छतरपुर का किला मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में अठारहवीं शताब्दी का किला है। यह किला पहाड़ी की चोटी पर स्थित, यह बुंदेली वास्तुकला शैली में निर्मित है। यह एक निवास के रूप में इस्तेमाल किया गया था और साथ ही, एक रक्षात्मक किले के रूप में भी इस्तेमाल किया गया था। ब्रिटिश राज के तहत, किले का उपयोग स्थानीय प्रशासनिक मुख्यालय के रूप में किया जाता था। Show
छतरपुर का इतिहास – छतरपुर का किला हिस्ट्री इन हिन्दी
छतरपुर रियासत बहुत प्राचीन रियासत नहीं है, पहले यह स्थान पन्ना राज्य के अन्तर्गत था। 18 वीं शताब्दी के अन्त में छतरपुर रियासत को अलग राज्य का दर्जा दे दिया गया।छतरपुर के प्रथम शासक सोने सिंह पवार थे। पहले इस वंश के व्यक्ति पन्ना महाराज हिन्दूपत के यहाँ नौकरी किया करते थे। विक्रमी संवत् 1834 में हिन्दूपत का स्वर्गवास हो गया। इनके पुत्र सरनेश सिंह राजनगर में निवास करते रहे। पन्ना राज्य की व्यवस्था कुँवर सोने शाह किया करते थे। उन्हे अलग होने का अवसर प्राप्त हुआ और उन्होने अपना स्वतन्त्र राज्य स्थापित कर लिया। छतरपुर का किला
कई राजनीतिक कारणों से विक्रमी संवत् 1863 तक छतरपुर रियासत का महत्व बढ़ गया। उस समय इस रियासत मे 151 गाँव थे। सोनेशाह की मृत्यु विक्रमी संवत् 1873 में हुई, उसके बाद इनकी सन्धि अंग्रेजों से हुई यह सन्धि राजा प्रताप सिंह और अंग्रेजों के मध्य विक्रमी संवत 1874 में हुई। तथा राजा प्रताप सिंह को राजा बहादुर की पदवी मिली। प्रताप सिंह की मृत्यु के पश्चात उनकी विधवा रानी शासन का प्रबन्ध देखती थी। तथा उनके प्रबन्ध के लिये अंग्रेज सरकार ने एक अधिकारी भी नियुक्ति किया था।
छतरपुर में अनेक स्थल दर्शनीय है-
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सिरसागढ़ का किला महोबा राठ मार्ग पर उरई के पास स्थित है। तथा किसी युग में महोबा का किला – महोबा दुर्ग का इतिहास – आल्हा उदल का महल महोबा का किला महोबा जनपद में एक सुप्रसिद्ध दुर्ग है। यह दुर्ग चन्देल कालीन है इस दुर्ग में कई अभिलेख भी कल्याणगढ़ का किला मानिकपुर चित्रकूट उत्तर प्रदेश, कल्याणगढ़ दुर्ग का इतिहास कल्याणगढ़ का किला, बुंदेलखंड में अनगिनत ऐसे ऐतिहासिक स्थल है। जिन्हें सहेजकर उन्हें पर्यटन की मुख्य धारा से जोडा जा भूरागढ़ का किला – भूरागढ़ दुर्ग का इतिहास – भूरागढ़ जहां लगता है आशिकों का मेला भूरागढ़ का किला बांदा शहर के केन नदी के तट पर स्थित है। पहले यह किला महत्वपूर्ण प्रशासनिक स्थल था। वर्तमान रनगढ़ दुर्ग – रनगढ़ का किला या जल दुर्ग या जलीय दुर्ग के गुप्त मार्ग रनगढ़ दुर्ग ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण प्रतीत होता है। यद्यपि किसी भी ऐतिहासिक ग्रन्थ में इस दुर्ग खत्री पहाड़ विंध्यवासिनी देवी मंदिर तथा शेरपुर सेवड़ा दुर्ग व इतिहास उत्तर प्रदेश राज्य के बांदा जिले में शेरपुर सेवड़ा नामक एक गांव है। यह गांव खत्री पहाड़ के नाम से विख्यात मड़फा दुर्ग के रहस्य – जहां तानसेन और बीरबल ने निवास किया था मड़फा दुर्ग भी एक चन्देल कालीन किला है यह दुर्ग चित्रकूट के समीप चित्रकूट से 30 किलोमीटर की दूरी पर रसिन का किला प्राकृतिक सुंदरता के बीच बिखरे इतिहास के अनमोल मोती रसिन का किला उत्तर प्रदेश के बांदा जिले मे अतर्रा तहसील के रसिन गांव में स्थित है। यह जिला मुख्यालय बांदा अजयगढ़ का किला किसने बनवाया था व उसका इतिहास अजयगढ़ की घाटी का प्राकृतिक सौंदर्य अजयगढ़ का किला महोबा के दक्षिण पूर्व में कालिंजर के दक्षिण पश्चिम में और खुजराहों के उत्तर पूर्व में मध्यप्रदेश कालिंजर का किला – कालिंजर का युद्ध – कालिंजर का इतिहास इन हिन्दी कालिंजर का किला या कालिंजर दुर्ग कहा स्थित है?:— यह दुर्ग बांदा जिला उत्तर प्रदेश मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर बांदा-सतना ओरछा का किला – ओरछा दर्शनीय स्थल – ओरछा के टॉप 10 पर्यटन स्थल शक्तिशाली बुंदेला राजपूत राजाओं की राजधानी ओरछा शहर के हर हिस्से में लगभग इतिहास का जादू फैला हुआ है। ओरछा छतरपुर जिले की राजधानी क्या है?छतरपुर ज़िला. छतरपुर कौन से राज्य में आता है?छतरपुर मध्य प्रदेश राज्य की उत्तर पूर्वी सीमा में स्थित है। यह 1956 में अस्तित्व में आया। छतरपुर 24.06 'से 25.20' उत्तरी अक्षांश और 78.59 'से 80.26' पूर्वी देशांतर में स्थित है।
छतरपुर का पुराना नाम क्या है?इतिहास छतरपुर की स्थापना 1785 में हुई थी और इसका नाम बुंदेला राजपूत छत्रसाल के नाम पर रखा गया है, जो बुंदेलखंड की आजादी के संस्थापक हैं। उनके वंशजों द्वारा राज्य पर 1785 तक शासन किया गया था। उसके बाद राजपूतों के परमार वंश ने छतरपुर पर अधिकार कर लिया था।
छतरपुर स्टेशन का नाम क्या है?खास बात यह है कि छतरपुर रेलवे स्टेशन का नाम भी रेलवे द्वारा जारी कर दिया गया है। इसमें महाराजा छत्रसाल स्टेशन छतरपुर के नाम से स्टेशन बनाया है। इसका कोड CATR होगा।
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