52669799 Show Solution : विधायी विषयों को संविधान की सातवीं अनुसूची की तीन सूचियों में विभाजित किया गया है। सूचियां एवं उनमें विभाजित विषयों की संख्या इस प्रकार है इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में संघवाद और भारत के संबंध में उसके विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं। संदर्भRBI के पूर्व गवर्नर डी. सुब्बाराव ने अपने एक हालिया लेख में कहा था कि जिस प्रकार देश का आर्थिक केंद्र (Economic Center) राज्यों की ओर स्थानांतरित हो रहा है उसे देखते हुए इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि वर्तमान में भारत का आर्थिक विकास सहकारी संघवाद पर टिका हुआ है। ध्यातव्य है कि भारतीय संविधान का संघीय चरित्र इसकी प्रमुख विशेषताओं में से एक है, हालाँकि भारतीय संविधान में कहीं भी महासंघ या फेडरेशन (Federation) शब्द का प्रयोग नहीं किया गया है। बल्कि इसके स्थान पर भारतीय संविधान में भारत को ‘राज्यों के संघ’ के रूप में संबोधित किया गया है। दरअसल, कई जानकार मानते हैं कि भारत एक अर्द्ध-संघीय देश है अर्थात् यह एक ऐसा संघीय राज्य है जिसमें एकात्मक सरकार की भी कुछ विशेषताएँ मौजूद हैं। संघवाद क्या है?
सहकारी बनाम प्रतिस्पर्द्धी संघवादकेंद्र और राज्य सरकार के बीच संबंधों के आधार पर संघवाद की अवधारणा को दो भागों में विभाजित किया गया है (1) सहकारी संघवाद (2) प्रतिस्पर्द्धी संघवाद।
सहकारी संघवाद में केंद्र व राज्य एक-दूसरे के साथ क्षैतिज संबंध स्थापित करते हुए एक-दूसरे के सहयोग से अपनी समस्याओं को हल करने का प्रयास करते हैं। सहकारी संघवाद की इस अवधारणा में यह स्पष्ट किया जाता है कि केंद्र और राज्य में से कोई भी किसी से श्रेष्ठ नहीं है।
संवैधानिक प्रावधान- केंद्र और राज्य संबंधकेंद्र और राज्यों के बीच संबंधों का उल्लेख संविधान के भाग XI और XII में विधायी, प्रशासनिक तथा वित्तीय संबंधों के तहत किया गया है। विधायी संबंध
प्रशासनिक संबंध
वित्तीय संबंध
भारत के लिये संघवाद का महत्त्व
भारत में संघवाद के समक्ष चुनौतियाँ
निष्कर्षभारत सरकार का लक्ष्य देश को वित्तीय वर्ष 2024-2025 तक 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाना है, परंतु यह तब तक संभव नहीं होगा जब तक देश में केंद्र और राज्य साथ मिलकर कार्य नहीं करेंगे। कई बार केंद्र और राज्य दोनों के मध्य सुगम संबंध न बन पाने का एक प्रमुख कारण राजनीतिक मतभेद भी होता है, परंतु विशेषज्ञों का मानना है कि देश में सहकारी संघवाद के लिये यह सबसे उपयुक्त समय है, क्योंकि वर्तमान में जो राजनीतिक दल केंद्र में है उसकी सरकार देश के लगभग दो-तिहाई राज्यों में है। अतः आवश्यक है कि देश में संघवाद के समक्ष मौजूद चुनौतियों को जल्द-से-जल्द दूर किया जाए, ताकि देश के आर्थिक और सामाजिक विकास में राज्यों की अधिक भूमिका को सुनिश्चित किया जा सके। संघीय सूची में कितने विषय हैं?संविधान के लागू होने के समय इसके अन्तर्गत 66 विषय थे, वर्तमान समय में इसमें 61 विषय हैं.
संघ सूची का विषय कौन कौन से हैं?संघ सूची के विषय (Subject Of Union Catalog). विदेशी मामले. रेडियो, टेलिविजन. डाकघर बचत बैंक. शेयर बाजार. बैंकिंग. समवर्ती सूची का विषय क्या है?दिए गए सभी विषय समवर्ती सूची के अंतर्गत आते हैं ध्यातव्य है कि 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 के तहत पाँच विषयों को राज्य सूची से समवर्ती सूची में शामिल किया गया है।. वे हैं- शिक्षा, वन, नाप-तौल, वन्यजीवों एवं पक्षियों का संरक्षण, न्याय का प्रशासन।. |