व्यंजन वर्ण कौन कौन से हैं - vyanjan varn kaun kaun se hain

इस आर्टिकल में हम पढेंगे कि व्यंजन किसे कहते हैं? जैसा की हम सभी जानते हैं कि किसी भी भाषा को पढने के लिए ज़रूरी है कि सबसे पहले उसके वर्णमाला को समझा जाए। हिन्दी वर्णमाला में कुल 52 वर्ण होते हैं, जिसे दो भाग स्वर और व्यंजन में बाटा गया है। तो आज हम वर्णमाला के दुसरे भाग के बारे में पढेंगे और जानेंगे की व्यंजन किसे कहते हैं? और व्यंजन के कितने भेद होते हैं?

इस आर्टिकल के हेडलाइन पढ़ें - show

1. व्यंजन किसे कहते हैं?

2. व्यंजन के कितने भेद होते हैं?

2.1. स्पर्शी व्यंजन

2.2. अन्तःस्थ व्यंजन

2.3. उष्म व्यंजन

2.4. द्विगुण व्यंजन

2.5. सयुक्त व्यंजन

व्यंजन किसे कहते हैं?

आम भाषा में क से गया ज्ञ तक के वर्णों को व्यंजन कहते हैं। जिन वर्णों का उच्चारण बिना किसी दुसरे वर्णों के नहीं हो सकता उन्हें व्यंजन कहते हैं। अर्थात स्वर की सहायता से बोले जाने वाले वर्ण व्यंजन कहलाते हैं। वैसे तो व्यंजनों की संख्या 33 ही होती है। लेकिन 2 द्विगुण व्यंजन और 4 संयुक्त व्यंजन मिलाने के बाद व्यंजनों की संख्या 39 हो जाती है।

व्यंजन के कितने भेद होते हैं?

व्यंजन वर्ण कौन कौन से हैं - vyanjan varn kaun kaun se hain

मुख्य रूप से व्यंजन 3 प्रकार के होते हैं-

  1. स्पर्शी व्यंजन
  2. अन्तःस्थ व्यंजन
  3. उष्म / संघर्षी व्यंजन

इनके अलावां भी व्यंजन दो और प्रकार के होते हैं।

  1. द्विगुण / उत्क्षिप्त व्यंजन
  2. सयुक्त व्यंजन

स्पर्शी व्यंजन

जिन वर्णों के उच्चारण में मुख किसी विशेष स्थान जैसे- (कंठ, तालु, मूर्धा, दांत और होठ) आदि से स्पर्श होता है तो उसे स्पर्शी व्यंजन कहते हैं। यह क से म तक होते हैं, इनकी संख्या 25 होती है, जिन्हें 5 वर्गों में बाटा गया है।

क वर्ग- क ख ग घ ङ (कंठ)

च वर्ग- च छ ज झ ञ  (तालु)

ट वर्ग- ट ठ ड ढ ण   (मूर्धा)

त वर्ग- त थ द ध न    (दांत)

प वर्ग- प फ ब भ म    (होठ)

अन्तःस्थ व्यंजन

जिन वर्णों का उच्चारण स्वरों और व्यंजनों के बीच स्थित हो उसे अन्तःस्थ व्यंजन कहते हैं। यह 4 होते हैं। -य र ल व

उष्म व्यंजन

जिन व्यंजनों के उच्चारण में वायु मुख में किसी स्थान पर घर्षण खा कर ऊष्मा पैदा करती है, उन्हें उष्म व्यंजन कहते है। यह भी 4 होते हैं-श, ष, स, ह

द्विगुण व्यंजन

जिनके उच्चारण में जीभ उपर उठकर मूर्धा को स्पर्श करके तुरंत नीचे आ जाए, द्विगुण व्यंजन कहलाते हैं। यह दो होते हैं-ड़ और ढ

सयुक्त व्यंजन

दो व्यंजनों से मिलकर बने व्यंजन को संयुक्त व्यंजन कहते हैं। इनकी संख्या 4 होती है। जैसे-क्ष, त्र, ज्ञ, श्र

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  • हिन्दी वर्णमाला की जानकारी
  • स्वर किसे कहते हैं?
  • अयोगवाह क्या है?


लेख के बारे में-

इस आर्टिकल में अपने पढ़ा कि, व्यंजन किसे कहते हैं? हमे उम्मीद है कि आपको यह जानकारी अवश्य पसंद आई होगी। हिंदी व्याकरण तथा अन्य जानकारी पढ़ते रहने के लिए बेल आइकन दबा कर हमें सब्सक्राइब करें। हिन्दी विषय से सम्बंधित पोस्ट पढ़ते रहने के लिए हमें टेलीग्राम पर फॉलो करे।

हिंदी वर्णमाला स्वर और व्यंजन: हिंदी वर्णमाला स्वर और व्यंजन से मिलकर बनती है। हिंदी में वर्णों (स्वर और व्यंजन) की कुल संख्या 52 है, जिसमें 11 स्वर और 41 व्यंजन होते हैं। इन वर्णों के व्यवस्थित एवं क्रमबद्ध समूह को वर्णमाला कहते हैं। वर्ण हिन्दी भाषा में प्रयुक्त सबसे छोटी इकाई होती है।

व्यंजन वर्ण कौन कौन से हैं - vyanjan varn kaun kaun se hain

हिंदी वर्णमाला स्वर और व्यंजन

Table of Contents

    • स्वर ( swar )
    • व्यंजन ( vyanjan )
  • भारत सरकार द्वारा मानक हिंदी वर्णमाला
    • स्वर और उनकी मात्राएँ

स्वर ( swar )

स्वर किसे कहते हैं?

स्वर ( swar in hindi ) :- स्वर उन वर्णों को कहते हैं जिनका उच्चारण बिना किसी अवरोध तथा बिना किसी दूसरे वर्ण की सहायता से होता है।

स्वर कितने प्रकार के होते हैं?

स्वर तीन प्रकार के होते हैं – 1. हृस्व स्वर, 2. दीर्घ स्वर, 3. प्लुत स्वर
1. हृस्व स्वर – जिन स्वरों के उच्चारण में कम समय लगता है उन्हें हृस्व स्वर कहते हैं।
2. दीर्घ स्वर – जिन स्वरों के उच्चारण में हृस्व स्वरों से अधिक समय लगता है उन्हें दीर्घ स्वर कहते हैं।
3. प्लुत स्वर  – जिन स्वरों के उच्चारण में हृस्व स्वरों से लगभग तीन गुना अधिक समय लगता है उन्हें प्लुत स्वर कहते हैं। जैसे – ओ३म्

स्वरों की कुल संख्या = 11 (अ, इ, उ, ऋ, आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ)

  • हृस्व स्वरों की कुल संख्या = 4 (अ, इ, उ, ऋ)
  • दीर्घ स्वरों की कुल संख्या = 7 (आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ)

मात्रा किसे कहते हैं?

मात्रा :- स्वरों के निश्चित चिन्हों को मात्रा कहते हैं।

व्यंजन ( vyanjan )

व्यंजन किसे कहते हैं?

व्यंजन ( vyanjan in hindi ) :- व्यंजन उन वर्णों को कहते हैं जिनका उच्चारण स्वर की सहायता से होता है।

व्यंजन कितने प्रकार के होते हैं?

व्यंजन तीन प्रकार के होते हैं –
1. स्पर्श व्यंजन (Sparsh Vyanjan),
2. अंतःस्थ व्यंजन (Antasth Vyanjan),
3. उष्म व्यंजन (Ushm Vyanjan),
4. आगत व्यंजन (Aagat Vyanjan),
5. संयुक्त व्यंजन (Sanyukt Vyanjan)

व्यंजनों की कुल संख्या = 41 

  • स्पर्श व्यंजनों की कुल संख्या = 27 (क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण त थ द ध न प फ ब भ म तथा ड़, ढ़ (ड़, ढ़ को उच्छिप्त व्यंजन (Uchchhipt Vyanjan) और द्विगुण व्यंजन (Dwigun Vyanjan) भी कहते हैं))
  • अंतःस्थ व्यंजनों की कुल संख्या = 4 (य, र, ल, व)
  • ऊष्म व्यंजनों की कुल संख्या = 4 (श, ष, स, ह)
  • आगत व्यंजनों की कुल संख्या = 2 (ज़, फ़)
  • संयुक्त व्यंजनों की कुल संख्या = 4 (क् + ष् = क्ष, त् + र् = त्र, ज् + ञ् = ज्ञ, श् + र् = श्र)

 

अयोगवाह वर्ण कौन से होते हैं? 

अं, अः अयोगवाह वर्ण होते हैं (अनुस्वर – अं (ं), विसर्ग – अः (ाः ))

अनुस्वर :- स्वर के बाद बोला जाने वाला हलंत (ं) (अर्ध ध्वनि) अनुस्वार कहलाता है। जैसे – प्रपंच, कंठ, छंद आदि।
विसर्ग :- विसर्ग ( ः ) महाप्राण सूचक एक स्वर है। जैसे – प्रातः, अतः, सम्भवतः आदि।

 

भारत सरकार द्वारा मानक हिंदी वर्णमाला

भारत सरकार के केंद्रीय हिंदी निदेशालय तथा राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् द्वारा मानक हिंदी वर्णमाला का निर्धारण इस प्रकार किया गया है –

अ, आ, इ, ई, उ, ऊ,
ऋ, ए, ऐ, ओ, औ
क ख ग घ ङ
च छ ज झ ञ
ट ठ ड ढ ण    ड़, ढ़
त थ द ध न
प फ ब भ म
य र ल व
श ष स ह

क्ष त्र ज्ञ श्र संयुक्त व्यंजन हैं। ज़, फ़, ऑ आगत धवनियाँ हैं।

स्वर और उनकी मात्राएँ

स्वर अआइईउऊऋएऐओऔमात्राकोई मात्रा नहीं होतीािीुूृेैोौ

 

Note : अं, अः आदि हिंदी वर्णमाला में ऐसे वर्ण हैं जिनकी गिनती न तो स्वरों में होती है और न ही व्यंजनों में, इन्हें अयोगवाह कहते हैं। अयोगवाह का अर्थ है जो योग न होने पर भी साथ रहे। वर्णमाला में अयोगवाह का स्थान स्वरों के बाद और व्यंजनों से पहले होता है। अं को अनुस्वार तथा अः को विसर्ग कहा जाता है। जैसे – रंग, इंक, अंक, अंगद, अंगूर, अतः, प्रातः, स्वतः आदि, विसर्ग का प्रयोग हिंदी में प्रचलित संस्कृत शब्दों में होता है। अनुस्वार और विसर्ग न तो स्वर हैं, न व्यंजन लेकिन स्वर और व्यंजन दोनों में ही इनका उपयोग होता है।

व्यंजन वर्ण कितने हैं और कौन कौन?

इनमें ११ स्वर और ४१ व्यञ्जन होते हैं। लेखन के आधार पर ५६ वर्ण होते हैं इसमें ११ स्वर , ४१ व्यञ्जन तथा ४ संयुक्त व्यञ्जन होते हैं। 1. स्वर क्या होता है :- जिन वर्णों को स्वतन्त्र रूप से बोला जा सके उसे स्वर कहते हैं

व्यंजन वर्ण कौन से होते हैं?

'व्यंजन' वर्ण का स्वर की तरह स्वतंत्र उच्चारण संभव नहीं है। इसके उच्चारण में फेफडों की हवा पूर्ण-अपूर्ण रूप से रुककर निकलती है। जैसे – क, ख, ग, घ, च, छ, ज, झ, ट, ठ, ड, ढ, त, थ, द, ध, प, फ, ब, भ इत्यादि। इन सभी व्यंजन वर्णो में 'अ' की ध्वनि मिली हुयी है।

33 व्यंजन कौन कौन से हैं?

व्यंजन का वर्गीकरण.
उच्चारण प्रयत्न के आधार पर –.
स्पर्श – क, ख, ग, घ, ट,ठ, ड, झ, त, थ, द, ध, प, फ, ब, भ.
स्पर्श-संघर्षी – च, छ, ज, झ.
संघर्षी – स, श, ष.
पार्श्विक – ल.
लुंठित – र.
उत्क्षिप्त – ड़, ढ़.
अन्तस्थ या अर्द्धस्वर – य, व.

41 व्यंजन कौन कौन से हैं?

हिंदी वर्णमाला में वर्णों की संख्या कितनी होती है या वर्णमाला कितने होते हैं?.
व्यंजन क्रम (कुल -33):.
क वर्ग: क, ख, ग, घ, ङ.
च वर्ग: च, छ, ज, झ, ञ.
ट वर्ग: ट, ठ, ड, ढ, ण.
त वर्ग: त, थ, द, ध, न.
प वर्ग: प, फ, ब, भ, म.
अंतःस्थ: य, र, ल, व.
ऊष्म: श, ष, स, ह,.