गए । दवे दार और सरों के ऐसे महान लेखक की कितनी सादी-सी समाधि ! इस महामानव की ० 106 शब्द ससं ार मनीषी पुं.सं.(स.ं ) =
विदव् ान मसविदा पु.ं सं.(द.े ) = मसौदा * सचू ना के अनुसार कतृ ियाँ कीजिए ः- स्वाध्याय , पसु ्तकालय में इन भाषाओं की टॉल्स्टॉय के अन्य शौक (5) कोष्ठक के उचित शब्द का प्रयोग कीजिए ः (६) रिश्ते लिखिए ः पले ्लागेया इलिनित्विना (७) शब्दसमूह के लिए शब्द लिखिए ः ३. जहाँ पुस्तकें ही संगहृ ीत की जाती हैं = अभिव्यक्ति ‘सगं ्रहालय ससं ्कृति और इतिहास के परिचायक होते हैं’ विषय पर अपने विचार लिखिए । 107 भाषा बिदं ु (१) अर्थ के आधार पर निम्न वाक्यों के भदे लिखिए ः (२) कोष्ठक की सूचना के अनसु ार निम्न वाक्यों मंे अरथ् के आधार पर परिवर्तन कीजिए ः (३) प्रथम इकाई के पाठों मंे से अर्थ के आधार पर विभिन्न प्रकार के पाचँ -पाचँ वाक्य ढँढ़ू कर लिखिए । (4) रचना के आधार पर वाक्यों के भेद पहचानकर कोष्ठक में लिखिए ः (5) रचना के आधार पर विभिन्न प्रकार के तीन-तीन वाक्य पाठों से ढँूढ़कर लिखिए । उपयोजित लखे न निबधं लखे न ः ‘युवापीढ़ी का उत्तरदायित्व’ विषय पर लगभग सौ 1१0०8 ११. दुख - यशपाल (पूरक पठन) परिचय जिसे मनुष्य अपना समझ भरोसा करता है जब उसी से अपमान और जन्म ः १९०३, फिरोजपुर (पजं ाब) इस विघ्न से शीघ्र छटु कारा पाने के लिए दिलीप ने हाथ के इशारे से गदय् सबं ंधी 109 अकेला ही सहेगा । ‘किसी को’ अपने दुख का भाग लेने के लिए नहीं श्रवणीय स्वयं सहे अन्याय के प्रतिकार की एक ही सभं ावना दखे उसका मन कुछ कदम आगे बढ़ने पर सड़क के किनारे नीम के वृक्षों की छाया में बचपन मंे गली-मुहल्ले के लड़कों के
साथ उसने अकसर खोमचवे ाले खोमचवे ाले के छोटे शरीर और आयु ने भी उसका ध्यान आकर्षित दिलीप ने और ध्यान से देखा। लड़के के मुख पर खोमचा बेचने वालों 110 मरु ादाबादी थाली थी । तराजू भी न था । थाली मंे कागज के आठ टकु ड़ों सभं ाषणीय ‘‘एक-एक पसै े में एक-एक ढरे ी ।’’ 111 दिलीप चुप हो गया । कछु और दूर जा उसने पछू ा, ‘‘तुम्हारी माँ क्या पठनीय दिलीप ने पछू ा, ‘‘क्यों हटा दिया बाबू ने ?’’ 112 लड़का रुपया ले दिलीप को लौटाने आया । दिलीप ने ऊचँ े स्वर से, लखे नीय स्त्री ‘‘नहीं-नहीं’’ करती रह गई । दिलीप अंॅधरे े मंे पीछे सरक गया । 113 दिलीप को गसु ्सा आ गया। उसने गुस्से से कहा, ‘‘क्यों, भूख न हो
तो नौकर कुछ न समझ विस्मित खड़ा रहा । ० शब्द संसार अनुरक्त वि.(स.ं ) = जिसके मन में अनुराग उत्पन्न हुआ हो * सचू ना के अनुसार कतृ ियाँ कीजिए ः- स्वाध्याय (३) ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्न शब्द हों ः ३. कृतज्ञता और प्रसन्नता १1१14 (4) प्रवाह तालिका पूर्ण कीजिए ः (5) जोड़ियाँ मिलाइए ः खोमचेवाले के घर की स्थिति अ उत्तर अा (७) सही घटनाक्रम लगाकर वाक्य फिर से लिखिए ः (8) उचित शब्द चुनकर लिखिए ः (९) आकतृ ि मंे दिए गए शब्दों का वर्गीकरण निर्शदे ानसु ार कीजिए ः सड़क, खोमचा, एकवचन बहुवचन साइकिलें अभिव्यक्ति ‘गरीबी उन्नति मंे बाधा नहीं बनती’, विषय पर अपने विचार लिखिए । उपयोजित लखे न निम्नलिखित दोनों परिच्छेद पढ़कर प्रत्येक पर आधारित ऐसे पाचँ परिच्छेद - १ प्रश्न ः १. २. ३. 4. 5. परिच्छेद - २ प्रश्न ः १. २. ३. 4. 5. 116 १२. चलो आज हम दीप जलाएँ - सरु ेदं ्रनाथ तिवारी भारतभूमि के वदं न हित, परिचय ० 117 शबद संसाि तििका स�ी.सं.(स.ं ) = अिानक रूक जाना �सू स�ी.कव.(सं.) = पदै ा करने वाली स्िाध्याय * सुचना के अनसु ाि कृतियाँ कीतिए ः- (२) िोतड़याँ तमिाइए ः आ उतिि (३) तनमन स्थानों का मितति दो-िीन िाक्यों म� तिखिए ः (4) तनमन मदु द् ों पि आधारिि पदय् का तिश्िछषे र कीतिए ः (5) भािाथ्य तिखिए ः अतभव्यतक्ि ‘मानििा िी स�ा धम्य ि’ै पि अपनछे तिचाि तिखिए । १1१18 अपठित पदय् ाशं * परिच्छदे पढ़कर सचू ना के अनुसार कृतियाँ कीजिए ः- सकता है । दूसरों के प्रति सहानभु तू ि करना ही परोपकार है और सहानभु ूति किसी भी रूप मंे प्रकट की जा सकती है । किसी लेखक की दृष्टि से (२) ‘वही मनुष्य है जो मनुष्य के लिए मरे’ इस पंक्ति का तात्परय् लिखिए । (३) १. वचन परिवर्तन कीजिए ः (4) ‘परहित सरिस धरम नहिं भाई’ पर अपने विचार लिखिए । 119 व्याकरण विभाग शब्द (१) विकारी शब्द और उनके प्रकार (२) अविकारी (अव्यय) शब्द और (३) सधं ि और उसके प्रकार (4) काल और उनके प्रकार-उपप्रकार स्वर संधि व्यंजन संधि विसर्ग संधि सामान्य अपूर्ण परू ्ण (5) वाक्य के प्रकार सामान्य अपरू ्ण परू ्ण मिश्र निषेधारक्थ (६) छंद और उनके प्रकार आज्ञार्थक दोहा चौपाई सोरठा विस्मयाधिबोधक संदेशसचू क 120 (७) अलंकार और उसके प्रकार-उपप्रकार शब्दालकं ार अर्थालकं ार अनुप्रास यमक श्लेष उपमा उत्प्रेक्षा रूपक (8) कारक एवं कारक चिह्न (१०) विरामचिह्न और उनके प्रयोग (१२) समास अव्ययी भाव तत्पुरुष द्व ंदव् कर्मधारय बहुब्रीहि द्विगु शब्द सपं दा- व्याकरण पाँचवीं से नौवीं 121 वर्ण, वर्ण मले और वर्ण विच्छेद पढ़िए, समझिए और करिए ः ® अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ॠ, ए, ऐ, ओ, औ ® क्, च,् त,् प,् ....मलू 춧OZ हैं । स्वर व्यंजन वर्ण खंड नहीं होते । वर्ण विच्छेद वर्ण विच्छेद भक्ति भ्+अ+क+् त्+इ यकु ्ति ---------------- मिटट् ी म्+इ+ट्+ ट्+ई स्वस्थ ---------------- बुढ़ापा ब्+उ+ढ़+् आ+प्+आ उर्जस्वित ---------------- स्तब्ध ---------------- वर्ण मेल वर्ण मले व+् इ+द्+ए+श+् ई विदेशी प्+उ+स+् त+् अ+क्+अ --------- भ+् औ+ग्+ओ+ल्+इ+क्+अ भौगोलिक म्+ ऊ+र्+ त+् इ --------- प+् ॠ+थ्+व्+ई पृथ्वी अ+स्+त+् इ+त+् व्+अ --------- व+् इ+श+् र+् आ+म+् अ --------- ध्यान मंे रखिए ः- क्ष, त्र, श्र और ज्ञ संयुक्त वर्ण हैं ः- 122 गद्य आकलन (प्रश्न निर्मिति) भाषा सीखकर प्रश्नों की निर्तिम ि करना एक महत्त्वपूरण् भाषाई कौशल है । पाठ्यक्रम मंे भाषा कौशल को प्राप्त करने के लिए कौन कितना किसका/को/की कब उपयकु ्त प्रश्नवाचक शब्द कौन-सा/से/सी वतृ ्ततंा लेखन वतृ ्तांत का अरथ् है- घटी हुई घटना का विवरण/रपट/अहवाल लखे न । यह रचना की एक विधा है । इसे विषय के अनुसार स्थल, काल, घटना समापन बालिका दिवस प्रमुख अतिथि मखु ्य कार्यक्रम २. अपने परिसर में मनाए गए ‘अंतरराष्टर् ीय दिव्यगंा दिवस’ का वृत्तंात लगभग अस्सी शब्दों में लिखिए । १1२24 कहानी लखे न कहानी सनु ना-सनु ाना आबाल वृद्धों के लिए रुचि और आनंद का विषय होता है । कहानी लखे न विद्यार्थियों की (१) शब्दों के आधार पर (२) मुद्दों के आधार पर (३) सुवचन/कहावतों के आधार पर विज्ञापन वर्तमान यगु स्पर्धा का है और विज्ञापन इस यगु का महत्त्वपरू ्ण अगं है । उत्कृष्ट विज्ञापन पर उत्पाद की बिक्री का आकँ ड़ा निर्भर उदाहरण ः निम्नलिखित जानकारी के आधार पर आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए ः शकै ्षिक योग्यता ATM के लिए सुरक्षा रक्षक की आवश्यकता आयु सीमा संपर्क 1१2२5 निबधं लेखन निबंध
लेखन एक कला है । निबंध का शाब्दिक अरथ् होता है ‘सगु ठित अथवा सवु ्यवस्थित रूप में बँधा हुआ’ । साधारण निबंध
लिखते समय निम्नलिखित बातों की ओर ध्यान दंे ः जसै े ः निबधं लेखन के प्रकार आत्मकथनात्मक वचै ारिक वर्णनात्मक चरित्रात्मक कल्पनाप्रधान १.फटी पसु ्तक १. समाचार पत्रों १. ऐतिहासिक १. मरे ा प्रिय गायक १. यदि मोबाइल न २. मंै हिमालय २. विज्ञान के २. नदी किनारे दो २. यदि ऐनक न 126 भावार्-थ पाठय् पुस्तक पृष्ठ क्र. 4३ ः पहली इकाई, पाठ ९. ब्रजवासी-संत सूरदास यशोदा जी बार-बार यों कहती हैं कि ब्रज मंे कोई भी मरे ा हितैषी है जो जाते हुए मरे े गोपाल (कषृ ्ण) को कषृ ्ण के मथुरा चले जाने पर उनके वियोग मंे दखु ी एक गोपी कहती है कि प्रेम चाहे जिससे भी करो उसका सूरदास जी कहते हैं कृष्ण के मथुरा चले जाने पर गोपियाँ इतनी दखु ी हंै कि उनके नेत्रों से सदवै आसँ ू बह कृष्ण के मथरु ा चले जाने पर राजा
वषृ भान की पुत्री कुमारी राधा भी कषृ ्ण के लिए बहुत दुखी हंै । कषृ ्ण ब्रज के लोगों की स्थिति का वर्णन
कहाँ तक करूँ ? ० 127 भावार्थ ः पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. ९० ः दूसरी इकाई, पाठ ७. अकथ कथ्याै न जाइ- सतं नामदेव राम का नाम ही हमारी खते ी-बाड़ी है । बनवारी हमारी धन-दौलत हंै । यह वह धन है राम नाम में यह नामदवे राममय हाे गया है । तमु मेरे स्वामी हो, मैं तमु ्हारा सवे क हूँ । हरि नामदेव कहते हंै कि जिन्होंने हरि के नाम को पा लिया ह;ै वे तो सीधे मुक्ति पा जाते हंै । मैं तो राम नाम का जाप करूँगा । केवल उन्हीं का नाम सनु ूँगा, जिसके प्रताप से मोह-माया ० 1१2२8 • पञाठ्यपसु तक मडं ळञाची • नञामितं लेखक, किी, • शञालेय सतरञािर परू क पुस्तक मागणीसाठी www.ebalbharati.in, www.balbharati.in संक्े त स्थळावर भेट द्ा. विरञागीय रञाडं ञारे सपं क्क क्रमञांक : पणु े - २५६५९४६५, कोलिञापरू - २४६८५७६, मुंबई (गोरेगञाि) ‘hmamîQ´ amÁ¶ nmR>çnwñVH$ {Z{‘©Vr d Aä¶mgH«$‘ g§emoYZ ‘§S>i. nwUo. qhXr Hw$‘ma^maVr B¶ËVm Xhmdr (qhXr ‘mܶ‘) 73.00 कृष्ण अपनी माता से क्या पूछ रहे हैं?कृष्ण माता यशोदा से क्या पूछ रहे हैं ? Answer: श्रीकृष्ण यशोदा से पूछते हैं कि मेरी चोटी कब बड़ी होगी। मैं काफी दिनों से दूध पी रहा हूँ, फिर वह छोटी की छोटी ही है।
कृष्ण को क्या अच्छा लगता है class 8?Answer: कृष्णा को दही-दुध खाना अच्छा लगता है।
कृष्ण को क्या खाना अधिक पसंद है?उत्तर:- दूध की तुलना में श्रीकृष्ण को माखन-रोटी अधिक पसंद करते हैं।
सुदामा सबसे क्या पूछते फिर रहे थे?Answer: द्वारका से लौटकर सुदामा जब अपने गाँव वापस आएँ तो अपनी झोपड़ी के स्थान पर बड़े-बड़े भव्य महलों को देखकर सबसे पहले तो उनका मन भ्रमित हो गया कि कहीं मैं घूम फिर कर वापस द्वारका ही तो नहीं चला आया। फिर सबसे पूछते फिरते हैं तथा अपनी झोपड़ी को ढूँढ़ने लगते हैं।
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