B गुरुत्वाकर्षण के संबंध में g और G का क्या अर्थ है? - b gurutvaakarshan ke sambandh mein g aur g ka kya arth hai?

G तथा g में अंतर स्पष्ट कीजिए, गुरुत्वाकर्षण नियतांक G का मान, स्मॉल जी और कैपिटल जी में क्या संबंध है. गुरुत्वाकर्षण नियतांक की परिभाषा. गुरुत्व और गुरुत्वाकर्षण में अंतर, G का मान किसने दिया. कैपिटल जी का मान कितना होता है.

g तथा G में अंतर

g गुरुत्वीय त्वरण को प्रदर्शित करता है जबकि G गुरुत्वाकर्षण नियतांक को प्रदर्शित करता है।

g का मान भिन्न-भिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न होता है जबकि G का मान सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में सर्वत्र एक समान रहता है।

g का मान 9.81 मी./से2 होता है जबकि G का मान 6.67×10-11 न्यूटन मी2/किग्रा2. होता है।

g सदिश राशि है जबकि G अदिश राशि है।

g का मात्रक मी/से है जबकि G का मात्रक न्यूटन मी2/किग्रा2. है।

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स्मॉल g और कैपिटल G में मुख्य अंतर

gGगुरुत्वीय त्वरणगुरुत्वाकर्षण नियतांकमान अलग-अलगमान हर जगह एक सामानमान 9.81 मी./सेमान 6.67×10-11 न्यूटन मी2/किग्रा2.सदिश राशिअदिश राशिमी/सेकंड2न्यूटन मी2/किग्रा2.

गुरुत्वीय त्वरण (g) एवं गुरुत्वाकर्षण नियतांक (G) में सम्बंध

माना, पृथ्वी का द्रव्यमान M तथा त्रिज्या R है तथा पृथ्वी का सम्पूर्ण द्रव्यमान पृथ्वी के केन्द्र (C) पर संकेन्द्रित है। माना, m द्रव्यमान का एक पिण्ड पृथ्वी की सतह पर स्थित है।

गुरुत्वाकर्षण बल (F) के कारण ही गुरुत्वीय त्वरण (g) उत्पन्न होता है। न्यूटन के द्वितीय गति-नियम के अनुसार-

गुरुत्वाकर्षण (gravitation) पदार्थो द्वारा एक दूसरे की ओर आकर्षित होने की प्रवृति है। गुरुत्वाकर्षण के बारे में पहली बार कोई गणितीय सूत्र देने की कोशिश आइजक न्यूटन द्वारा की गयी जो आश्चर्यजनक रूप से सही था। उन्होंने गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत का प्रतिपादन किया। न्यूटन के सिद्धान्त को बाद में अलबर्ट आइंस्टाइन द्वारा सापेक्षता सिद्धांत से बदला गया। बहुत कम ही लोग जानते है कि इससे पूर्व भारतीय महान गणितज्ञ वराह मिहिर और भास्कराचार्य ने कहा था कि किसी प्रकार की शक्ति ही वस्तुओं को पृथ्वी पर चिपकाए रखती है।

गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत का इतिहास[संपादित करें]

गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत पर आधुनिक काम 16 वीं शताब्दी के अंत में और 17 वीं शताब्दी की शुरुआत में गैलीलियो गैलीलि के काम से शुरू हुआ। अपने मशहूर (यद्यपि संभवतः अपोक्य्रीफल [4]) प्रयोगों में पीसा के टॉवर से गेंदों को छोड़ने का प्रयोग किया गया, और बाद में गेंदों के सावधानीपूर्वक माप के साथ इनक्लीइन को घुमाया गया, गैलीलियो ने दिखाया कि गुरुत्वाकर्षण त्वरण सभी वस्तुओं के लिए समान है। यह अरस्तू के विश्वास से एक बड़ा प्रस्थान था कि भारी वस्तुओं में उच्च गुरुत्वाकर्षण त्वरण होता है। [5] गैलीलियो ने हवा के प्रतिरोध को इस कारण के रूप में बताया कि कम द्रव्यमान वाली वस्तुएं वातावरण में धीमी गति से गिर सकती हैं। गैलीलियो के काम ने न्यूटन के गुरुत्व के सिद्धांत के निर्माण के लिए मंच तैयार किया।

न्यूटन का सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण का नियम[संपादित करें]

यदि पृथ्वी के द्रव्यमान के तुल्य द्रव्यमान वाली कोई वस्तु इसकी तरफ गिरे तो उस स्थिति में पृथ्वी का त्वरण भी नगण्य नहीं बल्कि मापने योग्य होगा।

इसके बाद आइज़क न्यूटन ने अपनी मौलिक खोजों के आधार पर बताया कि केवल पृथ्वी ही नहीं, अपितु विश्व का प्रत्येक कण प्रत्येक दूसरे कण को अपनी ओर आकर्षित करता रहता है। दो कणों के बीच कार्य करनेवाला आकर्षण बल उन कणों की संहतियों के गुणनफल का (प्रत्यक्ष) समानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग का व्युत्क्रमानुपाती होता है। कणों के बीच कार्य करनेवाले पारस्परिक आकर्षण को गुरुत्वाकर्षण (Gravitation) तथा उससे उत्पन्न बल को गुरुत्वाकर्षण बल (Force of Gravitation) कहते है। न्यूटन द्वारा प्रतिपादित उपर्युक्त नियम को न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण नियम (Law of Gravitation) कहते हैं। कभी-कभी इस नियम को गुरुत्वाकर्षण का प्रतिलोम वर्ग नियम (Inverse Square Law) भी कहा जाता है।

उपर्युक्त नियम को सूत्र रूप में इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है : मान लिया m1 और संहति वाले m2 दो पिंड परस्पर d दूरी पर स्थित हैं। उनके बीच कार्य करनेवाले बल f का संबंध होगा :

F=m1m2r2{\displaystyle F={m_{1}m_{2} \over r^{2}}} --- (१)

यहाँ G एक समानुपाती नियतांक है जिसका मान सभी पदार्थों के लिए एक जैसा रहता है। इसे गुरुत्व नियतांक (Gravitational Constant) कहते हैं। इस नियतांक की विमा (dimension) है और आंकिक मान प्रयुक्त इकाई पर निर्भर करता है। सूत्र (१) द्वारा किसी पिंड पर पृथ्वी के कारण लगनेवाले आकर्षण बल की गणना की जा सकती है।

कोई भी वस्तु ऊपर से गिरने पर सीधी पृथ्वी की ओर आती है। ऐसा प्रतीत होता है, मानो कोई अलक्ष्य और अज्ञात शक्ति उसे पृथ्वी की ओर खींच रही है। इटली के वैज्ञानिक, गैलिलीयो गैलिलीआई ने सर्वप्रथम इस तथ्य पर प्रकाश डाला था कि कोई भी पिंड जब ऊपर से गिरता है तब वह एक नियत त्वरण (constant acceleration) से पृथ्वी की ओर आता है। त्वरण का यह मान सभी वस्तुओं के लिए एक सा रहता है। अपने इस निष्कर्ष की पुष्टि उसने प्रयोगों और गणितीय विवेचनों द्वारा की

केप्लर की ग्रहीय गति के नियम[संपादित करें]

केप्लर की ग्रहीय गति के नियम देखिये

जर्मन खगोलविद केप्लर ने ग्रहों की गति का अध्ययन करके तीन नियम दिये।

केप्लर का प्रथम नियम: (कक्षाओं का नियम) -सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर दीर्घवृत्ताकार कक्षाओं मे चक्कर लगाते हैं तथा सूर्य उन कक्षाओं के फोकस पर होता है।

द्वितीय नियम - किसी भी ग्रह को सूर्य से मिलाने वाली रेखा समान समय मे समान क्षेत्रफल पार करती है। अर्थात प्रत्येक ग्रह की क्षेत्रीय चाल (एरियल वेलासिटी) नियत रहती है। अर्थात जब ग्रह सूर्य से दूर होता है तो उसकी चाल कम हो जाती है।

तृतीय नियम : (परिक्रमण काल का नियम)- प्रत्येक ग्रह का सूर्य का परिक्रमण काल का वर्ग उसकी दीर्घ वृत्ताकार कक्षा की अर्ध-दीर्घ अक्ष की तृतीय घात के समानुपाती होता है।

भाष्कराचार्य का गुरुत्वाकर्षण का नियम[संपादित करें]

गुरुत्वाकर्षण: "पिताजी, यह पृथ्वी, जिस पर हम निवास करते हैं, किस पर टिकी हुई है?" लीलावती ने शताब्दियों पूर्व यह प्रश्न अपने पिता भास्कराचार्य से पूछा था। इसके उत्तर में भास्कराचार्य ने कहा, "बोले लीलावती !, कुछ लोग जो यह कहते हैं कि यह पृथ्वी शेषनाग, कछुआ या हाथी या अन्य किसी वस्तु पर आधारित है तो वे गलत कहते हैं। यदि यह मान भी लिया जाए कि यह किसी वस्तु पर टिकी हुई है तो भी प्रश्न बना रहता है कि वह वस्तु किस पर टिकी हुई है और इस प्रकार कारण का कारण और फिर उसका कारण... यह क्रम चलता रहा, तो न्याय शास्त्र में इसे अनवस्था दोष कहते हैं।

लीलावती ने कहा फिर भी यह प्रश्न बना रहता है पिताजी कि पृथ्वी किस चीज पर टिकी है?

तब भास्कराचार्य ने कहा, क्यों हम यह नहीं मान सकते कि पृथ्वी किसी भी वस्तु पर आधारित नहीं है। यदि हम यह कहें कि पृथ्वी अपने ही बल से टिकी है और इसे गुरुत्वाकर्षण शक्ति कह दें तो क्या दोष है?

इस पर लीलावती ने पूछा यह कैसे संभव है? तब भास्कराचार्य सिद्धान्त की बात कहते हैं कि वस्तुओं की शक्ति बड़ी विचित्र है।

मरुच्लो भूरचला स्वभावतो यतोविचित्रावतवस्तु शक्त्य:॥ --- सिद्धांतशिरोमणि, गोलाध्याय - भुवनकोश

आगे कहते हैं-

आकृष्टिशक्तिश्च मही तया यत् खस्थंगुरुस्वाभिमुखं स्वशक्तत्या।आकृष्यते तत्पततीव भातिसमेसमन्तात् क्व पतत्वियं खे॥ --- सिद्धांतशिरोमणि गोलाध्याय - भुवनकोश

अर्थात् पृथ्वी में आकर्षण शक्ति है। पृथ्वी अपनी आकर्षण शक्ति से भारी पदार्थों को अपनी ओर खींचती है और आकर्षण के कारण वह जमीन पर गिरते हैं। पर जब आकाश में समान ताकत चारों ओर से लगे, तो कोई कैसे गिरे? अर्थात् आकाश में ग्रह निरावलम्ब रहते हैं क्योंकि विविध ग्रहों की गुरुत्व शक्तियाँ संतुलन बनाए रखती हैं।

गुरुत्वाकर्षण के सम्बन्ध में g और G का क्या अर्थ है?

g गुरुत्वीय त्वरण को प्रदर्शित करता है जबकि G गुरुत्वाकर्षण नियतांक को प्रदर्शित करता है। g का मान भिन्न-भिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न होता है जबकि G का मान सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में सर्वत्र एक समान रहता है। g का मान 9.81 मी./से2 होता है जबकि G का मान 6.67×10-11 न्यूटन मी2/किग्रा2. होता है।

जी तथा जी में संबंध क्या है?

माना पृथ्वी का द्रव्यमान Me तथा त्रिज्या Re है जैसे चित्र से स्पष्ट है। यही g तथा G में संबंध है इस सूत्र में m प्राप्त नहीं होता है इस प्रकार स्पष्ट होता है कि गुरुत्वीय त्वरण का मान वस्तु के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता है।

G का क्या अर्थ है?

पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण, जिसे g द्वारा निरूपित किया जाता है, उस त्वरण को संदर्भित करता है, जिसे पृथ्वी अपनी सतह पर या उसके पास की वस्तुओं को प्रदान करती है। एसआई इकाइयों में इस त्वरण को प्रति वर्ग मीटर (प्रतीकों में, मी/से2) या न्यूटन प्रति किलोग्राम (एन/किग्रा) में बराबर मापा जाता है।

कैपिटल g का मान कितना होता है?

इसका मान लगभग 9.81 m/s2होता है। (ध्यान रहे कि G एक अलग है; यह गुरूत्वीय नियतांक है।) g का मान पृथ्वी के विभिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न होता है।