खुशबू रचने से कवि का क्या आशय है? - khushaboo rachane se kavi ka kya aashay hai?

(क) नए बसते इलाके में कवि रास्ता क्यों भूल जाता है?

(ख) कविता में कौन-कौन से पुराने निशानों का उल्लेख किया गया है?

(ग) कवि एक घर पीछे या दो घर आगे क्यों चल देता है?

(घ) 'वसंत का गया पतझड़' और 'बैसाख का गया भादों को लौटा' से क्या अभिप्राय है?

(ङ) कवि ने इस कविता में 'समय की कमी' की ओर क्यों इशारा किया है?

(च) इस कविता में कवि ने शहरों को किस विडंबना की ओर संकेत किया है?

Answer:

(क) नए बसते इलाके में कवि रास्ता भूल जाता है क्योंकि वहाँ पर प्रतिदिन नए मकान बनते चले जा रहे हैं। इन मकानों के बनने से पुराने पेड़, खाली ज़मीन, टूटे-फूटे घर सब कुछ खतम हो गए हैं। नए इलाके में नित्य नई इमारतें बनती जा रही हैं। कवि अपने ठिकाने पर पहुँचने के लिए निशानियाँ बनाता है, वे जल्दी मिट जाती हैं। इसी लिए कवि रास्ता भूल जाता है।

(ख) इस कविता में निम्नलिखित पुराने निशानों का उल्लेख है −

पीपल का पेड़, ढहा हुआ घर, ज़मीन का खाली टुकड़ा, बिना रंग वाले लोहे के फाटक वाला मकान आदि।

(ग) कवि एक घर पीछे या दो घर आगे इसलिए चल देता है क्योंकि उसे नए इलाके में उसके घर पहुँचने तक की जो निशानियाँ थी वे सब मिट चुकी थीं। उसने कई निशानियाँ बना रखी थी; जैसे - एक मंजिले मकान की निशानी बिना रंगवाला लोहे का फाटक। लेकिन इनमें से कुछ भी नहीं बचा था। प्रतिदिन आ रहे थे परिवर्तनों के कारण वह अपना घर नहीं ढूढ़ पाया। और आगे पीछे निकल जाता है।

(घ) वंसत का गया पतझड़ और बैसाख का गया भादों को लौटा से अर्थ है कि ऋतु परिवर्तन में समय लगता है। कवि काफी समय बाद घर लौटा है। पहले जो परिवर्तन महीनों में होते थे, अब वह दिनों में हो जाते हैं और कवि तो काफी समय बाद आया है।

(ङ) कवि ने इस कविता में समय की कमी की ओर इशारा किया क्योंकि उसने अपना घर ढूँढ़ने में काफी समय बर्बाद कर दिया। प्रगति की इस दौड़ में व्यक्ति अपनी पहचान भी भूल गया है। समय का अभाव रहता है इसलिए किसी से आत्मीयता भी नहीं बना पाता है।

(च) इस कविता में कवि ने शहरों की इस विडंबना की ओर संकेत किया है कि जीवन की सहजता समाप्त होती जा रही है, बनावटी चीज़ों के प्रति लोगों का लगाव बढ़ता जा रहा है। सब आगे निकलना चाहते हैं, आपसी प्रेम, आत्मियता घटती जा रही है। लोगों की और रहने के स्थान की पहचान खोती जा रही है। स्वार्थ केन्द्रित लोगों के पास दूसरे के लिए समय ही नहीं है। आज की चीज़ कल पुरानी पड़ जाती है, कुछ भी स्थाई नहीं है।

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Question 2:

व्याख्या कीजिए −

(क) यहाँ स्मृति का भरोसा नहीं

एक ही दिन में पुरानी पड़ जाती है दुनिया

(ख) समय बहुत कम है तुम्हारे पास

आ चला पानी ढहा आ रहा अकास

शायद पुकार ले कोई पहचाना ऊपर से देखकर

Answer:

(क) प्रस्तुत पंक्तियों में कवि यह कहना चाहते हैं कि नए इलाके में उसकी स्मृति भी उसका साथ छोड़ देती है। यहाँ नित नई-नई इमारतें बन रही हैं। इस कारण से वह इस नए इलाके का जो रेखाचित्र बनाकर उसे याद रखता है, वह हर रोज़ बदल जाता है तथा प्रतिदिन दुनिया का नक्शा बदलता रहता है। इसलिए कवि को अब अपनी स्मृति पर भी भरोसा नहीं है।

(ख) प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने समय की कमी की ओर इशारा किया है क्योंकि उसने अपना काफी समय अपने घर को ढूँढने में बर्बाद कर दिया। आज के इस प्रगतिशील समय में हर इंसान प्रगति की सीढ़ियों को पार करने में लगा हुआ है परन्तु कवि अपनी पहचान भी भूल गया है। समय के इस अभाव के कारण वह किसी के भी साथ आत्मीय सम्बंध नहीं बना पाता है।

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Question 1:

पाठ में हिंदी महीनों के कुछ नाम आए हैं। आप सभी हिंदी महीनों के नाम क्रम से लिखिए।

Answer:

चैत्र, बैशाख, जेठ, अषाढ़, सावन, भादो, क्वार, कार्तिक, अगहन, पूस, माघ, फागुन।

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Question 1:

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए −

(क) 'खुशबु रचनेवाले हाथ' कैसी परिस्थितियों में तथा कहाँ-कहाँ रहते हैं?

(ख) कविता में कितने तरह के हाथों की चर्चा हुई है?

(ग) कवि ने यह क्यों कहा है कि 'खुशबू रचते हैं हाथ'?

(घ) जहाँ अगरबत्तियाँ बनती हैं, वहाँ का माहौल कैसा होता है?

(ङ) इस कविता को लिखने का मुख्य उद्देश्य क्या है?

Answer:

(क) खुशबु रचने वाले हाथ दूर दराज के सबसे गंदे और बदबूदार इलाकों में रहते हैं। इनके घर नालों के पास और गलियों के बीच होते हैं। इनके घरों के आस-पास कूड़े-करकट का ढेर होता है। यहाँ इतनी बदबू होती है कि सिर फट जाता है। ये सारी दुनिया की गंदगी के बीच रहते हैं जो अत्यन्त दयनीय है।

(ख) कविता में निम्नलिखित प्रकार के हाथों की चर्चा हुई है −

उभरी नसों वाले हाथ, पीपल के पत्ते से नए-नए हाथ, गंदे कटे-पिटे हाथ, घिसे नाखुनों वाले हाथ, जूही की डाल से खूशबूदार हाथ, जख्म से फटे हाथ।

(ग) कवि ने ऐसा इसलिए कहा कि गंदगी में जीवन-जीने वाले लोगों के हाथ खुशबूदार पदार्थों की रचना करते हैं। ये लोग दूसरों का जीवन खुशहाल बनाते हैं। कवि श्रमिकों का गुणगान नहीं करना चाहता है जो विषम परिस्थितियों में रहकर भी खूशबूदार चीज़े बनाते हैं बल्कि वह यह कहना चाहता है कि हमें उनकी दशा सुधारने की बात सोचनी चाहिए।

(घ) जहाँ अगरबत्तियाँ बनती है, वहाँ का माहौल बड़ा ही गन्दा होता है। अगरबत्तियाँ गंदी बस्तियों में बनाई जाती हैं। ये बस्तियाँ अधिकतर गंदे नालों के किनारे पर स्थित होती हैं। यहाँ जगह-जगह कूड़े के ढेर व गन्दगी का राज होता है। चारों तरफ़ बदबू फैली होती है। यहाँ पर एक व्यक्ति का क्षणभर रहना कठिन होता है परन्तु ये लोग यहाँ पर रहने के लिए मज़बूर होते हैं।

(ङ) इस कविता को लिखने का मुख्य उद्देश्य गरीब मज़दूरों की दयनीय दशा की ओर ध्यान आकर्षित करना है। इस प्रकार कवि उनके उद्धार के प्रति चेतना जाग्रत करना चाहता है। वह चाहता है कि इन श्रमिकों की दयनीय दशा को सुधारा जाए, इनके रहने की दशा को स्वास्थ्यप्रद बनाया जाए। यहाँ साफ़-सफ़ाई का उचित प्रबंध किया जाए। इन्हें इतनी मज़दूरी तो मिलनी ही चाहिए ताकि ठीक प्रकार रह सकें।

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Question 2:

व्याख्या कीजिए −

(क) (i) पीपल के पत्ते-से नए-नए हाथ

जूही की डाल से खुशबूदार हाथ

(ii) दुनिया की सारी गंदगी के बीच

दुनिया की सारी खुशबू

रचते रहते हैं हाथ

(ख) कवि ने इस कविता में 'बहुवचन' का प्रयोग अधिक किया है। इसका क्या कारण है?

(ग) कवि ने हाथों के लिए कौन-कौन से विशेषणों का प्रोयग किया है।

Answer:

(क) 1. कवि उन बच्चों की ओर ध्यान दिलाना चाहता है जिनके हाथ पीपल के पत्तों की तरह कोमल, नए हैं, जिनमें जूही की डाल जैसी खुशबू आती है परन्तु अगरबत्ती बनाते बनाते उनके कोमल हाथ खुरदरे हो गए हैं। उनकी कोमलता और सुगंध गायब हो जाती है।

2. कवि कहता है कि खुशबु रहने वाले हाथ अर्थात अगरबत्ती बनाने वाले लोग स्वयं कितने गंदे वातावरण में रहते हैं, इसकी कल्पना करना भी कठिन है। इस गंदगी में रहकर भी इनके हाथ में कमाल का जादू है ये खुशबूदार अगरबत्तियों को बनाते हैं।

(ख) गलियों, नालों, नाखुनों, गंदे हाथ, अगरबत्तियाँ, मुहल्लों, गंदे लोग में बहुवचन का प्रयोग इसलिए किया गया है कि ऐसे लोग, स्थान, वस्तुएँ एक नहीं अनेकों हैं।

खुशबू रचते हाथ कविता के माध्यम से कवि क्या संदेश देना चाहता है?

उत्तर:- कवि कहता है कि खुशबू रचने वाले हाथ अर्थात् अगरबत्ती बनाने वाले लोग स्वयं कितने गंदे और बदबूदार वातावरण में रहते हैं, इसकी कल्पना करना भी कठिन है। पर इस गंदगी में रहकर भी इनके हाथ में कमाल का जादू है ये खुशबूदार अगरबत्तियों को बनाते हैं। स्वयं बदहाल हैं लेकिन दूसरों के जीवन को महकाते हैं।

खुशबू रचते हैं हाथ कविता का भाव क्या है?

इस पाठ की दूसरी कविता 'खुशबू रचते हैं हाथ' में कवि ने सामाजिक विषमताओं को बेनकाब किया है। इस कविता में कवि ने गरीबों के जीवन पर प्रकाश डाला है। कवि कहता है कि अगरबत्ती का इस्तेमाल लगभग हर व्यक्ति करता है। इस कविता में कवि ने उन खुशबूदार अगरबत्ती बनाने वालों के बारे में बताया है जो खुशबू से कोसों दूर है।

खुशबू रचते हैं हाथ कविता हमे क्या प्रेरणा देती है?

यह लोग स्वयं मुश्किल परिस्थितियों में अपना जीवन बिताते हैं परन्तु दूसरों का जीवन खुशहाल बनाते हैं। यहाँ पर कवि श्रमिकों की प्रशंसा नहीं करना चाहता है बल्कि वह यह कहना चाहता है कि हमें उनकी दशा सुधारने की बात सोचनी चाहिए। हमें भी अपना नैतिक कर्तव्य समझकर ऐसे मजदूर वर्ग के लिए कार्य करना चाहिए।

खुशबू रचते हैं हाथ कविता में कवि ने किस सच को प्रकट किया है और कैसे?

'खुशबू रचते हैं हाथ' में निहित विडंबना को प्रकट कीजिए। खुशबू रचने वाले हाथ आर्थिक अभावों में गंदी गलियों में रहते हैं जहाँ छोटी-छोटी गालियाँ, नालों व कूड़े के ढेर हैं। अगरबत्तियाँ बनाने वाले नगरों, कस्बों और बस्तियों से दूर गंदे स्थानों पर रहकर तरह-तरह की सुगंधों से युक्त अगरबत्तियाँ बनाते हैं