आलेखन पत्राचार का एक अंग है। समाज के विकास के साथ आलेखन के भित्र-भित्र रूप विकसित होते रहे हैं। विशेषकर सरकारी सेवाओं में और कार्यालयों में काम करनेवालों के लिए आलेखन में निपुण होना आवश्यक है। Show इसकी कुशलता दो बातों पर निर्भर है- (2) आलेखन के विविध रूपों और उसके विशिष्ट नियमों की जानकारी। आलेखन की सफलता शुद्ध, सुगठित और परिमार्जित भाषा पर निर्भर है। यहाँ आलेखन से हमारा तात्पर्य सरकारी कार्यालय में व्यवहृत आलेखनों से है। इसे ‘प्रारूप’ भी कहते हैं। आलेखन के प्रकार:आलेखन दो प्रकार के होते है- (1) प्रारम्भिक आलेखन (Elementary Drafting) (1) प्रारम्भिक आलेखन (Elementary Drafting)- प्रारम्भिक आलेखन में वैयक्तिक और सामाजिक पत्राचार आते है। इनके अन्तर्गत पारिवारिक पत्र, आवेदनपत्र, पदाधिकारियों से पत्र-व्यवहार, व्यावसायिक पत्र, सम्पादक के नाम पत्र, निमन्त्रण पत्र इत्यादि आते हैं। (2) उत्रत अथवा उच्चतर आलेखन (Advanced Drafting)- उच्चतर आलेखन में सरकारी कार्यालयों में प्रयुक्त होनेवाले भित्र-भित्र प्रकार के पत्राचारों का समावेश होता है। उच्चतर आलेखन का स्वरूप- आलेखन का अभिप्राय ,मोटेतौर पर पत्रों, सूचनाओं, परिपत्रों और समझौतों के आलेख (मसौदे या मसविदे) तैयार करने से है, जिनकी आवश्यकता सरकारी दफ्तरों या कार्यालयों और प्राइवेट फर्मो तथा संस्थाओं में हर दिन पड़ती रहती है। आलेखन की जानकारी न केवल सरकारी कार्यालयों में काम करनेवाले लिपिकों (clerks) और सहायकों (assistants) को होनी चाहिए, बल्कि अन्य व्यवसायों में काम करनेवाले कर्मचारियों के लिए भी जरूरी है। सरकारी कार्यालयों से अनेक प्रकार के पत्र, आदेश, परिपत्र, अधिसूचनाएँ आदि भेजी जाती है। इनका आलेख लिपिकों से उच्चतम अधिकारियों तक किसी को भी तैयार करना पड़ सकता है। अतएव, केन्द्रीय सचिवालय और राज्य सचिवालयों में काम करनेवाले कर्मचारियों के लिए आलेखन-ज्ञान अनिवार्य है। आलेखन के सम्बन्ध में कुछ आवश्यक बातों को ध्यान में रखना चाहिए। आलेख तैयार करते समय आलेखक को इन बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए- (1) विषय (Subject)- आलेख का विषय आसानी से समझ में आ जाय, उसमें किसी बात की अस्पष्टता नहीं रहनी चाहिए। हर शब्द का अर्थ पारदर्शी हो। (2) निर्देश (Reference)- यदि आलेख में प्रस्तुत विषय के साथ पिछले पत्र-व्यवहार का सम्बन्ध जुड़ा हो, तो आलेख में उसका भी निर्देश होना चाहिए;क्योंकि विषय की पृष्ठभूमि जाने बिना आलेख को समझना कठिन होगा। (3) विभाजन- प्रत्येक आलेख को तीन भागों में विभाजित करना चाहिए। पहले भाग में विषय का स्पष्ट कथन सप्रसंग होना चाहिए, दूसरे भाग में विषम का युक्तिपूर्ण समर्थन होना चाहिए। तीसरे भाग में प्रस्तुत तर्क अथवा युक्तियों के आधार पर निष्कर्ष देते हुए अपनी सिफारिश अथवा संस्तुति (Recommendation) देनी चाहिए। (4) क्रमसंख्या का आलेख- यदि आलेख लम्बा हो तो प्रत्येक अनुच्छेद (पैराग्राफ) के स्थान पर क्रमसंख्या (serial no) का उल्लेख करना चाहिए और आवश्यकतानुसार हर अनुच्छेद के विषय के प्रसंगानुसार एक छोटा-सा उपशीर्षक (Subheading) भी दे देना चाहिए। हालाँकि, अनुच्छेद, क्रमसंख्या और उपशीर्षक के सम्बन्ध में कोई निश्र्चित नियम नहीं है, फिर भी आलेख का विषय हर हालत में सुस्पष्ट होना चाहिए। यहाँ यह ध्यान देने की बात है कि आलेख के पहले अनुच्छेद में क्रमसंख्या नहीं दी जाती; दूसरे अनुच्छेद से संख्या 2 और आगे क्रमशः 3, 4 संख्याएँ उल्लिखित करनी चाहिए। (5) भाषा- आलेख की भाषा साहित्य की भाषा नहीं होती। इसे अत्यन्त सरल होना चाहिए। तथ्यों का सीधा और स्पष्ट कथन होना चाहिए। भाषा शिष्ट हो। गंवारू शब्दों का प्रयोग नहीं होना चाहिए। वाक्य छोटे-छोटे होने चाहिए। उनसे एक ही अर्थ निकलना चाहिए। (6) उद्धरण- यदि पत्र की प्रतिलिपियाँ एक से अधिक व्यक्तियों को भेजनी हों तो उनका उल्लेख कर देना चाहिए। (7) प्रतिलिपियाँ- यदि पत्र की प्रतिलिपियाँ एक से अधिक व्यक्तियों को भेजनी हों तो उनका उल्लेख कर देना चाहिए। (8) संलग्न पत्र- यदि पत्र के साथ कुछ अन्य पत्र संलग्न करने हों तो उनका उल्लेख पत्र के नीचे अन्त में करना चाहिए। पत्र में निम्नलिखित बातें अवश्य होनी चाहिए- (1) सबसे ऊपर संख्या दी जाए। सरकारी आलेख का रूप इस प्रकार प्रस्तुत है-संख्यापत्रसंख्या 250/5/86प्रेषक या कार्यालयभारत सरकार, शिल्प मन्त्रालय।प्रेषकरणधीर सिंह,अवर सचिव, भारत सरकार, शिक्षा-मन्त्रालय।प्रेषिती का पद और पतासेवा में मुख्य सचिव, बिहार सरकार, पटना।स्थान और दिनांकनई दिल्ली 29 सितम्बर, 9986 ।विषयप्राइमरी शिक्षा की व्यवस्था।सम्बोधनमहोदय।निर्देशआपके पत्र, संख्या 24/93/86 दिनांक 4 अगस्त, 9986 के उत्तर में मुझे यह सूचित करने का निर्देश हुआ है कि…स्वनिर्देशआपका विश्र्वासी, रणधीर सिंहहस्ताक्षर(रणधीर सिंह)संलग्न पत्रसूचीसंलग्न (Encl) एक पत्रपृष्ठांकनप्रतिलिपि निम्नलिखित को प्रेषित (9) (2) सरकारी आलेख का एक उदाहरण इस प्रकार है- संख्या- 9 /28 /99 (गृ०) प्रेषक सेवा में, मुख्य सचिव, विषय : बिहार में हुए छात्रों के उपद्रव। महोदय, भारत सरकार का विचार है कि इस प्रकार की गतिविधियों को कठोरतापूर्वक नियंत्रण में रखा जाना चाहिए; क्योंकि ऐसे उपद्रवों का प्रभाव दूसरे राज्यों पर भी पड़ सकता है और वहाँ भी इसकी अवांछनीय प्रतिक्रिया हो सकती है। भारत सरकार यह भी अनुभव करती है कि इस बात की जाँच की जाय कि इन उपद्रवों के पीछे किसी राजनीतिक दल का हाथ तो नहीं। यदि इस प्रकार के प्रमाण पाए जायँ कि किसी राजनीतिक दल ने छात्रों को गुमराह किया है तो उस दल की गतिविधियों पर सतर्क दृष्टि रखी जाय, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न होने पाय। आलेखन से क्या तात्पर्य है?आलेखन का हिंदी अर्थ
लेखन-क्रिया; लिखना। तस्वीर बनाना; चित्रांकन।
आलेखन किसे कहते हैं और कितने प्रकार के होते हैं?आलेखन (Drafting) की परिभाषा
सरकारी कार्यालयों में पत्र-व्यवहार की पद्धितियों के अनुसार पत्रों का प्रारूप या आलेख (Draft) तैयार किया जाना ही आलेखन कहलाता है। इसे प्रालेखन या प्रारूपण भी कहा जाता है। आलेख आवश्यकतानुसार लिपिक से लेकर अधिकारियों तक को तैयार करना पड़ता है अतः इसका सम्यक ज्ञान सभी के लिए आवश्यक है।
आलेखन कला क्या है?जब आलेखन को ड्राइंग की शीट पर बनाया जाता है तो उसे आलेखन कला कहते हैं। आलेखन चित्रकला का सबसे ही महत्वपूर्ण अंग है, जिसमें ड्राइंग की शीट पर चित्रों का निर्माण किया जाता है। जैसे - फूलों, पत्तियों को बनाना, किसी वस्तु को ड्राइंग शीट पर आकर देना इत्यादि उदारहण शामिल हैं।
आलेखन का प्रमुख गुण क्या है?(1) सत्यता- प्रत्येक प्रारूपण में शुद्धता और वास्तविकता का होना आवश्यक है। प्रारूप तथ्याधारित होता है और उसमें कल्पना का प्रवेश नहीं होता। तथ्यों की सत्यता में छोटी-सी भूल सरकार और सम्बन्धित कर्मचारी को कठिनाई में डाल सकती है। (2) पूर्णता- प्रारूपण में पूर्णता होनी चाहिए।
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