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भारत में कई प्रकार की दालें प्रयोग की जाती हैं। दालें अनाज में आती हैं। इन्हें उगाने वाली उपज को दलहन कहा जाता है। दालें हमारे भोजन का सबसे महत्वपूर्ण भाग होती हैं। दुर्भाग्यवश आज आधुनिकता की दौड़ में फास्ट फूड के प्रचलन से हमारे भोजन में दालों का प्रयोग घटता जा रहा है, जिसका दुष्प्रभाव लोगों, विशेषकर बच्चों एवं युवा वर्ग के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है।[1] दालों की सर्व प्रमुख विशेषता यह होती है कि आँच पर पकने के उपरांत भी उनके पौष्टिक तत्व सुरक्षित रहते हैं। इनमें प्रोटीन और विटामिन बहुतायत में पाए जाते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख दालें हैं:
खेसरी , गौर, लोबिया, कुल्थी, मटर, सोयाबीन दाल मिल[संपादित करें]दालें मानव आहार में प्रोटीन की आवश्यकता पूर्ति का प्रमुख स्रोत है लगभग ३ प्रतिशत प्रोटीन की पूर्ति दालों द्वारा की जाती है भोजन में प्रयोग आने वाली दालें मुख्यत: छिलका रहित दो टुकड़ों वाली होती हैं अत: दलहनों से दाल बनाने के लिए उनके ऊपर का छिलका उतारना सर्वप्रथम तथा प्रमुख क्रिया है इसके लिए दानों को उपचारित किया जाता है और तत्पश्चात् ही उनका संसाधन किया जाता है पुरानी पद्वति द्वारा दाल बनाने में लगभग १ से १५ प्रतिशत तक दाल की हानि संसाधन क्रिया में होती है अत: दालों की उपलब्धि बढ़ाने के लिए उन्नत उत्पादन तकनीक के साथ ही साथ संसाधन की भी उन्नत तकनीक एवं उपकरणों का उपयोग किया जानं चाहिए इसी दिशा में केन्द्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, भोपाल तथा अन्य संस्थानों में शोध किये गये हैं।[2] सन्दर्भ[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
इंडियन घरों में ट्रेडिशनल व्यंजन पर ध्यान दिया जाता है। अधिकतर घरों में आसानी से उपलब्ध होने वाले और हेल्दी फूड बनाए जाते हैं। दाल (Lentils / Dal) भारतीय घरों में सबसे अधिक प्रयोग में आना वाला कम सॉलिड फूड है, इसे अक्सर उबालकर बनाया जाता है। कई लोग रोजमर्रा की हेल्दी और बैलेंस डाइट में भी इसे खाना पसंद करते हैं। लेकिन यदि आप अपनी डाइट में दालों की अनदेखी कर रहे हैं, तो यह आपकी गलती है क्योंकि ये पौष्टिकता का खजाना होती हैं। दालें प्रोटीन, मिनरल, विटामिन और फाइबर का बेस्ट सोर्स होती हैं। स्टडी के मुताबिक इनमें फाइबर भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। फाइबर रिच होने के कारण दालें वजन कम करने, कोलेस्ट्रॉल के स्तर (एलडीएल) को कम करने, डाइजेशन सही करने, ब्वॉउल मूवमेंट को नॉर्मल रखने, ब्लड शुगर कंट्रोल करने के साथ हृदय रोग में भी फायदेमंद रहती हैं। दालों से आप अपनी डाइट में प्रोटीन इंटेक बढ़ा सकते हैं, जिससे वजन कम करने और मसल्स बिल्ट करने में मदद मिलती है। इसलिए यदि किसी के शरीर में फाइबर की कमी है तो ग्रीन वेजिटेबल और फाइबर डाइट (Fiber Diet) लेने के अलावा दालों का भी सेवन करें। इस आर्टिकल में हम आपको ऐसी दालों के बारे में बताएंगे, जो फाइबर के साथ प्रोटीन में भी हाई होती हैं। जिन्हें आप आसानी से अपनी डाइट में जोड़ सकते हैं। Table of Contents
पल्स या दाल / बीन्स क्या हैं (What are Pulses or Lentils / Beans)© Shutterstockपल्स, फलियों के परिवार का हिस्सा है। लेकिन ‘पल्स’ शब्द सूखे बीज के लिए प्रयोग किया जाता है। ये वे सूखी फलियां हैं, जो एक से बारह बीजों की फली में उगती हैं। जैसे, सेम, मसूर, मटर और अन्य छोटे बीज जिन्हें दाल या सेम (Lentils or Beans) कहा जाता है। भारतीय बाजार में दालें आमतौर पर तीन तरह से उपलब्ध होती हैं। साबुत दाल (whole pulse), छिलके से विभाजित दाल (pulse with the skin ) और छिलके के साथ विभाजित दाल (Pulse with the skin removed)। दाल के प्रकार (Types of Lentils)© Shutterstockभारत में कई तरह की दालें पाई जाती हैं। इसलिए इन्हें एक कैटेगरी में न रखते हुए रंग के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। (1) जैसे, हरा (Green) : ये दालें साइज में अलग-अलग हो सकती हैं। ब्राउन (Brown) : ये अधिकतर घरों में यूज होने वाली दालें हैं। जो कि पकने के बाद बड़ी हो जाती है। पीली और लाल (Yellow and red) : ये दालें जल्दी पक जाती हैं और स्वादिष्ट होती हैं। बेलुगा (Beluga) : साइज में छोटी काली दाल इस कैटेगरी में आती है। आइए फाइबर रिच दालों के बारे में भी जान लेते हैं। 1. मूंग की दाल (Mung Dal)© Shutterstockछिलके वाली मूंग दाल (जिसे कुछ जगह हरे चने के रूप में जाना जाता है) सबसे अधिक रिकमेंडेड दाल या सुपरफूड्स में से एक है। हर घर में बनने वाली यह दाल हल्की होने के कारण पचाने में आसान होती है। इस दाल में प्रोटीन अधिक और कार्ब्स काफी कम होते हैं। अन्य दाल की तुलना में मूंग की दाल में कार्ब्स कम होने के कारण यह हेल्दी होती है। 1 औंस यानी 202 ग्राम उबली हुई मूंग की दाल में निम्न न्यूट्रिशन होते हैं।
जैसा कि आपने देखा कि यह फाइबर रिच होती है। इस कारण इसका सेवन अन्य दालों की तुलना में अच्छा होता है। 2. अरहर / तुअर दाल (Arhar / Toor Dal)© Shutterstockअरहर / तुअर दाल प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और फाइबर का अच्छा सोर्स है। यह आयरन और कैल्शियम की दैनिक जरूरत को पूरा करती है। फाइबर और प्रोटीन रिच होने के कारण इसके सेवन से भूख कम लगती है। आप कम खाते हैं तो वजन कम करने में मदद मिल सकती है। साथ ही ये कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) के लेवल को भी कम करती है। अरहर की दाल में विटामिन सी, ई, के और बी कॉम्प्लेक्स के अलावा मैग्नीशियम (Magnesium), फास्फोरस (Phosphorus), पोटेशियम (Potassium), सोडियम (Sodium) और जिंक (Zinc) भी होता है। 100 ग्राम तुअर दाल के न्यूट्रिशन (3)
अरहर दाल भी फाइबर का अच्छा सोर्स है। 3. मसूर की दाल (Masoor Dal / Red Lentil)© Shutterstockमसूर की दाल को यंगस्टर्स कम पसंद करते हैं। लेकिन पोषक तत्वों से भरपूर ये दाल कई तरह से फायदेमंद है। यह दाल भारतीय व्यंजनों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। आधा कप (करीब 90 ग्राम) मसूर की दाल के न्यूट्रिशन इस प्रकार हैं।
4. चने की दाल (Horse Gram / Chane Ki Dal)© Shutterstockएक्सपर्ट के मुताबिक चने की दाल काफी फायदेमंद होती है। यह न केवल वजन कम करने में मदद करती है, बल्कि शरीर में सभी आवश्यक पोषक तत्वों की कमी को भी पूरी करती है। कैलोरी में कम यह दाल प्लांट बेस्ड प्रोटीन का भी सोर्स है। इसमें मौजूद अघुलनशील और घुलनशील फाइबर (insoluble and soluble) टॉक्सिन्स को बाहर निकालकर पेट भरा रखने और पाचन सही करने में मदद करते हैं। 100 gm चने की दाल में न्यूट्रिशन इस प्रकार होते हैं।
निष्कर्ष (Conclusion): आप समझ गए होंगे कि प्रोटीन और फाइबर की कमी को पूरा करने में ये दालें कितनी मददगार हो सकती हैं। लेकिन ध्यान रहे ये कैलोरी में हाई होती है, इसलिए इनका सेवन अपना कैलोरी इंटेक देखकर ही करें। अधिक जानकारी के लिए किसी डॉक्टर की भी सलाह ले सकते हैं। हेल्थ संबंधित अन्य जानकारी के लिए पढ़ते रहें MensXp Hindi (यह जानकारी विभिन्न रिसर्च और स्टडी के आधार पर दी गई है। किसी भी चीज का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।) संबंधित रिसर्च : 1. Kumar Ganesan and Baojun Xu.Polyphenol-Rich Lentils and Their Health Promoting Effects.Int J Mol Sci. 2017 Nov; 18(11): 2390.Published online 2017 Nov 10. doi: 10.3390/ijms18112390.PMCID: PMC5713359 दालों में कौन सा तत्व प्रचुर मात्रा में पाया जाता है?दालें मानव आहार में प्रोटीन की आवश्यकता पूर्ति का प्रमुख स्रोत है लगभग ३ प्रतिशत प्रोटीन की पूर्ति दालों द्वारा की जाती है भोजन में प्रयोग आने वाली दालें मुख्यत: छिलका रहित दो टुकड़ों वाली होती हैं अत: दलहनों से दाल बनाने के लिए उनके ऊपर का छिलका उतारना सर्वप्रथम तथा प्रमुख क्रिया है इसके लिए दानों को उपचारित किया जाता ...
दालों में सबसे ज्यादा क्या पाया जाता है?दालों में भरपूर मात्रा में आयरन, मैग्नीशियम और जिंक पाया जाता है. इनकी मौजूदगी से कई प्रकार के संक्रामक रोगों से सुरक्षा होती है.
दाल में प्रमुख तत्व क्या होता है?दालों में प्रोटीन के अलावा इसमें कार्बोहाइड्रेट, कई प्रकार के विटामिन्स, फॉस्फोरस और खनिज तत्व पाए जाते हैं, ये शरीर को पूरी तरह से स्वस्थ रखते हैं। मसूर दाल का रंग लाल होता है। हल्की होने के कारण यह जल्दी पक जाती है। इस दाल को ढककर पकाने से इसमें मौजूद विटामिन सी की मात्रा बराबर बनी रहती है।
दाल में कौन कौन से न्यूट्रिएंट्स होते हैं?इसके अलावा इसमें आयरन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर भी भरपूर मात्रा में होता है। इसके साथ ही इसमें पोटैशियम, कैल्शियम और विटामिन बी कॉम्पलेक्स होता है।
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