डाइजेस्टिव सिस्टम शरीर का अहम हिस्सा है. वहीं, खाते समय हवा के शरीर में चले जाने से गैस की समस्या हो जाती है. इसके अलावा, जब छोटी आंत में फाइबर, शुगर और स्टार्च जैसे कार्ब्स पच नहीं पाते हैं, तो बड़ी आंत में जाकर गैस का कारण बनते हैं. आमतौर पर एक व्यक्ति दिन में 10 से 20 बार गैस पास करता है, जिसे सामान्य माना गया है. वहीं, जब गैस जरूरत से ज्यादा बन जाती है, तो बार-बार डकारें और पेट में ऐंठन की समस्या होती है. ऐसे में अल्फा गैलेक्टोसाइड और सिमेथीकॉन पेट में गैस के लिए उपयोगी दवाइयां है. Show
आज इस लेख में हम पेट में गैस की दवा व टेबलेट के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे - (और पढ़ें - गैस के लिए घरेलू उपाय) पेट की गैस में फायदेमंद दवाआमतौर पर गलत खानपान के कारण छोटी आंत में पूरी तरह से डाइजेस्ट न होने वाले कार्बोहाइड्रेट को बैक्टीरिया एक्टिवेट कर देते हैं, जिससे पेट में गैस बनती है. पेट फूलना व उल्टी इसके कुछ लक्षण हैं. ऐसे में एक्टिवेटेड चारकोल व लेक्टाइड जैसी दवाएं पेट में गैस की समस्या को कम कर सकती हैं. आइए, पेट में गैस की दवा और टेबलेट के बारे में विस्तार से जानते हैं - अल्फा गैलक्टोसाइड - Alpha Galactosidaseअल्फा गैलक्टोसाइड सब्जियों में मौजूद कार्ब्स को ब्रेक करने में सहायक होती हैं. इस दवा का सेवन डॉक्टर की सलाह पर भोजन करने से पहले किया जा सकता है. इससे पेट में गैस की समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है. (और पढ़ें - पेट की गैस के लिए एक्यूप्रेशर पॉइंट) लैक्टेज सप्लीमेंट - Lactase Supplementलैक्टोज इनटॉलेरेंस से होने वाली गैस की समस्या को कम करने के लिए लैक्टेज सप्लीमेंट उपयोगी है. इसके तहत लेक्टेड और डाइजेस्ट डेयरी प्लस का सेवन किया जा सकता है. गर्भवती महिला व स्तनपान कराने वाली महिला को इस दवा का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए. (और पढ़ें - पेट में गैस का आयुर्वेदिक इलाज) सिमेथीकॉन - Simethiconeसिमेथीकॉन दवाएं, जैसे - गैस एक्स, मायलांटा गैस मिनिस व अन्य दवाएं गैस के बबल को तोड़ने में सहायक होती हैं. इससे डाइजेस्टिव ट्रैक्ट से खाना नीचे आराम से चला जाता है. इसलिए, पेट में गैस की समस्या में इस दवा से आराम मिल सकता है. (और पढ़ें - पेट की गैस के लिए योग) एक्टिवेटेड चारकोल - Activated Charcoalएक्टिवेटेड चारकोल, जैसे - एक्टिडोस एक्वा, चारको कैप्स और अन्य दवाएं खाना खाने के बाद गैस के लक्षणों से राहत दिलाने में सहायक हो सकती हैं. इसलिए, गैस की समस्या में इनमें से किसी भी एक दवा या सप्लीमेंट का सेवन कर सकते हैं. (और पढ़ें - पेट में गैस का होम्योपैथिक इलाज)
गैस की अंग्रेजी दवा का नाम – आज के समय में पेट में गैस बनना आम बात हो गई है. लोगों की दिनचर्या बदलने से कई लोगों इस बीमारी के शिकार है. हालाँकि ये कोई खतरनाक बीमारी तो नहीं, लेकिन एसिडिटी की वजह अन्य कई बीमारियाँ होने लगती है. इसकी वजह से सीने में दर्द, उल्टियां, बीपी की प्रॉब्लम, बेचैनी, पेट दर्द आदि होने लगता है. इससे पाचन संबंधी परेशानी भी होती है. कभी-कभी ये काफी खतरनाक साबित हो सकता है. Also Read : गैस या एसिडिटी होने पर आप भी तो नहीं खाते ये दवा?आजका यह पोस्ट गैस की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए ही है. वैसे तो गैस की समस्या से निजात पाने के कई उपाय है. लेकिन आज के इस पोस्ट में आप लोगों को कुछ गैस की अंग्रेजी दवा का नाम बताने वाले हैं. लेकिन उससे पहले चलिए एसिडिटी होने कारण यानी पेट में गैस बनने का कारण के बारे में जानते हैं… गैस बनने का कारण ( Reason of acidity in hindi )दिन भर बैठे रहना पेट में गैस क्यों होता है इसके बारे में तो हम लोगों जान लिया. अब गैस के लिए कौन सी टेबलेट है या एसिडिटी की अंग्रेजी दवा का क्या नाम है, इसके बारे में जानते हैं. यहाँ कुछ दवाओं के नाम दिए जा रहे हैं जो गैस के मरीजों के द्वारा इस्तेमाल किया जाता है. Also Read : R2 Homeopathic Medicine Uses in Hindi – उपयोग, फायदे व नुकसानGas O Plus Tablet नोट – ऊपर बताई गयी सभी दवाएं सामान्य जानकारी के लिए दी गयी है. इन दवाओं के सेवन से पहले डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें. उनके देख रेख के बिना इन दवाओं का सेवन न करें. Updated on: 10 December 2020, 12:15 pm IST
अक्सर लोग ‘गैस’ होने की शिकायत करते हैं और इससे उनका आशय वायु की वजह से पेट का फूलना, जरूरत से ज्यादा डकार लेना होता है। इसे ही आम भाषा में पेट में गैस बनना कहा जाता है। इस अत्यधिक गैस की समस्या को कैसे दूर किया जाए- इस पर विचार करने से पहले हमें पेट में गैस पैदा होने के कारणों को समझना चाहिए। असल में होती क्या है गैसइसके मुख्य रूप से तीन स्रोत हैं। पहला, गैस उस स्थिति में पैदा होती है जबकि बिना पचे भोजन पर हमारे गट बैक्टीरिया क्रिया करते हैं। अधिक रेशेदार भोजन सामग्री जैसे कि सलाद, गाजर, अंकुरित अनाज, दालें, चना और राजमा इत्यादि से अधिक मात्रा में गैस पैदा होती है। अब जानिए गैस बनने के कारणदूसरे, जब हम खाना निगलते हैं तब भी कुछ मात्रा में, बेशक वह कम ही होती है, हमारे शरीर में वायु का प्रवेश होता है। कुछ लोग तो हवा को खाते भी हैं! इसे ऐरोफैजी (‘aerophagy’) कहा जाता है और ऐसा करने वाले लोग अपने शरीर में समा चुकी वायु को खाद्य नली से आवाज़ के साथ बाहर निकालते हैं। पेट में गैस बनने का सबसे बड़ा कारण अनियंत्रित खानपान है। चित्र: शटरस्टॉकजिससे हर किसी का ध्यान उनकी तरफ जाता है। यदि किसी की बाजू या पीठ को दबाने पर उसे डकार आ जाए तो इसे एरोफैजी यानी हवा चबाना कहा जाता है! तीसरे, हमारे रक्तप्रवाह द्वारा भी हवा की मामूली मात्रा आंतों में छोड़ी जाती है। इसलिए शरीर में अत्यधिक वायु की समस्या से निपटने के लिए वायु पैदा करने वाली उपर्युक्त भोजन सामग्री के सेवन से बचना चाहिए और ऐरोफैजी से भी खुद को दूर रखना जरूरी है। कुछ मरीज़ों को गट बैक्टीरिया पर नियंत्रण के लिए प्रोबायोटिक्स या अघुलनशील एंटीबायोटिक्स जैसे कि रिफैक्सिमिन (Rifaximin) लेने की जरूरत पड़ती है। ताकि लक्षणों को रोका जा सके। क्या है गैस का उपचारइसी तरह, एसिड कम करने वाली दवाएं जैसे कि प्रोटोन पंप इंहिबिटर्स (PPIs) या H2 रिसेप्टर ब्लॉकर्स (H2RBs) का सेवन भी ब्लोटिंग या पेट के ऊपरी हिस्से में भारीपन और उसके साथ एसिडिटी या जलन की समस्या, जो कि हार्टबर्न का कारण भी बनती है, से आराम दिलाने में लाभकारी होता है। आपकी ‘कुछ भी, कभी भी’ खा लेने की आदत आपको बना सकती है एसिडिटी का शिकार। चित्र: शटरस्टॉकक्या इन दवाओं का कोई साइड इफैक्ट भी हैPPIs जैसे कि ओमेप्राज़ोल और पैंटोप्राज़ोल पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा प्रेस्क्राइब की जाने वाली दवाएं हैं। इनके प्रतिकूल प्रभावों में निमोनिया, क्लॉस्ट्रिडियम डिफाइसिल कोलाइटिस तथा हडि्डयों का फ्रैक्चर शामिल है। 2015 में इस जोखिम सूची में गुर्दा रोग को भी शामिल किया गया है। बढ़ जाता है किडनी रोगों का जोखिमइस सिलसिले में एक बड़े समूह पर जिसमें 10,000 से अधिक लोग शामिल थे, पूरे 14 वर्षों तक क्रोनिक किडनी रोग के जोखिम को लेकर अध्ययन किया गया और पीपीआई का सेवन करने वाले यह जोखिम 50% अधिक पाया गया। एक और महत्वपूर्ण बात जो सामने आयी वह यह कि हर दिन एक की बजाय दो खुराक लेने वाले लोगों में यह जोखिम ज्यादा है। साथ ही, H2 रिसेप्टर ब्लॉकर्स जैसे रैनिटिडाइन की तुलना में पीपीआई के सेवन से अधिक जोखिम जुड़े हैं। फिलहाल, इन दवाओं के सेवन से किडनी को नुकसान पहुंचने के कारणों का पता नहीं चल पाया है। हालांकि पीपीआई और H2RBs के सेवन से होने वाले प्रतिकूल प्रभावों को देखा गया है। संभवत: यह भी मुमकिन है कि इस प्रकार के विपरीत असर जिन लोगों में दिखायी देते हैं वे पहले से ही रोगी या उनमें कुछ अन्य गंभीर विकार/बीमारियां (co-morbidities) हों, ऐसे में आत्ममंथन करना जरूरी है। इस तरह की दवाओं का सेवन बिना चिकित्सकीय परामर्श के नहीं करना चाहिए। चित्र: शटरस्टॉकबिना परामर्श नहीं लेनी चाहिए एंटी एसिडिटी दवाएंलंबे समय तक, बिना किसी मार्गदर्शन के एसिड घटाने वाली दवाओं के सेवन से बचना चाहिए। ये दवाएं, तभी लेनी चाहिएं, और वो भी बहुत कम मात्रा में तथा कम से कम समय के लिए, जबकि बहुत जरूरी हों। बेहतर तो यही होगा कि अपने आप इन दवाओं को लेने की बजाय अपने डॉक्टर से सलाह करें। यह भी पढ़ें – जरूरत से ज्यादा पानी पीना भी हो सकता है नुकसानदायक, पहचानें ओवरहाइड्रेशन के ये 5 लक्षण गैस के लिए सबसे अच्छी टेबलेट कौन सी है?नो गैस 150mg टैबलेट एक ऐसी दवा है जो आपके पेट में बनने वाले एसिड की मात्रा को कम करती है. इसका उपयोग हार्ट बर्न, अपच और पेट में बहुत अधिक एसिड के कारण होने वाले अन्य लक्षणों के इलाज और रोकथाम के लिए किया जाता है.
पेट में गैस बनने पर कौन सा दवाई खाना चाहिए?गैस से कैसे पाएं छुटकारा
ऐसे में आप विकल्प के रूप में पुदीना, अदरक या कैमोमाइल टी का सेवन कर सकते हैं. जीरा और सौंफ की चाय भी पेट में गैस की समस्या को दूर कर सकती है. ऐसे में आप चाय बनाकर गुनगुना करके इस समस्या से राहत पा सकते हैं. पेट की गैस से राहत चाहते हैं तो ऐसे में आप सेब के सिरके का सेवन भी कर सकते हैं.
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