नासिक्य ध्वनियाँ क्या है रेखांकित कीजिए 200 शब्दों में - naasiky dhvaniyaan kya hai rekhaankit keejie 200 shabdon mein

नासिक्य व्यंजन

नासिक्य ध्वनियाँ क्या है रेखांकित कीजिए 200 शब्दों में - naasiky dhvaniyaan kya hai rekhaankit keejie 200 shabdon mein

स्वनविज्ञान में नासिक्य व्यंजन (nasal consonant) ऐसा व्यंजन होता है जिसे नरम तालू को नीचे लाकर उत्पन्न किया जाए और जिसमें मुँह से वायु निकलने पर अवरोध हो लेकिन नासिकाओं से निकलने की छूट हो। न, म और ण ऐसे तीन व्यंजन हैं। नासिक्य व्यंजन लगभग हर मानव भाषा में पाए जाते हैं। .

8 संबंधों: तालव्य नासिक्य, दन्त्य, वर्त्स्य और पश्वर्त्स्य नासिक्य, दन्त्यौष्ठ्य नासिक्य, मूर्धन्य नासिक्य, कण्ठ्य नासिक्य, अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला, अलिजिह्वीय नासिक्य, अघोष वर्त्स्य नासिक्य।

तालव्य नासिक्य

तालव्य नासिक्य (palatal nasal) एक प्रकार का व्यंजन है जो कई भाषाओं में पाया जाता है, लेकिन हिन्दी और अंग्रेज़ी में नहीं पाया जाता। इसे अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला में 'ɲ' लिखा जाता है। .

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दन्त्य, वर्त्स्य और पश्वर्त्स्य नासिक्य

वर्त्स्य नासिक्य (alveolar nasal) एक प्रकार का व्यंजन है जो कई भाषाओं में पाया जाता है। हिन्दी में इसे "न" द्वारा लिखा जाता है। इसे अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला में 'n' लिखा जाता है। हिन्दी में इसका उच्चारण एक वर्त्स्य व्यंजन की तरह होता है लेकिन यह ध्वनि दन्त्य व्यंजन की तरह भी बनाई जा सकती है - हिन्दी भाषी इसको अपनी जिह्वा की नोक को ऊपर के दांतों से छूकर "न" बोलकर देख सकते हैं। .

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दन्त्यौष्ठ्य नासिक्य

दन्त्यौष्ठ्य नासिक्य (labiodental nasal) एक प्रकार का व्यंजन है। यह ध्वनि अक्सर 'फ़' या 'व' से पहले 'म' उच्चारित करते हुए स्वयं ही उत्पन्न हो जाती है (यानि शुद्ध 'म' के स्थान पर इसे उच्चारित कर दिया जाता है)। उदाहरण के लिए अक्सर अंग्रेज़ी के 'सिम्फ़नी' (symphony) शब्द में 'म' को और हिन्दी के 'संवाद' शब्द में अनुनासिक को इस रूप में उच्चारित कर दिया जाता है। इसे अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला में 'ɱ' लिखा जाता है। .

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मूर्धन्य नासिक्य

मूर्धन्य नासिक्य (retroflex nasal) एक प्रकार का व्यंजन है जो कई भाषाओं में पाया जाता है, और हिन्दी में इसके लिए 'ण' प्रयोग होता है। इसे अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला में 'ɳ' लिखा जाता है। .

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कण्ठ्य नासिक्य

कण्ठ्य नासिक्य (velar nasal) एक प्रकार का व्यंजन है जो कई भाषाओं में पाया जाता है, और हिन्दी में इसके लिए 'अं' प्रयोग होता है। इसे अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला में 'ŋ' लिखा जाता है। .

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अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला

अंतर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला (अ॰ध्व॰व॰, अंग्रेज़ी: International Phonetic Alphabet, इंटरनैशनल फ़ोनॅटिक ऐल्फ़ाबॅट) एक ऐसी लिपि है जिसमें विश्व की सारी भाषाओं की ध्वनियाँ लिखी जा सकती हैं। इसके हर अक्षर और उसकी ध्वनि का एक-से-एक का सम्बन्ध होता है। आरम्भ में इसके अधिकतर अक्षर रोमन लिपि से लिए गए थे, लेकिन जैसे-जैसे इसमें विश्व की बहुत सी भाषाओँ की ध्वनियाँ जोड़ी जाने लगी तो बहुत से यूनानी लिपि से प्रेरित अक्षर लिए गए और कई बिलकुल ही नए अक्षरों का इजाद किया गया। इसमें सन् २०१० तक १६० से अधिक ध्वनियों के लिए चिह्न दर्ज किए जा चुके थे, लेकिन किसी भी एक भाषा को दर्शाने के लिए इस वर्णमाला का एक भाग की ही ज़रुरत होती है। इस प्रणाली के ध्वन्यात्मक प्रतिलेखन (ट्रान्सक्रिप्शन) में सूक्ष्म प्रतिलेखन के चिन्हों के बीच में और स्थूल प्रतिलेखन / / के चिन्हों के अन्दर लिखे जाते हैं। इसकी नियामक अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक संघ है। उदाहरण के लिए.

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अलिजिह्वीय नासिक्य

अलिजिह्वीय नासिक्य (uvular nasal) एक प्रकार का व्यंजन है जो विश्व की कुछ भाषाओं में पाया जाता है, हालांकि यह हिन्दी और अंग्रेज़ी में प्रयोग नहीं होता। इसे अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला में 'ɴ' लिखा जाता है। .

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अघोष वर्त्स्य नासिक्य

अघोष वर्त्स्य नासिक्य (voiceless alveolar nasal) एक प्रकार का व्यंजन है जो विश्व की बहुत कम भाषाओं में मिलता है, जैसे कि बर्मी भाषा और एस्टोनियाई भाषा। हिन्दी व अंग्रेज़ी बोलने वालों को यह 'न' से मिलता-जुलता प्रतीत होता है। इसे अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला में n̥ और n̊ के चिन्हों द्वारा लिखा जाता है। .

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नासिक्य व्यंजन को ही अनुनासिक व्यंजन कहते हैं. नासिक्य व्यंजन कितने होते हैं? उत्तर जानिए – 5. आइए विस्तार पूर्वक जानते हैं.

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पहले आप को उच्चारण प्रयत्न के आधार पर व्यंजन प्रकार से परिचित कराना चाहता हूं. उच्चारण प्रयत्न के आधार पर व्यंजन को 8 भागों में बांटा गया है.

  1. स्पर्शी (16) – क, ख, ग, घ, ट, ठ, ड, ढ, त, थ, द, ध, प, फ, ब, भ.
  2. संघर्षी (4) – श, ष, स, ह.
  3. स्पर्श-संघर्षी (4) – च, छ, ज, झ.
  4. नासिक्य / अनुनासिक (5) – ङ, ञ, ण, न, म.
  5. पार्श्विक (1) – ल.
  6. प्रकंपी / लुंठित (1) – ऱ
  7. उत्क्षिप्त (2) – ड, ढ.
  8. संघर्षहीन / अंतस्थ (2) – य, व.

☛ नासिक्य व्यंजनों की कुल संख्या 5 होती है – ङ, ञ, ण, न, म.

नासिक्य व्यंजन की परिभाषा 

जिन व्यंजनों के उच्चारण में हवा मुख्य रूप से नाक से निकले, उसे नासिक्य कहा जाता है. उदाहरण –  ङ, ञ, ण, न, म.

Conclusion

जिन व्यंजनों के उच्चारण में नाक से हवा निकले, उसकी कुल संख्या 5 है – ङ, ञ, ण, न, म. अनुनासिक व्यंजन कितने होते हैंउम्मीद करता हूं कि आपको इस प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा. अगर आपको इसको लेकर कोई और सवाल हो तो आप कमेंट बॉक्स में जरूर पूछिए.

नासिक्य ध्वनियाँ क्या हैं?

स्वनविज्ञान में नासिक्य व्यंजन (nasal consonant) ऐसा व्यंजन होता है जिसे नरम तालू को नीचे लाकर उत्पन्न किया जाए और जिसमें मुँह से वायु निकलने पर अवरोध हो लेकिन नासिकाओं से निकलने की छूट हो। न, म और ण ऐसे तीन व्यंजन हैं।

नासिक्य ध्वनि के लिए प्रयुक्त बिंदु को क्या कहते है?

नासिक्य व्यंजन को ही अनुनासिक व्यंजन कहते हैं.

निम्नलिखित में से कौन सा वर्ण नासिक्य है?

ङ, ञ, ण, न, म नासिक्य व्यंजन होते हैं।

अनुनासिक व्यंजन कितने प्रकार के होते हैं?

Anunasik वर्णों की संख्या कितनी है? हिंदी में अनुनासिक वर्णों की कुल संख्या 5 हैं। जो कि ङ, ञ, ण, म, न हैं