sumitranandan pant poems: सुमित्रानंदन पंत छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। छायावादी युग को जयशंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ और सुमित्रानंदन पंत जैसे कवियों का युग कहा जाता है। गोरे रंग , सुंदर मुखमण्डल, लंबे घुंघराले बाल और सुगठित शारीरिक रचना के कारण उनका व्यक्तित्व बेहद आकर्षक था और उन्हें सबसे अलग करता था। Show
सुमित्रानंदन पंत की कविता में लता, भ्रमर-गुंजन, उषा-किरण, झरना, बर्फ, पुष्प, शीतल पवन, तारों की चुनरी ओढ़े गगन से उतरती संध्या आदि का प्रयोग खूब मिलता है। इसलिए तो sumitranandan pant poems बच्चों में काफी लोकप्रिय है और बड़े बड़े कविओ के लिए भी अध्ययन का विषय बनी हुई है। आज हिंदी हैं हम आप सभी के लिए लेकर आया है sumitranandan pant poems, sumitranandan pant ki kavita, sumitranandan pant kavita, sumitranandan pant kavita और सुमित्रानंदन पंत की सबसे बेहतरीन कविताओं का संग्रह जो आपको बेहद पसंद आएगा।
sumitranandan pant poemshindi sumitranandan pant poems जग-जीवन में जो चिर महानजग-जीवन में जो चिर महान, जिससे जीवन में मिले शक्ति, दिशि-दिशि में प्रेम-प्रभा प्रसार, पाकर, प्रभु! तुमसे अमर दान
sumitranandan pant ki kavitasumitranandan pant ki kavita मैंने छुटपन में छिपकर पैसे बोये थेममैने छुटपन मे छिपकर पैसे बोये थे मै हताश हो , बाट जोहता रहा दिनो तक , अर्धशती हहराती निकल गयी है तबसे । औ’ जब फिर से गाढी ऊदी लालसा लिये मै फिर भूल गया था छोटी से घटना को देखा आँगन के कोने मे कई नवागत निर्निमेष , क्षण भर मै उनको रहा देखता- तबसे उनको रहा देखता धीरे धीरे यह धरती कितना देती है । धरती माता रत्न प्रसविनि है वसुधा , अब समझ सका हूँ ।
sumitranandan pant poems in hindisumitranandan pant poems in hindi उत्तरा नामक रचना सेमैं चिर श्रद्धा लेकर आई जिज्ञासा से था आकुल मन प्राणों की तृष्णा हुई लीन लज्जा जाने कब बनी मान, उर करुणा के हित था कातर बाधा-विरोध अनुकूल बने
sumitranandan pant kavitasumitranandan pant kavita चींटी को देखा?चींटी को देखा? गाय चराती, धूप खिलाती, चींटी है प्राणी सामाजिक, वह भी क्या देही है, तिल-सी?
सुमित्रानंदन पंत की कवितासुमित्रानंदन पंत की कविता मिट्टी का गहरा अंधकारमिट्टी का गहरा अंधकार उस छोटे उर में छिपे हुए वह है मुट्ठी में बंद किए बन्दी उसमें जीवन-अंकुर आः, भेद न सका सृजन-रहस्य मिट्टी का गहरा अन्धकार,
sumitranandan pant poems on naturesumitranandan pant poems on nature काले बादल में रहती चाँदी की रेखासुनता हूँ, मैंने भी देखा, काले बादल जाति द्वेष के, आज दिशा हैं घोर अँधेरी काले बादल, काले बादल, मुझे मृत्यु की भीति नहीं है, देश जातियों का कब होगा,
sumitranandan pant famous poemssumitranandan pant famous poems हे ग्राम देवता, भूति ग्राम !राम राम, तुम कोटि बाहु, वर हलधर, वृष वाहन बलिष्ठ, पिक वयनी मधुऋतु से प्रति वत्सर अभिनंदित, शशि मुखी शरद करती परिक्रमा कुंद स्मित, अभिराम तुम्हारा बाह्य रूप, मोहित कवि मन, राम राम, कवि अल्प, उडुप मति, भव तितीर्षु,–दुस्तर अपार, दिखलाया तुमने भारतीयता का स्वरूप, यह वही अवध! तुलसी की संस्कृति का निवास! ये श्रीमानों के भवन आज साकेत धाम! श्री राम रहे सामंत काल के ध्रुव प्रकाश, पशु-युग में थे गणदेवों के पूजित पशुपति, वाल्मीकि बाद आए श्री व्यास जगत वंदित, तब से युग युग के हुए चित्रपट परिवर्तित, गत सक्रिय गुण बन रूढ़ि रीति के जाल गहन उच्छिष्ट युगों का आज सनातनवत् प्रचलित, अति-मानवीय था निश्चित विकसित व्यक्तिवाद, तब था न वाष्प, विद्युत का जग में हुआ उदय, अब मनुष्यता को नैतिकता पर पानी जय, राम राम, पंडित, पंडे, ओझा, मुखिया औ’ साधु, संत युग युग से जनगण, देव! तुम्हारे पराधीन, जन अमानुषी आदर्शो के तम से कवलित, वे देव भाव के प्रेमी,–पशुओं से कुत्सित, सामाजिक जीवन के अयोग्य, ममता प्रधान, राम राम, यह जन स्वातंत्र्य नही, जनैक्य का वाहक रण, नव मानवता में जाति वर्ग होंगे सब क्षय, मानवता अब तक देश काल के थी आश्रित, छायाएँ हैं संस्कृतियाँ, मानव की निश्चित, विश्वास धर्म, संस्कृतियाँ, नीति रीतियाँ गत राम राम,
sumitranandan pant kavita in hindisumitranandan pant kavita in hindi स्त्रीयदि स्वर्ग कहीं है पृथ्वी पर, मादकता जग में कहीं अगर, यदि कहीं नरक है इस भू पर,
sumitranandan pant ki kavita in hindisumitranandan pant ki kavita in hindi आओ, अपने मन को टोवेंआओ, अपने मन को टोवें! जाति पाँतियों में बहु बट कर उजड़ गया घर द्वार अचानक परिवर्तन ही जग का जीवन साहस, दृढ संकल्प, शक्ति, श्रम नया क्षितिज अब खुलता मन में
सुमित्रानंदन पंत का जीवन परिचयसुमित्रानंदन पंत का जीवन परिचय महाकवि सुमित्रानन्दन पन्त का जन्म बागेश्वर ज़िले के कौसानी नामक ग्राम में 20 मई 1900 ई॰ को हुआ जो ब्रितानी भारत के उत्तर-पश्चिम प्रांत में स्थित था। सुमित्रानन्दन पन्त के जन्म के कुछ घंटे बाद ही उनकी माता का निधन हो गया। सुमित्रानन्दन पन्त का पालन पोषण उनकी दादी ने किया। बचपन में इनका नाम गोसाईं दत्त रखा गया था। उनके पिता का नाम गंगादत्त पंत था तथा वे अपने पिता की आठवीं संतान थे। सन 1910 में अपनी पढाई करने के लिए गोसाईं दत्त गवर्नमेंट हाईस्कूल अल्मोड़ा गये और यहीं उन्होंने अपना नाम गोसाईं दत्त से बदलकर सुमित्रानंदन पंत रख लिया।
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सुमित्रानंदन पंत की प्रमुख रचनाएं कौन कौन सी है?सुमित्रानंदन पंत की कुछ अन्य काव्य कृतियाँ हैं - ग्रन्थि, गुंजन, ग्राम्या, युगांत, स्वर्णकिरण, स्वर्णधूलि, कला और बूढ़ा चाँद, लोकायतन, चिदंबरा, सत्यकाम आदि। उनके जीवनकाल में उनकी २८ पुस्तकें प्रकाशित हुईं, जिनमें कविताएं, पद्य-नाटक और निबंध शामिल हैं।
सुमित्रानंदन पंत ने 1 लंबी कविता भी लिखी है उसका नाम क्या है?पुरस्कार प्रमुख हैं। पंत जी की महत्त्वपूर्ण काव्य कृतियाँ हैं - वीणा, ग्रंथि, पल्लव, गुंजन, युगांत, युगवाणी, ग्राम्या, स्वर्ण किरण, उत्तरा, कला और बूढ़ा चाँद, चिदंबरा आदि । पंत जी ने छोटी कविताओं और गीतों के साथ परिवर्तन जैसी लंबी कविता और लोकायतन नामक महाकाव्य की रचना भी की है।
सुमित्रानंदन पंत की प्रथम कविता कौन सी है?वीणा (1918, पन्त जी की प्रथम काव्यकृति, इसे कवि ने 'तुतली बोली में एक बालिका का उपहार' कहा है।)
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