अच् का अर्थ है स्वर और अन्त का अर्थ है अन्तिम में, अर्थात् जिस शब्द के अन्त में स्वर हो उसे अजन्त कहते हैं, जैसे- ‘बालक’ शब्द । बालक शब्द को यदि हम अलग-अलग करके लिखेंगे तो ‘ब्+आ+ल्+अ+क्+अ’ इस प्रकार से लिखा जाएगा । बालक शब्द के अन्त में ‘अ’ है, क्योंकि ‘अ’ एक स्वर है तो बालक शब्द अजन्त शब्द कहलाएगा और जो बालक शब्द के रुप चलेंगे वे अजन्त शब्दरुप कहलाएँगे । अजन्त शब्दरूपों को ‘स्वरान्त शब्दरूप’ भी कहते हैं, अर्थात् जिनके अन्त में स्वर हों । Show 2. हलन्त शब्दरूप-हलन्त शब्द भी दो शब्दों से मिलकर बना है- हल्+अन्त । हल् का अर्थ है व्यंजन और अन्त का अर्थ है अन्तिम में, अर्थात् जिस् शब्द के अन्त में व्यंजन हो उसे हलन्त कहते हैं । इनको व्यंजनान्त भी कहते हैं, अर्थात् जिनके अन्त में व्यंजन हों । जैसे- राजन् , राजन् शब्द को यदि हम अलग करके लिखेंगे तो- ‘र्+आ+ज्+अ+न्’ । राजन् शब्द के अन्त में ‘न्’ व्यंजन अक्षर है, अत: यह हलन्त शब्द या व्यंजनान्त शब्द कहलाएगा । लिंग की दृष्टि से शब्दरूप के भेद- लिंग की दृष्टि से शब्द तीन प्रकार के होते हैं- 1. पुल्लिंग 2. स्त्रीलिंग 3. नपुंसकलिंग । संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण इन तीनों के रूप तीनों लिंगों में चलते हैं । संस्कृत में लिंग ज्ञान शब्दकोष की सहायता से अथवा साहित्य पढने से ही होता है, शब्द के अर्थ से लिंग ज्ञान होना कठिन है, जैसे तट:, तटी, तटम् इन तीनों शब्दों का अर्थ एक ही है ‘किनारा’, किन्तु तट: शब्द पुल्लिंग का है, तटी शब्द स्त्रीलिंग का है और तटम् शब्द नपुंसकलिंग का है । अत: शब्दरूपों के लिंग ज्ञान को सावधानी पूर्वक जानना चाहिए । एक बार तीनों लिंगों के बारे में जान लेते हैं- 1. पुल्लिंग शब्दरूप-पुल्लिंग शब्द सामान्यत: पुरुष जाति का बोध कराते हैं, जैसे- राम:, बालक:, हरि:, गुरु: आदि । 2. स्त्रीलिंग-स्त्रीलिंग शब्द सामान्यत: स्त्री जाति का बोध कराते हैं, जैसे- रमा, लता, सीता, नदी, वधू आदि । 3. नपुंसकलिंग- नपुंसकलिंग शब्द सामान्यत: नपुंसक जाति का बोध कराते हैं , जैसे- फलम्, वस्त्रम्, पुस्तकम्, गृहम् आदि । शब्द का अन्त पहचानना-जब हम किसी भी शब्दरुप पर निगाह डालते हैं तो उसके ऊपर लिखा रहता है- अकारांत शब्दरूप, इकारांत शब्दरूप, उकारांत शब्दरूप, ऋकारांत शब्दरूप आदि । सर्वप्रथम हम इन्हीं के बारे में जानते हैं, जैसे- राम एक शब्द है । इस शब्द के रूप यदि आप किसी पुस्तक में या कहीं अन्य जगह ढूंढेंगे तो उसके ऊपर लिखा होगा अकारांत पुल्लिंग शब्दरूप । पुलिंग से तो आपको पता चल गया कि राम शब्द पुल्लिंग में प्रयोग होता है इसलिए पुल्लिंग लिखा है, परंतु अकारांत क्या है ? यदि हम राम शब्द को अलग अलग करके लिखेंगे तो- ‘र्+आ+म्+अ’ । ‘म्’ के साथ अन्त में ‘अ’ है । अन्त में जो भी अक्षर होगा उसके साथ कार जोड़ देते हैं, जैसे अ है तो अकार, इ है तो इकार, उ है तो उकार आदि । राम शब्द के अन्त में अ होने के कारण राम शब्द अकारान्त पुल्लिंग शब्दरूप कहलाएगा । इसी प्रकार मुनि शब्द के अन्त में इ है, (म्+उ+न्+इ) तो वह इकारान्त पुल्लिंग शब्द होगा, इसी प्रकार से नदी शब्द है तो नदी के अंत में ई है, (न्+अ+द्+ई) तो वह ईकारान्त स्त्रीलिंग शब्द होगा, इसी प्रकार से यदि हम गुरु शब्द देखेंगे तो गुरु शब्द के अन्त में उ है, (ग्+उ+र्+उ) तो वह उकारान्त पुल्लिंग शब्द कहलाएगा, इसी प्रकार पितृ शब्द के अन्त में त् के साथ ऋ है (प्+इ+त्+ऋ ) तो वह ऋकारान्त पुल्लिंग शब्द कहलाएगा । हलन्त शब्दरूप-हलन्त का अर्थ है, जिस व्यंजन अक्षर के साथ कोई भी स्वर न हो वह हलन्त अक्षर कहलाता है । हलन्त का चिह्न कुछ इस प्रकार का प्रयोग होता है, जैसे- अर्थात् में त् के नीचे जो चिह्न लगा है, वह हलन्त का चिह्न है । किसी भी शब्द के अन्त में जो अक्षर हलन्त होगा उसी के नाम से उसका अन्त निर्धारित करते हैं, जैसे- राजन् एक शब्द है । इसके अन्त में हलन्त न् है, तो राजन् शब्द को नकारान्त शब्द कहेंगे । कुछ अन्य हलन्त शब्दरुप- वणिज्, धीमान्, आत्मन्,करिन् आदि । शब्दरूप का निर्माण-मूल शब्द के साथ सुबन्त आदि 21 प्रत्ययों के संयोग से शब्दरूप बनते हैं । सुबन्त प्रत्यय निम्न हैं- विभक्ति एकवचन द्विवचन बहुवचन द्वितीया अम् औट् शस् तृतीया टा भ्याम् भिस् चतुर्थी ङे भ्याम् भ्यस् पंचमी ङसि भ्याम् भ्यस् षष्ठी ङस् ओस् आम् सप्तमी ङि ओस् सुप् संज्ञा शब्दरूप- संज्ञा उस विकारी शब्द को कहते है, जिससे किसी विशेष वस्तु, भाव और जीव के नाम का बोध हो, उसे संज्ञा कहते है । जैसे- राम, दिल्ली, रामयण, बचपन आदि ।
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